बिहार के उप मुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद ने 28 फरवरी, 2022 को वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए राज्य का बजट प्रस्तुत किया। Show बजट के मुख्य अंश
नीतिगत विशिष्टताएं
2022-23 के लिए बजट अनुमान
तालिका 1: बजट 2022-23 के मुख्य आंकड़े (करोड़ रुपए में)
नोट: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान। 2022-23 में व्यय
तालिका 2: बजट 2022-23 में व्यय (करोड़ रुपए में)
स्रोत: बिहार बजट डॉक्यूमेंट्स 2022-23; पीआरएस प्रतिबद्ध व्यय: राज्य के प्रतिबद्ध व्यय में आम तौर पर वेतन भुगतान, पेंशन और ब्याज से संबंधित व्यय शामिल होते हैं। अगर बजट में प्रतिबद्ध व्यय की मद के लिए बड़ा हिस्सा आबंटित किया जाता है तो इससे राज्य अन्य व्यय, जैसे विकासात्मक योजनाओं और पूंजीगत परिव्यय पर कम खर्च कर पाता है। 2022-23 में बिहार द्वारा प्रतिबद्ध व्यय मदों पर 70,307 करोड़ रुपए खर्च करने का अनुमान है, जो कि उसकी राजस्व प्राप्तियों का 36% है। इसमें वेतन (राजस्व प्राप्तियों का 15%), पेंशन (12%), और ब्याज भुगतान (8%) पर होने वाला खर्च शामिल है। 2022-23 में प्रतिबद्ध व्यय 2021-22 के संशोधित अनुमान से 9% अधिक होने का अनुमान है। ब्याज भुगतान में 12% की वृद्धि का अनुमान है जबकि वेतन और पेंशन में क्रमशः 7% और 11% की वृद्धि का अनुमान है। तालिका 3 : 2022-23 में प्रतिबद्ध व्यय (करोड़ रुपए में)
स्रोत: बिहार बजट डॉक्यूमेंट्स 2022-23; पीआरएस क्षेत्रवार व्यय: 2022-23 के दौरान बिहार के बजटीय व्यय का 67% हिस्सा निम्नलिखित क्षेत्रों के लिए खर्च किया जाएगा। विभिन्न क्षेत्रों में बिहार और अन्य राज्यों द्वारा कितना व्यय किया जाता है, इसकी तुलना अनुलग्नक 1 में प्रस्तुत है। तालिका 4 : बिहार बजट 2022-23 में क्षेत्रवार व्यय (करोड़ रुपए में)
स्रोत: बिहार बजट डॉक्यूमेंट्स 2022-23; पीआरएस 2022-23 में प्राप्तियां
तालिका 5 : राज्य सरकार की प्राप्तियों का ब्रेकअप (करोड़ रुपए में)
नोट: बअ- बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान।
तालिका 6 : राज्य के स्वयं कर राजस्व के मुख्य स्रोत (करोड़ रुपए में)
स्रोत: बिहार बजट डॉक्यूमेंट्स 2022-23; पीआरएस 2022-23 के लिए घाटे और ऋण के लक्ष्य बिहार के राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) एक्ट, 2006 में राज्य सरकार की बकाया देनदारियों, राजस्व घाटे और राजकोषीय घाटे को प्रगतिशील तरीके से कम करने के लक्ष्यों का प्रावधान है। राजस्व संतुलन: यह सरकार की राजस्व प्राप्तियों और व्यय के बीच का अंतर होता है। राजस्व घाटे का यह अर्थ होता है कि सरकार को अपना व्यय पूरा करने के लिए उधार लेने की जरूरत है जोकि भविष्य में पूंजीगत परिसंपत्तियों का सृजन नहीं करेगा, और न ही देनदारियों को कम करेगा। 2022-23 में बिहार को 4,748 करोड़ रुपये के राजस्व अधिशेष का अनुमान है, जो जीएसडीपी का 0.64% है। इसकी तुलना में 2020-21 में राज्य में जीएसडीपी का 1.83% (11,325 करोड़ रुपये) राजस्व घाटा दर्ज किया गया। 2021-22 में राज्य को जीएसडीपी के 5.48% (37,207 करोड़ रुपये) के राजस्व घाटे का अनुमान है। राजकोषीय घाटा: यह कुल प्राप्तियों पर कुल व्यय की अधिकता होता है। यह अंतर सरकार द्वारा उधारियों के जरिए पूरा किया जाता है और राज्य सरकार की कुल देनदारियों में वृद्धि करता है। 2022-23 में राजकोषीय घाटा 25,885 करोड़ रुपए (जीएसडीपी का 3.47%) होने का अनुमान है। यह केंद्रीय बजट के अनुसार 2022-23 में केंद्र सरकार द्वारा अनुमत जीएसडीपी के 4% की सीमा के भीतर है (जिसमें से 0.5% की छूट बिजली क्षेत्र के सुधार करने पर मिलेगी)। संशोधित अनुमानों के अनुसार 2021-22 में राज्य का राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 11.31% रहने का अनुमान है जो कि जीएसडीपी के 2.97% के बजट अनुमान से काफी अधिक है। यह 2021-22 में केंद्र सरकार द्वारा अनुमत 4.5% की सीमा से भी काफी अधिक है (जिसमें से 0.5% की छूट बिजली क्षेत्र के सुधार करने पर मिलेगी)। इसलिए यह एक ओवरएस्टिमेशन होने की उम्मीद है। 2020-21 में भी संशोधित चरण में राज्य ने जीएसडीपी के 6.7% के राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया जिसमें व्यय (ऋण पुनर्भुगतान को छोड़कर) बजट अनुमान से 7% अधिक होने का अनुमान है। हालांकि 2022-23 के बजट में प्रस्तुत वास्तविक के अनुसार, 2020-21 में राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 4.82% था (केंद्र सरकार द्वारा 2020-21 में अनुमत 5% की सीमा के भीतर)। 2020-21 में व्यय (कर्ज पुनर्भुगतान को छोड़कर) बजट अनुमान से 22% कम था। बकाया देनदारियां: वित्तीय वर्ष के अंत में राज्य की कुल उधारियां जमा होकर बकाया देनदारियां बन जाती हैं। इसमें पब्लिक एकाउंट्स की देनदारियां भी शामिल हैं। मार्च 2023 के अंत तक, राज्य की बकाया देनदारियां जीएसडीपी का 38.66% होने का अनुमान है। 2019-20 की तुलना में बकाया देनदारियों में जीएसडीपी का लगभग 6.11% (जीएसडीपी का 32.55%) बढ़ने का अनुमान है।
बकाया सरकारी गारंटी: राज्यों की बकाया देनदारियों में कुछ अन्य देनदारियां शामिल नहीं हैं जो आकस्मिक हैं और जिन्हें कुछ मामलों में राज्यों को पूरा करना पड़ सकता है। राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (एसपीएसई) वित्तीय संस्थानों से जो उधारी लेती हैं, उनकी गारंटी राज्य सरकारें देती हैं। 2020-21 के अंत में राज्य की बकाया गारंटी जीएसडीपी का 2.7% होने का अनुमान है जो 2019-20 के अंत में जीसडीपी के 0.9% से काफी अधिक है। बिजली और सहकारी क्षेत्रों में गारंटी का स्तर काफी बढ़ा है। अनुलग्नक 1: मुख्य क्षेत्रों में राज्य के व्यय की तुलना निम्नलिखित रेखाचित्रों में छह मुख्य क्षेत्रों में अन्य राज्यों के औसत व्यय के अनुपात में बिहार के कुल व्यय की तुलना की गई है। क्षेत्र के लिए औसत, उस क्षेत्र में 30 राज्यों (बिहार सहित) द्वारा किए जाने वाले औसत व्यय (2021-22 के बजटीय अनुमानों के आधार पर) को इंगित करता है। [1]
नोट: 2020-21, 2021-22
(बअ), 2021-22 (संअ), और 2022-23 (बअ) के आंकड़े बिहार के हैं। अनुलग्नक 2: 2020-21 के बजटीय अनुमानों और वास्तविक के बीच तुलना यहां तालिकाओं में 2021-22 के वास्तविक के साथ उस वर्ष के बजटीय अनुमानों के बीच तुलना की गई है। तालिका 7 : प्राप्तियों और व्यय की झलक (करोड़ रुपए में)
नोट: बअ: बजट अनुमान *पॉजिटव चिन्ह अधिशेष और नेगेटिव चिन्ह घाटा दर्शाता है। तालिका 8 : राज्य के स्वयं कर राजस्व के घटक (करोड़ रुपए में)
स्रोत: विभिन्न वर्षों के बिहार बजट डॉक्यूमेंट्स; पीआरएस। तालिका 9 : मुख्य क्षेत्रों के लिए आबंटन (करोड़ रुपए में)
स्रोत: विभिन्न वर्षों के बिहार बजट डॉक्यूमेंट्स; पीआरएस। [1] 30 राज्यों में दिल्ली और जम्मू एवं कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है। बिहार में राजकोषीय घाटा कितना है?बिहार को 18 साल बाद बड़े राजकोषीय घाटे का सामना करना पड़ा है। 31 मार्च 2021 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष के दौरान राज्य में 29 हजार 827 करोड़ का राजकोषीय घाटा दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15,103 करोड़ रुपये ज्यादा है। राज्य को 2004-05 के बाद दूसरी बार 11,325 करोड़ से ज्यादा राजस्व घाटे का सामना करना पड़ा है।
2022 का राजकोषीय घाटा कितना है?वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सरकार का राजकोषीय घाटे का अनुमान 16.61 लाख रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत है।
वर्तमान में भारत का राजकोषीय घाटा कितना है?आंकड़े बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए राजकोषीय घाटा 15.87 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत का राजकोषीय घाटा 6.9 फीसदी के संशोधित अनुमान के मुकाबले 6.7 फीसदी रहा।
राजकोषीय घाटा क्या?राजकोषीय घाटा = सरकार का कुल व्यय (पूंजी और राजस्व व्यय) - सरकार की कुल आय (राजस्व प्राप्ति + ऋणों की वसूली + अन्य प्राप्तियाँ) यदि सरकार का कुल व्यय वित्तीय वर्ष में उसकी कुल राजस्व और गैर-राजस्व प्राप्तियों से अधिक है, तो वह अंतर वित्तीय वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा है।
|