Jyoti Basu Ke Baad Sabse Lambe Samay Tak MukhyaMantri Rehne Wale Doosre RajNeta Kaun HainGkExams on 12-05-2019 Show
सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग सम्बन्धित प्रश्नComments ankita kumar on 06-12-2022 सबसे लम्बे समय तक मिख्मन्त्रि रहे ह Deepak on 14-11-2022 I love u Manisha on 13-11-2022 Jyoti basu ke bad sabse lambe samey tak mukhyamantri kon raha hai Ashok on 13-11-2022 Joyoti Basu ke bad chif minister kon rhe Akshay Kumar on 13-11-2022 Sabse lambe samay Tak Rahane wale mukhymantri ka naam Anjali Anjali Anjali on 13-11-2022 Jyotiba bsu ke bad lambe samy tak mukya mantri rahne vale rajneta kon he Mmmmm on 13-11-2022 Jyoti Samay ke bad sabse Lambe Samay Tak dusre Mantri Kaun banaa tha Monu on 13-11-2022 पवन कुमार चामलिंग Nancy Sharma on 13-11-2022 Jyoti Basu ke bad sabse lambe samay Tak chief minister kaun tha Vishal on 13-11-2022 Kis nobel puraskaar vijeta ne kolkata main bharat sarkaar kin vibhag main bator account Puche on 13-11-2022 Indsaland bank नई दिल्ली : देश की राजनीति में सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने अपने नाम एक नया अध्याय जोड़ दिया है. वह देश के सबसे लंबे समय तक लगातार रहने वाले मुख्यमंत्री बन गए हैं. इससे पहले ये रिकॉर्ड पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री और सीपीएम के नेता दिवंगत ज्योति बसु के नाम था. लेकिन 28 अप्रैल 2018 के बाद देश में पवन चामलिंग सबसे ज्यादा लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री बन गए हैं. अभी उनका कार्यकाल मई 2019 तक है. मतलब वह इस रिकॉर्ड को और लंबा कर देंगे. देश के एक छोटे से राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए पवन चामलिंग और उनकी पार्टी सिक्किम डेमोक्रटिक फ्रंट ने राजनीति की उन तमाम धारणाओं को ध्वस्त कर दिया, जिनमें 'एंटी इन्कंबेंसी' जैसी बातें कही जाती हैं. लेकिन पवन चामलिंग इन सभी आरोपों से परे हैं. वह लगातार 23 साल 4 महीने और 17 दिन से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हैं. बाइचुंग भूटिया ने 'हमरो सिक्किम' नाम से बनाई राजनीतिक पार्टी, पवन चामलिंग पर बोला हमला ज्योति बसु ने बनाया था ये रिकॉर्ड अब पवन चामलिंग
निकले सबसे आगे पवन चामलिंग जिस तरह से अभी राज्य में सत्ता संभाल रहे हैं, उसे देखते हुए नहीं लगता कि उन्हें आने वाले दिनों में कोई सत्ता से हटा पाएगा. इसका एक उदाहरण पिछले साल अप्रैल में देखने को मिला. सिक्किम उपचुनाव में सिक्किम डेमोक्रेटिक का उम्मीदवार आठ हजार से ज्यादा वोटों से जीता. भाजपा को 374 लोगों का साथ मिला और कांग्रेस तो 100 वोट भी नहीं मिले. पवन चामलिंग ने 1982 में सिक्किम में एक ग्राम पंचायत से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था. 1985 में वह पहली बार सिक्किम संग्राम परिषद के टिकट पर पहली बार एमएलए चुने गए और 1994 में आकर उन्होंने अपनी पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट बना ली. तब से सिक्किम पर उन्हीं का राज है. पवन चामलिंग ने जीत का ऐसा
रिकॉर्ड बनाया है, जो देश में कोई पार्टी नहीं कर पाई 2004 में उन्होंने 32 में से 31 सीटें जीत लीं. देश के इतिहास में आज तक इतनी शानदार जीत किसी भी राज्य में किसी भी पार्टी को नहीं मिली.
ज्योति बसु (बंगला : জ্যোতি বসু) (८ जुलाई १९१४ - १७ जनवरी २०१०) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जानेमाने राजनेता थे। वे सन् १९७७ से लेकर २००० तक पश्चिम बंगाल राज्य के मुख्यमंत्री रहकर भारत के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का कीर्तिमान स्थापित किए। वे सन् १९६४ से सन् २००८ तक सीपीएम पॉलित ब्यूरो के सदस्य रहे। प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]ज्योति बसु ८ जुलाई १९१४ को कलकत्ता के एक उच्च मध्यम वर्ग बंगाली परिवार में ज्योति किरण बसु के रूप में पैदा हुए। उनके पिता निशिकांत बसु, ढाका जिला, पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश में) के बार्दी गांव में एक डॉक्टर थे, जबकि उनकी मां हेमलता बसु एक गृहिणी थी। बसु की स्कूली शिक्षा १९२० में धरमतला, कलकत्ता (अब कोलकाता) के लोरेटो स्कूल में शुरू हुई, जहां उनके पिता ने उनका नाम छोटा कर ज्योति बसु कर दिया। १९२५ में सेंट जेवियर स्कूल में जाने से पहले बसु ने स्नातक शिक्षा हिंदू कॉलेज (१८५५ में प्रेसीडेंसी कॉलेज के रूप में तब्दील) में विशिष्ठ अंग्रेजी में पूरी की। १९३५ में बसु कानून के उच्च अध्ययन के लिए इंग्लैंड रवाना हो गए, जहां ग्रेट ब्रिटेन की कम्युनिस्ट पार्टी के संपर्क में आने के बाद राजनैतिक क्षेत्र में उन्होंने कदम रखा। यहां नामचीन वामपंथी दार्शनिक और लेखक रजनी पाम दत्त से प्रेरित हुए। १९४० में बसु ने अपनी शिक्षा पूर्ण की और बैरिस्टर के रूप में मिडिल टेंपल से प्रात्रता हासिल की। इसी साल वे भारत लौट आए। जब सीपीआई ने १९४४ में इन्हें रेलवे कर्मचारियों के बीच काम करने के लिए कहा तो बसु ट्रेड यूनियन की गतिविधियों में संलग्न हुए। बी.एन. रेलवे कर्मचारी संघ और बी.डी रेल रोड कर्मचारी संघ के विलय होने के बाद बसु संघ के महासचिव बने। बाद का राजनैतिक जीवन[संपादित करें]बसु १९४६ में रेलवे निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ते हुए बंगाल विधान सभा के लिए चुने गए। उन्होंने डॉ॰ बिधान चंद्र रॉय के पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहते हुए लंबे समय के लिए विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया। बसु ने एक विधायक और विपक्ष के नेता के रूप में अपने सराहनीय कार्य से डॉ॰ बी.सी रॉय का ध्यान आकर्षित किया और उन्हें उनका भरपूर स्नेह मिला, भले ही बसु डॉ॰ राय द्वारा चलाई जा रही नीतियों के खिलाफ थे। ज्योति बसु ने राज्य सरकार के खिलाफ एक और एक के बाद एक आंदोलन का नेतृत्व किया और एक नेता के रूप में विशेष रूप से छात्रों और युवकों के बीच गहरी लोकप्रियता अर्जित की। १९६४ में जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का विभाजन हो गया तो बसु नए भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो के पहले नौ सदस्यों में से एक बने। १९६७ और १९६९ में बसु के पश्चिम बंगाल के संयुक्त मोर्चे की सरकारों में उप मुख्यमंत्री बने। १९६७ में कांग्रेस सरकार की हार के बाद अजय मुखोपाध्याय के मुख्यमंत्रित्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री बने। १९७२ में कांग्रेस पश्चिम बंगाल में वापस सत्ता पर लौट आई। ज्योति बसु बारानगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए और चुनाव के दौरान अभूतपूर्व हेराफेरी की शिकायत दर्ज कराई। उनकी पार्टी सीपीआई (एम) ने १९७७ में नए सिरे से चुनाव होने तक विधानसभा के बहिष्कार का फैसला किया। २१ जून १९७७ से ६ नवम्बर २००० तक बसु पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। १९९६ में ज्योति बसु भारत के प्रधानमंत्री पद के लिए संयुक्त मोर्चा के नेताओं के सर्वसम्मति उम्मीदवार बनते दिखाई पड़ रहे थे, लेकिन सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो ने सरकार में शामिल नहीं होने का फैसला किया, जिसे बाद में ज्योति बसु ने एक ऐतिहासिक भूल करार दिया। बसु ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद से २००० में स्वास्थ्यगत कारणों से इस्तीफा दे दिया और साथी सीपीआई (एम) नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य को उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किया। बसु सबसे लंबे समय तक भारतीय राजनीतिक इतिहास में मुख्यमंत्री के तौर पर सेवा के लिए जाने जाएंगे। कुछ दिन से बीमार चल रहे ज्योति बसु का १७ जनवरी २०१० को अस्पताल में निधन हो गया। ज्योति बाबू की जीवनयात्रा[संपादित करें]ज्योति दा ने 2000 में ही सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था लेकिन इसके बावजूद वह भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन के पथप्रदर्शक बने रहे। उनके जीवन से जुड़ी कुछ प्रमुख घटनाएं :- - 8 जुलाई 1914 में कलकत्ता [अब कोलकाता] में जन्म। -प्रेसिडेसी कॉलेज से अंग्रेजी विषय में प्रतिष्ठा के साथ स्नातक की डिग्री। लंदन से कानून की पढ़ाई की। वहीं मार्क्सवाद का 'ककहरा' सीखा और सार्वजनिक जीवन से जुड़े। -1940 में भारत वापसी के साथ ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी [भाकपा] से जुड़ गए। -1944 में वह बंगाल रेलवे कामगार संघ के पदाधिकारी बने। -1946 में बंगाल विधानसभा के लिए चुने गए। उन्होंने कांग्रेस के हुमायूं कबीर को पराजित किया। -इसके बाद 1952, 1957, 1962, 1967, 1969 और 1971 में वह बड़ानगर विधानसभा से चुने जाते रहे। इस दौरान वह 1972 में विधानसभा चुनाव भी हारे। -वर्ष 1964 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी [माकपा] की स्थापना हुई। वह इसके संस्थापकों में रहे। -वर्ष 1967 में वह बंगाल की गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री बने। -21 जून 1977 को वह पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने। वह छह नवम्बर 2000 तक पश्चिम बंगाल की वाम मोर्चे की सरकार के मुखिया बने रहे। -1996 में वह देश के प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए। उनकी पार्“ी की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था का फैसला उनके प्रधानमंत्री बनने के रास्ते में आड़े आया। बाद में ज्योति बाबू ने पार्टी के इस फैसले को ऐतिहासिक गलती करार दिया। -वर्ष 2000 में उन्होंने बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण मुख्यमंत्री का पद छोड़ा और फिर सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा की। -वर्ष 2004 में केंद्र में कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन [संप्रग] की सरकार को वामपंथी दलों की ओर से दिए गए समर्थन में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई। बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री कौन रहा?ज्योति बसु (बंगला : জ্যোতি বসু) (८ जुलाई १९१४ - १७ जनवरी २०१०) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जानेमाने राजनेता थे। वे सन् १९७७ से लेकर २००० तक पश्चिम बंगाल राज्य के मुख्यमंत्री रहकर भारत के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का कीर्तिमान स्थापित किए।
भारत के सबसे पहले मुख्यमंत्री कौन है?वर्तमान भारतीय मुख्यमंत्री. कौन सी महिला राजनेता सबसे अधिक बार मुख्यमंत्री चुनी गई है?1962 में सुचेता कृपलानी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा। वे कानपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनी गयीं और उन्हें श्रम, सामुदायिक विकास और उद्योग विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया। १९६३ ई में उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया। १९६३ से १९६७ तक वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं।
सिक्किम के मुख्यमंत्री का नाम क्या है?प्रेम सिंह तमांग
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