भाषा अर्जन से क्या तात्पर्य है? - bhaasha arjan se kya taatpary hai?

SOLUTION

भाषा अर्जन एक सहज एवं स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसमें बच्चें घरेलू परिवेश में भाषा के नियमों को आसानी से आत्मसात् करते हैं, और बच्चे भाषा को सहज और स्वाभाविक रूप से सीखते हैं।

  • भाषा अर्जन से तात्पर्य भाषा को अपने परिवेश से स्वयं के प्रयासो से ग्रहण करने से है।
  • भाषा अर्जन की प्रक्रिया एक स्वाभाविक, और अनौपचारिक प्रक्रिया है जो कक्षा में भाषा के अधिगम से भिन्न होती है।
  • बालक अपने चारों ओर जिस प्रकार की भाषा लोगों को बोलते सुनते हैं, उसी प्रकार की भाषा अनुकरण द्वारा सीखते हैं।
  • भाषा अर्जन के माध्यम से  बालक अनुकरण द्वारा प्रथम भाषा सीख कर अपनी बातों को बोलचाल अर्थात घर की भाषा में आसानी से अभिव्यक्त कर पाता है।

अतः, यह निष्कर्ष निकाला जा कसता है कि भाषा अर्जन से तात्पर्य परिवेश में मौजूद किसी भाषा को सहजता से ग्रहण करने की क्षमता से है।

भाषा अधिगम और भाषा अर्जन (Language Learning and Language Acquisition) CTET की language 1 और language 2 की pedagogy शिक्षाशास्त्र में काफी पूछी जाती है। इसका ज्ञान हर उस व्यक्ति को होना चाहिए जो ऐसी परीक्षाएं देने वाला हो। आइये जानते हैं क्या होता है भाषा अधिगम और अर्जन।

भाषा अधिगम और भाषा अर्जन | Language Learning and Language Acquisition

आइये पहले जानते हैं भाषा अर्जन क्या है means What is Language Acquisition in Hindi ?

भाषा अर्जन से क्या तात्पर्य है? - bhaasha arjan se kya taatpary hai?
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भाषा अधिगम और भाषा अर्जन में अंतर ( diffrence between Language Learning and Language Acquisition);: नमस्कार दोस्ततो कैसे है आप। आशा हैं कि आप सब अच्छे ही होंगे। आपको तो ज्ञात ही होगा सीटेट के Paper 1,Paper में भाषा अधिगम और भाषा अर्जन के बहुत सारे प्रश्न हमसे पूछते है। और भाषा अधिगम तथा भाषा अर्जन टॉपिक ctet की padogogy में कॉफी महत्वपूर्ण है। इसीलिए hindivaani आज आपको , भाषा अधिगम तथा भाषा अर्जन, और भाषा अधिगम तथा भाषा अर्जन में अंतर की सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करेगा।

अनुक्रम

  • भाषा अधिगम और भाषा अर्जन में अंतर ( diffrence between Language Learning and Language Acquisition in hindi)
  • भाषा अर्जन(Language Acquisition)
  • भाषा अधिगम (Language Learning)
  • भाषा अधिगम और भाषा अर्जन में अंतर ( diffrence between Language Learning and Language Acquisition)
  • भाषा अधिगम और भाषा अर्जन को प्रभावित करने वाले कारक –
  • फाइनल वर्ड –
  • निवेदन

भाषा अधिगम और भाषा अर्जन में अंतर ( diffrence between Language Learning and Language Acquisition in hindi)

भाषा अर्जन से क्या तात्पर्य है? - bhaasha arjan se kya taatpary hai?

भाषा अर्जन(Language Acquisition)

भाषा अर्जन(Language Acquisition) एक ऐसी प्रक्रिया है।जिसके अंतर्गत हम अपने आस पास के वातावरण, माता पिता और अपने से बड़ो व्यक्तियों के सम्पर्क में रहकर भाषा को सीखते है। यह एक प्राकृतिक प्रकिया है।इसके लिए कोई औपचारिक साधन की आवश्यकता नही पड़ती है। यह एक प्रकार से मातृ भाषा या क्षेत्रीय भाषा होती है। इसे भाषा प्रथम(language first) के नाम से भी जानते है।

स्वाभाविक रूप से भाषा सीखने की एक निश्चित आयु 2 से 14 वर्ष होती है। जिसे हम ” क्रिटिकल पीरियड के नाम से जानते है। मस्तिष्क के बाएं भाग के स्थिति “वर्निकेज क्षेत्र” और “ब्रोकज क्षेत्र” भाषा सम्बन्धित गतिविधियों को सीखने में सहायक होता है। ये क्रमशः भाषा को बोलने व समझने के लिए उत्तरदायी होता है। मस्तिष्क के इस भाग में चोट लगने पर भाषा प्रभवित होती है।

भाषा अधिगम (Language Learning)

भाषा अधिगम ( Language Learning) जिन भाषाओ को सीखने के लिए हम औपचारिक साधनों का प्रयोग करते है। साथ ही साथ जिसे सीखने के लिए नियम और ग्रामर होती है। उसे भाषा अधिगम कहते है।इसे भाषा द्वितीय के नाम से जानते है। इसके अंतर्गत क्षेत्रीय भाषा के अलावा अन्य भाषाएँ आदि जाती है। इसमे अंग्रेजी भाषा भी आ जाती है।

भाषा अर्जन से क्या तात्पर्य है? - bhaasha arjan se kya taatpary hai?

इसके लिए कॉपी किताब और स्कूली शिक्षा की आवश्यकता पड़ती है। द्वितीय भाषा मे शुद्धता और धारा प्रवाहिता समय के साथ आती है। द्वितीय भाषा को सीखने के लिए सम्प्रेषणपरख मौहाल, बोधगम्य सामग्री की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।

उपयोगी लिंक – Uptet subject wise study material notes in hindi

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भाषा अधिगम और भाषा अर्जन में अंतर ( diffrence between Language Learning and Language Acquisition)

भाषा अर्जन 【Language Acquisition】भाषा अधिगम【 Language Learning】भाषा अर्जन एक प्राकृतिक
प्रक्रिया है और यह Subconsciously होता है।भाषा अधिगम के लिए conscious effort करने पड़ते हैं।भाषा अर्जन आस पास के वातावरण,आस पास के लोगो के माध्यम से ही सिख जाते है।भाषा अधिगम के लिए नियम और ग्रामर की जरूरत
पड़ती है।भाषा अर्जन के द्वारा हम बोलना व समझना सिख जाते हैभाषा अधिगम के द्वारा हम पढ़ना लिखना सीखते है।भाषा अर्जन में किताब और व्याकरण की जरूरत नही पड़ती।भाषा अधिगम में किताब और
व्याकरण की जरूरत पड़ती हैं।

भाषा अधिगम और भाषा अर्जन को प्रभावित करने वाले कारक –

विद्यार्थी के भाषाई विकास एवं अर्जन को विभिन्न सामाजिक व व्यक्तिगत परिस्थितियां प्रभावित करती हैं जो निम्नलिखित हैं।

●सामाजिक परिवेश प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक वाइगोत्सकी का मत है।कि भाषा उसके समाज के साथ संपर्क का परिणाम होती है।समाज में जैसी भाषा का प्रयोग किया जाता है। व्यक्ति की भाषा उसी के अनुरूप निर्मित होती है। यदि समाज में अशुद्ध हुआ असभ्य भाषा का प्रयोग होगा। तो व्यक्तिवाचक भी अशुद्ध शब्द होने की संभावना बनी रहेगी। व्यक्ति की भाषा पर उसके परिवेश का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

●भाषा अर्जन की इच्छा व्यक्ति अपनी प्रथम भाषा अर्थात मातृभाषा को तो सहज रूप से सीख लेता है।किंतु द्वितीय भाषा का अधिगम एवं अर्जन उसकी भाषा सीखने की प्रतीक्षा शक्ति पर निर्भर करता है।

●दैनिक जीवन के अनुभव मनोवैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान उसे प्राप्त जानकारी के आधार पर स्पष्ट किया है।कि बालक उन विषय वस्तुओं को शीघ्र सीखा और समझ लेता है। जिससे दैनिक जीवन में उसका संबंध होता है।या विचार इस बात की पुष्टि करता है।कि यदि भाषा का संबंध विद्यार्थियों के दैनिक जीवन के अनुभवों से जोड़ दिया जाए तो भाषा अधिगम की प्रक्रिया सरल और त्वरित बनाई जा सकती है।

फाइनल वर्ड –

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निवेदन

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भाषा अर्जन से आप क्या समझते हैं?

भाषा अर्जन (Language acquisition) उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा मानव भाषा को ग्रहण करने एवं समझने की क्षमता अर्जित करता है तथा बातचीत करने के लिये शब्दों एवं वाक्यों का प्रयोग करता है।

भाषा अर्जन कब होता है?

अतः, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भाषा अर्जन होता है जब बच्चे को भाषा के अवसर मिलते हैं। भाषा अधिगम में बच्चे को व्याकरण के नियम पढ़ाए जाते हैं। भाषा शिक्षण जिसे अधिगम भी कहा जाता है में बच्चे को पुरस्कार या दंड देकर व्यवहार में परिवर्तन लाया जाता है।

प्रथम भाषा अर्जन क्या है?

भाषा सीखने की प्रक्रिया में भाषा अर्जन की प्रक्रिया महत्त्वपूर्ण होती है। सुनी हुई भाषा को समझने की क्षमता अर्जित करना तथा उसे दैनिक जीवन में प्रयोग में लाने को भाषा अर्जन कहते हैं। बालक की प्रथम भाषा/मातृभाषा भाषा अर्जन का उदाहरण है।

बच्चे भाषा अर्जन कैसे करते हैं?

भाषा अर्जन की विधियाँसंपादित करें.
अनुकरण: बालक जब भी भाषा के नए नियम या व्याकरण के नियम सुनता है, वह उसे बिना अर्थ जाने दोहराता है। ... .
अभ्यास: भाषा के नए नियमों और रूपों का विद्यार्थी बार-बार अभ्यास करते हैं, जिससे नियम उनके भाषा प्रयोग में शामिल हो जाते हैं।.