इसे सुनेंरोकेंबाजार की विशेषताएं या आवश्यक तत्व (bazar ki visheshta) इस प्रकार इसका क्षेत्र स्थान विशेष तक सीमित न होकर विस्तृत होता है। इसका क्षेत्र अन्तर्राष्ट्रीय भी हो सकता है। मांग और पूर्ति के बिना किसी वस्तु के बाजार की कल्पना ही नही जा सकती है। वस्तु के क्रेता तथा विक्रेता दोनों की उपस्थिति ही बाजार बनाती है। Show
अल्पाधिकार क्या है उत्तर दीजिए? इसे सुनेंरोकेंअल्पाधिकार दो शब्दों से मिलकर बना है। अल्प अर्थात् कुछ तथा अधिकार। इस प्रकार अल्पाधिकार से आशय किसी वस्तु के उत्पादन पर कुछ विक्रेताओं का ‘अधिकार होने से है। मेयर्स के अनुसार, “अल्पाधिकार बाजार की उस अवस्था को कहते हैं जहाँ विक्रेताओं की संख्या इतनी कम होती है। एकाधिकार व्यापार से क्या समझते हैं?इसे सुनेंरोकेंएकाधिकार (Monopoly) क्या है? “Mono” का अर्थ है एक और “Poly” का अर्थ है विक्रेता। इस प्रकार एकाधिकार एक बाजार की स्थिति को संदर्भित करता है जिसमें किसी विशेष उत्पाद का केवल एक विक्रेता होता है। इसका मतलब यह है कि फर्म स्वयं उद्योग है और फर्म के उत्पाद का कोई नजदीकी विकल्प नहीं है। पढ़ना: हॉर्टिकल्चर कितने प्रकार के होते हैं? बाजार के लक्षण क्या है? बाजार की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित है:-
बाजार के कितने प्रकार होते हैं?बाजार मुक्ता तीन प्रकार के होते हैं – बाजार क्या है परिभाषा? इसे सुनेंरोकेंसामान्य अर्थ में बाजार से अभिप्राय उस स्थान से होता है जहाँ क्रेता तथा विक्रेता वस्तु का सौदा करने के लिए किसी जगह एकत्र होते हैं। अर्थशास्त्र में बाजार शब्द का अर्थ उस प्रभावपूर्ण व्यवस्था से लगाया जाता है जिसमें कि विक्रेताओं और क्रेताओं का घनिष्ठ संबंध स्थापित किया जाता है। पढ़ना: बैंक उन लोगों के बीच मध्यस्थता कैसे करते हैं जिनके पास अतिरिक्त धन है और वो जिन्हें धन की आवश्यकता है? बाजार का महत्व क्या है?इसे सुनेंरोकेंपूंजी बाजार के महत्व | punji bajar ke mahatv अपनी समस्त आय खर्च ना करने वाले बचत कर्ताओं के लिए सरल साधन पूंजी बाजार होता है। 3. आम जनता की छोटी-छोटी बचतों के लिए पूंजी बाजार एक अच्छा व लाभकारी क्षेत्र प्रदान करता है। साप्ताहिक बाजार क्या है? इसे सुनेंरोकेंसाप्ताहिक बाजार से आशय-वह बाजार जो किसी स्थान पर सप्ताह के किसी एक निश्चित दिन लगता है, साप्ताहिक बाजार कहलाता है। (1) रोजमर्रा की जरूरत की चीजों की उपलब्धता साप्ताहिक बाजारों में जरूरत का सामान एक जगह पर ही मिल जाता है। सब्जियाँ, कपड़े, किराना का सामान, बर्तन, फल आदि सभी चीजें यहाँ उपलब्ध होती हैं। अर्थशास्त्र में बाजार से क्या अभिप्राय होता है बाजार के विभिन्न प्रकार बताइए?इसे सुनेंरोकेंअर्थशास्त्र में बाजार शब्द का अर्थ सामान्य अर्थ से भिन्न होता है। अर्थशास्त्र में बाजार शब्द का तात्पर्य उस सम्पूर्ण क्षेत्र से होता है, जहाँ कि वस्तु के क्रेता एवं विक्रेता आपस में और परस्पर प्रतिस्पर्धा के द्वारा उस वस्तु का एक ही मूल्य बने रहने में योग देते हैं। प्रो. पढ़ना: पूर्ण स्वराज की घोषणा के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष कौन था *? बाजार क्या है पूर्ण प्रतियोगिता बाजार की विशेषताओं का वर्णन कीजिए? इसे सुनेंरोकेंपूर्ण प्रतियोगिता उस बाजार को कहते हैं जिसमें असंख्य क्रेता और समरूप वस्तु के असंख्य विक्रेता होते हैं और वस्तु की कीमत का निर्धारण उद्योग द्वारा किया जाता है। बाजार में केवल एक ही कीमत प्रचलित होती है और सभी फर्मों को अपनी वस्तु इसी प्रचलित कीमत पर बेचनी होती है। बाजार से आप क्या समझते हैं बाजार के वर्गीकरण को समझाइए?इसे सुनेंरोकेंक्षेत्र के आधार पर बाजार का वर्गीकरण स्थानीय बाजार की वस्तुओं मे दूध, दही, सब्जी इत्यादि के साथ-साथ रेत, पत्थर, ईंट आदि को शामिल किया जाता है। क्षेत्त्रीय बाजार का क्षेत्र स्थानीय बाजार से व्यापक होता है। यहां वस्तु की मांग एवं पूर्ति एक खास क्षेत्र अथवा प्रांत की सीमा तक विस्तृत रहती है। बाज़ार ऐसी जगह को कहते हैं जहाँ पर किसी भी चीज़ का व्यापार होता है। आम बाज़ार और ख़ास चीज़ों के बाज़ार दोनों तरह के बाज़ार अस्तित्व में हैं। बाज़ार में कई बेचने वाले एक जगह पर होतें हैं ताकि जो उन चीज़ों को खरीदना चाहें वे उन्हें आसानी से ढूँढ सकें। बाजार जहां पर वस्तुओं और सेवाओं का क्रय व विक्रय होता है उसे बाजार कहते हैं .
★बाजार का दुरुपयोग ★ बाज़ार आज हमारे जीवन का एक बहुत ही बड़ा महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। शहरों से लेकर गांव तक आज लोगों की हर जरूरत का सामान बाजारों में मिल जाता है परंतु समय के साथ बाजारों का दुरुपयोग भी बढ़ है। आजकल बाजारों में हमारी जरूरतों की बजाय ऐसी वस्तुएं ज्यादा दिखाई देती है। जिन की हमें कोई आवश्यकता नहीं है। लोग अपनी जरूरतों की वस्तुएं लेने की बजाय वह वस्तुएं लेते हैं जो उन्हें नहीं लेनी चाहिए जो उनके जीवन में कोई भी महत्व नहीं रखती है। परंतु वह ऐसी चीजें खरीदते हैं।क्योंकि बाजार का बदलता स्वरूप लोगों को ठगने के मायने से बन रहा है। बाजार की चमकती- दमकती दुकानें लोगों को आकर्षित करती हैं और उन्हें जो उनके महत्व की चीजें नहीं है उन्हें भी खरीदने पर मजबूर करती हैं। बाजार क्या है बाजार के वर्गीकरण को विस्तार से समझाइए?1. क्षेत्र की दृष्टि से:- क्षेत्र की दृष्टि से बाजार के वर्गीकरण का आधार है कि वस्तु विशेष के क्रेता और विक्रेता कितने क्षेत्र में फैले हुए हैं यह चार प्रकार का होता है। 1. स्थानीय बाजार:- जब किसी वस्तु के क्रेता विक्रेता किसी स्थान विशेष तक ही सीमित होते हैं तब उस वस्तु का बाजार स्थानीय होता है।
बाजार कितने प्रकार के होते हैं वर्गीकरण कीजिए?(i) अति अल्पकालीन बाजार (ii) अल्पकालीन बाजार (iii)दीर्घकालीन बाजार (iv) अति दीर्घकालीन बाजार। (i) स्थानीय बाजार (ii) प्रदेशिक बाजार (iii)राष्ट्रीय बाजार (iv) और अंतर्राष्ट्रीय बाजार।
बाजार क्या है इसके विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए?बाजार की किसी दूसरी संरचना के समान, पूर्ण प्रतियोगिता को इसकी विशेषताओं के आधार पर परिभाषित किया जाता है। पूर्ण प्रतियोगिता एक बाजार का रूप है, जिसमें क्रेता तथा विक्रेताओं की एक बड़ी संख्या होती है, जो समरूप या एक जैसी वस्तुओं का उद्योग द्वारा निर्धारित कीमतों पर क्रय-विक्रय करते हैं।
बाजार वर्गीकरण का निम्न में से कौन सा आधार है?बाजार का संबंध किसी वस्तु विशेष स्थान विशेष से होता है। यही कारण है कि विभिन्न वस्तुओं के बाजार इन दिनों अलग-अलग होते जा रहे हैं। <br> बाजार वर्गीकरण के आधार-बाजार को वर्गीकृत करने के चार आधार हैं- <br> (i) बाजार का स्थान, (ii) वस्तु, (iii) प्रतियोगिता एवं (iv) समयावधि।
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