प्रेमचंद जी का जन्म कौन से गांव में हुआ था? - premachand jee ka janm kaun se gaanv mein hua tha?

(मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय, Biography of Munshi Premchand in Hindi) – मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के एक महान कहानीकार व उपन्यासकार थे जिन्होंने अपनी अद्वितीय रचनात्मक क्षमता से हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी। 

प्रेमचंद बचपन से ही पुस्तकों से बहुत ज्यादा लगाव रखते थे जिसकी वजह से उनका मन पुस्तकों की तरफ खींचता चला गया। पुस्तकें पढ़ना उनका शौक बन गया था। पुस्तकें पढ़ने की इसी प्रवृत्ति के कारण वे धीरे-धीरे लेखन के क्षेत्र में आ गए।

प्रेमचंद के द्वारा रचित कहानियां एकदम सरल और स्पष्ट है। उनकी कहानियों की प्रसिद्धि का सबसे बड़ा कारण यह रहा है कि उन्होंने आमजन के जीवन को अपनी कहानियों में दिखाने का प्रयास किया है और लोगों को अच्छा संदेश दिया है।

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  • प्रेमचंद का परिचय (Introduction to Premchand)
  • शुरुआती जीवन (Early life)
  • प्रेमचंद का विवाह (Marriage of Premchand)
  • लेखन में आगमन (Advent in writing)
  • सोजे वतन घटनाक्रम व प्रेमचंद नाम अधिग्रहण (Soje Vatan & adoption of the name Premchand)
  • प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियां (The famous stories from Premchand)
  • प्रेमचंद के प्रसिद्ध उपन्यास (The famous novels from Premchand)
  • प्रेमचंद की मृत्यु (Death of Premchand)
  • FAQs

प्रेमचंद का परिचय (Introduction to Premchand)

नाम मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand)
वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव
जन्म 31 जुलाई 1880, लमही, बनारस (भारत)
माता आनंदी देवी
पिता अजायब राय
भाई नहीं
बहिन सुग्गी
पत्नी शिवारानी देवी
पुत्र अमृतराय
कहानियाँ पंच परमेश्वर, ईदगाह, गुप्त दान, दो बैलों की कथा, बड़े घर की बेटी व अन्य
उपन्यास रंगभूमि, सेवासदन, गब्बन, गोदान, कर्मभूमि व अन्य
योगदान शिक्षाप्रद कहानियां और उपन्यासों की रचना
प्रसिद्धि का कारण उपन्यासकार, कहानीकार
मृत्यु 8 अक्टूबर 1936, बनारस (भारत)
उम्र 56 वर्ष

प्रेमचंद जी का जन्म कौन से गांव में हुआ था? - premachand jee ka janm kaun se gaanv mein hua tha?
मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय (Biography of Munshi Premchand in Hindi)

मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को लमही (वाराणसी के पास एक गांव) में हुआ था। उनके जन्म का मूल नाम “धनपत राय श्रीवास्तव” था।

प्रेमचंद के पिता का नाम अजायब राय तथा माता का नाम आनंदी देवी था। अजायब राय एक पोस्ट ऑफिस में क्लर्क का काम करते थे तथा आनंदी देवी गृहणी थी। 

प्रेमचंद अपनी माता आनंदी देवी के व्यक्तित्व से बहुत ज्यादि प्रभावित हुए। इसीलिए उन्होंने अपनी बड़े घर की बेटी कहानी में मुख्य पात्र आनंदी देवी को बनाया जिसे देखकर ऐसा लगता है कि संभवत: उन्होंने अपनी माता के संदर्भ में यह कहानी लिखी थी।

शुरुआती जीवन (Early life)

धनपत राय अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। उनकी दो बड़ी बहनें जन्म लेने के बाद ही मृत्यु को प्राप्त हो गई। उनकी एक जीवित बहन थी जो उनसे बड़ी थी जिसका नाम सुग्गी था।

जब बालक धनपत राय 7 वर्ष के हुए तब उन्हें लमही के एक मदरसे में पढ़ने के लिए भेजा गया। 

विधाता की होनी को कौन टाल सकता था। दुर्भाग्यवश, जब धनपत मात्र 8 वर्ष के थे तब उनकी माता आनंदी देवी की एक लंबी बीमारी के चलते मृत्यु हो गई।

उनकी माता के देहांत हो जाने के बाद, धनपत का पालन-पोषण उनकी दादी मां ने किया। परंतु, दादी मां भी बहुत जल्द ही गुजर गई। जिसके कारण धनपत अकेले पड़ गए क्योंकि उनके पिता क्लर्क थे और उन्होंने दूसरी शादी की भी कर ली। 

फिर भी धनपत को अपनी सौतेली माता से थोड़ा बहुत स्नेह जरूर मिला।

उन्होंने एक पुस्तक-होलसेलर के पास पुस्तकें बेचने का कार्य करना शुरू किया जिसके उपरांत उन्हें बहुत सारी पुस्तकें फ्री में पढ़ने के लिए मिल जाती थी और इसी वजह से पुस्तकों में उनकी रुचि बनी।

प्रेमचंद का विवाह (Marriage of Premchand)

धनपत बनारस के क्वींस कॉलेज में अध्ययन कर रहे थे। जब वह नौवीं कक्षा में थे तब उनका विवाह करवा दिया गया। उस समय धनपत की उम्र मात्र 15 वर्ष थी। 

यह विवाह धनपत के नाना ने तय करवाया था। लड़की एक संपन्न भू-मालिक के परिवार से थी। हालांकि, वह धनपत से उम्र में बड़ी, झगड़ालू, तथा कम सुंदर थी। ।

1896 के समय में, प्रेमचंद की पत्नी व सौतेली माता के बीच में झगड़े हुआ करते थे तब प्रेमचंद ने अपनी पत्नी को एक दिन फटकार लगा दी। जिसकी वजह से उनकी पत्नी ने आत्महत्या करने की कोशिश की। वह अपने मायके चली गई। प्रेमचंद ने अपनी पत्नी को वापस लाने के लिए कोई रुचि नहीं दिखाई जिसकी वजह से उनकी शादी टूट गई।

1906 में प्रेमचंद ने एक विधवा बालिका शिवरानी देवी के साथ विवाह किया। उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम अमृतराय था।

लेखन में आगमन (Advent in writing)

प्रेमचंद ने दसवीं पास करने के बाद बनारस के केंद्रीय हिंदू कॉलेज में प्रवेश लेना चाहा। परंतु, वहां की अंकगणित उन्हें समझ नहीं आई और बाद में उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी।

पढ़ाई छोड़ने के बाद उन्होंने अध्यापन का कार्य शुरू किया जिसके लिए उन्हें ₹18 प्रति महीने की सैलरी पर रखा गया। बनारस के एक वकील के बेटे को पढ़ाने के लिए उन्हें ₹5 प्रति महीना मिला करता था।

1900 में प्रेमचंद ने गवर्नमेंट डिस्ट्रिक्ट स्कूल में एक असिस्टेंट टीचर की जॉब प्राप्त की। इस जॉब के लिए उन्हें ₹20 प्रति महीना मिला करता था। 

अध्यापन कार्य के दौरान उन्हें काफी सारा समय मिल जाया करता था जिसमें उन्होंने लेखन कार्य को शुरू किया। 

प्रेमचंद ने अपना पहला उपन्यास देवस्थान रहस्य लिखा और उपन्यास में अपने आप को नवाब राय नाम दिया। जिसकी वजह से उन्हें मुंशी प्रेमचंद के अलावा नवाब राय के नाम से भी जाना जाता है।

सोजे वतन घटनाक्रम व प्रेमचंद नाम अधिग्रहण (Soje Vatan & adoption of the name Premchand)

1909 में प्रेमचंद के द्वारा लिखे गए एक उपन्यास सोजे वतन के बारे में ब्रिटिश सरकार को पता चल गया। सोजे वतन में देश की आजादी से जुड़ी हुई कहानियां लिखी गई थी। 

उस समय प्रेमचंद हमीरपुर जिले के एक स्कूल में अध्यापन का कार्य कर रहे थे। हमीरपुर जिले के ब्रिटिश कलेक्टर ने प्रेमचंद के घर पर रेड डालने के आदेश दिए। इस रेड में प्रेमचंद के घर में 500 के लगभग सोजे वतन की प्रतिलिपियां (फोटो कॉपी) पाई गई। सोजे वतन की उन सभी प्रतिलिपियों को वहीं पर जलाकर राख कर दिया गया।

इस घटनाक्रम के बाद जमाना उर्दू मैगजीन के एडिटर ने उनको यह सलाह दी कि वे अपने नाम को चेंज कर लें। उन्होंने बताया कि वह अपना नाम नवाब राय से प्रेमचंद रख ले। 

इसके बाद प्रेमचंद ने अपने सभी साहित्यकारों को प्रेमचंद के नाम से प्रकाशित करना शुरू कर दिया।

प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियां (The famous stories from Premchand)

प्रेमचंद की लेखन कला ही ऐसी थी कि उनके द्वारा लिखी गई सभी कहानियाँ प्रसिद्ध हुई। उनकी कहानियों में सरलता व स्पष्टता दिखाई पड़ती है जिसकी वजह से यह आमजन को आसानी से समझ में आ जाती है। उनकी कहानियां मनोरंजन, भाव इत्यादि से भरी रहती है और अंत में एक शिक्षाप्रद संदेश देती है।

प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियां-

  1. दो बैलों की कथा
  2. बड़े घर की बेटी
  3. पंच परमेश्वर
  4. बूढ़ी काकी
  5. कफन
  6. ईदगाह 
  7. जुलूस
  8. आखिरी मंजिल
  9. ज्वालामुखी

मुंशी प्रेमचंद की सभी कहानियों को एक-एक कर पढ़ने के लिए आगे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-  मुंशी प्रेमचंद की कहानियां

प्रेमचंद के प्रसिद्ध उपन्यास (The famous novels from Premchand)

प्रेमचंद मात्र कहानीकार ही नहीं बल्कि एक बहुत बड़े उपन्यासकार भी थे। उनके द्वारा रचित उपन्यास बहुत प्रसिद्ध हुए हैं। उनके द्वारा रचित कुछ उपन्यास निम्नलिखित हैं –

  1. गोदान
  2. गबन
  3. सेवासदन
  4. रंगभूमि
  5. कर्मभूमि
  6. प्रतिज्ञा
  7. कायाकल्प
  8. वरदान
  9. मंगलसूत्र

 अन्य उपन्यास पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

प्रेमचंद की मृत्यु (Death of Premchand)

प्रेमचंद ने अपने अध्यापन कार्य को छोड़ दिया और 18 मार्च 1921 को बनारस चले आए। ‌अपनी जॉब छोड़ने के बाद उन्होंने सिर्फ साहित्य कार्य पर ध्यान दिया। जॉब छोड़ने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब होने लग गई।

उन्होंने भारत के असहयोग आंदोलन में साथ देने के लिए महात्मा गांधी के कहने पर ब्रिटिश सरकार की जॉब छोड़ दी। 

8 अक्टूबर 1936 को मुंशी प्रेमचंद की बनारस में मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने भी उनके ऊपर एक पुस्तक लिखी जिसका नाम था – प्रेमचंद घर में ।

यह भी पढ़ें – कबीरदास की जीवन परिचय

FAQs

मुंशी प्रेमचंद कौन थे?

उत्तर- मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कहानीकार व उपन्यासकार थे। उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को लमही, बनारस में हुआ था। प्रेमचंद को बचपन से ही पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक था जिसकी वजह से वह धीरे-धीरे लेखन के कार्य में आ गए। वहीं से उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किए। उनके द्वारा रचित कहानियां व उपन्यासों ने हिंदी साहित्य को एक नई मोड़ दी। 

मुंशी प्रेमचंद की कहानियां कौन-कौन सी हैं?

उत्तर- प्रेमचंद की प्रसिद्ध कुछ कहानियां – दो बैलों की कथा, बड़े घर की बेटी, पंच परमेश्वर, बूढ़ी काकी, कफन, ईदगाह, जुलूस, आखिरी मंजिल, ज्वालामुखी व अन्य।

मुंशी प्रेमचंद के माता पिता कौन थे?

उत्तर- मुंशी प्रेमचंद की माता का नाम आनंदी देवी तथा पिता का नाम अजायब राय था।

मुंशी प्रेमचंद का जन्म कब हुआ था?

उत्तर- मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को लमही, बनारस में हुआ था।

प्रेमचंद का जन्म कब और कहां पर हुआ था?

31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी, भारतप्रेमचंद / जन्म की तारीख और समयnull

प्रेमचंद का जन्म कौन से गाँव में हुआ था?

प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था

प्रेमचंद का जन्म कहाँ हुआ था ?`?

लमही, वाराणसी, भारतप्रेमचंद / जन्म की जगहnull

प्रेमचंद का जीवन परिचय कैसे लिखें?

प्रेमचंद का मूल नाम धनपतराय था और उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के नज़दीक लमही गांव में हुआ था। पिता का नाम अजायब राय था और वे डाकखाने में मामूली नौकरी करते थे। वे जब सिर्फ आठ साल के थे तब मां का निधन हो गया। पिता ने दूसरा विवाह कर लिया लेकिन वे मां के प्यार और वात्सल्य से महरूम रहे।