चलचित्र (सिनेमा) समाज में बदलाव का एक सशक्त साधन है, लिखिए। - chalachitr (sinema) samaaj mein badalaav ka ek sashakt saadhan hai, likhie.

चलचित्र (सिनेमा) समाज में बदलाव का एक सशक्त साधन है, लिखिए। - chalachitr (sinema) samaaj mein badalaav ka ek sashakt saadhan hai, likhie.

मानव संवेदनशील प्राणी है। इन्हीं संवेदनाओं की अनुभूति तथा अभिव्यक्ति और परिष्कार मानव को अन्य जीवधारियों से पृथक् करती है। मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए इनको संतुलित करना आवश्यक होता है। हमारे मन के संवेग और भावनाएँ तनाव के कारण मानसिक विकार भी उत्पन्न करते हैं। अतः इन्हें तनाव रहित करने के लिए अनेक साधन अपनाए जाते हैं, जिनमें चलचित्र व सिनेमा भी एक लोकप्रिय माध्यम है। इससे मानव विश्रांति पाकर मानसिक संवेगों को संतुलित करता है।

सिनेमा का आविष्कार सर्वप्रथम अमेरिका में हुआ। वाशिंगटन के निवासी टामस ने 1859 में एक चलचित्र-यंत्र तैयार किया। इसका प्रदर्शन जन साधारण के लिए बा दमें हुआ, जब लंदन में लुमैर द्वारा इसे उपस्थित जन-समूह के सामने प्रस्तुत किया गया था। वर्तमान रूप में सिनेमा दिखाने की सशीन सन् 1900 में बनकर तैयार हुई और इस प्रकार इसका प्रचार पहले पश्चिमी देशों इंग्लैंड, फ्रांस आदि में हुआ। भारत में सन् 1898 में पहली लघु फिल्म बनी थी। हमारे देश में सिनेमा के संस्थापक दादा साहब फालके माने जाते हैं तथा यहाँ पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' सन् 1913 में बनी। ये फिल्में आरंभ में मूक होती थीं। पहली बोलती फिल्म 1931 में ‘आलमआरा‘ बनी थी। आज भारत विश्व में प्रतिवर्ष सर्वाधिक फिल्मों का निर्माण करता है।

जरूर पढ़ेः आप एक अच्छा निबंध कैसे लिख सकते है?

सिनेमा आज मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम है। जीवन की प्रगति और व्यस्तता के कारण नाटकों का प्रचलन धीरे-धीरे कम होता गया और उसका स्थान सिनेमा ने ले लिया। किसी समस्या को लेकर एक कहानी के माध्यम से चलचित्र का कथानक रूप लेता है, जिसमें अनेक पात्र, अनेक घटनाएँ, गीत, नृत्य, प्राकृतिक दृश्य, रहस्य, रोमांच, संवाद तथा अभिन्य का विशेष महत्व होता है। इसकी लोकप्रियता के कारणों में यह एक विशेष कारण है कि इन सबको एक ही समय में एक ही पर्दे पर देखा जा सकता है। प्रकृति के सुंदर दृश्य, विदेशों के दृश्य दर्शन को रोमांचित करते हैं। सिनेमा में समय केवल तीन घंटे लगता है तथा इतनी तेज़ी से अनेक घटनाएँ घटित होती हैं कि दर्शक चित्रलिखित हो जाता है। संगीत और गीत का माधुर्य उसे मंत्र मुग्ध करता है। कम धन व्यय करके सभी लोग सिनेमा देख सकते है। यह सहज सुलभ साधन है, जो आज प्रत्येक शहर के सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया जाता है। अतः इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। आज लोग घरों में बैठकर भी अपने टेलीविजन पर मनोननुकूल फिल्म देख सकते हैं और जो भी समय उपलब्ध हो, उसमें मनोरंजन कर सकते हैं। मनोरंजन के साधनों में चलचित्र सर्वाधिक लोकप्रिय साधन है।

सिनेमा के लाभ


सिनेमा केवल मनोरंजन का ही साधन नहीं है, अपितु यह तो व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और विश्व के लिए भी उपयोगी सिद्ध हुआ है। चलचित्र ज्ञान के भी स्त्रोत होते हैं। अनेक देशों की भौगोलिक, ऐतिहासिक, सामाजिक तथा धार्मिक विचारधाराओं को इनसे जाना जा सकता है। अनेक वैज्ञानिक अनुसंधानों एवं प्रयोगों को भी समझा जा सकता है। प्राकृतिक दृश्यों का आनंद भी इनसे मिलता है। शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक युग में चलचित्रों का विशेष तहत्व बढ़ गया है। बालकों को इतिहास, भूगोल, विज्ञान तथा कृषि आदि का ज्ञान चलचित्रों के माध्यम से समझाया जा सकता है। सामाजिक दृष्टि से सिनेमा के द्वारा समाज में व्याप्त रूढ़ि और अंधकार तथा बुराइयों से लोगों को परिचित कराया जा सकता है। जैसे-दहेज प्रथा, बाल-विवाह, छुआछूत आदि।

सिनेमा राष्ट्रीय एकता तथा भावनात्मक एकता को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होते हैं। सभी देशों की फिल्मों के आदान-प्रदान और प्रदर्शन विश्व मानव की समस्या से परिचित होकर समृद्धि और शांति का मार्ग ढूँढ़ते हैं। इन फिल्मों के माध्यम से कला, अभिनय, संगीत, विज्ञान आदि की शिक्षा भी प्रभावी रूप में दी जा सकती है।

सिनेमा से हानि

सिनेमा के उपयोगी पक्ष के अतिरिक्त उसकी एक दूसरी तस्वीर भी है, जो विध्वंसात्मक पक्ष करती है। आधुनिक युग में बनने वाली फिल्मों ने युवा पीढ़ी को सर्वाधिक लुभाया है। सिनेमा कलाकारों की अभिनय क्षमता से नहीं, अपितु उनके ऐश्वर्य तड़क-भड़क और आमोद-प्रमोद के जीवन से आकर्षित होकर कई युवक-युवतियाँ अपने मानस में यही स्वप्न देखने लगते हैं। कई बार ऐसे उदाहरण भी मिले हैं, जब ये घर से भाग गए तथा असामाजिक तत्वों के हाथ पड़कर या तो कुमार्ग पर चल पड़े अथवा जीवन से ही हाथ धो बैठे। यह संसार 'ग्लैमर' और चकाचौंध का संसार है, जिसका आकर्षण युवक और युवतियों को मोहित करता है। इस पक्ष के साथ ही आधुनिक युग में निर्मित होने वाली फिल्में प्रेरणाप्रद और शिक्षादायक भी नहीं होती हैं। उनमें जीवन का सत्य कम और भावनाओं को उदीप्त करने वाले प्रसंग अधिक होते हैं। अश्लील दृश्य, नग्नता, नृत्य और कामुक हाव-भाव, भंगिमा व संवाद किशोर मन को विचलित करते हैं। नए-नए फैशन के प्रति आकर्षण के साथ अनैतिक दृश्य चोरी अपहरण, डकैती और बलात्कार, मार-धाड़ आदि के प्रसंग किशोर-मानस को रोमांचित करते हैं, जिनसे वे अपने अध्ययन में पूर्ण समर्पण नहीं कर पाते हैं। चारित्रिक पतन और सामाजिक अपराधों के लिए भी वर्तमान फिल्में उत्तरदायी हैं। धन और समय के दुरूपयोग के साथ ही इससे दृष्टि कमजोर होती है तथा स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। सिनेमा का नशा अनुशासनहीनता और अराजकता को आश्रय देता है। फिल्मों के गिरते हुए स्तर से बच्चे बुरी बातों को सीखते हैं, जिससे उनकी रूचि का परिष्कार नहीं होता है।

उपसंहार

आज राष्ट्र के नायकों और समाज के पथ प्रदर्शकों तथा फिल्म निर्माताओं को इस तथ्य को ध्यान में रखना होगा, कि इस लोकप्रिय माध्यम का उपयोग राष्ट्रीय भावना के निर्माण के लिए किया जाए। देश में बढ़ती हुई अराजकता तथा अनेक अपराधों और अनैतिक कार्यों को इससे जनता के सम्मुख रख कर इससे दूर रहने की प्रेरणा दी जा सकती है। युवा पीढ़ी इससे सृजनात्मक पक्ष को सीख सकती है, यदि इसके निर्माता इस तथ्य को भी समझें कि राष्ट्र और जन-जीवन के प्रति भी वे उत्तरदायी हैं। अच्छी और राष्ट्रीय स्तर की फिल्मों को प्रोम्साहन देना तथा फार्मूला फिल्मों को प्रतिबंधित करना सरकार का कर्तवय है। भारतीय संस्कृति के आदर्श तथा वर्तमान विश्व की स्थिति को सिनेमा प्रभावी ढंग से लोगों तक प्रेषित करे, तो इससे शांति और समृद्धि, सुख और समता के आदर्श को स्थापित किया जा सकता है।

ये निबंध भी पढ़े:

  • दूरदर्शन का समाज पर प्रभाव
  • राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

चलचित्र समाज में बदलाव का एक सशक्त साधन है कैसे?

Answer. Answer: चलचित्र मनुष्य के मनोरंजन का एक प्रमुख साधन है । ... चलचित्र के माध्यम से मानव समाज के विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व चारित्रिक पहलुओं के वास्तविक व उन्नत रूप का छायांकन कर हम इसका उपयोग समाजोत्थान की दिशा में कर सकते हैं ।

फिल्मों का जीवन में क्या महत्व है?

सिनेमा राष्ट्रीय एकता तथा भावनात्मक एकता को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होते हैं। सभी देशों की फिल्मों के आदान-प्रदान और प्रदर्शन विश्व मानव की समस्या से परिचित होकर समृद्धि और शांति का मार्ग ढूँढ़ते हैं। इन फिल्मों के माध्यम से कला, अभिनय, संगीत, विज्ञान आदि की शिक्षा भी प्रभावी रूप में दी जा सकती है।