Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप Textbook Exercise Questions and Answers. Hindi Guide for Class 9 PSEB शिवाजी का सच्चा
स्वरूप Textbook Questions and Answers (क) विषय-बोध 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न
4. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 4. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. (ख) भाषा-बोध 1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए अशुद्ध – शुद्ध 2. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए
उत्तर:
(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. (घ) पाठेत्तर सक्रियता प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. विपक्ष : नारी अबला है, सबला नहीं। नारी जीवन में केवल सहज कार्य ही कर सकती है वह केवल घर को संभालने में ही लगी रहती है। इतना ही नहीं वह किसी भी मुसीबत का मुकाबला नहीं कर सकती। वह हर जगह पुरुषों पर निर्भर रहती है। (ङ ) ज्ञान-विस्तार शिवाजी के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण बातें जानिए
PSEB 9th Class Hindi Guide शिवाजी का सच्चा स्वरूप Important Questions and Answers 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए प्रश्न
1. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. हां-नहीं में उत्तर दीजिए प्रश्न 7. प्रश्न 8. सही-गलत में उत्तर दीजिए प्रश्न 9. प्रश्न 10. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें प्रश्न 11. प्रश्न 12. बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. कठिन शब्दों के अर्थ मावली = शिवाजी के खास सैनिक। दुर्ग = किला। निस्तब्धता = चुप्पी। हम्माल = मज़दूर, कुली। मेणा = बंद पालकी। पेशवा = सरदार। वृत्त = इतिहास, वृत्तांत। भृकुटि = भौंह। तोहफा = भेंट, उपहार। सिपहसालार = सेनापति। श्रीमंत = श्रीमान्। नामाकूल हरकत = अनुचित व्यवहार, मूर्खतापूर्ण व्यवहार, बेहूदा शरारत। इबादत = पूजा। कमखाब = रंगीन बूटीदार। = रेशमी कपड़ा। अभिवादन = सत्कार। सदृश = समान। हिफाज़त = सुरक्षा। ख़बरदारी = सावधानीपूर्ण, होशियारी से। पर-स्त्री = पराई स्त्री। शौहर = पति। दालान = बरामदा। कदाचित् = शायद, कभी। घृणित = घृणा के योग्य। आततायी = सताने वाले। स्तंभ = खंभा। क्षति = नुकसान।। रक्तपात = खून बहाना। मसनद् = गोल लंबोतरा तथा बड़ा तकिया। उदारचेता = खुले विचारों वाला। शील = चरित्र। श्रेयस्कर = कल्याणकारी। वीरासन में बैठने का एक ढंग जो प्रायः प्राचीन योद्धाओं, योगियों आदि द्वारा अपनाया जाता है। इन्द्रियलोलुप = भोगविलास की इच्छा रखने वाला। प्रायश्चित्त = पछतावा। कनखी = तिरछी नज़र। अजीबो गरीब = विचित्र। संवाद = परस्पर बातचीत। सत्ता का अपहरण = राज्य छीनना। शिवाजी का सच्चा स्वरुप Summaryशिवाजी का सच्चा स्वरुप जीवन-परिचय जीवन परिचय-सेठ गोबिन्ददास हिंदी के श्रेष्ठ साहित्यकार थे। उनका जन्म सन् 1896 ई० में हुआ। वे लंबे समय तक लोकसभा के सदस्य रहे। भारत सरकार द्वारा इन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था। शिवाजी का सच्चा स्वरुप एकांकी का सार ‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ सेठ गोबिन्ददास की प्रमुख एकांकी है। इसमें लेखक ने शिवाजी महाराज के सच्चे स्वरूप का वर्णन किया है। शिवाजी हमारे राष्ट्रीय गौरव का महान् ध्वज हैं। वे अपराजेय शक्ति, शौर्य और पराक्रमी थे। उन्होंने देश की शक्तियों को संगठित कर ‘हिन्दी स्वराज्य’ की स्थापना की। यह धर्म-निरपेक्ष स्वराज्य था। इन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों से निरंतर लोहा लिया। इस एकांकी में लेखक ने शिवाजी के इसी पवित्र चरित्र का वर्णन किया गया है। शिवाजी, मोरोपंत तथा आवाजी सोनदेव इस एकांकी के प्रमुख पात्र हैं। शिवाजी एक प्रसिद्ध मराठा वीर, मोरोपंत पेशवा तथा सोनदेव शिवाजी एक सेनापति थे। यह एकांकी सन् 1648 ई० की संध्या को राजगढ़ दुर्ग के दालान पर घटित होती है। दालान में मसनद् के सहारे शिवाजी आसन पर बैठे थे। राजगढ़ दुर्ग के दालान पर शस्त्रों के साथ सुदृढ़ शरीर वाले मावली रक्षक खड़े हुए हैं और बायीं तरफ से मोरोपंत पिगंले का प्रवेश हुआ। उसने शिवाजी सरकार को नमस्कार किया। उसने बताया कि सेनापति सोनदेव कल्याण प्रांत को जीतकर वहां का सारा खज़ाना लूटकर आए हैं। यह शुभ समाचार सुनकर शिवाजी बड़े खुश हुए। कुछ समय पश्चात् सेनापति आवाजी सोनदेव ने शिवाजी के सामने आकर अभिवादन किया। शिवाजी ने उसे इस जीत की बधाई दी तथा सेनापति ने शिवाजी को बधाई दी। दोनों में इस युद्ध के विषय में खूब चर्चा हुई। सेनापति ने जीत के साथ-साथ कल्याण के लूटे हुए खजाने के बारे में बताया तथा उसने बताया कि वह कल्याण सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को भी बंद कर आपकी सेवा में लाया है। यह सुनकर अचानक शिवाजी की मुद्रा बदल जाती है। सेनापति भी घबरा उठता है। क्रोधित स्वर में शिवाजी तुरंत मेणा को अपने सामने लाने के लिए कहा। आवाजी उसी समय एक बंद पालकी महाराज के सामने ले आए। उसमें से बहुत सुंदर युवती (अहमद की पुत्रवधु) बाहर निकल चुपचाप एक तरफ खड़ी हो जाती है। शिवाजी उसे माँ कहकर अपने सेनापति के लिए माफी मांगते हैं, उन्होंने कहा कि वे तो उसके सौंदर्य का हिंदू विधि से पूजन करना चाहते हैं । इसके बाद शिवाजी क्रोधावेश में आकर सेनापति पर बरस पड़े कि तूने ऐसा घृणित कार्य किया। शिवा ने आजतक किसी मस्जिद में बाल बराबर भी दरार नहीं आने दी। उसने तो कुरान को भी सर माथे लगाया। उसका सम्मान किया। इस्लाम उसके लिए पूज्य है। इस्लाम के पवित्र स्थान तथा पवित्र ग्रंथ उनके लिए सम्माननीय हैं। शिवाजी की सेना में हिंदु ही नहीं मुस्लिम भी सैनिक थे। वह देश में हिंदू राज्य नहीं सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे। वह आक्रमणकारियों से सत्ता लेकर उदार लोगों को देना चाहते थे। वह तो स्त्री को माता के समान पूजनीय मानता था। शिवाजी सेनापति के बुरे कार्य के लिए फटकारते रहे। वे बार-बार अपने सेनापति के इस बुरे कर्म की वजह से पश्चाताप करने लगे। उन्होंने उसी समय घोषणा की कि यदि आगे कोई ऐसा कार्य करेगा तो उसका सर उसी समय धड़ से अलग कर दिया जाएगा। यह कहकर शिवाजी का सिर नीचे झुक गया। Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Textbook Exercise Questions and Answers. PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 17 कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी सेHindi Guide for Class 9 PSEB कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Textbook Questions and Answers (क) विषय-बोध 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न
2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. (ख) भाषा-बोध 1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिएअशुद्ध शुद्ध – अशुद्ध 2. निम्नलिखित शब्दों का वर्णविच्छेद कीजिए शुद्ध – वर्ण विच्छेद उपभोक्ता – ……………….. उत्तर: (ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रश्न 1. प्रश्न 2. (घ) पाठेत्तर सक्रियता प्रश्न 1. प्रश्न 2. (ङ) ज्ञान-विस्तार 1. राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस-भारत सरकार ने 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस घोषित किया है क्योंकि भारत के राष्ट्रपति द्वारा इसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 को स्वीकार किया गया था। इस नियम में बाद में वर्ष 1993, 2002 व 2004 में संशोधन भी किये गए। इन संशोधनों के बाद यह अधिनियम और भी सशक्त हो गया। 2. विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस-उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत अमेरिका के कानूनविद् और अधिवक्ता राल्फ नैडर द्वारा की गई। नैडर के आन्दोलन के फलस्वरूप 15 मार्च, सन् 1962 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन० एफ० कैनेडी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण पर पेश किए विधेयक को अनुमोदित किया गया। इसीलिए 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में हर वर्ष 15 मार्च को ‘उपभोक्ता संरक्षण दिवस’ मनाया जाता है। 3. एम०आर०पी० (मैक्सिमम रिटेल प्राइस)-हिन्दी में इसके लिए अधिकतम खुदरा मूल्य शब्दों का प्रयोग किया जाता है। अधिकतम खुदरा मूल्य की संकल्पना को उपभोक्ता प्रायः समझ नहीं पाते। अधिकतर मामलों में एम०आर०पी० का प्रयोग उस कीमत में किया जाने लगा है जिस पर खुदरा व्यापारी वस्तुओं को बेचता है। लेकिन यह भी ध्यान दें कि कुछ खुदरा व्यापारी एम०आर०पी० में कुछ डिस्काऊंट भी दे देते हैं। अतः हमें सजग रहना चाहिए। कुछ उपभोक्ता यह समझते हैं कि एम०आर०पी० का निर्धारण सरकार करती है। जबकि सत्य यह है कि एम०आर०पी० का निर्धारण निर्माता द्वारा किया जाता है न कि सरकार द्वारा। यह भी देखने में आता है कि कुछ मामलों में एम०आर०पी० के साथ स्थानीय कर लगा दिये जाते हैं जो कि पूरी तरह से गैर-कानूनी है। 4. उपभोक्ता न्याय एजेन्सियाँ–उपभोक्ताओं की शिकायत निवारण के लिए निम्नलिखित एजेन्सियाँ हैं 5. उपभोक्ता जागरूकता सम्बन्धी मैगज़ीनें-कंज्यूमर वॉयस, कंज्यूमर वर्ल्ड, मानकदूत (भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रकाशित)। PSEB 9th Class Hindi Guide कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Important Questions and Answers 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के तीन या चार पंक्तियों में उत्तर दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए प्रश्न 6. सही-ग़लत में उत्तर दीजिए प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें 10. उपभोक्ता ……… वही ……… खरीदें जिस पर ……… का लोगो हो। प्रश्न
11. बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. कठिन शब्दों के अर्थ रोजमर्रा = प्रतिदिन की, हर रोज़ की। उपभोक्ता = किसी वस्तु को खरीदने वाला। डेट = तिथि। सही = उचित। चिकित्सक = डॉक्टर। खामियाजा = हानि। संरक्षण = सुरक्षा। मसलन = उदाहरण के तौर पर। अंततः = अंत में। शिकायतकर्ता = शिकायत करने वाला। हनन = नष्ट होना, दबाना। एयरपोर्ट = हवाई अड्डा। एम० आर० पी० = अधिकतम मूल्य । फ्लैट = घर। अकाऊंट = खाता। फ्रीज = बंद करना। आकर्षक = लुभावना। तथ्य = यथार्थ, सच। भ्रामक = भ्रम में डालने वाला। शुल्क = फीस। राहत = आराम। दस्तावेज़ = विविध लेख। कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से Summaryकैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से जीवन-परिचय श्रीमती ललिता गोयल का जन्म 15 मार्च, सन् 1973 ई० को हुआ। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी०ए० (आनर्स) तथा एम०ए० (राजनीति शास्त्र) की शिक्षा ग्रहण की। इन्होंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किया। ये कई वर्षों से लगातार विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिख रही हैं। इनके लेख बहुत प्रभावशाली होते हैं। वर्तमान में ये दिल्ली प्रैस पत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली
में सहायक संपादक के पद पर कार्य कर रही हैं। कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से पाठ का सार ‘कैसे बचें उपभोक्ता धोखाधड़ी से’ लेखिका ललिता गोयल द्वारा लिखित है। इसमें लेखिका ने उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में बताया है। इसके साथ-साथ उन अधिकारों को पाने के लिए.जागरूक एवं एकजुट भी किया है। उपभोक्ताओं को हर रोज़ ठगी तथा धोखाधड़ी का शिकार बनना पड़ता है। कभी कोई उन्हें पुरानी दवा दे देता है तो कभी उत्पादों पर उन्हें गारंटी होने पर भी सर्विस नहीं दी जाती। कभी कोई सामान लिखे हुए वज़न से कम निकलता है। कभी डॉक्टर मरीज का सही इलाज नहीं करता। कोई उन्हें ग़लत जानकारी देता है जिसकी हानि उपभोक्ताओं को होती है। उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार ने सन् 1986 ई० में उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू किया। यह कानून प्रत्येक उपभोक्ता को सुरक्षा, जानकारी, उत्पाद चुनना, शिकायत करना आदि अनेक अधिकार प्रदान करता है। इन अधिकारों को पाने के लिए ग्राहकों को जागना चाहिए। एक सर्वे के अनुसार आज तक देश के केवल 20% ग्राहक ही उपभोक्ता संरक्षण कानून को जानते हैं। केवल 42% ने ही इसे सुना है। जबकि इसके लिए कोई भी उपभोक्ता शिकायत कर सकता है। कोई भी शिकायतकर्ता सादे कागज़ पर उपभोक्ता फोरम में शिकायत भेज सकता है। बीस लाख तक के क्लेम के लिए उपभोक्ता जिला स्तर के आयोग में तथा इससे अधिक राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत कर सकता है। एक करोड़ से अधिक क्लेम पाने के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत की जाती है। शिकायत केवल अधिकारों के हनन के दो वर्ष के अंदर ही हो सकती है। अधिकांश मामलों में शिकायतकर्ता को वकील करने की ज़रूरत भी नहीं होती। दुकानदार द्वारा उत्पाद पर लेबल अथवा स्टिकर लगाकर बाजार भाव से ज्यादा कीमत पर बेचना उपभोक्ता अधिकारों का हनन है। किसी भी सामान को अधिकतम मूल्य से ज्यादा में बेचना ग़लत होता है। इसकी शिकायत की जा सकती है। उपभोक्ताओं के अधिकारों के हनन के अनेक प्रकार के मामले सामने आते हैं। कई बार एक ही घर दो-दो को आबंटित कर दिया जाता हैं। बैंक द्वारा बिना कारण के खाता बंद कर देना। इनसे उपभोक्ता केवल जागरूक बनकर ही बच सकते हैं। इसके लिए उपभोक्ता को केवल एगमार्क लोगो वाला ही सामान खरीदना चाहिए। बैच नंबर को देखना चाहिए। पैकिंग की तारीख, उत्पाद का वज़न आदि को देखना चाहिए। खरीदी गई वस्तु का बिल अवश्य लेना चाहिए। गारंटी कार्ड पर दुकानदार के हस्ताक्षर अवश्य करवाएँ। उपभोक्ता इंटरनेट के द्वारा भी अपनी शिकायत कर सकता है। इस पर 72 घंटे के भीतर ही कार्यवाही शुरू हो जाती है। दूसरे पक्ष को 14 दिन के भीतर ही उपभोक्ता की शिकायत दूर करने के निर्देश दिए जाते हैं। यही नहीं उपभोक्ता 1800-11-4000 राष्ट्रीय उपभोक्ता सहायता नंबर पर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 16 बचेंद्री पाल Textbook Exercise Questions and Answers. PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 16 बचेंद्री पालHindi Guide for Class 9 PSEB बचेंद्री पाल Textbook Questions and Answers (क) विषय-बोध 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छ: पंक्तियों में दीजिए- प्रश्न 1. प्रश्न 2. (ख) भाषा-बोध 1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिएएकवचन एकवचन – बहुवचन 2. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए शब्द – उपसर्ग – मूलशब्द 3. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए शब्द – मूलशब्द – प्रत्यय (ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रश्न 1. मैं पिछले सप्ताह अपने मित्र के साथ हिमालय पर्वतारोहण के लिए गया हुआ था। हमने कठिन संघर्ष करके अनेक चट्टानों को पार किया। हमने अपनी मंजिल पर जाने से पहले चार पड़ाव डाले। इसके लिए हमें चार दिन का समय लगा। हम अपने साथ ज़रूरत का सारा सामान लिए हुए थे। अनेक कठिनाइयों को झेलते हुए अतंतः हम पर्वत पर पहुँच गए। वहाँ पहुँच कर मैंने प्रभु का कोटि-कोटि धन्यवाद किया। वहाँ से अगले दिन हमने उतरना शुरू किया और इस तरह तीन-दिन में हम नीचे कुशल से आ गए। इस यात्रा में मैंने खूब आनंद उठाया। आपका प्रिय, प्रश्न 2. (घ) पाठेत्तर सक्रियता प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. (ङ) ज्ञान-विस्तार 1. एवरेस्ट पर्वत : एवरेस्ट पर्वत (नेपाली में सागरमाथा अर्थात् स्वर्ग का शीर्ष, संस्कृत में देवगिरि) दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है जिसकी ऊँचाई 8848 मीटर है। PSEB 9th Class Hindi Guide बचेंद्री पाल Important Questions and Answers 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के पांच-छः पंक्तियों में उत्तर दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए प्रश्न 6. प्रश्न 7. बचेंद्रीपाल सिलाई करके दस-बीस रुपए रोज़ कमाने लगी। सही-गलत में उत्तर दीजिए प्रश्न 8. प्रश्न 9. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें प्रश्न 10. प्रश्न 11. बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. कठिन शब्दों के अर्थ स्वप्नदृष्टा = स्वप्न देखने वाला। प्रवासी = दूसरे स्थान का निवासी। बेहतर = अच्छा। न्यूनतम = सब से कम, कम से कम। साकार = आकार युक्त। शिखर = चोटी। क्रीड़ा = खेल। इस्तेमाल = प्रयोग। विशिष्टता = विशेषता। प्रतियोगिता = मुकाबला। बर्दाश्त = सहन करने की शक्ति। साऊथ = दक्षिण। पर्वतारोहण = पर्वतों पर चढ़ना। प्रारंभिक = शुरू का। पर्वतारोही = पहाड़ पर चढ़ने वाला। रोमांच = रोंगटे खड़े होना। आश्चर्यचकित = हैरान। हिमखंड = बर्फ का टुकड़ा। प्रशिक्षण = नियमित रूप से दी जाने वाली व्यावहारिक शिक्षा, ट्रेनिंग। संस्तुति = प्रशंसा। इंतजार = प्रतीक्षा। प्रशिक्षक = प्रशिक्षण देने वाला। प्रोत्साहन = किसी काम के लिए उत्साह बढ़ाना। दुर्गम = जहाँ पहुँचना कठिन हो। स्वर्ण = सोना। क्रिया-कलाप = किसी व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले काम। रैपलिंग = ऊँची चट्टान से रस्सी द्वारा नीचे उतरना। दक्ष = निपुण, कुशल। शिखर = पहाड़ की चोटी। आरोहण = ऊपर की ओर चढ़ना। प्रस्थान = जाना, रवानगी। बरफ = बर्फ़। आरोही = चढ़ने या ऊपर जाने वाला। एवरेस्ट = हिमालय की सबसे ऊँची चोटी। उपस्कर = सामान। फावड़ा = कुदाल। प्रतिष्ठित = सम्मानित। बचेंद्री पाल Summaryबचेंद्री पाल जीवन-परिचय बचेंद्री पाल का जन्म उत्तरांचल राज्य के चमौली जिले में बपा गाँव में 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ। इनकी माता का नाम हँसादेई नेगी तथा पिता का नाम किशन सिंह पाल है। इनका बचपन ग़रीबी में व्यतीत हुआ। इनके पिता पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ थे। इसलिए
बचेंद्री पाल को आठवीं से आगे की पढ़ाई का खर्च स्वयं उठाना पड़ा। इसके लिए उसने सिलाई-कढ़ाई शुरू की। इन्होंने कठिन परिश्रम करते हुए एम०ए० (संस्कृत), बी०एड० की शिक्षा प्राप्त की। बचेंद्री पाल पाठ का सार ‘बद्री पाल’ यात्रा वृत्तांत पर्वतारोही बचेंद्री पाल द्वारा लिखित है। इसमें लेखिका ने अपनी एवरेस्ट विजय अभिमान की यात्रा का रोचक वर्णन किया है। इसमें इन्होंने अपनी सम्पूर्ण जीवन यात्रा तथा पर्वतारोहण यात्रा का वर्णन किया है। बचेंद्री पाल का जन्म 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ था। बचपन से ही उन्होंने लड़की होकर भी कुछ अलग करने का निश्चय कर लिया था। वह बहुत बड़े-बड़े सपने देखा करती थी। वह दस वर्ष की उम्र में ही जंगलों तथा पहाड़ी ढलानों पर अकेली निडर होकर घूमा करती थी। उसका बचपन अत्यंत गरीबी में व्यतीत हुआ। किंतु उसने बचपन में ही माता-पिता को कुछ अलग करने को कहा, वह पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। खेलकूद में भी बहुत श्रेष्ठ- उसने गोला फेंक, डिस्क फेंक और लंबी कूद में अनेक कप जीते। आठवीं कक्षा अच्छे अंकों से पास की। आगे की पढ़ाई सिलाईकढ़ाई का काम करके जारी रखी क्योंकि उसके पिता ने आगे पढ़ने से मना कर दिया था। लगातार कठोर मेहनत करके उसने एम०ए०, बी० एड० की पढ़ाई की। घर में खाली बैठने की बजाय उसने नेहरू संस्थान के आरंभिक पर्वतरोही कोर्स में प्रवेश ले लिया। यहाँ बर्फ तथा चट्टानों पर चढ़ने के तरीकों का अध्ययन किया। रैपलिंग के रोमांच का अनुभव किया। यहाँ अभियान को आयोजित करने का भी प्रशिक्षण लिया। इसके बाद काला नाग 6387 मीटर की चढ़ाई की। इस चढ़ाई में उसे ‘ए’ ग्रेड मिला। यहाँ से अन्य अभियानों में भाग लेने की अनुमति मिल गई। सन् 1984 में एवरेस्ट अभियान के लिए चुना गया। इसके लिए 9 मई, सन् 1984 ई० को प्रातः सात बजे शिखर कैंप से प्रस्थान किया गया। 16 मई को प्रात: आठ बजे तक अभियान के दूसरे कैंप तक साथियों के साथ पहुँच गई। यहाँ से अगले दिन सुबह चढ़ाई शुरू की। यहाँ से बचेंद्री पाल ने अपने साथियों के साथ बिना रस्सी के ही चढ़ाई शुरू की। वह अंग दोर जी के साथ निश्चित गति से ऊपर चढ़ती गई। जमी बर्फ से सीधी व ढलाऊ चट्टानें सख्त एवं भुरभुरी थीं। वे दो घंटे से पहले ही शिखर के कैंप में पहुंच गए। अंतत: 23 मई, सन् 1984 के दिन दोपहर एक बजकर सात मिनट पर वह एवरेस्ट की चोटी पर पहुँच गई। उसने घुटनों के बल बैठकर सागरमाथे के ताज का चुंबन किया। थैले से दुर्गा माँ का चित्र तथा हनुमान चालीसा निकाला तथा लाल कपड़े में लपेटकर छोटी-सी पूजा अर्चना की। आनंद के उस क्षण में माता-पिता का ध्यान आया। उसने हाथ जोड़ कर दोरजी के प्रति आदर प्रकट किया। वह बहुत खुश थी। उस शिखर पर उसने 43 मिनट बिताए। चोटी के समीप के खुले स्थान से पत्थरों के कुछ नमूने लेकर वापस यात्रा शुरू की। इस यात्रा के पर्वतारोहण में श्रेष्ठता के लिए भारतीय पर्वतारोहण संघ ने उसे प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक दिया तथा अनेक सम्मान तथा पुरस्कार दिए। भारत सरकार द्वारा पद्मश्री तथा अर्जुन पुरस्कार दिया गया। Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूह Textbook Exercise Questions and Answers. PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 15 एक अंतहीन चक्रव्यूहHindi Guide for Class 9 PSEB एक अंतहीन चक्रव्यूह Textbook Questions and Answers (क) विषय-बोध 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. (ख) भाषा-बोध 1. निम्नलिखित में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द 2. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय 3. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए
उत्तर:
4. निम्नलिखित पंजाबी वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद कीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. (ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रश्न 1. प्रश्न 2. (घ) पाठेत्तर सक्रियता प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. (ङ ) ज्ञान-विस्तार 1. कोकेन-यह भी एक खतरनाक ड्रग है। इसकी लत में दृष्टिभ्रम, मतिभ्रम, क्रोधयुक्त उन्माद आदि होने लगता है और पूरी तरह से मनुष्य का मानसिक और नैतिक पतन हो जाता है। भारत सहित अनेक देशों में इसके उपयोग और बिक्री पर रोक है। 2. एल० एस० डी० (लाइसर्जिक एसिड डाई-ऐथाइलामाइड)-तेज़ मादक पदार्थ जिसे लेने से मानसिक व्यवहार और शारीरिक क्रिया-कलापों पर गहरा असर पड़ता है। मन व्यग्रता से घिर उठता है, मतिभ्रम और दृष्टिभ्रम होने से सच्चाई से नाता टूट जाता है और तरह-तरह की मानसिक विकृतियाँ दिलोदिमाग पर हावी हो जाती हैं। 3. पीसीपी (फेनसाइक्लीडिन)-कई नामों जैसे एंजल डस्ट, पीस पिल (शाँति की गोली) और सेरनिल के नाम से बिकने वाली नशे की गोली जिसे लेने से सच्चाई से नाता टूट जाता है और मन-मस्तिष्क में कई तरह के भ्रम-विभ्रम उठ खड़े होते हैं। 4. कैनाविस-देश के कई हिस्सों में उगने वाली बूटी, जिसके विभिन्न हिस्सों से मादक पदार्थ भांग, गांजा और चरस प्राप्त किए जाते हैं। इनका नशे करने से मतिभ्रम उत्पन्न होता है, जिसके चलते छोटी-सी चीजें बहुत बड़ी दिखने लग सकती हैं, कानों में आवाजें सुनाई देने लग सकती हैं, और नशे की इस हालात में आदमी कई प्रकार से अपना बुरा कर सकता है। लंबे समय तक इनके सेवन से तन-मन दोनों पर गंभीर दुष्परिणाम पड़ते हैं। 5. एम्फेटामिन दवाएँ-मस्तिष्क को उत्तेजित करने वाली शक्तिशाली दवाओं का एक खास वर्ग। अक्सर इन दवाओं का दुरुपयोग एकाग्रता और मानसिक सतर्कता में वृद्धि लाने के लिए होता है। युवा पीढ़ी में ‘स्पीड’ के नाम से लोकप्रिय ये दवाएँ नींद भगाने, थकान मिटाने और सुखबोध उत्पन्न करने के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं, किंतु उनके सेवन से तनमन पर अनेक दुष्परिणाम पड़ सकते हैं। ये दवाएँ अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, दिल की धड़कनों की गड़बड़ी, ब्लड प्रेशर में वृद्धि पैदा करती हैं, आदमी को नशाखोर बनाती हैं और दिल पर बुरा असर डाल मौत की नींद सुला सकती हैं। 6. एच० आई० वी० (ह्यूमन इम्यूनो डैफिशिएन्सी वायरस)-यह एक विषाणु है जिसके साथ एड्स फैलता है। 7. एड्स-यह अंग्रेजी के अक्षर ए० आई० डी० एस० से बना है अर्थात् एक्वायर्ड इम्यून डैफिशिएन्सी सिन्ड्रोम। वास्तव में यह कोई रोग नहीं है अपितु एक शारीरिक अवस्था है जिसमें मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होते-होते लगभग खत्म ही हो जाती है तथा मनुष्य फिर साधारण रोग-कीटाणुओं द्वारा फैलने वाली सामान्य बीमारियों से भी अपने आप को बचा नहीं पाता। इस तरह फिर वह प्राणघातक संक्रामक रोगों कई तरह के कैंसर आदि से ग्रस्त हो सकता है। 8. तपेदिक (क्षयरोग) T.B. (Tubercle bacillus)-यह एक संक्रामक बीमारी है जो आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करती है लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकती है। यह हवा के माध्यम से तब फैलती है जब वे लोग जो टी.बी. संक्रमण से ग्रसित हैं और छींक, खांसी या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपनी लार संचारित कर देते हैं। 9. हेपेटाइटस बी/यकृतशोथ-यह वायरस के कारण होने वाली एक संक्रामक बीमारी है जिसके कारण लीवर में सूजन और जलन पैदा होती है। PSEB 9th Class Hindi Guide एक अंतहीन चक्रव्यूह Important Questions and Answers 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए : प्रश्न (i) प्रश्न (ii) प्रश्न (iii) प्रश्न (iv) 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए : प्रश्न (i) प्रश्न (ii) 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिए- प्रश्न (i) प्रश्न (ii) एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए प्रश्न 6. प्रश्न 7. सही-ग़लत में उत्तर दीजिए प्रश्न 8. प्रश्न 9. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें प्रश्न 10. प्रश्न 11. बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. कठिन शब्दों के अर्थ दुष्प्रभाव = बुरा प्रभाव। आलस्य = सुस्ती। अंकुर = बीज। कौतूहलवश = उत्सुकता के कारण। अंतहीन = जिसका अन्त न हो। पुरातात्विक = पुरातत्व (प्राचीन वस्तुओं की खोज एवं अध्ययन) से सम्बन्धित। रसास्वादन = स्वाद लेना। चक्रव्यूह = चक्र के रूप में सेना की स्थापना। उत्खनन = ज़मीन से खोदकर निकालना, खुदाई। पाषाण = पत्थर। मायावी = माया से युक्त; जादूई। नागफनी = साँप के फन के आकार का गूदेदार पौधा। कोकेन = कोका की पत्तियों से तैयार किया गया द्रव्य, जिसे लगने से अंग सुन्न हो जाता है। उत्तरार्द्ध = पिछला आधा भाग। साइकलोजिकल = मनोवैज्ञानिक। भ्रामक = भ्रम उत्पन्न करने वाला, बहलाने वाला। दुर्बल = कमजोर। चिलम = मिट्टी की बनी हुई नली जिस में तंबाकू जलाकर पीते हैं। ग़म ग़लत करना = दु:ख भूलने के लिए नशा करना। स्नेहरिक्त = स्नेह से रहित। ज़रा-सी बात = थोड़ी-सी बात। व्यसन = लत। सेवन करना = लेना (खाना या पीना)। बेवजह % बिना कारण। ड्रग एडिक्शन = नशीले पदार्थ पर शारीरिक और मानसिक रूप से निर्भरता। अवसाद = सुस्ती, थकावट, उदासी। विफलता = असफलता। हताशा = निराशा, दुःख। एकाग्रता = ध्यान। कल्पनाशीलता = मन की कल्पना शक्ति। सृजनात्मकता = मौलिकता, रचनात्मक शक्ति। भ्राँति = भ्रम, संदेह। बेहतर = उचित। हीनभावना = अपने को तुच्छ समझने की भावना। तपेदिक = क्षय रोग, टी० बी० (Tubercle bacillus)। मतली = मिचली, जी मचलने की अवस्था। नशा मुक्ति = नशों से आज़ादी। विवश = मजबूर। ऊ = वमन, उल्टी करना। रुग्ण = बीमार, दूषित। शंकालु = शंका करने वाला। यकृतशोध = जिगर की सूजन। एड्स = (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम) एक विशेष तरह के वापरत से उत्पन्न एक रोग जिसमें शरीर की रोग-बचाव प्रणाली बेअसर हो जाती है। निरपट = बिल्कुल। दिनोंदिन = दिन-प्रतिदिन। आसक्तता = लिप्तता। अंधियारा = अंधेरा। पुनर्वास = बीमारी आदि के कारण उजड़े/बर्बाद हुए लोगों का उपचार करके उन्हें फिर से बसाना। एक्सपेरिमैंट = प्रयोग। स्वयंसेवी = अपने आप सेवा करने वाली। एक अंतहीन चक्रव्यूह Summaryएक अंतहीन चक्रव्यूह जीवन-परिचय जीवन-परिचय-डॉ० यतीश अग्रवाल का जन्म 20 जून, सन् 1959 ई० में बरेली (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। ये एक श्रेष्ठ चिकित्सक, प्रोफेसर, लेखक के रूप में प्रसिद्ध हैं। आजकल ये सफदरजंग हॉस्पिटल तथा बी० एम० मैडिकल
कॉलेज नई दिल्ली में प्रोफेसर एवं परामर्शदाता के रूप में कार्य कर रहे हैं। एक अंतहीन चक्रव्यूह निबन्ध का सार ‘एक अंतहीन चक्रव्यूह’ निबन्ध डॉ० यतीश अग्रवाल द्वारा रचित है। इसमें लेखक ने वर्तमान युग में युवाओं में फैल रही नशे की भयंकर समस्या तथा घातक परिणामों का वर्णन किया है। उन्होंने बताया है कि आज युवा किस तरह नशे के जाल में पड़कर अपना जीवन अंधकार बना रहे
हैं। वैसे तो नशा मानव-जीवन के साथ ही शुरू हो गया था। इन्सान ने पेड़ पौधों से प्राप्त नशीले पदार्थों का सेवन शुरू किया था। नशे का इतिहास बहुत पुराना है। 3000 वर्ष ईसा पूर्व इसके प्रयोग के उल्लेख मिलते हैं किन्तु 19वीं सदी में नशा युवाओं तक फैलने लगा। युवा जीवन की सच्चाइयों से मुंह मोड़ने के लिए नशे में खो जाते थे। किन्तु वर्तमान समय में तो मज़दूर, किसान, रिक्शा-चालक बेरोज़गार आदि सभी वर्ग इसका शिकार बन रहे हैं। ये लोग अपने गम को भुलाने, आनंद उठाने तो कोई फैशन दिखाने के चक्कर में नशे के नरक में
धंसता जा रहा है। शुरू में तो युवा अपने किसी दोस्त या साथी के कहने पर नशे की शुरुआत करते हैं किंतु धीरे-धीरे वे इसके आदी बन जाते हैं। वे इसमें इतने डूब जाते हैं कि अपने जीवन को ही र्बाद कर लेते हैं। नशा करने वाले आदमी का शरीर रोगी ही नहीं बनता बल्कि उसका परिवार और समाज भी उसे दुत्कार देता है। उसे कोई प्यार नहीं करता। वह दुनिया में बिल्कुल अकेला रह जाता है। मित्र, सगे-सम्बन्धी छूट जाते हैं। आर्थिक : समस्याएँ बढ़ जाती हैं। धीरे-धीरे आदमी दल-दल में फंसता जाता है। मादक पदार्थों के सेवन से मुक्ति पाना आसान नहीं होता। नशे से मुक्ति दिलाने में मनोरोग विशेषज्ञ विशेष मदद कर सकते हैं। नशा मुक्ति के लिए वे अनेक चिकित्सा पद्धतियाँ प्रयोग में लाते हैं। दूसरे चरण में रोगी के मानसिक तथा सामाजिक पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं। आज हमारे देश में अनेक सरकारी, गैर-सरकारी संगठन, अस्पताल, पुलिस तथा स्वयंसेवी संस्थाएँ नशा मुक्ति की सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं। सबसे अच्छा यही है कि आदमी इस चक्रव्यूह से स्वयं को बिल्कुल दूर रहें। हमें ऐसी संगत में बिल्कुल नहीं पड़ना चाहिए। युवाओं को नशे तथा नशा करने वालों से सदा दूर रहना चाहिए क्योंकि इसमें पड़ कर आदमी का जीवन नष्ट हो जाता है। Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 13 हिम्मत और जिंदगी Textbook Exercise Questions and Answers. PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 13 हिम्मत और जिंदगीHindi Guide for Class 9 PSEB हिम्मत और जिंदगी Textbook Questions and Answers (क) विषय-बोध 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. (i) जो लोग पाँव भीगने के ख़ौफ़ से पानी से बचते रहते हैं, समुद्र में डूब जाने का खतरा उन्हीं के लिए है। लहरों में तैरने का जिन्हें अभ्यास है वे मोती लेकर बाहर आयेंगे। (ii) अगर रास्ता आगे ही आगे निकल रहा हो तो फिर असली मज़ा तो पाँव बढ़ाते जाने में ही हो है। (iii) अरे ओ जीवन के साधको! अगर किनारे की मरी हुई सीपियों में ही तुम्हें संतोष हो जाए तो समुद्र के अंतराल में छिपे हुए मौक्तिक-कोष को कौन बाहर लाएगा ? (iv) कामना का अंचल छोटा मत करो। जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचौड़ो, रस की निर्झरी तुम्हारे बहाए भी बह सकती है। (ख) भाषा-बोध 1. निम्नलिखित तत्सम शब्दों के तद्भव रूप लिखिए तत्सम – तद्भव 2. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए दाँव पर लगाना – कोई वस्तु बाज़ी पर लगाना। 3. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए रेगीस्तान, सन्तुश्ट, आतमा, ज़रुरत, अवाज़, सवाद, खुशबुदार, संजम, चुनोती, निरझरी। 4. निम्नलिखित वाक्यों में सही विराम चिह्न लगाइए प्रश्न 1. प्रश्न 2. (ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रश्न 1. प्रश्न 2. (घ) पाठेत्तर सक्रियता प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. (ङ) ज्ञान-विस्तार 1. महाभारत : ‘महाभारत’ भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक अनुपम महाकाव्य है, जिसकी रचना (माना जाता है कि) वेदव्यास जी ने की। इस ग्रंथ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद भी माना जाता है। कहा जाता है कि ‘महाभारत’ का वास्तविक नाम ‘जय’ था। तत्पश्चात् इसे ‘भारत’ नाम से भी पुकारा गया तथा भरतवंश की गाथा होने के कारण बाद में यह ‘महाभारत’ नाम से प्रसिद्ध हुआ। 2. कौरव : कौरव महाभारत में हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र और गांधारी के पुत्र थे। ये गिनती में सौ थे तथा राजा कुरु के वंशज थे। सभी कौरवों में दुर्योधन सबसे बड़ा था जो कि बहुत ही ज़िद्दी था। 3. पांडव : पाँडव महाभारत के मुख्य पात्र हैं। पाँडव पाँच भाई थे- युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव। पाँडवों के पिता का नाम पाण्डु था। पाण्डु की दो पत्नियाँ थीं-कुन्ती तथा माद्री। युधिष्ठिर, भीम तथा अर्जुन की माता कुन्ती थी और नकुल एवं सहदेव माद्री के पुत्र थे। 4. लाक्षागृह : दुर्योधन के मामा शकुनि ने लाक्ष (लाख) के बने हुए घर (लाक्षागृह) में पांडवों को भेजकर उन्हें जलाकर मारने का प्रयत्न किया किन्तु अपने काका विदुर की मदद व समझबूझ से वे उस जलते हुए गृह से बच निकले। 5. अकबर : तैमूरी वंशावली के मुग़ल वंश का तीसरा शासक अकबर था। इसके पिता का नाम हुमायूँ तथा दादा का नाम बाबर था। 6. विन्स्टन चर्चिल : ये एक अंग्रेज़ राजनीतिज्ञ थे और सन् 1940-1945 के समय इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री थे। इसके अतिरिक्त वे इतिहासकार, लेखक और कलाकार भी थे। वे एकमात्र प्रधानमंत्री थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। PSEB 9th Class Hindi Guide हिम्मत और जिंदगी Important Questions and Answers 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए- प्रश्न 6. प्रश्न 7. सही-गलत में उत्तर दीजिए प्रश्न 8. प्रश्न 9. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें प्रश्न 10. प्रश्न 11. बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. कठिन शब्दों के अर्थ कंठ = गला । खौफ़ = डर। उपवास = व्रत। जनमत = लोगों की राय। अंतराल = बीच, मध्य । जोखिम = खतरा, संकट। परास्त = पराजित, हार। अंततः = अंत में, आखिरकार। लाक्षाग्रह = लाख का बना घर। मौक्तिक-कोष = मोतियों का खजाना। साधक = साधना करने वाला। कामना = इच्छा। निर्झरी = नहीं। खुशबू = सुगंध। परमार्थ = परोपकार। कस्तूरी = एक सुगंधित पदार्थ जो कस्तूरी हिरण की नाभि में होती है। गोधूलि = गायों के खुरों से उठने वाली धूल। हिम्मत और जिंदगी Summaryजीवन-परिचय जीवन परिचय-रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के श्रेष्ठ लेखक माने जाते हैं। उनका जन्म सन् 1908 ई० में बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में हुआ था। इनकी आरंभिक शिक्षा गांव में हुई। इन्होंने बी०ए० की शिक्षा पटना विश्वविद्यालय से प्राप्त की। ये भागलपुर
विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। सन् 1952 से 1964 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे। कई वर्ष तक भारत सरकार के हिंदी सलाहकार भी रहे। सन् 1974 ई० में इनकी मृत्यु हो गई। हिम्मत और जिंदगी निबंध का सार हिम्मत और जिंदगी रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखित एक प्रमुख निबंध है। इसमें लेखक ने उस सत्य का वर्णन किया है जिसके अनुसार हिम्मत, परिश्रम, साहस, कर्मठता आदि तत्व हमारी सफलता के आधार बिंदु हैं। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। जिंदगी का असली मज़ा फूलों के नीचे खेलने और सोने वालों के लिए नहीं बल्कि दूर रेगिस्तान से आने वालों के लिए होता है। पानी के अमृत तक को केवल वही जानता है जो धूप में सूख चुका है। सुखों का असली आनंद उनका मूल्य चुकाने पर ही मिलता है। पानी से बचने वालों के लिए ही समुद्र में डूबने का खतरा होता है। लहरों पर तैरने वाले तो मोती लेकर ही बाहर निकलते हैं। जीवन में चांदनी की ताज़गी और शीतलता का मजा वही मनुष्य लेता है जो दिनभर धूप में थककर लेटा है। घर के अंदर पंखे के नीचे सोने वाला मनुष्य इसका आनंद नहीं ले सकता। भोजन का असली स्वाद उसी को मिलता है जो कुछ दिन बिना खाए भी रह लेता है। जीवन का भोग त्याग के साथ करो यह केवल परमार्थ का ही उपदेश नहीं है। संयमी व्यक्ति को ही योग का आनंद प्राप्त होता है। संसार में बड़ी चीजें बड़े संकटों में ही विकसित होती हैं। ठीक वैसे बड़े लोग बड़ी मुसीबतों में पलकर दुनिया पर कब्जा करते हैं, अकबर ने तेरह वर्ष में ही अपने पिता के दुश्मन को हरा दिया था। महाभारत में देश के अधिकांश वीर कौरवों के पक्ष में थे किन्तु फिर भी जीत पांडवों की हुई क्योंकि उन्होंने लाक्षाग्रह की मुसीबत झेली और बनवास में कष्ट उठाया था। जिंदगी की दो सूरतें हैं। एक तो आदमी को असफलताओं से न घबराते हुए उनका सामना करते हुए अपने उद्देश्य को पाने का प्रयास करना चाहिए। दूसरी आदमी को उन ग़रीबों का साथी बन जाना चाहिए जो केवल दुःख पाते हैं। साहस की जिंदगी सबसे श्रेष्ठ होती है। यह बिल्कुल निडर और बेखौफ़ होती है। साहसी मनुष्य कभी भी तमाशा देखने वालों की चिंता नहीं करता। वह केवल अपना कर्म करता है। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी ही दुनिया की असली शक्ति है। दूसरों के पीछे चलना एक सामान्य आदमी का काम होता है। क्रांतिकारी कभी अपने उद्देश्यों की तुलना दूसरों से नहीं करते। वे केवल अपना कार्य करते हैं। साहसी व्यक्ति कभी सपने उधार नहीं लेता। वह तो अपने सपने देखता है। समूह में तो भैंस और भेड़ चलती हैं, शेर तो सदा अकेला चलता है। जिंदगी में सदा खतरे बने रहते हैं। जिंदगी जीते समय अनेक खतरे बने रहते हैं। असली जिंदगी इन खतरों का साहस से मुकाबला करने में होती है। संकटों का सामना करना जिंदगी की पूंजी होती है। अंत में लेखक ने जीवन के साधकों को साहसपूर्ण जिंदगी तथा खतरों का सामना करने का संदेश दिया है। उन्हें उद्देश्य को प्राप्त करने की प्रेरणा दी है। Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा Textbook Exercise Questions and Answers. PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 14 महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगराHindi Guide for Class 9 PSEB महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा Textbook Questions and Answers (क) विषय-बोध 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. (ख) भाषा-बोध 1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखें अशुद्ध – शुद्ध 2. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उनका वाक्यों में प्रयोग करें
उत्तर:
(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रश्न 1. प्रश्न 2. (घ) पाठेत्तर सक्रियता प्रश्न 1. प्रश्न 2. (ङ) ज्ञान-विस्तार
PSEB 9th Class Hindi Guide महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा Important Questions and Answers 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए प्रश्न 6. प्रश्न 7. सही-गलत में उत्तर दीजिए प्रश्न 8. प्रश्न 9. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें प्रश्न 10. प्रश्न 11. बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. कठिन शब्दों के अर्थ आत्मविश्वास = अपने ऊपर विश्वास। समेत = सहित। जोशभरा = जोश से युक्त। सम्पन्न = खुशहाल। अग्नि = आग। अध्ययन = पढ़ाई। गौरवान्वित = महिमा से युक्त। प्रशिक्षण = सिखलाई, ट्रेनिंग। साक्ष्य = सबूत। अनुपालन = रक्षण। स्वतंत्र = आजाद। अभियोग = मुकद्दमा। स्मृति पुंज = यादों का समूह। संवाहक = आगे ले जाने वाली। वक्तव्य = कथन। अनथक = बिना थके। अस्थियाँ = हड्डियाँ। राष्ट्रवादी = देशभक्त । नफ़रत = घृणा। अभियोग = मुकद्दमा। लावारिस = जिसका कोई वारिस न हो। महान् राष्ट्रभक्त : मदन लाल ढींगरा Summaryमहान् राष्ट्रभक्त : मदन लाल ढींगरा जीवन-परिचय जीवन परिचय-प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी का जन्म 12 मार्च, सन् 1950 ई० को पंजाब के मुकेरियां (होशियारपुर) में हुआ था। ये समकालीन हिन्दी-कविता के प्रसिद्ध कवि हैं।
इन्होंने पंजाब के हिन्दी-साहित्य को राष्ट्रीय पहचान दिलाई है। इन्होंने हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कनाडा, नार्वे तथा पाकिस्तान की यात्राएँ की हैं। इन्हें पंजाब के मध्यकालीन हिन्दी-साहित्य को गुरुमुखी लिपि में लाने का श्रेय प्राप्त है। इन्होंने एम०ए०, पीएच०डी० तथा डी०लिट की उच्च उपाधियाँ प्राप्त की है। महान् राष्ट्रभक्त : मदन लाल ढींगरा निबन्ध का सार मदन लाल ढींगरा प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी द्वारा रचित एक प्रसिद्ध निबन्ध है। इसमें लेखक ने मदन लाल ढींगरा की सच्ची देशभक्ति साहस एवं निडरता का परिचय दिया है। लेखक ने बताया है कि भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का श्रेय इसी सच्चे देशभक्त को जाता है। मदनलाल ढींगरा का जन्म सन् 1887 ई० में पंजाब के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता साहिब गुरुदित्ता मल गुरदासपुर में सिविल सर्जन थे। मदनलाल बचपन से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे। वे हर बात को तराजू में तोलकर देखते थे। उनमें आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा था। उन्हें देशभक्ति के कारण लाहौर कॉलेज छोड़ना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने कारखाने की मज़दूरी की। अपने गुज़ारे के लिए रिक्शा तथा टांगा तक भी चलाया। उनके घर में केवल बड़े भाई ही उनकी बात समझते थे। उनके कारण ही वे उच्च शिक्षा के लिए सन् 1906 में इंग्लैंड चले गए। वहां उनके जीवन में एक नया मोड़ आया। लंदन में वे भारत के प्रमुख राष्ट्रवादी नेता विनायक दामोदर सावरकर तथा श्याम जी कृष्ण वर्मा के सम्पर्क में आए। इसके बाद वे अभिनव भारत नामक क्रान्तिकारी संस्था के सदस्य बन गए। यहाँ उन्होंने हथियार चलाने का प्रशिक्षण लिया। लंदन में श्याम जी कृष्ण वर्मा के संरक्षण में भारतीय छात्रों में देशभक्ति की भावना फैलाने के लिए इंडिया हाउस की स्थापना की। उन दिनों खुदीराम बोस तथा कांशीराम जैसे अनेक क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने मृत्यु दंड दे दिया था। इन घटनाओं ने मदन लाल ढींगरा और सावरकर जैसे देशभक्तिों के मन में अंग्रेजों के प्रति नफ़रत तथा बदले की भावना ने जन्म दिया। 1 जुलाई, सन् 1909 ई० को भारतीय राष्ट्रीय संस्था के सदस्य वार्षिक दिवस मनाने के लिए इकट्ठे हुए। इसमें कर्ज़न वायली सपरिवार आया। ढींगरा ऐसे लोगों से नफ़रत करते थे। इसी कारण उन्होंने कर्जन वायली को वहीं मार दिया। वे वहाँ से डरकर नहीं भागे बल्कि साहस और निडरतापूर्वक वहीं खड़े रहे। यह अंग्रेजों के लिए पहली चेतावनी थी। ढींगरा ने बंग-भंग आंदोलन के समय भी लंदन में वंदेमातरम के नारे लगाए थे। वे अपनी कमीज़ के ऊपर वंदे मातरम् लिखकर लंदन के बाजारों में घूमते थे। उन्होंने अपनी हर पुस्तक के ऊपर वंदे मातरम् लिखा था। कर्जन वायली की हत्या के आरोप में उन पर 22 जुलाई, सन् 1909 ई० को अभियोग चलाया। उन्होंने अदालत में गर्व से कहा था कि वह अपना जीवन भारत माँ को सौंप रहा है। 12 अगस्त, सन् 1909 ई० को उन्हें पेंटोविले (लंदन) की जेल में फांसी की सज़ा दी गई। आयरिश लोगों ने इनकी हिम्मत को सराहा था। लाला हरदयाल को भी उनकी शहादत पर गर्व हुआ। उन्हें विश्वास था कि मदनलाल ढींगरा की कुर्बानी भारत को आजाद कराएगी। श्रीमति ऐनी बेसेंट ने भी उनकी शहादत की सराहना की थी। 16 अगस्त, सन् 1909 के डेली न्यूज़ समाचार-पत्र में ढींगरा का जोशभरा भाषण छपा। ब्रिटिश सरकार ने मदन लाल ढींगरा के शरीर को लावारिस समझ कर दफना दिया। फिर सावरकर ने ढींगरा की देह को प्राप्त करने के अनेक प्रयास किए कितु वे सफल नहीं हुए। अनेक वर्षों बाद 13 दिसम्बर, सन् 1976 ई० को जब शहीद उधम सिंह की अस्थियां भारत लाई गईं तभी मदनलाल ढींगरा की अस्थियों को भी मातृभूमि का स्नेह मिला। Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 नींव की ईंट Textbook Exercise Questions and Answers. PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 12 नींव की ईंटHindi Guide for Class 9 PSEB नींव की ईंट Textbook Questions and Answers (क) विषय-बोध 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न
6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए प्रश्न
1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. सुंदर समाज बने, इसलिए कुछ तपे-तपाए लोगों को प्रश्न
4. प्रश्न 5. (ख) भाषा-बोध 1. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द 2. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय 3. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए मुहावरा – अर्थ – वाक्य शहादत
का लाल – बलिदान देने वाला व्यक्ति सेहरा पहनाना – सर्वस्व बलिदान देना खाक छानना – बहुत ढूँढ़ना, मारा-मारा फिरना फलना – फूलना-सुखी और सम्पन्न होना खपा देना – किसी काम में लग जाना, उपयोग में आना 4. निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिह्न लगाइए (i) कँगूरे के गीत गाने वाले हम आइए अब नींव के गीत गाएँ (ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. (घ) पाठेत्तर सक्रियता प्रश्न 1. प्रश्न 2. (ङ) ज्ञान-विस्तार दधीचि : एक प्रसिद्ध ऋषि जिसने अपने शरीर की हड्डियाँ देवताओं को अर्पित कर दी थीं और स्वयं मरने को तैयार हो गया था। इन हड्डियों से देवताओं के शिल्पी-विश्वकर्मा ने एक वज्र का
निर्माण किया था। वृत्रासुर : एक राक्षस। ऋषि दधीचि की हड्डियों से निर्मित वज्र से इन्द्र ने वृत्रासुर और अन्य राक्षसों को मार गिराया था। PSEB 9th Class Hindi Guide नींव की ईंट Important Questions and Answers निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिएप्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिएप्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिएप्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए प्रश्न 6. प्रश्न 7. सही-गलत में उत्तर दीजिए प्रश्न 8. प्रश्न 9. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें प्रश्न
10. प्रश्न 11. बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. कठिन शब्दों के अर्थ चमकीली = चमकदार। आवरण = पर्दा। भद्दा = बदसूरत। सुघड़ = सुडौल। पायदारी = मजबूत। आकृष्ट = आकर्षित। शिवम् = कल्याणकारी। अंधकूप = अंधा कुआँ। विलीन = अदृश्य। कँगूरा = चोटी, शिखर, बुर्ज। अस्तित्व = हस्ती। शुहरत = प्रसिद्धि । शहादत = बलिदान। उत्सर्ग = बलिदान । मूढ़ = मूर्ख। आधारशिला = नींव का पत्थर। लुप्त = गायब। वासना = इच्छा, आतुर = व्याकुल, उतावला, अनुप्राणित = प्रेरित। होड़ा-होड़ी = प्रतिस्पर्धा। एक-दूसरे से आगे बढ़ने का प्रयास। नींव की ईंट Summaryनींव की ईंट जीवन-परिचय जीवन-परिचय-श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का हिंदी गद्य-साहित्य में अद्भुत योगदान है। इनका जन्म सन् 1902 ई० में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर नामक गाँव में हुआ था। बचपन में ही इनके माँ-बाप की मृत्यु हो गई थी। इन्होंने अनेक कष्ट सहकर दसवीं तक की पढ़ाई की। सन् 1920 ई० में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित 7 सितंबर, सन् 1968 ई० को मृत्यु हो गई। रचनाएं-श्री रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी के श्रेष्ठ लेखक माने जाते हैं। इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं साहित्यिक विशेषताएँ- श्री रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी के श्रेष्ठ साहित्यकार माने जाते हैं। उनका गद्य-साहित्य बहुत श्रेष्ठ है। इनके निबंधों में देशभक्ति की भावना का अनूठा वर्णन हुआ है। इन्होंने देश के युवाओं को देश एवं समाज पर बलिदान एवं त्याग करने के लिए प्रेरित किया है। इन्होंने समाज में फैली बुराइयों का सच्चा वर्णन किया है। इनकी भाषा सहज, सरल एवं स्वाभाविक है जिसमें तत्सम एवं तद्भव शब्दों का प्रयोग है। मुहावरों के प्रयोग से इनकी भाषा में निखार आ गया है। निबंध का सार ‘नींव की ईंट’ लेखक श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का अत्यंत रोचक एवं प्रेरक निबंध है। इसमें लेखक ने मनुष्य को नि:स्वार्थ त्याग एवं बलिदान की प्रेरणा
दी है। प्रत्येक मनुष्य को अपने देश तथा समाज के कल्याण के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। लेखक को इस बात का दुःख है कि आजकल हर आदमी भवन के कँगूरे की तरह बनना चाहता है। उसकी नींव की ईंट कोई बनना नहीं चाहता। लेखक चमकीली सुंदर एवं मज़बूत इमारत की नींव को ध्यान देने को कहता है। उसे दुःख है कि आज दुनिया केवल चमक-दमक देखती है किंतु उसके नीचे ठोस सत्य को कोई नहीं देखता। ठोस सत्य सदा शिवम् होता है किंतु वह सदा सुंदर हो यह जरूरी नहीं। सत्य कठोर होता है। कठोरता और भद्दापन एक साथ जन्म लेते हैं। लोग सदा कठोरता से
भागते हैं। भद्देपन से मुँह मोड़ते हैं इसलिए वे सत्य से दूर जाते हैं। Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 11 वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…. Textbook Exercise Questions and Answers. PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 11 वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….Hindi Guide for Class 9 PSEB वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…. Textbook Questions and Answers (क) विषय-बोध 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 3.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः-सात पंक्तियों में दीजिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. (ख) भाषा-बोध 1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए एकवचन – बहुवचन 2. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द 3. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय 4. पाठ में आए निम्नलिखित तत्सम शब्दों के तद्भव रूप तथा तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए तत्सम – तद्भव (ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. (घ) पाठेत्तर सक्रियता प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. (ङ) ज्ञान-विस्तार महादेवी वर्मा : महादेवी वर्मा हिंदी की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री है। हिंदी साहित्य के ‘आधुनिक काल’ की छायावादी कविता में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है। छायावाद की प्रायः रहस्यवादी, प्रकृति-चित्रण, काव्य-वेदना आदि सभी विशेषताएँ इनके काव्य में मिलती हैं। कवयित्री के साथ-साथ ये उत्कृष्ट लेखिका के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनकी ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’, ‘काव्य-संग्रह’ तथा ‘अतीत के चलचित्र’, ‘पथ के राही’, ‘मेरा परिवार’ आदि संस्मरण और रेखाचित्र प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। पंत : पंत जी का पूरा नाम ‘सुमित्रानंदन पंत’ है। इन्हें प्रकृति के रंग-भीने वातावरण ने अत्यधिक प्रभावित व प्रेरित किया। इनकी कविताओं में प्रकृति की अनुपम छटा के दर्शन स्वतः ही हो जाते हैं। इसीलिए इन्हें प्रकृति का सुकुमार (कोमल) कवि कहा जाता है। ‘उच्छ्वास’, ‘ग्रंथि’, ‘वीणा’, ‘चिदम्बरा’ आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं। निराला : निराला जी का पूरा नाम सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ है। हिन्दी-साहित्य में छायावादी काव्य परम्परा को आगे बढ़ाने वाले प्रसाद के बाद दूसरे कवि हैं। छायावादी कविता में वेदना का जो चित्रण व्यापक परिवेश में हुआ है, वह इनकी कविताओं में प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसके अतिरिक्त रहस्यवाद तथा प्रकृति चित्रण भी इनके काव्य की विशेषता है। तुलसीदास : भक्तिकालीन हिंदी-साहित्य में रामभक्त कवियों में तुलसीदास का स्थान सब से ऊपर है। यद्यपि इनके अतिरिक्त कई अन्य कवियों ने भी राम काव्य से सम्बन्धित रचनाएँ लिखीं किंतु तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ जैसी अभूतपूर्व सफलता किसी को नहीं मिली। इन्होंने ‘रामचरितमानस’ के माध्यम से राम कथा को घर-घर तक पहुँचाने का अनुपम कार्य किया। रवीन्द्रनाथ ठाकुर : रवीन्द्रनाथ ठाकुर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक के रूप में जाने जाते हैं। इनका जन्म 7 मई, सन् 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ। इनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर व माता का नाम शारदा देवी था। वे एशिया के प्रथम
नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उनकी काव्य रचना ‘गीतांजलि’ के लिए उन्हें सन् 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। वे एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्रगान-जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान-आमार सोनार बाँग्ला । इन्हें ‘गुरुदेव’ के नाम से भी जाना जाता है। 7 अगस्त, सन् 1941 को इनका निधन हो गया।
PSEB 9th Class Hindi Guide वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. Important Questions and Answers प्रश्न 1. प्रश्न 2. एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए प्रश्न 6. प्रश्न 7. सही-गलत में उत्तर दीजिए प्रश्न 8. प्रश्न 9. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें प्रश्न 10. प्रश्न 11. बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. कठिन शब्दों के अर्थ सिरहाने = सिर के पास। ख्याल = विचार। अव्यवस्थित = बिगड़ जाना, बिना किसी व्यवस्था के, ऊबड़-खाबड़। बेख़बर = जिसे कुछ न पता हो। [जाना = किसी आवाज़ से शोर करना। सुहाता = अच्छा लगना। वाणी = आवाज़। स्पर्श = छूना। सहसा = अचानक। उषा = सुबह। सरिता = नदी। गृह = घर। भोर = प्रात:काल। उपहार = भेंट। सेवा-निवृत्ति = रिटायरमेंट, कार्यकाल समाप्त होना। उपस्थित = हाज़िर। संवेदना = अनुभूति। कौतूहल = उत्सुकता। निशाचरी = रात को जागने वाली, राक्षसी। व्यसन = बुरी आदत। व्यवधान = बाधा। अभिनंदन = स्वागत। सृष्टि = संसार। व्यर्थ = बेकार। स्पंदन = कंपन, हिलना। नभचारिणी = आकाश में घूमने वाली। सौरभ = खुशबू। स्वर्णिम = सोने जैसी। अभिभूत = प्रभावित किया हुआ। शय्या = बिस्तर। अप्रतिम = अनोखा। वात्सल्य = प्यार। अवतरित = उतरती हुई। कृतज्ञता = अहसान। स्मृति = याद। वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. Summaryवह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. लेखक-परिचय जीवन-परिचय-गोविंद कुमार ‘गुंजन’ आधुनिक हिन्दी-साहित्य के प्रमुख साहित्यकार माने जाते हैं। उनका जन्म 28 अगस्त, सन् 1956 ई० में मध्य प्रदेश प्रांत के सनवाद में हुआ था। इन्होंने अंग्रेजी साहित्य में एम० ए० की परीक्षा पास की। इनकी साहित्य-प्रतिभा तथा साहित्य-साधना को देखते हुए सन् 1994 में प्रथम
समानांतर नवगीत अलंकार, सन् 2002 में अखिल भारतीय अम्बिका प्रसाद दिव्य प्रतिष्ठा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हिन्दी निबंध हेतु इन्हें सन् 2002 में निर्मल पुरस्कार प्रदान किया गया। सन् 2007 में इन्हें मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी का बाल कृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार देकर अलंकृत किया गया। रचनाएँ-रुका हुआ संवाद (कविता संग्रह), समकालीन हिन्दी गजलें (सहयोगी प्रकाशन), कपास के फूल, सभ्यता की तितली, पंखों पर आकाश, ज्वाला भी जलधारा भी। वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. कहानी का सार “वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…….” गोविंद कुमार गुंजन द्वारा रचित एक श्रेष्ठ कहानी है। लेखक ने अपनी इस कहानी के माध्यम से मनुष्य की आदत पर प्रकाश डालना चाहा है। लेखक ने कहानी में बताया है कि मनुष्य की आदत कभी नहीं बदलती किंतु कभी-कभी कुछ कारण ऐसे बन जाते हैं जिनके कारण मानव को अपनी आदतों में बदलाव लाना पड़ता है। लेखक को उस अलार्म घड़ी की आवाज़ अत्यंत मनमोहक लगती थी। आज महँगे-महँगे मोबाइल फ़ोन की आवाज़ उसे पहले के समान मधुर नहीं लगती। लेखक के बचपन में जब उसके पास घड़ी नहीं थी तो उसके पिता जी उससे कहा करते थे कि यदि तुम्हें सुबह जल्दी उठना हो तो अपने तकिए से कह दिया करो वह तुम्हें जल्दी उठा दिया करेगा। लेखक पिता द्वारा दी सीख का पालन करता था और तकिया उसे सुबह जल्दी उठा देता था। लेखक को सुबह जल्दी उठना पसंद नहीं था। वह देर रात तक पढ़ता था और सुबह देर से उठता था। उसने सुबह की सुंदरता का अनुभव कविताओं में किया था। आज दशकों बाद भी लेखक के पास वह अलार्म घड़ी है। अब घड़ी ठीक होने योग्य नहीं बची। लेखक भी अपनी आदत में कहाँ सुधार कर पाया। अस्सी के दशक में पहली बार लेखक की नौकरी लगी थी। पहली बार लेखक घर से बाहर आया था। उसने एक कमरा किराये पर ले लिया। कमरे में उसने महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला तथा तुलसी दास जी की तस्वीरें फ्रेम करवा कर टाँगी हुई थीं। रात में देर तक जागकर कविता लिखना लेखक को स्वर्ग में जीना लगता था। रात में देर तक जागने के कारण उसे सुबह जल्दी उठना अत्यंत कठिन होने लगा था। वह अक्सर देर से दफ्तर पहुँचता था। लेखक ने जो कमरा किराए पर लिया था उसमें मात्र एक दरवाज़ा था। कमरे में हवा आने-जाने का दरवाज़े के अतिरिक्त अन्य कोई दूसरा रास्ता न था। पहले की तरह तकिया – अब लेखक की बात नहीं सुनता था। लेखक अपनी किताबों की दुनिया में खोया इतना बेख़बर था कि एक चिड़िया ने कब उसके कमरें में टंगी पंत जी की तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बना लिया उसे पता ही नहीं चला। देर शाम को चिड़िया दरवाज़ा खुला पाकर कमरे में आ जाया करती थी। एक सुबह चिड़िया लेखक के सिरहाने बैठ कर चीं-चीं की ध्वनि कर उसे उठाने का प्रयास कर रही थी। उसकी ध्वनि में लेखक को गुस्सा नज़र आ रहा था। वह चाहती थी कि लेखक उठकर दरवाज़ा खोले और वह बाहर जाए। दूसरे दिन लेखक की नींद फिर देर से खुली। इस बार फिर चिड़ियाँ की झुंझलाहट भरी चहचहाहट ने उसे जगा दिया। पलंग के सिरहाने बैठी चिड़िया उसे देखकर नाराज़ हो रही थी कि वह अभी तक क्यों सोया है ? तब चिड़िया ने अपनी चोंच से लेखक की रज़ाई का एक कोना पकड़ उसे उठाने का प्रयास किया। ऐसा करने से चिड़िया को तनिक भी डर नहीं लग रह था। चिड़िया द्वारा इस प्रकार से जगाने पर लेखक को अपनी माँ की याद आ जाती थी। उसकी माँ भी इसी प्रकार सुबह-सवेरे जल्दी उठाती थी। अब लेखक ने वास्तव में सुबह सवेरे का सुंदर दृश्य अपनी आँखों से महसूस किया। उसने अब चिड़िया के साथ जल्दी उठना सीख लिया था। आज भी लेखक उस वात्सल्यमयी चिड़िया के उस उपकार को बहुत कृतज्ञता से महसूस करता जिसने उसे सुबह की मनोरम तथा मनमोहक छवि के दर्शन कराए और उपहार में ओस के मोती तथा नए खिलने वाले फूल दिखाए। Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 10 Gravitation Textbook Exercise Questions and Answers. PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 10 GravitationPSEB 9th Class Science Guide Gravitation Textbook Questions and Answers Question 1. Therefore, force of attraction will become four times when the distance between the two objects is reduced to half. Question 2. Question 3. Question 4. Question 5. Question 6.
Answer: i.e. the force becomes four times the original force. Question 7.
Question 8. Question 9. Question 10. Answer: The value of g at the equator is less than that at the poles. Hence, the few gm of gold at poles will measure less when taken to the equator. Therefore, the friend will not agree with the weight of the gold bought. Question 11. Increased force of friction will reduce the forward driving force due to gravity. Hence sheet of paper falls slower than one that is crumbled into a ball. Question 12. Question 13. ∴ Total time taken to return to earth = Time for upward journey + Time for downward journey = t + t = 2 t = 2 × t = 2 × 5 s = 10 s Question 14. Question 15. Question 16. Question 17. Height of the tower = 100 m Suppose a stone is allowed to fall from point A at the top of tower and another stone is projected vertically upward from point C. Let us suppose that these two stones meet at point B after ‘t’ seconds. Distance covered by first stone (AB) = x ∴ Distance covered by second stone (CB) = (100 – x) Downward Journey of first stone u = 0 g = + 10 m s-2 (S) = x metres using S = ut + \(\frac {1}{2}\)gt2 x = 0 × t + \(\frac {1}{2}\) × 10 × t2 x = 0 + 5 × t2 ⇒ t2 = \(\frac {x}{5}\) …………..(1) Upward journey of second stone u = 25 ms-1 (S) = (100 – x) metres g = – 10 m s-2 using S = ut + \(\frac {1}{2}\)gt2 (100 – x) = 25 × t + \(\frac {1}{2}\)(-10) × t2 (100 – x) = 25t – 5t2 or 5t2 = 25t – 100 + x From (1) and (2) \(\frac {x}{5}\) = \(\frac {25t-100+x}{5}\) or x = 25t – 100 + x 0 = 25t – 100 25t = 100 ∴ t = \(\frac {100}{25}\) = 4s Now substituting the value of t = 4s in (1) (4)2 = \(\frac {x}{5}\) 16 = \(\frac {x}{5}\) ∴ x = 16 × 5 = 80 m i.e. the first stone will cover a distance of 80 m in the downward direction, and second stone will cover upward distance = 100 – x = 100 – 80 = 20 m Question 18.
Solution: ∴ Height of the ball from the thrower = (44.1 – 4.9) m = 39.2 m Question 19. Question 20. Question 21. Question 22. Science Guide for Class 9 PSEB Gravitation InText Questions and Answers Question 1. If
m1 and m2 are the masses of two objects lying distance d apart, then force F between them is: Question 2. Let ‘m’ be the mass of object on the earth and the mass of earth be ‘M’. If ‘R’ is the radius of the earth, then the formula for gravitational force between earth and object is: F = \(\frac{\mathrm{Gm} M}{R^{2}}\) Since the size of the object is very small as compared to that of the earth, therefore distance between centre of object and centre of the earth is taken to be equal to radius of the earth. Question 3. Question 4. Question 5.
Question 6. Question 7. Question 8. Question 9. When the object has a density of more than 1 gem-3, then it sinks in water, because, it always displaces less weight of water than its own weight. As buoyant force is less than its own weight, therefore, it sinks. Question 10. Question 11. Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 साए Textbook Exercise Questions and Answers. PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 10 साएHindi Guide for Class 9 PSEB साए Textbook Questions and Answers (क) विषय-बोध 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए प्रश्न
1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः-सात पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 4. निम्नांकित कथनों के भावार्थ स्पष्ट करो
उत्तर:
(ख) भाषा-बोध 1. निम्नलिखित शब्दों के लिंग बदलिए पुल्लिंग – स्त्रीलिंग 2. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द 3. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय 4. निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए तद्भव – तत्सम (ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रश्न 1. प्रश्न
2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. (घ) पाठेत्तर सक्रियता 1. ‘सच्ची मित्रता’ पर कुछ सूक्तियाँ चार्ट पर लिखकर कक्षा में लगाइए। (ङ) ज्ञान-विस्तार 1. केन्या (कीनिया)-केन्या गणतन्त्र पूर्वी अफ्रीका में स्थित एक देश है। भूमध्य रेखा पर हिन्द महासागर से सटे हुए इस देश की सीमा उत्तर में इथोपिया, उत्तर-पूर्व में सोमालिया, दक्षिण में तन्जानिया, पश्चिम में युगांडा और विक्टोरिया झील और उत्तर पश्चिम में सूडान से मिलती है। देश की राजधानी नैरोबी है। राजभाषाएँ स्वाहिली और अंग्रेज़ी हैं। PSEB 9th Class Hindi Guide साए Important Questions and Answers प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए प्रश्न 6. प्रश्न 7. सही-गलत में उत्तर दीजिए प्रश्न 8. प्रश्न 9. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें प्रश्न 10. प्रश्न 11. बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. कठिन शब्दों के अर्थ रुग्ण = बीमार। सुदूर = बहुत दूर। विलम्ब = देरी। चन्द दिनों = थोड़े दिनों। परवरिश = पालन-पोषण। रुलाई भरी = आँसुओं से भरा। अबोध = अनजान, नासमझ। टाइपराइटर = टाइप करने की मशीन। स्वाभाविक = बिना किसी बनावट के। निपट अकेले = एक दम अकेले। अम्मा = माँ। हिदायतें = सीख। ब्याह = शादी, विवाह । अक्षरशः = ज्यों-का-त्यों। अड़चन = मुश्किल। अव्वल = प्रथम। विवशता = मजबूरी। स्थगित करना = टाल देना। वज़ीफ़ा = छात्र-वृत्ति। निगाहें = नज़रें। मर्मस्पर्शी = दिल को छू लेने वाला। स्थगित = कुछ समय के लिए रोक देना। अबाध = बाधा रहित, बिना रुकावट। आबोहवा = जलवायु। प्रत्युत्तर = जवाब में। अकस्मात् = सहसा, अचानक। उत्कंठा = प्रबल इच्छा। इंगित = इशारा। भँवर = लहरों का चक्कर। असमंजस = दुविधा। असुरक्षा = सुरक्षा का अभाव। बीहड़ = ऊबड़-खाबड़। सरसब्ज़ = हरा-भरा। साए Summaryसाए लेखक-परिचय जीवन परिचय- श्री हिमांशु जोशी बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार हैं। उन्होंने गद्य की विविध विधाओं की रचना कर हिन्दी-साहित्य में एक विशेष स्थान प्राप्त किया है। उनका जन्म कुमाऊँ के पर्वतीय अंचल में 4 मई, सन्
1935 ई० में हुआ। यहीं उनका बचपन व्यतीत हुआ। उनकी शिक्षा दीक्षा नैनीताल तथा दिल्ली में सम्पन्न हुई। बचपन से ही लेखन के प्रति उनकी रुचि थी। इसी रुचि के विकास ने उन्हें हिन्दी-साहित्य में ला खड़ा किया। उनकी पहली कहानी सन् 1954 ई० में प्रकाशित हुई। जोशी जी ने पत्रकारिता तथा स्वतन्त्र लेखन को अपनी जीविका को आधार बनाया। वे साप्ताहिक हिन्दुस्तान के विशेष संवाददाता के कार्यभार को सम्भाले हुए हैं। साहित्यिक विशेषताएँ-सहजता, सरलता तथा स्वाभाविकता हिमांशु जोशी की रचनाओं की उल्लेखनीय विशेषताएँ हैं। इन गुणों के कारण इनका साहित्य पाठकों की रुचि का विषय बन गया है। कुमाऊं का पर्वतीय अंचल इनकी रचनाओं में बड़े प्रभावशाली ढंग से चित्रित हुआ है। इनके उपन्यास सुराज पर कला फ़िल्म भी बन चुकी है। कगार की आग, कोई एक मसीहा, छाया मत छूना, मन का सफल मंचन भी हो चुका है। दिल्ली अकादमी ने उन्हें उनके कहानी-संग्रह पर पुरस्कृत किया
है। हिन्दी संस्थान, उत्तर प्रदेश ने भी उन्हें छाया मत छूना मन, मनुष्य, चिह्न तथा अरण्य के लिए सम्मानित किया है। हिमांशु जी की कुछ रचनाओं का भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी, चीनी, जापानी आदि भाषाओं में अनुवाद हुआ है। कहानी का सार/प्रतिपाद्य ‘साए’ नामक कहानी कथा-शिल्पी हिमांशु जोशी द्वारा रचित एक श्रेष्ठ रचना है। यह एक चरित्र प्रधान कहानी है। यह कहानी अत्यंत मर्मस्पर्शी है। आधुनिक युग में धन लोलुपता के कारण तथा स्वार्थपरता के कारण आज मनुष्य अपने आदर्शों से हटता जा रहा है। किन्तु आज भी समाज में ऐसे बहुत-से लोग हैं जो स्वार्थपरता से कहीं ऊपर हैं। उन्हें आज भी आदर्श प्यारे हैं। मित्र को दिए वचन को निभाने के लिए सारा जीवन बिताने को तैयार हैं। एक बीमार शरीर अपने दो नन्हें-नन्हें बच्चों को लेकर उम्मीद भरी आँखों से प्रतिदिन डाकिए की प्रतीक्षा किया करती थी। वह अफ्रीका में गए अपने पति के पत्र की प्रतीक्षा में रोज़ पलकें बिछाए बैठी रहती थी। लेकिन डाकिया था कि आता ही नहीं था। बहुत दिनों के बाद एक पत्र आया जिस पर रंग-बिरंगी टिकटें लगी थीं। पत्र नैरोबी के एक अस्पताल से आया था। पत्र बड़ा ही अजीब था जो करुणा और दर्द से भरा हुआ था। पत्नी ने पत्र पढ़ना शुरू किया। पत्र उसके पति का था। पति ने पत्र में लिखा था कि रंगभेद के कारण उसे यूरोपियन लोगों के अस्पताल में जगह नहीं मिल पाई। उसकी हालत काफ़ी गंभीर थी। इलाज में देरी के कारण रोग काबू से बाहर हो गया था। काफ़ी मेहनत तथा सिफ़ारिश लगवाने पर अस्पताल में भर्ती कर लिया गया हूँ। तुम्हारी और बच्चों की सोच दिन-रात सताती रहती है। पत्नी पत्र पढ़तेपढ़ते रोती जा रही थी। नन्हें अबोध बालक माँ को आँसू भरे नेत्रों से देखते जा रहे थे। पत्नी ने पति की सूचना के लिए कई पत्र तथा तार डाले। कुछ दिनों के बाद उन्हें केन्या की मोहर लगा एक विदेशी लिफाफा मिला। पत्र उसके पति का था। अब उसकी हालत में काफ़ी सुधार था। पत्र के साथ उसने कुछ रुपए भी भेजे थे। बीमार पत्नी का स्वास्थ्य अब ठीक होने लगा था। बच्चों के मुरझाए चेहरे खिल उठे थे। पत्रों का आदान-प्रदान नियमित रूप से हो रहा था। पति की ओर से अब बड़े ही अच्छे पत्र आने लगे थे। सभी परिवार वाले खुश थे। घर वाले चाहते थे कि विदेश गया उनका पिता, पति कुछ समय के लिए स्वदेश आ जाए। बच्चे पिता को देखना चाहते थे। पत्नी-पति के दर्शन करना चाहती थी। पत्नी पत्र में पति को लिखकर बताती थी कि उनके द्वारा दी गई सभी नसीहतों को बच्चे अच्छे से मानते हैं। समय पर पढते हैं। पुत्र के बारे में बताते हुए वह कहती है कि अज्जू बड़ा होकर आपकी तरह ही अफ्रीका जाएगा। अब अजू पूरे बारह साल का हो गया है। तनु अठारह साल पूरे कर चुकी है। पति की ओर से पत्र आया। उसमें लिखा था कि वह अभी नहीं आ पाएगा। अगले वर्ष तनु की शादी पर ज़रूर आ जाएगा। उसने यह भी लिखा की स्वदेश में ही तनु के लिए वर की तलाश करना। वर ढूँढ़ने में अधिक कठिनाई नहीं हुई। शायद इसलिए कि वर पक्ष के लोगों को लग रहा था कि पिता अफ्रीका में है। रुपए पैसे की कोई परेशानी न होगी। आखिरकार शादी का दिन आ गया। शादी भी हो गई, किन्तु तनु के पिता जी नहीं आए। उन्होंने कपड़े, जेवर, रुपए भेज दिए थे। विवाह के बाद तनु के विवाह के चित्र अफ्रीका में भेज दिए गए। अजू ने भी इनाम में मिली सारी वस्तुओं के फोटो अपने पापा को अफ्रीका भेजे। पिता ने भी पत्र के उत्तर में एक कैमरा, एक गर्म सूट का कपड़ा तथा घड़ी भेज दी। पिता के स्वदेश न आने पर बच्चों ने इच्छा जताई की वे ही अफ्रीका आ जाएँ तब उत्तर यह मिला कि उनका कोई एक ठिकाना नहीं है इसलिए यहाँ आना बेकार है। एक दिन ऐसा भी आया जब अजू ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली। वह नौकरी की तालाश में लग गया। पिता के स्वदेश न आने पर उसने स्वयं अफ्रीका जाने का प्रबन्ध कर लिया। शीघ्र ही वह पत्र में लिखे पते पर अफ्रीका में जा पहुँचा। शाम को एक वृद्ध ने घर का ताला खोला। वृद्ध ने अज्जू से उसका परिचय पूछा और अज्जू को अपनी बाँहों में भर लिया। भोजन करने के बाद उन्होंने दीवार पर लगी एक तस्वीर दिखाई जिसे देखकर अजू ने कहा कि, वह उसकी अपनी फोटो है। यह सुनकर वृद्ध व्यक्ति ज़ोर से हँसा और बोला बेटा यह तुम इतने बड़े हो गए। अज्जू के चेहरे की ओर देखते हुए उन्होंने कहा कि-तुम शायद नहीं जानते, तुम्हारे पिता का मैं कितना जिगरी दोस्त हूँ। मैं और तुम्हारे पिता एक साथ रहते थे। हम दोस्त की तरह नहीं अपितु सगे भाइयों की तरह थे। उन्होंने ही मुझे हिन्दुस्तान से यहाँ अफ्रीका बुलाया था। कुछ देर मौन रहने के बाद वृद्ध ने अज्जू से कहा कि कभी-कभी हमें तिनको का सहारा छोड़कर उनके साए में जीना पड़ता है। वृद्ध ने खाँसते हुए अज्जू से बताया कि बेटा तुम ही सोचो कि आज तुम्हारे पिता की मृत्यु आज से 10-15 वर्ष पहले हो जाती तो तुम्हारा क्या होता। तुम अनाथ हो गए होते। तुम्हारी माँ मर चुकी होती। आज जो तुम हो वह न बन पाते। अजू को समझाते हुए वृद्ध ने कहा कि हम जीवन में कभी-कभी सहारे की एक अदृश्य डोर से अपना जीवन व्यतीत कर जाते हैं। इतना कहते ही उनका गला भर आया। उन्होंने अज्जू को बताया कि उसके पिता का देहांत उसके बचपन में ही हो गया था। वह ही साझे के कारोबार से अज्जू के पिता के हिस्से के पैसे उन्हें लगातार भेजता रहा था। अब तुम बड़े हो चुके हो। अब तुम इस कारोबार को संभाल लो। मैंने तुम्हारे पिता को दिया अपना वचन पूरा कर दिया। इतना कहते हुए वृद्ध की आँखें आँसुओं से भर आईं। पर्वतारोहण में उपयोगी सामग्री क्या है?पर्वतारोही अपने साथ ऑक्सीज़न सिलेंडर, खाने का डिब्बा, पानी की बोतल, रस्सी, हुक, प्लास्टिक शीट, डायरी, टार्च, विंड शीटर, स्लीपिंग बैग, दस्ताने, कीलें, खूटे, कुदाल, नुकीले जूते, नुकीली छड़ आदि अपने साथ ले जाते होंगे।
पर्वतारोहण कितने प्रकार का होता है?पर्वतारोहण की शुरुआत सदा से अविजित पर्वत शिखरों पर विजय पाने की महत्वाकांक्षा के कारण हुई थी और समय के साथ इसकी 3 विशेषज्ञता वाली शाखाएं बन कर उभरीं हैं: चट्टानों पर चढ़ने की कला, बर्फ से ढके पर्वतों पर चढ़ने की कला और स्कीइंग की कला.
पर्वतारोहण के लिए कौन से उपकरण हैं?प्लेट प्रकार जुम्मर, डेसकेंडर, लैडर आइस वॉल क्लाइम्बिंग, लैडर क्रेवास क्रॉसिंग, आइस पिटोन, पुली, स्लेज इवैक्यूएशन (FRP), अटैचमेंट कॉजेलिटी क्लीयरेंस रॉड हिमस्खलन सियाचिन और पूर्वी थिएटर के उच्च दृष्टिकोण क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए सफलतापूर्वक विकसित किया गया था और इसे पेश किया गया था।
पर्वतारोहण में काम आने वाले औजार कौन कौन से हैं?यह हैं पर्वतारोहण से संबंधित चीजें :-. नाईलोन की मज़बूत रस्सी. ऑक्सीजन सिलिंडर. कीलवाले जूते. कुल्हाड़ी. दूरबीन. पोर्टेबल कैम्पिंग तम्बू. बर्फ तोड़ने के लिए एक तरह का खास हथौड़ा (आईस एक्स). |