डूबे बिना नहाने वालों में कौन सा अलंकार है - doobe bina nahaane vaalon mein kaun sa alankaar hai

विषयसूची

  • 1 दीपों के बुझ जाने से क्या नहीं मरा करता *?
  • 2 दर्पण नहीं मरा करता का क्या अर्थ है?
  • 3 डूबे बिना नहाने वालों में कौन सा अलंकार है?
  • 4 माला के बिखर जाने से कैसे समस्या हल हो जाती है?
  • 5 नयन सेज पर कौन सा अलंकार है?
  • 6 नयन सेज में कौन सा अलंकार है?

दीपों के बुझ जाने से क्या नहीं मरा करता *?

इसे सुनेंरोकेंकुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है। कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है। कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है।

दर्पण नहीं मरा करता का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंजावन नहीं मरा करता है -गोपालदास सक्सेना ‘नीरज’ (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र २२-२४) । ता का परिचय : जीवन में एक बार असफल हो जाने का यह अर्थ कभी नहीं होता कि जीवन समाप्त हो गया। हमें निराश न होकर फिर से प्रयास करना चाहिए।

सपना क्या है नयन सेज पर सोया हुआ आँख का पानी?

इसे सुनेंरोकेंसपना क्या है, नयन सेज पर सोया हुआ आँख का पानी और टूटना है उसका ज्यों जागे कच्ची नींद जवानी गीली उमर बनाने वालो, डूबे बिना नहाने वालो कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है।

जीवन नहीं मरा करता है कविता के कवि कौन है?

इसे सुनेंरोकेंनीरज ने लरजते होठों से मोहब्बत का मुकाम अपनी रचनाओं में जो हासिल किया है वह लाजवाब है। प्रेम को गर्व का मानक देने वाले नीरज की इस कविता में आशा का दीपक जल रहा हैं। अाप भी पढ़िए। कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।

डूबे बिना नहाने वालों में कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकेंquestion. ‘छिप छिप अश्रु बहाने वालों मोती व्यर्थ लुटाने वालों’ में “पुनरुक्ति प्रकाश” अलंकार है।

माला के बिखर जाने से कैसे समस्या हल हो जाती है?

इसे सुनेंरोकेंइस कविता में कवि ने मनुष्य को आगे बढ़ने के बारे में बताया है यदि जीवन में कुछ मुश्किलें आ जाए तो जीवन नहीं मर करता | कुछ मुसीबतें आ जाने से , जीवन नहीं मर करता | माला के टूट जाने से कुछ नहीं होता समय के साथ समस्या खुद ही हल हो जाती है| .

दर्पण नहीं मरा करता है के माध्यम से कवि क्या करना चाहता है?

इसे सुनेंरोकें’जीवन मरा नहीं करता’ इस कविता का आशय यह है कि मनुष्य को जीवन से हार नहीं माननी चाहिए। मनुष्य को सदैव आशावादी दृष्टिकोण अपनाते हुए प्रयास करते रहना चाहिए। जैसे रात उतार चाँदनी पहने सुबह धूप की धोती।

जीवन के सपने समाप्त होने से क्या समाप्त नहीं होता?

इसे सुनेंरोकेंजीवन के सपने समाप्त होने से क्या समाप्त नहीं होता? Answer: जीवन के सपने समाप्त होने से जीवन समाप्त नहीं होता।

नयन सेज पर कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकेंस्पष्टीकरण–उपर्युक्त उदाहरण में आँखों (उपमेय) पर मछली (उपमान) का आरोप, रूप (उपमेय) पर जल (उपमान) के आरोप के कारण किया गया है; अतः यहाँ ‘परम्परित रूपक’ अलंकार है। (क) सेज नागिनी फिरि फिरि डसी।

नयन सेज में कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकें✎… नीरज नयन नेह-जल बाढ़े। ​ इस पंक्ति में ‘अनुप्रास अलंकार’ है, क्योंकि इस काव्य पंक्ति में ‘न’ वर्ण की तीन बार आवृत्ति हुई है। इस पंक्ति के नीरज, नयन, नेह इन तीन शब्दों में ‘न’ वर्ण एक बार से अधिक बार आवृत्ति हुई है।

चिप चिप में कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकेंस्पष्टीकरण: इस पंक्ति में ‘छिप छिप’ शब्द की दो बार लगातार आवृत्ति हुई है। ‘पुनरुक्ति प्रकाश’ अलंकार में किसी शब्द की लगातार दो बार आवृत्ति होती है। दोनों बार शब्द का अर्थ समान ही होता है।

छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है।

सपना क्या है, नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है।

माला बिखर गयी तो क्या है
खुद ही हल हो गयी समस्या
आँसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या
रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों
कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है।

खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चांदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वालों! चाल बदलकर जाने वालों!
चन्द खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।

लाखों बार गगरियाँ फूटीं,
शिकन न आई पनघट पर,
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं,
चहल-पहल वो ही है तट पर,
तम की उमर बढ़ाने वालों! लौ की आयु घटाने वालों!
लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।

लूट लिया माली ने उपवन,
लुटी न लेकिन गन्ध फूल की,
तूफानों तक ने छेड़ा पर,
खिड़की बन्द न हुई धूल की,
नफरत गले लगाने वालों! सब पर धूल उड़ाने वालों!
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है!

                
                                                                                 
                            छिप-छिप अश्रु बहाने वालो ! 
                                                                                                
                                                     
                            
मोती व्यर्थ बहाने वालो !
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।

सपना क्या है? नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी,
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालो।
डूबे बिना नहाने वालो !
कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।

माला बिखर गयी तो क्या है
ख़ुद ही हल हो गई समस्या,
आँसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या,
रूठे दिवस मनाने वालो !
फटी कमीज़ सिलाने वालो !
कुछ दीपों के बुझ जाने से आँगन नहीं मरा करता है।

खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी ।
जैसे रात उतार चाँदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वालो !
चाल बदलकर जाने वालो !
चन्द खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।

लाखों बार गगरियाँ फूटीं
शिकन न आई पनघट पर
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं
चहल-पहल वो ही है तट पर
तम की उमर बढ़ाने वालो
लौ की आयु घटाने वालो
लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।

लूट लिया माली ने उपवन
लुटी न लेकिन गन्ध फूल की,
तूफ़ानों तक ने छेड़ा पर
खिड़की बन्द न हुई धूल की,
नफ़रत गले लगाने वालो !
सब पर धूल उड़ाने वालो !
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है।

- गोपालदास नीरज

साभार - नीरज संचयन, भारतीय ज्ञानपीठ

1 year ago