क्षेत्र में प्रखंड का वह क्षेत्र शामिल नहीं होगा, जो किसी नगर निगम, नगरपालिका, अधिसूचित क्षेत्र या कैन्टोनमेंट बोर्ड के अंतर्गत आता है। पंचायत समिति का गठन इसका गठन निम्नलिखित से मिलकर... Show
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 22 Oct 2010 11:20 PM हमें फॉलो करें ऐप पर पढ़ें क्षेत्र में प्रखंड का वह क्षेत्र शामिल नहीं होगा, जो किसी नगर निगम, नगरपालिका, अधिसूचित क्षेत्र या कैन्टोनमेंट बोर्ड के अंतर्गत आता है। पंचायत समिति के प्रादेशिक क्षेत्रों के मुखियों का एक बटा पांचवा भाग चक्रानुक्रम से एक वर्ष के लिए लॉट निकालकर निर्धारित किया जाएगा। परन्तु कोई मुखिया जो पंचायत समिति के अधीन एक अवधि के लिए सदस्य है, दूसरे अवधि के लिए सदस्य नहीं होगा। पंचायत समिति क्षेत्र के अंतर्गत एक विशिष्ट व्यक्ति, जिसे राज्य सरकार मनोनीत करे। पंचायत समिति के कार्य पंचायत समिति क्षेत्र के विकास के लिए वार्षिक योजना तैयार कर उसे जिला परिषद को सौंपना। पंचायत समिति का वार्षिक बजट तैयार करना। प्राकृतिक संकट में रिलीफ की योजना बनाकर उसका कार्यान्वयन। कृषि, बागवानी, बीज फार्मा एवं कीटनाशी दवाओं का भंडारण एवं वितरण। भूमि विकास, भूमि सुधार एवं भू संरक्षण तथा लघु सिंचाई में सरकार एवं जिला परिषद को सहायता करना। मत्स्य पालन का समेकित विकास एवं मार्केटिंग, दूध उद्योग मुर्गी पालन एवं सुअर पालन को प्रोन्नति। सामाजिक, कृषि वानिकी एवं रेशम उत्पादन का समेकित विकास। ग्रामीण, कुटीर, कृषि एवं वाणिज्यिक उद्योगों के विकास में सहायता करना। ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं की व्यवस्था, मरम्मत एवं अनुरक्षण करना। दो या दो सेअधिक ग्राम पंचायतों के लाभ के लिए ग्रामीण सड़कों, पुल पुलिया एवं नालियों का निर्माण। सौर ऊर्जा संचालित उपकरणों को अनुदानित दर पर उपलब्ध कराना, वायोगैस संयंत्र का विकास करना। खेलकूद एवं सांस्कृतिक कार्यकलापों के प्रोत्साहित करना तथा ग्रामीण क्लबों की स्थापना में सहायता। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कार्यक्रमों का समेकित विस्तार। सड़क, तालाब, कुंओं की सफाई, सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण समाज के कमजोर वर्गों खासकर एससी,एसटी के विकास के लिए समेकित योजनाओं का निर्माण एवं कार्यान्वयन। वृद्ध, आसक्त लोगों के लिए पेंशन की व्यवस्था में पंचायतों को सहायता। ग्राम पंचायतों के क्रियाकलापों का समन्वय एवं मूल्यांकन एवं मार्गदर्शन करना। केन्द्र, राज्य सरकार या जिला परिषद के द्वारा सौंपी गयी स्कीमों के निष्पादन को सुनिश्चित करना। अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत समिति को अतिरिक्त शक्तियां दी गयी हैं। www.gaonswaraj.in ग्रामपंचायत की समितियां - दोस्तों ग्रामपंचायत गाँव की कार्यपालिका अर्थात मन्त्रिमण्डल होती है और पंचायत समितियां एक प्रकार का मंत्रालय होती हैं जो ग्राम पंचायत के 29 विषयों (कार्यों) के क्रियान्वयन के लिये बनाई जाती हैं ताकि ग्राम पंचायत सहभागिता एवं जनभागीदारी के साथ सुचारू रूप से कार्य कर सके । ग्रामपंचायत समितियों का इतिहास - 73 वें संविधान संशोधन द्वारा जब पंचायतों को संवैधानिक स्वरूप प्रदान किया गया तब पंचायतीराज अधिनियम की धारा 29 में ग्राम समितियों को संगठित करने की बात कही गयी है परंतु अधिनियम में समितियों के गठन की विस्तृत रूपरेखा नहीं प्रस्तुत की गई है।अधिनियम में राज्यों को ग्राम पंचायत समितियों के गठन के सम्बन्ध में अधिसूचना के द्वारा ग्रामपंचायतों को निर्देशित करने की बात कही गयी है पंचायतों को संवैधानिक स्वरूप प्राप्त होने के बाद उत्तर प्रदेश में 1995 में ग्राम पंचायत के चुनाव सम्पन्न हुये ।परन्तु 4 वर्ष तक ग्राम पंचायतें समितियों के बिना ही कार्य करती रहीं ।1999 में जब ग्राम पंचायतों का कार्यालय लगभग समाप्त होने वाला था तब उत्तप्रदेश सरकार ने 29 जुलाई 1999 को ग्राम पंचायतों में समितियों के गठन सम्बन्धी अधिसूचना जारी की।परन्तु अभी भी ग्रामपंचायत समितियों के गठन सम्बन्धी नियमावली की आवश्यकता थी।सरकार ने 13 सितम्बर 2002 को ग्रामपंचायत समिति सम्बन्धी नियमावली जारी की । जिसमे समितियों के गठन से सम्बंधित आवश्यक बातों का विस्तार से उल्लेख किया गया।उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत समितियों का गठन 2002 की नियमावली के अनुरूप होता है। नियमावली के प्रमुख बिंदु -
ग्राम पंचायत समितियां क्या होती हैं- ग्राम पंचायत समितियां एक तरह से मंत्रालय होते हैं ।समिति को प्राप्त विषय या विभाग को उसका मंत्रालय कहते हैं मंत्रालय अर्थात समिति उस विषय या विभाग पर कार्य करती है और अपनी रिपोर्ट विधायिका अर्थात ग्रामसभा को सौंपती है ।ग्रामसभा में चर्चा उपरांत क्रियान्वयन हेतु कार्यपालिका अर्थात ग्राम पंचायत के समक्ष प्रस्तुत की जाती है । दोस्तों आप सभी जानते हैं कि 73 वें संविधान संशोधन द्वारा ग्राम पंचायतों को 29 विषय प्रदान किये गए हैं जिनपर ग्राम पंचायत सहभागिता ,जनभागीदारी के आधार पर समस्याओं का चिंन्हीकरण करती है ,योजना बनाती है ,प्राप्त संसाधनों के आधार पर प्रत्येक योजना के लिये बजट स्वीकृत करती है और योजनाओं का क्रियान्वयन करती है।ग्राम पंचायत योजनाओं का क्रियान्वयन इन्ही समितियों के माध्यम से ही करती है। ग्राम पंचायत के 29 विषय कौन से होते हैं जानने के लिये नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें- ग्राम पंचायत के 29 विषय ग्रामपंचायत में कितनी समितियां होती हैं एवं उनके नाम- उत्तरप्रदेश में ग्राम पंचायत समितियों की संख्या 6 निर्धारित की गई है ।कुछ राज्यों में 6 से अधिक ग्राम पंचायत समितियों का प्रावधान है।बिहार राज्य में ग्राम पंचायत की 8 समितियां होती हैं। उत्तर प्रदेश में निम्नलिखित 6 समितियां होती हैं
दोस्तों आइये प्रत्येक समिति के बारे में विस्तार से जानते हैं नियोजन एवं विकास समिति -नियोजन एवं विकास समिति छः समितियों में से एक महत्वपूर्ण समिति होती ।यह समिति अन्य समितियों के नियोजन में भी सहयोग करती है। नियोजन एवं विकास समिति का गठन -इस समिति का निर्माण या गठन कुल 7 सदस्यों से होता जो इस प्रकार है
नियोजन एवं विकास समिति के कार्य-
2. शिक्षा समिति-यह समिति ग्राम पंचायत की शिक्षा व्यवस्था की निगरानी करती है । शिक्षा समिति का गठन -
शिक्षा समिति के कार्य -
3. निर्माण कार्य समितिनिर्माण समिति एक महत्वपूर्ण समिति होती है।यह एक तरह से ग्राम पंचायत द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण करती है।आइये इसके गठन और कार्य के बारे में जानते हैं- निर्माण समिति का गठन -
निर्माण समिति के कार्य -
4. स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति -यह समिति ग्राम पंचायत में स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्य देखती है स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति का गठन -
स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति के कार्य-
5. प्रशासनिक समिति -यह समिति प्रशासन सम्बन्धी कार्य देखती है। प्रशासनिक समिति का गठन -
प्रशासनिक समिति के कार्य -
6. जल प्रबंधन समिति -
यह समिति ग्राम पंचायत में सुरक्षित जल व्यवस्था की देख रेख करती है। जलप्रबंधन समिति का गठन -
जलप्रबंधन समिति के कार्य -
नोट -
दोस्तों उपर्युक्त छः समितियों के द्वारा ही ग्राम पंचायत अपना कार्य करती है। पंचायतीराज अधिनियम में उपर्युक्त छः समितियों के अतिरिक्त अन्य कुछ समितियों का भी प्रावधान है।जिनमे से से संयुक्त समिति एवं भूमि प्रबंधन समिति महत्वपूर्ण हैं संयुक्त समिति -उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधिनियम की धारा 30 में संयुक्त समिति का उल्लेख किया गया है।इसमें बताया गया है कि दो या दो से अधिक ग्राम पंचायतें समान अभिरुचि के विषय पर कार्य करने के लिये एक संयुक्त समिति का गठन कर सकती हैं। भूमि प्रबंधन समिति -उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधिनियम की धारा 28 में भूमि प्रबंधन समिति का उल्लेख किया गया है।यह समिति ग्राम पंचायत की भू- सम्पदा ,वन संपदा आदि की देख रेख करती है।इस समिति का सभापति ग्रामप्रधान होता है एवं सचिव लेखपाल होता है। जमीनी हकीकत -पंचायतीराज कानून में जो बातें लिखीं जिस दिन वह जमीन पर उतर आएंगी उस दिन पंचायतीराज अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट होगा और गाँधी जी के ग्राम स्वराज का सपना साकार होगा।
दोस्तों पंचायतीराज व्यवस्था की जमीनी हकीकत से आपसब परिचित होंगें।आपसब जानतें होंगें की ग्राम पंचायत किस तरह से कार्य करती है।आज पंचायतीराज व्यवस्था एक व्यक्ति अर्थात प्रधान केंद्रित व्यवस्था बनकर रह गयी है।जहाँ प्रधान सर्वेसर्वा होता है और बाकि ग्रामपंचायत सदस्य व ग्राम सभा सदस्य गौण।जबकि पंचायतीराज कानून गाँव की सरकार के लिये जनसहभागिता व जनभागीदारी के महत्व को जोर देता है। आज हकीकत यह है कि समितियों का गठन तो होता है पर वह सिर्फ कागजों पर।पंचों अर्थात वार्ड मेम्बरों को तो पता ही नहीं होता है कि वह किस समिति के सदस्य हैं या किस समिति में सभापति।आज समितियां मात्र औपचारिकताएं भर हैं और कुछ नहीं। दोस्तों यदि आप पंचायतीराज के वास्तविक स्वरूप को साकार करना चाहतें तो आप अपने ग्राम सभा के जागरूक सदस्य बनिये।पंचायत से प्रश्न करिए।पंचायतीराज व्यवस्था की मूल आत्मा जो कानून की किताबों में दब गई है भ्रष्ट अधिकारियों एवं प्रतिनिधियों ने कुचल दी है , उसे बाहर निकालिये ,उसे जीवन दीजिये तब कहीं जाकर गांधी का स्वराज साकारित होगा।तब पंचायतीराज अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट होगा। तब हमारे गाँव मजबूत होंगे और तब भारत भी सशक्त होगा। दोस्तों मेरी पोस्ट 'ग्रामपंचायत की समितियां 'आपको कैसी लगी जरूर बताइएगा।हमे आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा। बिहार में पंचायत समिति का क्या काम होता है?जिला परिषद के लिये पंचायत समिति ग्राम पंचायतों की ओर से उनका पक्ष प्रस्तुत करने वाली संस्था है । इस प्रकार, पंचायत समिति की भूमिका संस्थापरक है । बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के अनुसार 'प्रत्येक प्रखंड के लिये एक पंचायत समिति होगी। ' इसकी अधिकारिता, उपबंधित भागों को छोड़कर, सम्पूर्ण प्रखण्ड तक होगी ।
उत्तर प्रदेश में पंचायत समिति को क्या कहते हैं?पंचायत समिति तहसील (तालुक) के रूप में भारत में सरकार की स्थानीय इकाई होती है। यह उस तहसील के सभी गाँवों पर सामान रूप से कार्य करता है और इसको प्रशासनिक ब्लॉक भी कहते हैं। यह ग्राम पंचायत और जिला परिषद के मध्य की कड़ी होती है।
भारत में पंचायती राज की स्थापना कब हुई थी?भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं। आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगधरी गांव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई।
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