ग्राम पंचायत समिति क्या होती है? - graam panchaayat samiti kya hotee hai?

क्षेत्र में प्रखंड का वह क्षेत्र शामिल नहीं होगा, जो किसी नगर निगम, नगरपालिका, अधिसूचित क्षेत्र या कैन्टोनमेंट बोर्ड के अंतर्गत आता है। पंचायत समिति का गठन इसका गठन निम्नलिखित से मिलकर...

ग्राम पंचायत समिति क्या होती है? - graam panchaayat samiti kya hotee hai?

लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 22 Oct 2010 11:20 PM

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क्षेत्र में प्रखंड का वह क्षेत्र शामिल नहीं होगा, जो किसी नगर निगम, नगरपालिका, अधिसूचित क्षेत्र या कैन्टोनमेंट बोर्ड के अंतर्गत आता है।
पंचायत समिति का गठन
इसका गठन निम्नलिखित से मिलकर बनेगाः-
पंचायत समिति के क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों से सीधे निर्वाचित सदस्य। पंचायत समिति के अंतर्गत पूर्णत: या अशत: पड़नेवाले निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करनेवाले एमपी या एमएलए। वैसे राज्यसभा के सदस्य जिनका नाम पंचायत समिति के क्षेत्र के अंतर्गत मतदाता के रूप में दर्ज हो।

पंचायत समिति के प्रादेशिक क्षेत्रों के मुखियों का एक बटा पांचवा भाग चक्रानुक्रम से एक वर्ष के लिए लॉट निकालकर निर्धारित किया जाएगा। परन्तु कोई मुखिया जो पंचायत समिति के अधीन एक अवधि के लिए सदस्य है, दूसरे अवधि के लिए सदस्य नहीं होगा। पंचायत समिति क्षेत्र के अंतर्गत एक विशिष्ट व्यक्ति, जिसे राज्य सरकार मनोनीत करे।

पंचायत समिति के कार्य
एकीकृत ग्रामीण विकास, कृषि, सामाजिक वानिकी, पशुपालन एवं मत्स्य पालन, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, शिक्षा, सहकारिता, कुटीर उद्योग, महिला, शिशु एवं कमजोर वर्गो का कल्याण, रोजगार कार्यक्रम, खेलकूद, भवन निर्माण एवं लघु सिंचाई की योजना बनाकर कार्यान्वयन सुनिश्चित कराना।

पंचायत समिति क्षेत्र के विकास के लिए वार्षिक योजना तैयार कर उसे जिला परिषद को सौंपना। पंचायत समिति का वार्षिक बजट तैयार करना। प्राकृतिक संकट में रिलीफ की योजना बनाकर उसका कार्यान्वयन। कृषि, बागवानी, बीज फार्मा एवं कीटनाशी दवाओं का भंडारण एवं वितरण।

भूमि विकास, भूमि सुधार एवं भू संरक्षण तथा लघु सिंचाई में सरकार एवं जिला परिषद को सहायता करना। मत्स्य पालन का समेकित विकास एवं मार्केटिंग, दूध उद्योग मुर्गी पालन एवं सुअर पालन को प्रोन्नति। सामाजिक, कृषि वानिकी एवं रेशम उत्पादन का समेकित विकास।

ग्रामीण, कुटीर, कृषि एवं वाणिज्यिक उद्योगों के विकास में सहायता करना। ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं की व्यवस्था, मरम्मत एवं अनुरक्षण करना। दो या दो सेअधिक ग्राम पंचायतों के लाभ के लिए ग्रामीण सड़कों, पुल पुलिया एवं नालियों का निर्माण।

सौर ऊर्जा संचालित उपकरणों को अनुदानित दर पर उपलब्ध कराना, वायोगैस संयंत्र का विकास करना। खेलकूद एवं सांस्कृतिक कार्यकलापों के प्रोत्साहित करना तथा ग्रामीण क्लबों की स्थापना में सहायता।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कार्यक्रमों का समेकित विस्तार। सड़क, तालाब, कुंओं की सफाई, सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण समाज के कमजोर वर्गों खासकर एससी,एसटी के विकास के लिए समेकित योजनाओं का निर्माण एवं कार्यान्वयन।

वृद्ध, आसक्त लोगों के लिए पेंशन की व्यवस्था में पंचायतों को सहायता। ग्राम पंचायतों के क्रियाकलापों का समन्वय एवं मूल्यांकन एवं मार्गदर्शन करना। केन्द्र, राज्य सरकार या जिला परिषद के द्वारा सौंपी गयी स्कीमों के निष्पादन को सुनिश्चित करना। अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत समिति को अतिरिक्त शक्तियां दी गयी हैं।

 

ग्राम पंचायत समिति क्या होती है? - graam panchaayat samiti kya hotee hai?
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 ग्रामपंचायत की समितियां -

  दोस्तों ग्रामपंचायत गाँव की कार्यपालिका अर्थात मन्त्रिमण्डल होती है और पंचायत समितियां एक प्रकार का मंत्रालय होती हैं जो ग्राम पंचायत के 29 विषयों (कार्यों) के क्रियान्वयन के लिये बनाई जाती हैं ताकि ग्राम पंचायत सहभागिता एवं जनभागीदारी के साथ सुचारू रूप से कार्य कर सके ।

ग्रामपंचायत समितियों का इतिहास -

   73 वें संविधान संशोधन द्वारा जब पंचायतों को संवैधानिक स्वरूप प्रदान किया गया तब पंचायतीराज अधिनियम की धारा 29 में ग्राम समितियों को संगठित करने की बात कही गयी है परंतु अधिनियम में समितियों के गठन की विस्तृत रूपरेखा नहीं प्रस्तुत की गई है।अधिनियम में राज्यों को  ग्राम पंचायत समितियों  के गठन के  सम्बन्ध में अधिसूचना के द्वारा ग्रामपंचायतों को निर्देशित करने की बात कही गयी है

   पंचायतों को संवैधानिक स्वरूप प्राप्त होने के बाद उत्तर प्रदेश में 1995 में ग्राम पंचायत के चुनाव सम्पन्न हुये ।परन्तु 4 वर्ष तक ग्राम पंचायतें  समितियों के बिना ही कार्य करती रहीं ।1999 में जब ग्राम पंचायतों का कार्यालय लगभग समाप्त होने वाला था तब उत्तप्रदेश सरकार ने 29 जुलाई 1999 को ग्राम पंचायतों में समितियों  के गठन सम्बन्धी अधिसूचना जारी की।परन्तु अभी भी  ग्रामपंचायत समितियों के गठन सम्बन्धी नियमावली की आवश्यकता थी।सरकार ने 13 सितम्बर 2002 को ग्रामपंचायत समिति सम्बन्धी नियमावली जारी की । जिसमे समितियों के गठन से सम्बंधित आवश्यक बातों का विस्तार से उल्लेख किया गया।उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत समितियों का गठन 2002 की नियमावली के अनुरूप होता है।


नियमावली के प्रमुख बिंदु -

  • सर्वसम्मति से ,हाँथ उठाकर मतदान द्वारा या आरोही क्रम में से किसी एक माध्यम से समितियों में ग्राम पंचायत सदस्यों का चुनाव किया जाता है।                     
  • समिति के गठन के उपरांत प्रधान उसी बैठक में गठित समितियों  की घोंषणा करता है।                                  
  • प्रत्येक समिति व उनके सदस्यों के नामों को कागज पर उतार लिया जाता है उसकी तीन प्रतियां  तैयार कर ली जाती हैं।प्रत्येक प्रति पर प्रधान व सेक्रेटरी के हस्ताक्षर होते हैं।                                                                    
  • एक प्रति ग्राम पंचायत भवन के नोटिस बोर्ड पर चस्पा दी जाती है।                                                             
  • दूसरी प्रति ए डी ओ पंचायत को भेज दी जाती है।           
  • तीसरी प्रति डी पी आर ओ को भेज दी जाती है।


ग्राम पंचायत समितियां क्या होती हैं-

ग्राम पंचायत समितियां एक तरह से मंत्रालय होते हैं ।समिति को प्राप्त विषय या विभाग को उसका  मंत्रालय  कहते हैं मंत्रालय अर्थात समिति उस विषय या विभाग पर कार्य करती है और अपनी रिपोर्ट विधायिका अर्थात ग्रामसभा  को सौंपती है ।ग्रामसभा में चर्चा उपरांत क्रियान्वयन हेतु कार्यपालिका अर्थात ग्राम पंचायत के समक्ष प्रस्तुत की जाती है ।

 दोस्तों आप सभी जानते हैं कि 73 वें संविधान संशोधन द्वारा ग्राम पंचायतों को 29 विषय प्रदान किये गए हैं जिनपर ग्राम पंचायत सहभागिता ,जनभागीदारी के आधार पर समस्याओं का चिंन्हीकरण करती है ,योजना बनाती है ,प्राप्त संसाधनों के आधार पर प्रत्येक योजना के लिये बजट स्वीकृत करती है  और योजनाओं का क्रियान्वयन करती है।ग्राम पंचायत योजनाओं का क्रियान्वयन  इन्ही समितियों के माध्यम से ही करती है।

ग्राम पंचायत के 29 विषय कौन से होते हैं जानने के लिये नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें-

ग्राम पंचायत के 29 विषय


ग्रामपंचायत में कितनी समितियां होती हैं एवं उनके नाम-

  उत्तरप्रदेश में ग्राम पंचायत समितियों की संख्या 6 निर्धारित की गई है ।कुछ राज्यों में 6 से अधिक ग्राम पंचायत समितियों का प्रावधान है।बिहार राज्य में ग्राम पंचायत की 8 समितियां होती हैं।

उत्तर प्रदेश में निम्नलिखित 6 समितियां होती हैं

  1. नियोजन एवं विकास समिति
  2. शिक्षा समिति
  3. निर्माण कार्य समिति
  4. स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति
  5. प्रशासनिक समिति
  6. जल प्रबंधन समिति


  दोस्तों आइये प्रत्येक समिति के बारे में विस्तार से जानते हैं


नियोजन एवं विकास समिति -    

  नियोजन एवं विकास समिति छः समितियों में से एक महत्वपूर्ण समिति होती ।यह समिति अन्य समितियों के नियोजन में भी सहयोग करती है।

नियोजन एवं विकास समिति का गठन - 

इस समिति का निर्माण या गठन कुल 7 सदस्यों से होता जो इस प्रकार है

  • प्रधान इस समिति का सभापति होता है।                      
  • छः अन्य सदस्य होते हैं जिनमे से एक अनुसूचित जाति या जनजाति का सदस्य होना ,एक महिला सदस्य का होना व एक पिछड़ा वर्ग का सदस्य  होना अनिवार्य है।    
  • प्रत्येक समिति में अधिकतम  7 विशेष  आमंत्रित सदस्य होते हैं।विशेष आमंत्रित सदस्य समितियों की बैठक में भाग ले सकते है ,चर्चा कर सकते हैं अपने विचार प्रकट कर सकते हैं पर मतदान में हिस्सा नहीं ले सकते हैं।

नियोजन एवं विकास समिति के कार्य-

  1. यह समिति ग्राम विकास की योजना बनाती है।               
  2. कृषि,पशुपालन एवं गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का संचालन इस समिति के द्वारा किया जाता है।                 
  3. यह समिति सभी अन्य समितियों के नियोजन निर्माण में भागीदारी करती है।                                                   
  4. नियोजन एवं विकास समिति ही ग्राम सभा की बैठक में लाभार्थियों का सही चयन सुनिश्चित करती है।


2. शिक्षा समिति-

  यह समिति ग्राम पंचायत की शिक्षा व्यवस्था की निगरानी करती है ।


शिक्षा समिति का गठन - 


  • इस समिति का भी सभापति प्रधान होता है।                   
  • छः अन्य सदस्य होते हैं जिनमें से एक अनुसूचित जाति या जनजाति का होना ,एक महिला सदस्य का होना और एक पिछड़ावर्ग का सदस्य होना अनिवार्य है।                  
  • इस समिति में भी अधिकतम 7 विशेष आमंत्रित सदस्य होते हैं।

  

शिक्षा समिति के कार्य -


  1. प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करना ।                                         
  2. पढ़ाई की गुणवत्ता की जाँच करना ।                             
  3. विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति की जाँच करना।                       
  4. प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई के स्तर को सुधारने के लिये  आधारभूत सुविधाओं जैसे भवन,जल ,किताबें और शौचालयों को प्रदान करने हेतु योजना तैयार करती है एवं ग्राम पंचायत की बैठक में प्रस्तुत करती है।            
  5. यदि स्कूल सम्बन्धी कार्यों में किसी प्रकार समस्या आ रही है तो इसकी लिखित रूप से शिकायत बेसिक शिक्षा अधिकारी को करती है।                                              
  6. यह समिति पंचायत में गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा हेतु एक अनुकूल वातावरण को तैयार करती है।                   
  7. यह समिति उचित वातावरण निर्माण हेतु विद्यार्थियों, अभिभावकों एवं शिक्षकों के बीच समन्वय स्थापित करती है।

 3. निर्माण कार्य समिति

निर्माण समिति एक महत्वपूर्ण समिति होती है।यह एक तरह से ग्राम पंचायत द्वारा कराए  जा रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण करती है।आइये इसके गठन और कार्य के बारे में जानते हैं-


निर्माण समिति का गठन -

  • इस समिति का सभापति वार्ड सदस्य द्वारा अपने बीच से चुना जाएगा।                                                            
  • इस समिति का सभापति वार्ड सदस्य अर्थात पंच होता है।                                                                          
  • छः अन्य सदस्य होते हैं जिनमे एक अनुसूचित जाति या जनजाति का होना ,एक महिला सदस्य का होना व एक पिछड़ावर्ग का सदस्य होना अनिवार्य है।                       
  • अधिकतम 7 विशेष आमंत्रित सदस्य हो सकते हैं।

निर्माण समिति के कार्य -

  1. समिति ग्राम पंचायत में कराए जा रहे सभी निर्माण कार्यों की देखरेख करती है।                                        
  2. यह समिति निगरानी का कार्य करती है।                        
  3. ग्राम पंचायत म कराए जा रहे कार्यों का निरीक्षण करती है।समिति की निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर ही कार्य के लिये धनराशि का भुगतान किया जाता है।

4. स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति -


यह समिति ग्राम पंचायत में स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्य देखती है


स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति का गठन -


  • इस समिति का सभापति वार्ड सदस्य अर्थात पंच होता है।जिसे वार्ड सदस्यों के द्वारा अपने मध्य से ही चुना जाता है।                                                                  
  • छः अन्य सदस्य होते हैं जिनमे से एक अनुसूचित जाति या जनजाति का ,एक महिला सदस्य का होना व एक पिछड़ावर्ग सदस्य का होना अनिवार्य है।                        
  • अधिकतम 7 विशेष आमंत्रित सदस्य होते हैं।

स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति के कार्य-


  1. बच्चों एवं माताओं के टीकारण हेतु व्यवस्था करना।        
  2. स्वास्थ्य कार्यकर्त्री एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री के साथ समन्वय स्थापित करना ।                                           
  3. ग्राम पंचायतके बीमारियों की जानकारी एवं कारण का पता करना ।                                                             
  4. मौसमी बीमारियों  से निपटने की तैयारी करना ।             
  5. महिला एवं बाल कल्याण योजनायें क्रियान्वित करना।    
  6. ग्राम पंचायत में साफ सफाई की व्यवस्था करना।             
  7. पुष्टाहार पर नजर रखना एवं उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करना।                                                                    
  8. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।                                                       
  9. कोई बीमारी फैल रही है तो उस  परिस्थिति से निपटने की तैयारी करना ।                                                     
  10. स्वास्थ्य सम्बन्धी नियोजन करना



5. प्रशासनिक समिति -


यह समिति प्रशासन सम्बन्धी कार्य देखती है।


प्रशासनिक समिति का गठन -


  • इस समिति का सभापति ग्राम प्रधान होता है।                 
  • छः अन्य सदस्य होते है जिनमे से एक अनुसूचित जाति या जनजाति का होना ,एक महिला सदस्य का होना और एक पिछड़ावर्ग का सदस्य होना अनिवार्य है।                   
  • अधिकतम 7 विशेष आमंत्रित सदस्य होते हैं।

प्रशासनिक समिति के कार्य -


  1. यह समिति राशन की दुकानों की निगरानी करती है।देखती है कि कोटेदार सही से राशन वितरण कर रहा है या नहीं।                                                                    
  2. ग्रामपंचायत के कर्मचारियों की निगरानी करती है।           
  3. प्रशासनिक समिति पर ही गाँव मे शांति व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी होती है।                                        
  4. यह समिति ग्राम पंचायत में लगने वाले हाट ,बाजार और मेलों पर टैक्स लगाती है।



6.  जल प्रबंधन समिति - 

  

 यह समिति ग्राम पंचायत में सुरक्षित जल व्यवस्था की देख रेख करती है।


जलप्रबंधन समिति का गठन - 



  • इस समिति का सभापति वार्ड मेम्बर अर्थात पंच होता है जिसका चुनाव वार्ड मेम्बरों द्वारा अपने बीच से किया जाता है।                                                                  
  • छः अन्य सदस्य होते हैं जिनमे एक सदस्य  अनुसूचित जाति या जनजाति का होना,एक महिला सदस्य का होना व एक सदस्य पिछड़ावर्ग का होना अनिवार्य है।      
  • अधिकतम 7 विशेष आमंत्रित सदस्य होते हैं।


जलप्रबंधन समिति के कार्य -


  1. ग्राम पंचायत में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करना ।         
  2. ग्राम पंचायत में हैंडपंप का रखरखाव रखना।                 
  3. लघु सिंचाई की व्यवस्था करना।                                   
  4. जल स्रोतों की सूची तैयार करना व उनके बेहतर प्रबंधन हेतु पंचायतों को सुझाव देना।                                            
  5. जल से सम्बंधित समस्याओं का नियोजन करना।


नोट - 


  • ग्राम पंचायत का सचिव ही प्रत्येक समिति का सचिव होता है।                                                                              
  • प्रत्येक समिति माह में एक बैठक अवश्य करती है।           
  • समिति बैठक की रिपोर्ट ग्राम पंचायत के समक्ष प्रस्तुत करती है।





दोस्तों उपर्युक्त छः समितियों के द्वारा ही ग्राम पंचायत अपना कार्य करती है।



 पंचायतीराज अधिनियम में उपर्युक्त छः समितियों के अतिरिक्त अन्य कुछ समितियों का भी प्रावधान है।जिनमे से से संयुक्त समिति एवं भूमि प्रबंधन समिति महत्वपूर्ण हैं



संयुक्त समिति -  

उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधिनियम की धारा 30 में संयुक्त समिति का उल्लेख किया गया है।इसमें बताया गया है कि दो या दो से अधिक ग्राम पंचायतें समान अभिरुचि के विषय पर कार्य करने के लिये एक संयुक्त समिति का गठन कर सकती हैं।



भूमि प्रबंधन समिति -

उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधिनियम की धारा 28 में भूमि प्रबंधन समिति का उल्लेख किया  गया है।यह समिति ग्राम पंचायत की भू- सम्पदा ,वन संपदा आदि की देख रेख करती है।इस समिति का सभापति ग्रामप्रधान होता है एवं सचिव लेखपाल होता है।



जमीनी हकीकत -

पंचायतीराज कानून में जो बातें लिखीं जिस दिन वह  जमीन पर उतर आएंगी  उस दिन   पंचायतीराज अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट होगा और  गाँधी जी  के ग्राम स्वराज का सपना साकार होगा।

  

  दोस्तों पंचायतीराज व्यवस्था की जमीनी हकीकत से आपसब परिचित होंगें।आपसब जानतें होंगें की ग्राम पंचायत किस तरह से कार्य करती है।आज पंचायतीराज व्यवस्था एक व्यक्ति  अर्थात प्रधान केंद्रित व्यवस्था बनकर रह गयी है।जहाँ प्रधान सर्वेसर्वा होता है  और बाकि ग्रामपंचायत सदस्य व ग्राम सभा सदस्य गौण।जबकि पंचायतीराज कानून गाँव की सरकार के लिये जनसहभागिता व जनभागीदारी के महत्व को जोर देता है।


 आज हकीकत यह है कि समितियों का गठन तो होता है पर वह सिर्फ कागजों पर।पंचों अर्थात वार्ड मेम्बरों को तो पता ही नहीं होता है कि वह किस समिति के सदस्य हैं या किस समिति में सभापति।आज समितियां मात्र औपचारिकताएं भर हैं और कुछ नहीं।


  दोस्तों यदि आप पंचायतीराज के वास्तविक स्वरूप को साकार करना चाहतें तो आप अपने ग्राम सभा के जागरूक सदस्य बनिये।पंचायत से प्रश्न करिए।पंचायतीराज व्यवस्था की मूल आत्मा जो कानून की किताबों में दब गई है भ्रष्ट अधिकारियों एवं प्रतिनिधियों ने कुचल दी है , उसे बाहर निकालिये ,उसे जीवन दीजिये तब कहीं जाकर गांधी का स्वराज साकारित होगा।तब पंचायतीराज अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट होगा। तब हमारे गाँव मजबूत होंगे और तब भारत भी सशक्त होगा।




दोस्तों मेरी पोस्ट 'ग्रामपंचायत की समितियां 'आपको कैसी लगी जरूर बताइएगा।हमे आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।

बिहार में पंचायत समिति का क्या काम होता है?

जिला परिषद के लिये पंचायत समिति ग्राम पंचायतों की ओर से उनका पक्ष प्रस्तुत करने वाली संस्था है । इस प्रकार, पंचायत समिति की भूमिका संस्थापरक है । बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के अनुसार 'प्रत्येक प्रखंड के लिये एक पंचायत समिति होगी। ' इसकी अधिकारिता, उपबंधित भागों को छोड़कर, सम्पूर्ण प्रखण्ड तक होगी ।

उत्तर प्रदेश में पंचायत समिति को क्या कहते हैं?

पंचायत समिति तहसील (तालुक) के रूप में भारत में सरकार की स्थानीय इकाई होती है। यह उस तहसील के सभी गाँवों पर सामान रूप से कार्य करता है और इसको प्रशासनिक ब्लॉक भी कहते हैं। यह ग्राम पंचायत और जिला परिषद के मध्य की कड़ी होती है।

भारत में पंचायती राज की स्थापना कब हुई थी?

भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं। आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगधरी गांव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई।