गोदावरी नदी किस राज्य में है - godaavaree nadee kis raajy mein hai

गोदावरी नदी निम्नलिखित में से किस राज्य से होकर नहीं गुजरती है?A. महाराष्ट्रB. गुजरातC. छत्तीसगढ़D. आंध्र प्रदेश

  1. A
  2. C
  3. D
  4. B

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : B

Free

10 Questions 10 Marks 7 Mins

विकल्प 4 सही उत्तर है: गोदावरी नदी गुजरात से होकर नहीं गुजरती है।

गोदावरी नदी:

  • यह 1465 किमी लंबी नदी है जो महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट में ब्रह्मगिरि पहाड़ियों (त्र्यंबकेश्वर) से निकलती है।
  • यह भारत की सबसे बड़ी प्रायद्वीपीय नदी और दूसरी सबसे बड़ी नदी है।
  • इसे 'दक्षिण गंगा' और 'वृद्ध गंगा' के रूप में भी जाना जाता है।
  • यह महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा राज्यों से होकर गुजरती है।
  • गोदावरी नदी के तट पर नासिक, नांदेड़ और भद्राचलम महत्वपूर्ण शहर हैं।
  • गोदावरी नदी के डेल्टा पर कोरिंग मैंग्रोव का विन्यास सुंदरबन के बाद देश में दूसरा सबसे बड़ा है।
  • सहायक नदियां:
    • बायां तट: बाणगंगा, इंद्रावती, पद्मावती।
    • दायां तट: नसरदी, प्रवर।

Last updated on Sep 21, 2022

RRB NTPC Result Cut Off released for Pay Level 5. This is for RRB Chennai. For other RRBs, the results will be released soon. The RRB NTPC exam is conducted to fill up a total number of 35281 vacant posts. Candidates who are qualified for the Computer Based Aptitude Test will be eligible for the next round, which will be Document Verification & Medical Exam. The candidates with successful selection under RRB NTPC will get a salary range between Rs. 19,900 to Rs. 35,400. Know the RRB NTPC Result here.

गोदावरी नदी कितने राज्यों से होकर बहती है?

January 21, 2021

(A) सात राज्यों से
(B) नौ राज्यों से
(C) चार राज्यों से
(D) पांच राज्यों से

Question Asked : Deputy Commandant Exam 2020

Answer : पांच राज्यों से

Explanation : गोदावरी नदी पांच राज्यों से होकर बहती हैं–महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश। गोदावरी नदी का उद्गम स्थल महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्र्यंबकेश्वर में ब्रह्मगिरि पर्वत पर है। यह प्रायद्वीपीय पठार की सबसे लंबी नदी है। इसकी लंबाई 1,465 किमी है। इसको दक्षिण की गंगा या वृद्ध गंगा भी कहा जाता है। इसके अपवाह का 50% भाग महाराष्ट्र में है। शेष अपवाह क्षेत्र अन्य चार राज्यों में है। प्रवरा, पूर्णा, पेनगंगा, वेनगंगा, प्राणहिता, इंद्रावती, सिलेरु, मुला व मंजरा इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।....अगला सवाल पढ़े

Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams

Latest Questions

गोदावरी नदी

गोदावरी नदी किस राज्य में है - godaavaree nadee kis raajy mein hai

देश भारत
राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश
प्रमुख नगर नासिक, नांदेड, निज़ामाबाद, राजामुन्द्री
लम्बाई 1465 किमी (910 मील)
पौराणिक उल्लेख वराह पुराण[1] ने भी कहा है कि गौतम ही जाह्नवी को दण्डक वन में ले आये और वह गोदावरी के नाम से प्रसिद्ध हो गयी।
धार्मिक महत्त्व गोदावरी नदी के तट पर ही त्र्यंबकेश्वर, नासिक, पैठण जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थल हैं। इसे 'दक्षिणीगंगा' भी कहते हैं।
गूगल मानचित्र गोदावरी नदी
अन्य जानकारी कालिदास ने इस उल्लेख में गोदावरी को 'गोदा' कहा है। ‘शब्द-भेद प्रकाश’ नामक कोश में भी गोदावरी का रूपांतर ‘गोदा’ दिया हुआ है।

गोदावरी नदी (अंग्रेज़ी: Godavari River) भारत की प्रसिद्ध नदी है। यह नदी दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट से लेकर पूर्वी घाट तक प्रवाहित होती है। नदी की लंबाई लगभग 900 मील (लगभग 1440 कि.मी.) है। यह नदी नासिक त्रयंबक गाँव की पृष्ठवर्ती पहाड़ियों में स्थित एक बड़े जलागार से निकलती है। मुख्य रूप से नदी का बहाव दक्षिण-पूर्व की ओर है। ऊपरी हिस्से में नदी की चौड़ाई एक से दो मील तक है, जिसके बीच-बीच में बालू की भित्तिकाएँ हैं। समुद्र में मिलने से 60 मील (लगभग 96 कि.मी.) पहले ही नदी बहुत ही सँकरी उच्च दीवारों के बीच से बहती है। बंगाल की खाड़ी में दौलेश्वरम् के पास डेल्टा बनाती हुई यह नदी सात धाराओं के रूप में समुद्र में गिरती है। भारत की प्रायद्वीपीय नदियाँ- गोदावरी और कृष्णा, ये दोनों मिलकर 'कृष्णा-गोदावरी डेल्टा' का निर्माण करती हैं, जो सुन्दरबन के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा डेल्टा है। इस डेल्टा को बहुधा 'केजी डेल्टा' भी कहा जाता है।

मुख्य धाराएँ

गोदावरी की सात शाखाएँ मानी गई हैं-

  1. गौतमी
  2. वसिष्ठा
  3. कौशिकी
  4. आत्रेयी
  5. वृद्ध गौतमी
  6. तुल्या
  7. भारद्वाजी

पौराणिक उल्लेख

पुराणों में गोदावरी नदी का विवरण निम्न प्रकार प्राप्त होता है-

  • महाभारत, वनपर्व[2] में सप्त गोदावरी का उल्लेख है-

'सप्तगोदावरी स्नात्वा नियतो नियतो नियताशान:।'

  • ब्रह्मपुराण के 133वें अध्याय में तथा अन्यत्र भी गोदावरी (गौतमी) का उल्लेख है।
  • श्रीमद्भागवत[3] में गोदावरी की अन्य नदियों के साथ उल्लेख है-

'कृष्णवेण्या भीमरथी गोदावरी निर्विन्ध्या’।'

  • विष्णुपुराण[4] में गोदावरी से सह्य पर्वत से निस्सृत माना है-

'गोदावरी भीमरथी कृष्णवेण्यादिकास्तथा। सह्मपादोद्भवा नद्य: स्मृता: पापभयापहा:।'

  • महाभारत, भीष्मपर्व[5] में गोदावरी का भारत की कई नदियों के साथ उल्लेख है-

'गोदावरी नर्मदा च बाहुदां च महानदीम्।'

  • गोदावरी नदी को पांडवों ने तीर्थयात्रा के प्रसंग में देखा था-

'द्विजाति मुख्येषुधनं विसृज्य गोदावरी सागरगामगच्छत्।'[6]

  • महाकवि कालिदास के 'रघुवंश'[7] में गोदावरी का सुंदर शब्द चित्र खींचा है-

'अमूर्विमानान्तरलबिनोनां श्रुत्वा स्वनं कांचनर्किकणीम्, प्रत्युद्ब्रजन्तीव खमुत्पतन्य: गोदावरीसारस पंक्तयस्त्वाम्’;’ ‘अत्रानुगोदं मृगया निवृतस्तरंग वातेन विनीत खेद: रहस्त्वदुत्संग निपुण्णमुर्घा स्मरामि वानीरगृंहेषु सुप्त:।'

गोदावरी नदी किस राज्य में है - godaavaree nadee kis raajy mein hai

कालिदास ने इस उल्लेख में गोदावरी को 'गोदा' कहा है। ‘शब्द-भेद प्रकाश’ नामक कोश में भी गोदावरी का रूपांतर ‘गोदा’ दिया हुआ है।

वैदिक साहित्य में अभी तक गोदावरी की कहीं भी चर्चा नहीं प्राप्त हो सकी है। बौद्ध ग्रन्थों में बावरी के विषय में कई दन्तकथाएँ मिलती हैं। ब्रह्मपुराण में गौतमी नदी पर 106 दीर्घ पूर्ण अध्याय है। इनमें इसकी महिमा वर्णित है। वह पहले महाकोसल का पुरोहित था और पश्चात् पसनेदि का, वह गोदावरी पर अलक के पार्श्व में अस्यक की भूमि में निवास करता था और ऐसा कहा जाता है कि उसने श्रावस्ती में बुद्ध के पास कतिपय शिष्य भेजे थे।[8] पाणिनि[9] के 'संख्याया नदी-गोदावरीभ्यां च' वार्तिक में 'गोदावरी' नाम आया है और इससे 'सप्तगोदावर' भी परिलक्षित होता है। रामायण, महाभारत एवं पुराणों में इसकी चर्चा हुई हैं। वन पर्व[10] ने इसे दक्षिण में पायी जाने वाली एक पुनीत नदी की संज्ञा दी है और कहा है कि यह निर्झरपूर्ण एवं वाटिकाओं से आच्छादित तटवाली थी और यहाँ मुनिगण तपस्या किया करते थे। रामायण के अरण्य काण्ड वा. रा.[11] ने गोदावरी के पास के पंचवटी नामक स्थल का वर्णन किया है, जहाँ मृगों के झुण्ड रहा करते थे और जो अगस्त्य के आश्रम से दो योजन की दूरी पर था। ब्रह्म पुराण[12] में गोदावरी एवं इसके उपतीर्थों का सविस्तार वर्णन हुआ है। तीर्थंसार[13] ने ब्रह्मपुराण के कतिपय अध्यायों[14] से लगभग 60 श्लोक उद्धृत किये हैं, जिससे यह प्रकट होता है कि आज के ब्रह्मपुराण के गौतमी वाले अध्याय 1500 ई. के पूर्व उपस्थित थे। वामन काणे के लेख के अनुसार[15] ब्रह्म पुराण ने गोदावारी को सामान्य रूप में गौतमी कहा है।[16] ब्रह्मपुराण[17] में आया है कि विन्ध्य के दक्षिण में गंगा को गौतमी और उत्तर में भागीरथी कहा जाता है। गोदावरी की 200 योजन की लम्बाई कही गयी है और कहा गया है कि इस पर साढ़े तीन करोड़ तीर्थ पाये जाते हैं।[18] दण्डकारण्य को धर्म एवं मुक्ति का बीज एवं उसकी भूमि को (उसके द्वारा आश्लिष्ट स्थल को) पुण्यतम कहा गया है।[19]

नामकरण

गोदावरी नदी किस राज्य में है - godaavaree nadee kis raajy mein hai

कुछ विद्वानों के अनुसार, इसका नामकरण तेलुगु भाषा के शब्द 'गोद' से हुआ है, जिसका अर्थ मर्यादा होता है। एक बार महर्षि गौतम ने घोर तप किया। इससे रुद्र प्रसन्न हो गए और उन्होंने एक बाल के प्रभाव से गंगा को प्रवाहित किया। गंगाजल के स्पर्श से एक मृत गाय पुनर्जीवित हो उठी। इसी कारण इसका नाम गोदावरी पड़ा। गौतम से संबंध जुड जाने के कारण इसे गौतमी भी कहा जाने लगा। इसमें नहाने से सारे पाप धुल जाते हैं। गोदावरी की सात धारा वसिष्ठा, कौशिकी, वृद्ध गौतमी, भारद्वाजी, आत्रेयी और तुल्या अतीव प्रसिद्ध है। पुराणों में इनका वर्णन मिलता है। इन्हें महापुण्यप्राप्ति कारक बताया गया है-

सप्तगोदावरी स्नात्वा नियतो नियताशन: ।
महापुण्यमप्राप्नोति देवलोके च गच्छति ॥

ब्रह्मगिरि पर उतरी गंगा

बहुत-से पुराणों में एक श्लोक आया है- 'मध्य के देश सह्य पर्वत के अनन्तर में हैं, वहीं पर गोदावरी है और वह भूमि तीनों लोकों में सबसे सुन्दर है। वहाँ गोवर्धन है, जो मन्दर एवं गन्धमादन के समान है।'[20] ब्रह्म पुराण[21] में वर्णन आया है कि किस प्रकार गौतम ने शिव की जटा से गंगा को ब्रह्मगिरि पर उतारा, जहाँ उनका आश्रम था और किस प्रकार इस कार्य में गणेश ने सहायता दी। नारद पुराण[22] में आया है कि जब गौतम तप कर रहे थे तो बारह वर्षों तक पानी नहीं बरसा और दुर्भिक्ष पड़ गया, इस पर सभी मुनिगण उनके पास गये और उन्होंने गंगा को अपने आश्रम में उतारा। वे प्रात:काल शालि के अन्न बोते थे और मध्याह्न में काट लेते थे और यह कार्य वे तब तक करते चले गये जब तक पर्याप्त रूप में अन्न एकत्र नहीं हो गया। शिवजी प्रकट हुए और ऋषि ने प्रार्थना की कि वे (शिवजी) उनके आश्रम के पास रहें और इसी से वह पर्वत जहाँ गौतम का आश्रम अवस्थित था, त्र्यम्बक नाम से विख्यात हुआ।[23]

मुख्य नादियाँ

गोदावरी नदी के तट पर ही त्र्यंबकेश्वर, नासिक, पैठण जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थल हैं। इसे 'दक्षिणीगंगा' भी कहते हैं। इसका काफ़ी भाग दक्षिण भारत में हैं। इसकी कुल लंबाई 1465 किमी है, जिसका 48.6 भाग महाराष्ट्र, 20.7 भाग मध्य प्रदेश, 14 कर्नाटक, 5.5 उड़ीसा, और 23.8 आंध्र प्रदेश में पड़ता है। इसमें मुख्य नादियाँ जो आकर मिलती हैं, वे हैं–

  • पूर्णा
  • क़दम
  • प्रांहिता
  • सबरी
  • इंद्रावती
  • मुजीरा
  • सिंधुकाना
  • मनेर
  • प्रवर

इसके मुहानों में काफ़ी खेती होती है और इस पर कई महत्त्वपूर्ण बांध भी बने हैं।

विशेष महत्ता

गोदावरी नदी किस राज्य में है - godaavaree nadee kis raajy mein hai

वराह पुराण[24] ने भी कहा है कि गौतम ही जाह्नवी को दण्डक वन में ले आये और वह गोदावरी के नाम से प्रसिद्ध हो गयी। कूर्म पुराण[25] ने नदियों की एक लम्बी सूची देकर अन्त में कहा है कि श्राद्ध करने के लिए गोदावरी की विशेष महत्ता है। ब्रह्म पुराण[26] में ऐसा आया है कि 'सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने के लिए केवल दो (उपाय) घोषित हैं- पुनीत नदी गौतमी एवं शिव जो करुणाकर हैं। ब्रह्म पुराण ने यहाँ के लगभग 100 तीर्थों का वर्णन किया है, यथा-

  • त्र्यम्बक[27]
  • कुशावर्त[28]
  • जनस्थान[29]
  • गोवर्धन[30]
  • प्रवरा-संगम[31]
  • निवासपुर[32]
  • वञ्जरा-संगम[33] आदि।

किन्तु स्थानाभाव से हम इनकी चर्चा नहीं करेंगे। किन्तु नासिक, गोवर्धन, पंचवटी एवं जनस्थान के विषय में कुछ लिख देना आवश्यक है।

दान का वर्णन

भरहुत स्तूप के घेरे के एक स्तम्भ पर एक लेख है जिसमें नासिक के वसुक की पत्नी गोरक्षिता के दान का वर्णन है। यह लेख ई.पू. 200 ई. का है और अब तक के पाये गये नासिक-सम्बन्धी लेखों में सब से पुराना हे। महाभाष्य[34] में नासिक्य पुरी का उल्लेख हुआ हें वायु पुराण[35] ने नासिक्य को एक देश के रूप में कहा है। पाण्डुलेणा की गुफ़ाओं के नासिक लेखों से पता चलता है कि ईसा के कई शताब्दियों पूर्व से नासिक एक समृद्धिशाली स्थल था।[36] टॉलेमी (लगभग 150 ई.) ने भी नासिक का उल्लेख किया हे।[37]

इतिहास

गोदावरी नदी किस राज्य में है - godaavaree nadee kis raajy mein hai

नासिक के इतिहास इसके स्नान-स्थलों, मन्दिरों, जलाशयों, तीर्थयात्रा एवं पूजा-कृत्यों के विषय में स्थानाभाव से अधिक नहीं लिखा जा सकता। इस विषय में देखिए बम्बई का गजेटियर[38] यहाँ यह वर्णित है कि नासिक में 60 मन्दिर एवं गोदावरी के वाम तट पर पंचवटी में 16 मन्दिर हैं। किन्तु आज प्राचीन मन्दिरों में कदाचित् ही कोई खड़ा हो। सन् 1680 ई. में दक्षिण की सूबेदारी में औरंगज़ेब ने नासिक के 25 मन्दिर तुड़वा डाले। आज के सभी मन्दिर पूना के पेशवाओं द्वारा निर्मित कराये गये हैं (सन् 1850 एवं 1818 के भीतर) इनमें तीन उल्लेखनीय हैं-

  • पंचवटी में रामजी का मन्दिर
  • गोदावरी के बायें तट पर पहले मोड़ के पास नारो-शंकर का मन्दिर (या घण्टामन्दिर)
  • नासिक के आदित्यवार पेठ में सुन्दर नारायण का मन्दिर

गुफ़ा का दर्शन

पंचवटी में सीता-गुफ़ा का दर्शन किया जाता है, इसके पास बरगद के प्राचीन पेड़ हैं जिनके विषय में ऐसा विश्वास है कि ये पाँच वटो से उत्पन्न हुए हैं जिनसे इस स्थान को पंचवटी की संज्ञा मिली है। सीता-गुफ़ा से थोड़ी दूर पर काले राम का मन्दिर है जो पश्चिम भारत के सुन्दर मन्दिरों में परिगणित होता है। गोवर्धन[39] एवं तपोवन[40] के बीच में बहुत-से स्नान-स्थल एवं पवित्र कुण्ड हैं। गोदावरी की बायीं ओर जहां इसका दक्षिण की ओर प्रथम घुमाव है, नासिक का रामकुण्ड नामक पवित्रतम स्थल है। कालाराम-मन्दिर के प्रति दिन के धार्मिक कृत्य एवं पूजा यात्री लोग नासिक में ही करते हैं।

नासिक नाम की उत्पत्ति

नासिक के उत्सवों में रामनवमी एक बहुत बड़ा पर्व है। 'नासिक' शब्द 'नासिका' से बना है और इसी से 'नासिक्य' शब्द भी बना है। सम्भवत: यह नाम इसलिए पड़ा है कि यहीं पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक (नासिका) काटी थी।[41]

पंचवटी

गोदावरी नदी किस राज्य में है - godaavaree nadee kis raajy mein hai

उषवदात के नासिक-शिलालेख में, जो बहुत लम्बा एवं प्रसिद्ध हैं, 'गोवर्धन' शब्द आया है।[42] पंचवटी नाम ज्यों-का-त्यों चला आया है। यह ज्ञातव्य है कि रामायण[43] में पंचवटी को देश कहा गया है। शल्य पर्व[44], रामायण[45], नारद पुराण[46] एवं अग्नि पुराण[47] के मत से जनस्थान दण्डकारण्य में था और पंचवटी उसका (अर्थात् जनस्थान का) एक भाग था। जनस्थान विस्तार में 4 योजन था और यह नाम इसलिए पड़ा कि यहाँ जनक-कुल के राजाओं ने गोदावरी की कृपा से मुक्ति पायी थी।[48]

महापुण्य

जब बृहस्पति ग्रह सिंह राशि में प्रवेश करता है उस समय का गोदावरी-स्नान आज भी महापुण्य-कारक माना जाता है।[49] ब्रह्म पुराण[50] में ऐसा आया है कि तीनों लोकों के साढ़े तीन करोड़ देवता इस समय यहाँ स्नानार्थ आते हैं और इस समय का केवल एक गोदावरी-स्नान भागीरथी में प्रति दिन किये जाने वाले 60 सहस्र वर्षों तक के स्नान के बराबर है। वराह पुराण[51] में ऐसा आया है कि जब कोई सिंहस्थ वर्ष में गोदावरी जाता है, वहाँ स्नान करता है और पितरों का तर्पण एवं श्राद्ध करता है तो उसके वे पितर, जो नरक में रहते हैं, स्वर्ग चले जाते हैं, और जो स्वर्ग के वासी होते हैं, वे मुक्ति पा जाते हैं। 12 वर्षों के उपरान्त, एक बार बृहस्पति सिंह राशि में आता है। इस सिंहस्थ वर्ष में भारत के सभी भागों से सहस्रों की संख्या में यात्रीगण नासिक आते हैं।

पौराणिक कथा

गौतम मुनि बहुत वर्षों तक वहाँ तपस्या में लगे रहे। तदनन्तर अम्बिकापति भगवान शिव ने उनकी तपस्या से संतुष्ट हो उन्हें अपने पार्षदगणों के साथ दर्शन दिया और कहा- 'वर माँगो।'

गोदावरी नदी किस राज्य में है - godaavaree nadee kis raajy mein hai

तब मुनिवर गौतम ने भगवान त्र्यंबक को साष्टांग प्रणाम किया और बोले-'सबका कल्याण करने वाले भगवन! आपके चरणों में मेरी सदा भक्ति बनी रहे और मेरे आश्रम के समीप इसी पर्वत के ऊपर आपको मैं सदा विराजमान देखूँ, यही मेरे लिये अभीष्ट वर है।' मुनि के ऐसा कहने पर भक्तों को मनोवाञ्छित वर देने वाले पार्वतीवल्लभ भगवान शिव ने उन्हें अपना सामीप्य प्रदान किया। भगवान त्र्यम्बक उसी रूप से वहीं निवास करने लगे। तभी से वह पर्वत त्र्यंबक कहलाने लगा। सुभगे! जो मानव भक्तिभाव से गोदावरी-गंगा में जाकर स्नान करते हैं, वे भवसागर से मुक्त हो जाते हैं। जो लोग गोदावरी के जल में स्नान करके उस पर्वत पर विराजमान भगवान त्र्यम्बक का विविध उपचारों से पूजन करते हैं, वे साक्षात महेश्वर हैं। मोहिनी! भगवान त्र्यम्बक का यह माहात्म्य मैंने संक्षेप से बताया है। तदनन्तर जहाँ तक गोदावरी का साक्षात दर्शन होता है, वहाँ तक बहुत-से पुण्यमय आश्रम हैं। उन सब में स्नान करके देवताओं तथा पितरों का विधिपूर्वक तर्पण करने से मनुष्य मनोवांछित कामनाओं को प्राप्त कर लेता है। भद्रे! गोदावरी कहीं प्रकट हैं और कहीं गुप्त हैं; फिर आगे जाकर पुण्यमयी गोदावरी नदी ने इस पृथ्वी को आप्लावित किया है। मनुष्यों की भक्ति से जहाँ वे महेश्वरी देवी प्रकट हुई हैं, वहाँ महान् पुण्यतीर्थ है जो स्नान मात्र से पापों को हर लेने वाला है। तदनन्तर गोदावरी देवी पंचवटी में जाकर भली-भाँति प्रकाश में आयी हैं। वहाँ वे सम्पूर्ण लोकों को उत्तम गति प्रदान करती हैं। विधिनन्दिनी! जो मनुष्य नियम एवं व्रत का पालन करते हुए पंचवटी की गोदावरी में स्नान करता है, वह अभीष्ट कामनाओं को प्राप्त कर लेता है। जब त्रेता युग में भगवान श्री राम अपनी धर्मपत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ आकर रहने लगे, तब से उन्होंने पंचवटी को और भी पुण्यमयी बना दिया। शुभे! इस प्रकार यह सब गौतमाश्रम का माहात्म्य कहा गया है।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

वीथिका

  • गोदावरी नदी किस राज्य में है - godaavaree nadee kis raajy mein hai

  • गोदावरी नदी किस राज्य में है - godaavaree nadee kis raajy mein hai

    गोदावरी नदी

  • गोदावरी नदी किस राज्य में है - godaavaree nadee kis raajy mein hai

    गोदावरी नदी

  • गोदावरी नदी किस राज्य में है - godaavaree nadee kis raajy mein hai

    गोदावरी नदी के स्रोत

  • गोदावरी नदी किस राज्य में है - godaavaree nadee kis raajy mein hai

    गोदावरी नदी

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वराह पुराण, 71.37-44
  2. वनपर्व 85, 43
  3. श्रीमद्भागवत 5, 19, 18
  4. विष्णुपुराण 2, 3, 12
  5. भीष्मपर्व 9, 14
  6. वनपर्व 118, 3
  7. रघुवंश 13, 33, 13, 35
  8. सुत्तनिपात, सैक्रेड बुक आव दि ईस्ट, जिल्द 10, भाग 2, 184 एवं 187
  9. पाणिनि, 5.4.75
  10. वन पर्व महाभारत, 88.2
  11. रामायण (अरण्य काण्ड), 13.13 एवं 21
  12. ब्रह्म पुराण, अध्याय 70-175
  13. नृसिंह पुराण का एक भाग
  14. ब्रह्म पुराण, यथा- 89, 91, 106, 107, 116-118, 121, 122, 131, 144, 154, 159, 172
  15. जर्नल आव दी बाम्बे ब्रांच आव दी एशियाटिक सोसाइटी, सन् 1917, पृ0 27-28
  16. विन्ध्यस्य दक्षिणे गंगा गौतमी सा निगद्यते। उत्तरे सापि विन्ध्यस्य भागीरथ्यभिधीयते॥ ब्रह्म पुराण (78।77) एवं तीर्थसार (पृ. 45)।
  17. ब्रह्मपुराण, 78.77
  18. ब्रह्म पुराण 77.8-9
  19. तिस्र: कोट्योऽर्धकोटी च योजनानां शतद्वयें। तीर्थानि मुनिशार्दूल सम्भविष्यन्ति गौतम॥ ब्रह्म पुराण (77।8-9)। धर्मबीजं मुक्तिबीजं दण्डकारण्यमुच्यते। विशेषाद् गौतमीश्लिष्टो देश: पुण्यतमोऽभवत्॥ ब्रह्म पुराण (161।73)।
  20. सह्यस्यानन्तरे चैते तत्र गोदावरी नदी। पृथिव्यामपि कृत्स्नायां स प्रदेशो मनोरम:। यत्र गोवर्धनो नाम मन्दरो गन्धमादन:॥ मत्स्य पुराण (114.37-38=वायु पुराण 45.112-113=मार्कण्डेय पुराण 54.34-35=ब्रह्माण्ड पुराण 2।16।43)। और देखिए ब्रह्म पुराण (27.43-44)।
  21. ब्रह्म पुराण, 27.43-44
  22. नारद पुराण, उत्तरार्ध, 72
  23. नारद पुराण, श्लोक 24
  24. वराह पुराण, 71.37-44
  25. कूर्म पुराण, 2.20.29-35
  26. ब्रह्म पुराण, 124.93
  27. ब्रह्म पुराण, 71.6
  28. ब्रह्म पुराण, 980.1-3
  29. ब्रह्म पुराण, 988.1
  30. ब्रह्म पुराण, अध्याय 91
  31. ब्रह्म पुराण, 106
  32. ब्रह्म पुराण, 106.55
  33. ब्रह्म पुराण, 159
  34. महाभाष्य, 6.1.63
  35. वायु पुराण, 45.130
  36. एपिग्रैफिया इण्डिका, जिल्द 8, पृ0 59-96
  37. टॉलेमी, पृ0 156
  38. जिल्द 16, नासिक ज़िला
  39. नासिक से 6 मील पश्चिम
  40. नासिक से 1॥ मील दक्षिण-पूर्व
  41. देखिए बम्बई गजेटियर, जिल्द 6, पृ. 517-518, 529-531 एवं 522-526
  42. देखिए बम्बई गजेटियर, जिल्द 16, पृ. 569-570
  43. रामायण, 3.13.13
  44. शल्य पर्व, 939.9-10
  45. रामायण, 3.21.19-20
  46. नारदीय पुराण, 2.75.30
  47. अग्नि पुराण, 7.2-3
  48. ब्रह्म पुराण 88.22-24
  49. धर्मसिन्धु, पृ. 7
  50. ब्रह्म पुराण, 152.38-39
  51. वराह पुराण, 71.45-46

संबंधित लेख

देखें  वार्ता  बदलें

भारत की नदियाँ
ऐतिहासिक

अजय · अनोमा · अंजनी नदी · मेघना · अरपा · अरूणा · अलकनंदा · असि · आपया · इन्द्राणी · इन्द्रावती · ईब · कन्हार · कपिली · कमला · कर्मनाशा · कालिंदी · कृतमाला · कावेरी · कृष्णा · केन · कोटरी · कोभरा · कोयल · पम्पा नदी · कपिला · कोसी · खारून · गंगा · गंडक · संयाति · गुदरा · गुमानी · भारतपुझा नदी · धसान नदी · गोदावरी· गोमती · बाघौरा · घाघरा · चंबल · चानन · शशिमती · सीतानन्दी नदी लिद्दर · वेदवती · विरूपा · चिनाव · जाह्नवी · जोंक · चूर्णी · झेलम · डंकनी नदी · वेगा · तमसा · वसिष्ठा · वरदा · लोहतगंगा · तान्दुला · ताप्ती · वैरागिनी · तिस्ता · तुंगभद्रा · दक्षिणी कोयल · दामोदर · सांक · कंसावती · दूध · नर्मदा · पोन्नैयार नदी · सोम · वंशधारा · मंजीरा · बाणगंगा · शिप्रा · नारंगी · कपिला · विहला · विशालिका · पद्मा · संध्या · श्वभ्रमती · सूकली नदी · वाकल नदी · वृद्ध गौतमी · सूकड़ी नदी · सदानीरा नदी · नागमती नदी · वितस्ता नदी · माण्ड · वर्तोई · गंडकी · मन्था · ताम्रपर्णी · पलार · पार्वती · सप्तशरा · सोंढूर नदी · पुनपुन · निर्मला · पेन्नार · टौंस · साबी · पेरियार · न्यंकु नदी · पैरी · केलो · फल्गु · बनास · कबीनी · गोकक नदी · कोठारी नदी · बराकर · बांसलोई · जाखम · बागमती · ऐराव नदी · बाध · बानगंगा · बेतवा · बोरई · तुलसी नदी · ब्रह्मपुत्र · ब्राह्मणी · पंचनद · भागीरथी · बांडी · रत्नाकर · कोल्लिटम · मनियारी · वेत्रवती · नागोदरी · नागावती · मयूराक्षी · ज्वाला · कूम नदी · मरी · महानदी · माँड · माही · गौला नदी · यमुना · राप्ती · पंचगंगा · रामगंगा · रावी · रिहन्द · वंजुला · लीलागर · लूनी · वरुण · मरुद्वधा नदी · काटली · शिवा नदी · काली सिन्ध · व्यास · शंख · शंखनी · शारदा · शिवनाथ · श्योक · सकरी · काकनी · सतलुज · निरामया · सबरी · वालुवाहिनी · वामनगंगा · सरस्वती · साबरमती · सिन्धु · सुरमा नदी · सुरंगी · ह्लादिनी नदी · वाराही · सोन · स्वर्ण रेखा · हसदो · हिमनद · किशनगंगा · हुगली · गंभीरा · चंदन· तैलवाह · रूपनारायण · तुल्या · तपोदा · तलाजी · दया · दुर्गा · मलप्रभा · मलपर्वा · दक्षिण सिन्धु · चीतंग · जवांई · जटोदा · जोहिला · जोझरी नदी · बीना · बेस · शत्रुंजया · भारद्वाजी · खूगा · क्रुमु नदी · कांचना · कीर्तिनाशा · कौड़ियाली · क्षीरगंगा · दधिमती · भीमाक्षी · कोलेरून नदी · माल्यवती · महत्नु · मधुश्रवा · महाकोशी · महागंगा · मांडवी · अजितवती · अमरवेलि · कुब्जा · रंगमती · रोहिणी नदी · नंदाकिनी · कृष्णा · देवी ·नारदीगंगा · मित्री नदी · नारायणी· नीरा · नीलांजना · पंचगंगा · नैरंजना · कपिला · पंचमी · पंचानन · पारा · पिनाकिनी · वहिंदा · पूर्णा · पेनगंगा · प्रणहिता · रोहिता · संकरी · लांगूलिनी · विश्वामित्री · किऊल · प्राची सरस्वती · जोजरी · नेत्रावती · पिंगला · चन्द्रा नदी · नगनदी · घग्घर नदी · भद्रा · लीलड़ी · बकुलाही · चाप · अजिरावती · अंभा नदी · घुगरी नदी · कलपोंग · कोटेबिरा एब नदी · मंदाकिनी नदी · वेनगंगा · लाछुंग · नुब्रा · घग्घा नदी · रेखा नदी · पिपलाज नदी · भीमरथी नदी · तवा नदी · लोहित नदी · तेल नदी · ससुर खदेरी · सई नदी · गिरिकर्णिका · गोस्थानी नदी · गुंडलाकम्मा नदी · ऋषिगंगा · कुरुम नदी · यव्यावती · सारदा नदी · हरिकांता · हिंडोन · वेणुका · वेणी · शरदंडा · सोहन नदी · क्षिप्रा नदी · अमरावती नदी · ऋजुपालिका नदी · बंजर नदी · घग्गर-हकरा नदी · मणिमुतार नदी · पुण्यजल नदी · लखनदेई नदी · रंगीत नदी · धरला नदी · विनोद नदी · बराक नदी · उम्न्गोत नदी

पौराणिक

अचिरवती · अंध नदी · अंशुमती नदी · अतिवती · अपरनंदा · अनुतप्ता · अमृता · अवटोदा · अश्व · असिक्नी · आकाशगंगा · आत्रेयी · आपगा · आमू · आर्यकुल्या कुलिंगा · इक्षुमती · इरावती · उत्तरगा · प्रवरा नदी · उत्पलावती · उर्णावती चंद्रवसा · ताम्रा · तृतीया नदी · उषा · पुण्यतोया · अनुष्णा · ऋषिकुल्या · ऋषितोया · बिंबिका · निश्चीरा · एरण्डी · ओधवती · अम्बुवाहिनी · अम्बुमती · अधृष्या · महागौरी · त्रिमासा नदी · कंकावती · ककुदमान · करतोया · वाहिनी नदी · कापी · कांचनाक्षी · खलु · बृहद्वती · लोहतारिणी · रोधस्वती · विपापा · वारवत्या · कदंब · देविका · बाणी नदी · मनोरमा · नवालिका नदी · विपाशा · गौतमी · तोया नदी · अंगारवाहिनी · विशल्या · विदिशा नदी · रौप्या नदी · कपिनी · वडवा · महानन्दा · रात्रि · वितृष्णा · चित्रसेना · कपिला · केशिनी नदी · वस्त्रा · कपिशा · गौरी नदी · निश्चला · चित्रशिला · अंतशिला · वैहायसी · कुमुद्वती · पुरमालिनी · कृष्णवेणा · सम्पत्ति · शिला नदी · प्लक्षा नदी · शैव्या नदी · देवनदी · निर्विन्ध्या · वधूसरा · पुण्यवती · ज्योतिरथा · बालखिल्य नदी · करिंद · वैतरणी · प्लक्षजाता · वेदश्रुति · गभस्ति · वृषसा · वृषभा · करीषिणी · लंघती · उर्मिला नदी · कनका नदी · रेवा नदी · कर्णदा · चर्मण्वती · दशार्ण · वेणा · मन्दगा · भोगवती अनंगा · कपिला · मही · विश्वा · शीघ्रा · शुभावहा · भारती · दृषद्वती · पयोष्णी · चीरिणी · चुलुका · लांगली · महाशोण · तिलोदकी · बाहुदा · नीवारा · भीमा · माला नदी · हस्तिसोमा · चक्रनदी · पुष्पवती · चर्मण्वती · वस्वोकसारा · सरयू · शतद्रु · हिरण्यवती · अमरनन्दा · पूर्वाभिरामा · वंक्षु · लौहित्य · गंधवती · मलक · चन्द्रभागा · सप्तवती · गौतमी · वीरमती · कम्पना · हरिश्रावा · विशल्या · अंबर नदी · धृतमती · मरुदा · कुमारी · कृष्णवेणी · कालमही · शिखी नदी · शतकुम्भा · कौशिकी · वीरा नदी · उपजला · चित्रवाहा · विद्युत · गण्डकी · किम्पुना · कुमारी · ओधवती · बृहदध्वनि · शोण · चक्षु · इक्षु · नन्दा नदी · मालिनी · कालिका · चित्रोत्पला · धेनुका नदी · धूपतापा · शैलोदा नदी · योनि · गंगवती · करतोया · त्रिविदा · विमोचिनी · मुरला · मुक्ता · शुक्तिमती · धेनुका · धूतपापा · घृतवती · धौम्यगंगा · निवृत्ति · वृषका · पवित्रा · वेदस्मृता · पारदा · पावनी · बहुला · पुष्पजा · सकरनी नदी · पयस्विनी · शांकरी · हस्तिमती · प्रतीची · मन्दवाहिनी · प्रवेणी नदी · परुष्णी · त्रिसामा नदी · मरुद्वृधा नदी · ज्योतिरथ्या नदी · लोनी नदी · नलिनी · तिलोत्तमा नदी · शर्करावती · हस्तिसोम · हरिणी · हिरण्या · हिरण्याक्षी · शरावती नदी · खोतन · सुत्पलावती नदी · पद्मावती · ककुद्मती नदी · अरुणा नदी · उहू नदी · पर्णाशा नदी

सहायक

· रामगंगा · गर्रा · गंभीरी · तिनाउ नदी · मेची नदी · बरुन नदी · जिरि नदी

गोदावरी नदी कौन से राज्य में है?

यह महाराष्ट्र में नासिक जिले से निकलती है। इसकी लम्बाई प्रायः 1465 किलोमीटर है। इस नदी का पाट बहुत बड़ा है।

गोदावरी नदी कितने राज्यों से होकर गुजरती है?

गोदावरी प्रायद्वीपीय भाग का सबसे बड़ा नदी तंत्र है। यह महाराष्ट्र में नासिक ज़िले से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसकी सहायक नदियाँ महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश राज्यों से गुजरती हैं।

गोदावरी नदी कहाँ से कहाँ तक जाती है?

बंगाल की खाड़ीगोदावरी नदी / मुहानाnull

गोदावरी नदी का प्राचीन नाम क्या है?

गौतम से संबंध जुड़े जाने के कारण इसे गौतमी के नाम से भी जाना जाता हैं। इस नदी में नहाने से सारे पाप धुल जाते हैं, इसी लिए इसको “वृद्ध गंगा” या “प्राचीन गंगा” के नाम से भी जाना जाता है। गोदावरी की सात धारा वसिष्ठा, कौशिकी, वृद्ध गौतमी, भारद्वाजी, आत्रेयी और तुल्या अतीव प्रसिद्ध है।