जिस तरह घर बनाते समय वास्तु का ध्यान रखा जाता है, उसी तरह घर का मुख्य द्वार बनाते समय भी वास्तु शास्त्र का विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि घर का मुख्य द्वार सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के आगमन का मार्ग माना जाता है। इसी के साथ घर का प्रवेश द्वार सही दिशा में बनाया जाना बेहद जरुरी है ताकि घर में केवल सकरात्मक ऊर्जा वास कर सके। साथ ही आपके घर का मुख्य द्वार एक संक्रमण क्षेत्र है, जो घर को अंदर और बाहर से जोड़ने का काम करता है। वास्तु के अनुसार अगर घर का मुख्य दरवाजा सही दिशा में होता है, तो घर में सौभाग्य और सुख का प्रवेश होता है। इसलिए घर बनवाते समय प्रवेश द्वार पर भी वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए। Show इसी के साथ आपके घर का प्रवेश द्वार उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। ताकि मुख्य द्वार से सुबह की धूप सीधे आपके घर में प्रवेश करे। वास्तु शास्त्र में यह बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसलिए घर का उत्तर-पूर्वी कोना आपके प्रवेश द्वार के लिए एक उत्तम स्थान है, जो सीधा आपके घर में सूर्य की किरणों के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा को भी अंदर आने देता है। वहीं आपके घर का मुख्य द्वार घर के बाकी दरवाजों में सबसे बड़ा होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यह घर में भाग्य लाता है और घर के लोगों को भी स्वस्थ रखता है। इसलिए प्राचीन काल में भी भवन और महलों में बड़े आकार के दरवाजे लगाये जाते थे। चलिए जानते हैं घर के मुख्य दरवाजे से जुड़ा वास्तु शास्त्र। एस्ट्रोटॉक के वास्तु विशेषज्ञ दिनेश झा कहते हैं, “मुख्य द्वार घर के मुख्य तत्व की तरह होता है, क्योंकि प्रवेश द्वार घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। उदाहरण के लिए आप दिवाली या पूजा में हवन के दौरान घर का मुख्य दरवाजा खोलकर रखते हैं ताकि आपके घर सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर सके और और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त हो सके। इसके साथ ही घर के मुख्य द्वार को अच्छी तरह से सजाना चाहिए ताकि भगवान का आशीर्वाद हमारे घर तक पहुंच सके। हालांकि, कई बार भगवान का आशीर्वाद अवरुद्ध हो जाता है, खासकर तब जब किसी भी तरह की बाधा घर में ऊर्जा के प्रवाह को रोकती है। ये बाधाएं ही घर में वास्तु दोष का कारण बनती हैं।” वास्तु अनुसार मुख्य द्वार की सही दिशाजरूरी नहीं है कि मुख्य द्वार हमेशा आपको घर के अंदर ले जाता है। अगर आपकी संपत्ति बड़ी है तो मुख्य द्वार घर से कुछ दूरी पर स्थित हो सकता है, खासकर स्वतंत्र बंगलों के मामले में, ऐसा ही देखा जाता है।
वास्तु अनुसार मुख्य द्वार का रंगआमतौर पर घर का मुख्य द्वार काफी भारी होते हैं और गहरे रंग में रंगे होते हैं। चलिए जानते हैं कि वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार के लिए सबसे अच्छे रंग कौन से होते हैं।
मुख्य द्वार की दिशामुख्य द्वार के लिए शुभ रंगउत्तर दिशाहरा रंगदक्षिण दिशासिल्वर, संतरी और गुलाबी रंगपूर्व दिशासफेद और लकड़ी का रंगपश्चिम दिशानीला और सफेददक्षिण पश्चिमपीलादक्षिण पूर्वसिल्वर, संतरी और गुलाबीउत्तर पश्चिमसफेद और क्रीम रंगउत्तर पूर्वक्रीम और पीला रंग वास्तु अनुसार मुख्य द्वार के लिए सर्वोत्तम दिशावास्तु शास्त्र के अनुसार घर के प्रवेश द्वार को उचित स्थान पर लगाना बेहद जरूरी होता है। अगर मुख्य दरवाजे को सही स्थान पर न लगाया जाए, तो घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है और घर के सदस्यों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए प्रवेश द्वार को सर्वोत्तम स्थान पर लगाना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य दरवाजे की दिशाप्रभावउत्तर पूर्वअति शुभउत्तरशुभपूर्वशुभउत्तर पश्चिमअशुभदक्षिण पूर्वअति अशुभ वास्तु अनुसार घर के मुख्य द्वार का आकारवास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार घर के बाकी दरवाजों से बड़ा होना चाहिए। क्योंकि बड़ा मुख्य द्वार जातक के जीवन में भाग्य और समृद्धि लेकर आता है। साथ ही यह व्यक्ति को किसी भी अप्रत्याशित परिस्थितियों से भी बचाता है। वास्तु अनुसार घर का मुख्य दरवाजा लकड़ी का बना होना चाहिए और इसमें एक इकाई की बजाय दोहरी इकाई या दो भाग जरूर होने चाहिए। साथ ही मुख्य द्वार का उपयोग करते समय किसी भी तरह की आवाज नहीं आनी चाहिए। वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार दक्षिण पूर्व दिशा में होना शुभ है या अशुभ?वास्तु के अनुसार घर में दक्षिण पूर्व की ओर मुख किए हुए द्वार नहीं लगाना चाहिए। अगर दक्षिण-पूर्वी दिशा में दरवाजा लगाया जाता है, तो घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है और इस वास्तु दोष को दूर करने के लिए यहां कुछ उपाय हैं।
वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार की सजावटहर कोई अपने घर की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए उसके इंटीरियर में काफी कुछ बदलते हैं। ऐसे में भला घर का मुख्य द्वार की अनदेखी क्यों की जाए? यहाँ मुख्य द्वार की सजावट के लिए कुछ वास्तु टिप्स दिए गए हैं। आप इन्हें जरूर आजमाएं।
वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार की सजावट के लिए इनका भी रखें ध्यान
वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार के सामने क्या नहीं रखना चाहिए?
वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार पर सूर्य का प्रकाशवास्तु के अनुसार मुख्य द्वार के लिए उत्तर-पूर्व दिशा सबसे शुभ मानी जाती है, क्योंकि इस दिशा से जातक के घर में पर्याप्त सूर्य की रोशनी आती है। जब सूर्य की रोशनी मुख्य द्वार से घर के अंदर आती है, तो उसके साथ ही घर में सकारात्मकता और सौभाग्य भी प्रवेश करता है। लेकिन जो लोग फ्लैट में रहते हैं, उन्हें यह सुविधा प्राप्त नहीं हो पाती है। यदि मुख्य द्वार पर संपूर्ण रोशनी की व्यवस्था नहीं है, तो आप उस क्षेत्र में पीली रोशनी का उपयोग कर सकते हैं, जो सूर्य के प्रकाश की सकारात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा, घर के मुख्य द्वार पर तेज रोशनी का उपयोग करना उत्तम होता है। हालांकि, घर के प्रवेश द्वार पर कभी भी लाल बत्ती का प्रयोग न करें, क्योंकि इसे वास्तु के अनुसार अशुभ माना जाता है। वास्तु अनुसार धन और समृद्धि के लिए मुख्य द्वारजीवन में धन और समृद्धि दो ऐसी चीजें हैं, जिन्हें हर कोई प्राप्त करना चाहता हैं। इसी के साथ मुख्य द्वार के लिए वास्तु उपाय जातक को धन और समृद्धि को आकर्षित करने में मदद कर सकता है।
डोरबेल और वास्तु शास्त्रवास्तु ज्योतिषी घर में सकारात्मक वास्तु को आकर्षित करने के लिए पुरानी चीजों की ओर लौटने की सलाह देते हैं। खासकर अगर बात डोर बेल यानी दरवाजे की घंटी की करें तो विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि इलेक्ट्रिक डोर बेल का यूज नहीं करना चाहिए। इसके बजाय धातु से बने दरवाजे का उपयोग किया जाना चाहिए जिसमें दरवाजा खटखटाने के लिए कुंडे लगाए जाते थे। ये न केवल घर की सुदंरता को बढ़ाते हैं, बल्कि सकारात्मकता को भी आकर्षित करते हैं क्योंकि ये प्राकृतिक तत्वों से बने होते हैं। इसके अलावा, वास्तु अनुसार दरवाजे की घंटी को हमेशा पांच फीट या उससे अधिक ऊंचाई पर होना चाहिए। कठोर, पीतल या तेज आवाज वाले दरवाजे की घंटी के उपयोग से बचना चाहिए। यदि आप बिजली की घंटी का उपयोग रहे हैं, तो आपको घर की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए सुखदायक और मृदु ध्वनि वाली घंटी का चुनाव करना चाहिए। नेमप्लेट और वास्तु शास्त्रवास्तु शास्त्र के अनुसार हर घर में नेमप्लेट होना चाहिए, क्योंकि घर के बाहर स्टाइलिश नेम प्लेट लगाना इन दिनों काफी चलन में है। लेकिन वे नेमप्लेट वास्तु के अनुकूल नहीं होते हैं। इसलिए आपको घर के बाहर नेमप्लेट लगाते समय कुछ वास्तु टिप्स को ध्यान में जरूर रखना चाहिए:
मुख्य द्वार पर सीढ़ियों के लिए वास्तुवास्तु के अनुसार सीढ़ियों और घर के मुख्य द्वार के बीच दूरी होनी चाहिए। साथ ही यदि आपके प्रवेश द्वार पर सीढ़ियां हैं, तो इनकी संख्या भी अनुकूल या प्रतिकूल गृह वास्तु तय करती है। वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार पर विषम संख्या में सीढ़ियां होने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सीढि़यों पर मां लक्ष्मी के पद चिन्ह होने से जातक को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अन्य दरवाजे के सामने आपका मुख्य द्वारजब दरवाजे का स्थान तय करने की बात आती है तो फ्लैट या अपार्टमेंट में निवेश करने वाले के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते हैं। हालांकि, यदि एक स्वतंत्र घर का निर्माण कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपके घर का मुख्य द्वार सीधे किसी अन्य घर के मुख्य द्वार के समानांतर नहीं है। वास्तव में, वास्तु के अनुसार किसी और के दरवाजे की छाया भी आपके दरवाजे पर नहीं पड़नी चाहिए। वास्तु के अनुसार दरवाजों के प्रकारखूबसूरती से डिजाइन किए गए दरवाजे इन दिनों चलन में हैं। वास्तव में, वे न केवल अच्छे दिखते हैं, बल्कि उन विशेषताओं के साथ आते हैं जो उनका उपयोग करने वाले के लिए जीवन को आसान बनाते हैं। वास्तु में ऐसे दरवाजों का इस्तेमाल करने की मनाही नहीं है, लेकिन वास्तु के अनुकूल होने के लिए दरवाजों के डिजाइन का चयन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
मुख्य दरवाजे का हैंडल वास्तु के अनुसारइन दिनों मुख्य दरवाजे भी कई तरह के डिजाइन में मौजूद हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, प्राचीन दरवाजे या हैंडल का उपयोग करना चाहिए। इससे जातक के जीवन में खुशियां आती हैं।
फ़ोयर स्पेसवास्तु के अनुसार फ़ोयर भी महत्वपूर्ण है। ज्योतिषियों का सुझाव है कि फ़ोयर स्पेस को अच्छी तरह से सजाया जाना चाहिए। मुख्य द्वार के माध्यम से संकीर्ण मार्ग के ठीक बाद फ़ोयर मुख्य रूप से एक विस्तृत स्थान होना चाहिए। साथ ही यह स्थान एक ड्राइंग रूम के रूप में कार्य करता है और इसे सजाने से घर पर अच्छा प्रभाव होता है। घर के प्रवेश द्वार की दृश्यतावास्तु शास्त्र और फेंगशुई दोनों के अनुसार मुख्य द्वार प्रमुख, दृश्यमान और आसानी से पहचाने जाने योग्य होना चाहिए। अपने घर का नंबर या अपना नाम जोड़कर मुख्य द्वार को अलग दिखाने का अच्छा तरीका है। इसी के साथ दरवाजे पर एक साधारण नेमप्लेट लगाना भी अधिक बेहतर होता है। वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार के लिए कौन- सी सामग्री सबसे अच्छी है?वास्तु के अनुसार किसी भी दिशा में लकड़ी का दरवाजा लगाना सबसे शुभ माना जाता है। हालांकि, यदि आपका मुख्य दरवाजा दक्षिण दिशा में है, तो दरवाजे में लकड़ी और धातु का संयोजन होना चाहिए। इसी के साथ अगर मुख्य दरवाजा पश्चिम दिशा में हो, तो उस पर धातु का काम होना चाहिए। साथ ही उत्तर दिशा में स्थित मुख्य द्वार का रंग चांदी का होना चाहिए और यदि आपका मुख्य द्वार पूर्व दिशा में लगाया गया है, तो वह लकड़ी का बना होना चाहिए और सीमित धातु के सामान से सजा होना चाहिए। दक्षिण पूर्व और पश्चिम मुख्य द्वार से उत्पन्न दोष के लिए वास्तु उपायवास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिणी पूर्वी और दक्षिणी पश्चिमी प्रवेश द्वार की दिशा को वास्तु दोष माना जाता है। चलिए जानते हैं इस दोष से छुटकारा पाने के उपाय। लेकिन इन्हें उपयोग करने से पूर्व किसी अनुभवी ज्योतिष से सलाह लेना बेहद आवश्यक है:
प्रवेश द्वार के दोष के लिए वास्तु उपाय
वास्तु अनुसार मुख्य द्वार के ताले और चाबियों को कहां रखे?अगर आपके घर का मुख्य द्वार पूर्व की ओर है, तो तांबे के ताले का प्रयोग करना चाहिए। पश्चिम मुखी मुख्य द्वार के लिए लोहे का ताला सबसे अच्छा होता है क्योंकि इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व शनिदेव करते हैं। साथ ही उत्तर दिशा में पीतल के ताले का प्रयोग करना चाहिए। यदि आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिण में है, तो पांच धातुओं से बने ताले का इस्तेमाल करना चाहिए, जिसे पंच धातु कहते हैं। इसी के साथ जंग लगे या टूटे हुए ताले और चाबियों का उपयोग घर में नहीं करना चाहिए। जो ताले और चाबियां खराब हो जाते हैं, उन्हें तुरंत फेंक देना चाहिए। साथ ही चाबियां धातु से बनी होती हैं इसलिए वह ऊर्जा को संतुलित करती है। आपको पिस्टल, चाकू, कैंची आदि आकृतियों की प्रमुख जंजीरों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। आपको अपने घर में शुभ प्रतीक जैसे सूर्य, कछुआ, फूल, हाथी की मूर्ति आदि का उपयोग करना चाहिए। इसी के साथ चाबियों को हमेशा एक उचित स्टैंड पर रखना चाहिए। चाबियों को कभी भी खाने की मेज या जूते के रैक के ऊपर नहीं रखना चाहिए क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है। मुख्य द्वार को तोरण से सजाने के टिप्सवास्तु के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर तोरण लगाना बेहद शुभ होता है और यह सौभाग्य को आकर्षित करता है। तोरण संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है 'पास'। घर के मुख्य द्वार पर तोरण लगाने से घर की ऊर्जा संतुलित रहती है और घर में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न नहीं होती।
घर का नवीनीकरण करते समय वास्तु से जुड़ी महत्पूर्ण टिप्सअगर आप अपने सीमित बजट के साथ अपने घर का नवीनीकरण करना चाहते हैं, तो इन बातों को ध्यान में रखेंः
वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार के लिए कौन- सी लकड़ी सबसे अच्छी होती है?वास्तु शास्त्र के अनुसार प्रवेश द्वार के लिए लकड़ी को काफी शुभ माना जाता है। साथ ही आपको घर के मुख्य द्वार को उच्च गुणवत्ता वाली लकड़ी से बनना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात नारियल या पीपल के पेड़ की लकड़ी का प्रयोग न करें। मकान कौन सा मुखी होना चाहिए?वास्तु के अनुसार एक आदर्श मकान का मेनगेट सिर्फ पूर्व या उत्तर दिशा में ही होना चाहिए। वहीं आपके घर का ढलान पूर्व, उत्तर या पूर्व-उत्तर (इशान कोण) की और होना शुभ माना गया है। इस तरह वास्तु के अनुसार घर के कमरे, हॉल, किचन, बाथरुम और बेडरुम एक खास दिशा में होने चाहिए।
घर का मुख्य द्वार क्या होता है?-घर का मेन गेट घर के अन्य सभी कमरों के दरवाजों से ऊंचा होना चाहिए। वास्तु शास्त्र में इसका उल्लेख है कि यह शुभ होता है। -मुख्य द्वार उत्तर दिशा में रखने से धन का आगमन होता है। मुख्य द्वार पूरब दिशा में रहने से घर में शांति बनी रहती है।
वास्तु के अनुसार कौन सा मुखी घर सबसे अच्छा होता है?दक्षिणमुखी घर स्वास्थ्य के लिए हो सकता है अच्छा
वास्तु के अनुसार दक्षिण मुखी घर के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। इसके फायदों की बात करें तो एक सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि दक्षिणमुखी घर स्वास्थ्य और धन के लिए अच्छा माना जाता है। ऐसे घरों में सूर्य की किरणें घर में प्रवेश करती हैं और सकारात्मक ऊर्जा लाती हैं।
मुख्य द्वार क्या होता है?वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का मुख्य द्वार न केवल परिवार के लिए बल्कि ऊर्जा के लिए भी प्रवेश बिंदु होता है। वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार के लिए सबसे अच्छी दिशा उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम दिशा है जो घर और घर के लोगों के लिए शुभ मानी जाती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाती है।
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