हमें किसी का मजाक क्यों नहीं उड़ाना चाहिए? - hamen kisee ka majaak kyon nahin udaana chaahie?

- राजेश कुमार व्या

शारीरिक या मानसिक कमजोरी, गरीबी, अशिक्षा इत्यादि को निशाना न बनाया जाए। ये मानवीय व नैतिक दृष्टि से ठीक नहीं है। मजाक किसी को दुःखी करने के लिए नहीं किया जाता। यों अपनी हँसी के लिए दूसरों को रुलाने का किसी को क्या अधिकार है? इससे आपकी छवि का भी पतन होता है। सोचिए कि यदि आपकी किसी कमी को लेकर कोई ऐसा मजाक बनाए तो आपको कैसा लगेगा?

मैंने तो लोगों का हर तरह से मज़ाक उड़ाया था। हमेशा हर तरह का मज़ाक कौन उड़ाता है? जिसका बहुत टाइट ब्रेइन (तेज दिमाग) हो वही उड़ाये। मैं तो सब का मज़ाक उड़ाया करता था, अच्छे-अच्छे लोगों का, बड़े-बड़े वकील, डॉक्टरों का मज़ाक किया करता था। अब वह सारा अहंकार तो गलत ही है न? ऐसे हमारी बुद्धि का दुरुपयोग किया। मज़ाक उड़ाना यह बुद्धि की निशानी है।

प्रश्नकर्ता : मुझे तो अभी भी मज़ाक करने का मन हुआ करता है।

दादाश्री : मज़ाक करने में बहुत जोखिम है। बुद्धि से मज़ाक करने की शक्ति होती ही है और उसका जोखिम भी उतना ही है फिर। यानी हमने वह जोखिम मोल लिया था, जोखिम ही मोल लेते थे।

प्रश्नकर्ता : मज़ाक करने में क्या-क्या जोखिम हैं? किस तरह के जोखिम हैं?

दादाश्री : ऐसा है न, कि किसी को थप्पड मारा हो और जो जोखिम आता है, उससे अनंत गुना जोखिम मज़ाक करने में है। उसकी बुद्धि पहुँचती नहीं है इसलिए आपने अपने लाइट (बुद्धि) से उसे अपने कब्जे में लिया। यानी फिर वहाँ भगवान कहेंगे, 'इसकी बुद्धि नहीं है उसका यह मज़ा लेते हैं?' वहाँ पर खुद भगवान को हमने विपक्षी बनाया। उसे थप्पड मारा होता तो वह समझ जाता, ताकि खुद मालिक होता, लेकिन यह तो बुद्धि पहुँचती नहीं है, इसलिए हम उसका मज़ाक उडायें, तब वह खुद मालिक नहीं होता। इस पर भगवान जाने कि, 'अहह! इसकी बुद्धि कम है उसे तू फँसाता है? आजा, मैं तेरी खबर लूँ।' वे तो फिर हमारा पुरज़ा-पुरज़ा ढीला कर दें।

प्रश्नकर्ता : हमने तो मुख्य रूप से यही धंधा किया था।

दादाश्री : पर अभी भी उसके प्रतिक्रमण कर सकते हैं। हमने भी वही किया था। और वह मज़ाक उड़ाना बहुत गलत बात! मेरे लिए तो वही झंझट खड़ी हुई थी। उस बुद्धि को अंतराय हो रहा था तो क्या करे? बलवा तो करेगी ही न? मतलब यह ज्यादा बुद्धि हुई उसका इतना बड़ा गेरलाभ न? इसलिए इन मज़ाक करनेवालों को बिना लिए-दिये यह दुःख भुगतना नसीब हुआ।

कोई लँगडाता हुआ चलता हो और उस पर हम यदि हँसे, मज़ाक उडायें, तो भगवान कहेंगे, 'लो यह फल भुगतो।' इस दुनिया में किसी प्रकार का मज़ाक मत उड़ाना। मज़ाक करने के कारण ही ये सारे दवाखाने खड़े हुए हैं। ये पैर-बैर आदि सारे जो लूले-लंगड़े अंगड-बंगड माल है न, वह मज़ाक का ही फल है। हमें भी यह मज़ाक का फल मिला है। (दादाजी को फ्रेक्चर होने के बाद एक पैर में खोट थी।)

इसलिए हम कहते हैं न कि, 'मज़ाक करना वह बहुत बुरी बात कहलाये, क्योंकि मज़ाक भगवान का उड़ाया कहलाये। भले ही गधा है, पर आफ्टर ऑल (आखिर) क्या है? भगवान है।' हाँ, आखिर तो भगवान ही है। जीवमात्र में भगवान ही बिराजमान है। मज़ाक किसी का नहीं कर सकते। हमारे हँसने पर भगवान कहे कि, 'हाँ आ जा, अब तेरा हिसाब बराबर कर देता हूँ इसबार।'

प्रश्नकर्ता : अब उसके उपाय के लिए प्रतिक्रमण तो करने ही पड़े न?

दादाश्री : हाँ, करने ही पड़े। उसके सिवा  छुटकारा ही नहीं है।

प्रश्नकर्ता : 'दादाजी' आपकी साक्षी में जाहिर करके मा़फी माँगकर, प्रतिक्रमण करता हूँ कहे तो?

दादाश्री :  'दादाजी, आपकी साक्षी में' बोलो  न, तो भी चलेगा। 'यह वाणी दोष के कारण जिन-जिन लोगों को दुःख हुआ हो उन सभी की क्षमा माँगता हूँ।' तो उसको पहुँच जाये।

किसी का मजाक उड़ाने से क्या होता है?

जो व्यक्ति दूसरों का मजाक उड़ाने में अपनी शान समझते हैं ऐसे लोग समाज में सम्मान नहीं पाते हैं. किसी की हंसी उड़ाना और मजबूरी के चलते किसी व्यक्ति का परिहास करना ये मानव गुणों के खिलाफ है. ये आदत व्यक्ति को पतन की तरफ ले जाती है. ऐसे लोगों के कई शुत्र होते हैं जो समय आने पर नुकसान पहुंचाते हैं.

लोग दूसरों का मजाक क्यों उड़ाते हैं?

सबसे पहले जवाब दिया गया: लोग मेरा मजाक क्यों उडाते ? इसके कई कारण हो सकते है पर मुख्य बात यही है कि आप उन्हे अपना मजाक उड़ाने का मौका देते है इसलिये लोग आपका मजाक उडाते है। अपना ज्ञान बिना मांगे ना बाटें,क्युकि ये अनमोल है। किसी भी व्यक्ति के लिये हद से ज्यादा उप्लब्ध ना रहे।

मजाक क्या होती है?

जिसमे हसीं जोक और कुछ शरारत हो वह मज़ाक है ! यह सामाजिक मानवीय रिश्ते, मित्रो, परिजनों सहपाठी के साथ किया जाता है ! मज़ाक को सिर्फ मजे की महक तक ही लेना चाहिए यानि मज़ाक को लड़ाई नहीं, असंतोष नहीं, बनने देना चाहिए ! मज़ाक विवाद या विरोध मै तब्दील नहीं होना चाहिए !