इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की लोकप्रियता का कारण क्या है? - ilektronik maadhyam kee lokapriyata ka kaaran kya hai?

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

Show

आज के जमाने में इलेक्ट्रॉनिक के बिना कुछ भी संभव नहीं है अगर हम सूचना एवं प्रसारण की बात ही करें तो इलेक्ट्रॉनिक बिना कुछ भी संभव नहीं है तो एक विशेषता यह है कि हमें स्वीटनर में पहुंचाना है या किसी से संपर्क करना है तो बगैर दूसरा किसी भी प्रकार के भी हमारे देश के विकास में इलेक्ट्रॉनिक का बहुत ज्यादा महत्व है

aaj ke jamane me electronic ke bina kuch bhi sambhav nahi hai agar hum soochna evam prasaran ki baat hi kare toh electronic bina kuch bhi sambhav nahi hai toh ek visheshata yah hai ki hamein sweetener me pahunchana hai ya kisi se sampark karna hai toh bagair doosra kisi bhi prakar ke bhi hamare desh ke vikas me electronic ka bahut zyada mahatva hai

इस 21वी सदी में मिडिया को लोकतंत्र का चौथा मुख्य केंद्र कहा जाता है। हमारे इर्द-गिर्द मिडिया की भूमिका बढ़ती जा रही है। समाज के कई क्षेत्रों, जाती केंद्रों, व्यक्तियों व संस्थाओं के मध्य के पलों को कैद कर हम आम लोग तक पहुंचाते है।

भारत का इलेक्टॉनिक मीडिया पिछले 20 सालों में बहुत विकसित हो गया है। फिर ये शहर हो या ग्रामीण इलाका हर जगह टीवी से सैकड़ो लोग खुद को जागृत कर पा रहे हैं।

संपूर्ण जानकारी अब घर में

मिडिया एक ऐसा स्रोत बन गया है, जिसके द्वारा देश और विदेश की जानकारी, डाटा एक ही समय मे लाखों लोगों तक पहुंच जाता है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक हमारे देश में कम से कम 50 प्रतिशत परिवारों के पास टेलीविजन मौजूद है। छोटे शहरों के निवासियों ने अपने घरों में सिर्फ केबल कनेक्शन लगा रखा है।

छोटे क्षेत्रों में भी मीडिया

वो जगह जो शहरी इलाकों से काफी दूर हैं, वहाँ भी लगातार डीटीएच-डायरेक्ट टु होम सर्विस का विकास हो रहा है। शुरुआत में सिर्फ फिल्मी क्षेत्रों से सम्बन्धित गीत, संगीत ब नृत्य दिखाने का माध्यम था मीडिया, पर अब इसके सोर्स काफी फैल गए हैं।

देश के विकास के लिए ज़रूरी मीडिया

एक देश के विकास और तरक्की में मिडिया की बहुत ही बडी अहम भूमिका होती है। अंग्रेजों के क्रूरता भरे इतिहास से कराहते भारतियों के देश-भक्ति व प्रसन्नता से खुशी होने तक मिडिया अपनी भूमिका निभाते आयी है।

आज के मिडिया की ताकत के मुकाबले कई मजबूत राजनेता, उद्योगपति भी कुछ नहीं हैं। मिडिया का जनजागरण में भी बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का केंद्र

ध्वनि

ध्वनि वह है, जो दृश्य चित्र का निर्माण करने में सहायक भी है।

चित्रलेखन

ध्वनियों व चित्रों का एक साथ प्रसारण दूरदर्शन के असलियत का कार्य है। इसके प्रसारण में ध्वनि के अलावा चित्रों के कलात्मक इस्तेमाल पर बहुत ही खास ध्यान दिया जाता है।
संगीत

संगीत मनोरंजन के ही स्रोत का एक हिस्सा है, जिससे मानव ही नहीं अपितु सांप व हिरण जैसे जानवर भी आकर्षित हो जाते हैं।

भारत में इलेक्ट्रोनिक मीडिया पिछले 15-20 वर्षों में घर घर में पहुँच गया है फिर चाहे वह शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र। इन शहरों और कस्बों में केबिल टीवी से सैकड़ो चैनल दिखाए जाते हैं। एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार भारत के कम से कम 80 प्रतिशत परिवारों के पास अपने टेलीविजन सेट हैं और मेट्रो शहरों में रहने वाले दो तिहाई लोगों ने अपने घरों में केबल कनेक्शन लगा रखे हैं। इसके साथ ही शहर से दूर-दराज के क्षेत्रों में भी लगातार डीटीएच-डायरेक्ट टु होम सर्विस का विस्तार हो रहा है।

प्रारम्भ में केवल फिल्मी क्षेत्रों से जुड़े गीत, संगीत और नृत्य से जुड़ी प्रतिभाओं के प्रदर्शन का माध्यम बना एवं लंबे समय तक बना रहा, इससे ऐसा लगने लगा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सिर्फ़ फिल्मी कला क्षेत्रों से जुड़ी प्रतिभाओं के प्रदर्शन के मंच तक ही सिमटकर रह गया है, जिसमे नैसर्गिक और स्वाभाविक प्रतिभा प्रदर्शन के अपेक्षा नक़ल को ज्यादा तवज्जो दी जाती रही है। कुछ अपवादों को छोड़ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की यह नई भूमिका अत्यन्त प्रशंसनीय और सराहनीय है, जो देश की प्रतिभाओं को प्रसिद्धि पाने और कला एवं हुनर के प्रदर्शन हेतु उचित मंच और अवसर प्रदान करने का कार्य कर रही है। जो कि कभी कभी बहुत नुक्सान पहुचाता है।

{ आधार}}

मीडिया प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (Electronic Media) के माध्यम से प्रकाशन, संपादन, लेखन या प्रसारण के कार्य को आगे बढ़ाने की कला है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संदर्भ में विभिन्न विद्वानों की राय

  • इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होने वाला जनसंचार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया है। (शिक्षाविद्: डॉ. प्रेमचंद पतंजलि)
  • इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वह माध्यम है जो ऑडियो और विजुअल मोड के माध्यम से तत्काल जानकारी देता है। (रेडियो निर्माता डॉ. हरिसिंह पाल)
  • विशेष रूप से, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ऐसी शिक्षा को संदर्भित करता है जिसके माध्यम से एक व्यक्ति नई तकनीक के माध्यम से देश और विदेश की खबरों के अलावा अन्य जानकारी प्राप्त करता है। (वरिष्ठ पत्रकार मोहनदास नैमिशराय)

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जनसंचार का मुख्य माध्यम है। इससे हजारों मील दूर की गतिविधियों की लाइव जानकारी पल भर में उपलब्ध हो जाती है।

अशांत मन पत्रकारिता की जननी है।

रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, इंटरनेट और मल्टीमीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (Electronic Media) के घटक हैं। नई पत्रकारिता में समाचारों का प्रसार करना ही एकमात्र उद्देश्य नहीं है, बल्कि इसके उद्देश्य मनोरंजन, राय-विश्लेषण, समीक्षा, साक्षात्कार, घटना-विश्लेषण, विज्ञापन और कुछ हद तक समाज को प्रभावित करने में भी निहित हैं। मीडिया समाज का आईना होने के साथ-साथ जागरूकता लाने का भी माध्यम है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रसारण सिद्धांत

ध्वनि – ध्वनि ही एकमात्र ऐसा उपकरण है जो दृश्य चित्र बनाने में मदद करता है। घोड़ों की आवाज, युद्ध के मैदान का वर्णन, जानवरों और पक्षियों की चहचहाहट, बारिश की बूंदें, दरवाजे के खुलने की आवाज, चीजों की जोर से पीटने की आवाज, लाठी-डंडों की आवाज, चरम चाप की आवाज, बस और ट्रेन के आने की घोषणा, रेलवे मंच दृश्य, आदि का आनंद केवल रेडियो पर ध्वनि द्वारा लिया जा सकता है।

चित्रलेखन – ध्वनियों और चित्रों का एक साथ प्रसारण टेलीविजन की वास्तविक प्रक्रिया है। इसके प्रसारण में ध्वनि के साथ-साथ चित्रों के कलात्मक उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
संगीत – संगीत मनोरंजन का एक ऐसा साधन है जिससे मनुष्य ही नहीं बल्कि सांप और हिरण जैसे जानवर भी मोहित हो जाते हैं। संगीत से ही नाटकीयता का उदय होता है। रुचि बढ़ती है।

यह भी पढ़े:- WhatsApp पर फर्जी ख़बरों को इन 5 तरीकों से पता लगायें, जानें पूरी जानकारी

शूटिंग के समय कैमरा-निर्माता को शूटिंग सीक्वेंस का सीक्वेंस तय करना होता है। दूरदर्शन और फिल्म लेखन यानी शॉट, सीन, सीक्वेंस में थ्री (एस) का भरपूर इस्तेमाल होता है। वही लेखक दूरदर्शन और सिनेमा में सफल हो सकता है। जिन्हें अभिनय, गायन, फिल्मांकन और संपादन का पूरा ज्ञान है।

भाषा:- रेडियो की भाषा आम आदमी से जुड़ी हुई भाषा है, जो झोपड़ी से लेकर महल तक सुनी जाती है। जबकि टेलीविजन की भाषा एक खास वर्ग के लिए है। रेडियो पर आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया जाता है। इस भाषा में क्षेत्रीय शब्दों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। जो अपनी परंपरा, संस्कृति और धर्म से जुड़े हुए हैं। वैश्वीकरण टेलीविजन की भाषा में है। विदेशी संस्कृति से संबंधित शब्दों का प्रयोग अधिक होता है। आजादी के 55 साल बाद भी छोटे शहरों में टेलीविजन की आवाज नहीं पहुंची है। रेडियो वहाँ पर है। वाक्य हमेशा छोटे होने चाहिए। साहित्यिक शब्द श्रोता की रुचि को नष्ट कर देते हैं।

संक्षिप्तता – इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एक समयबद्ध प्रसारण है, इसलिए बहुत कुछ कहना इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की विशेषता है।

रचनात्मक और मीडिया

कविताएँ, कहानियाँ, नाटक, रिपोर्ट, साक्षात्कार, विज्ञापन, अनुवाद, भाष्य, विशेषताएँ, यात्रा वृतांत, पुस्तक समीक्षा आदि साहित्य के रचनात्मक पहलू हैं। जब इनका संबंध रेडियो और टेलीविजन से जुड़ा होता है तो ये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की श्रेणी में आते हैं।

पारंपरिक जनसंचार माध्यमों के माध्यम से प्राचीन काल से रचनात्मक शक्ति व्यक्त की जाती रही है, लेकिन आधुनिक जनसंचार माध्यमों ने निश्चित रूप से मनुष्य की रचनात्मक शक्ति में चार चाँद लगा दिए हैं।

कठपुतली, नौटंकी, तमाशा, ढोलक आदि माध्यमों से सृष्टि की अभिव्यक्ति होती रही और ये माध्यम अपनी पैठ बनाते रहे। फिर छपाई की कला आई। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के रूप में मनुष्य की रचनात्मक शक्ति देखी गई। दोनों का अपना घर है। शब्द संरचना अलग है। भाषा अलग है। प्रस्तुत करने का तरीका बिल्कुल अलग है।
एक कहानी एक कहानी है। इसे सुनने की ललक शुरू से ही मनुष्य में रही है। घटना की मौलिकता को पारंपरिक कहानी का मुख्य गुण माना गया है।

यह भी पढ़े:- Aadhaar में नाम, पता और जन्मतिथि गलत हो गई है तो घर पर ही ठीक करें, बिना किसी टेंशन के हो जाएगा काम 

आगे क्या हुआ

कहानी के मुख्य तत्व कथानक, पात्र, देश, संवाद, भाषा शैली, उद्देश्य हैं। मीडिया की गोद में होने का मतलब है कि कहानी सर्वव्यापी होनी चाहिए। यानी बच्चे से लेकर बूढ़े तक इसका लुत्फ उठा सकते हैं। जब टेलीविजन के लिए कहानी लिखी जाती है, तो दृश्यों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

कहानी के दृश्यों को फिल्माने के लिए विभिन्न स्थानों, कोणों की योजना बनाने में एक विशेष प्रकार की साहित्यिक तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिसे आज हम ‘पटकथा’ के रूप में जानते हैं। इस तकनीक में कहानी को संक्षिप्त रूप में लिखा जाता है। अनुवाद का अंत टा, ती है, ते है लेकिन होता है।

कहानी के मुख्य बिंदुओं का उल्लेख करते हुए अगले चरण का संकेत दिया गया है। कहानी के क्रमिक विकास को दर्शाया गया है। फिर दृश्य को दृश्यों में विभाजित किया जाता है। दृश्य-दर-दृश्य रूप में लिखी गई साहित्य की तकनीक को लिपि कहा जाता है। पटकथा के अंतिम संस्करण में कहानी के साथ-साथ कैमरा, ध्वनि, अभिनय आदि भी पूरी तरह से निर्देशित हैं।

पटकथा की भाषा के अलावा मीडिया से जुड़ी तकनीक का भी काफी ज्ञान होना जरूरी है। हर तरह के सीन को फिल्माने के लिए पहले ‘मास्टर शॉट’ लेना पड़ता है। इसके बाद सब्जेक्ट से जुड़ा शॉट लिया जाता है। मास्टर शॉट के बाद मिड शॉट और फिर दो शॉट के बाद क्लोजअप शॉट होता है।

यह भी पढ़े:- बड़ी खबर! 50 रुपये से कम के UPI ट्रांजेक्शन अब नहीं कर पाएंगे, जल्द ही बदलने जा रहे नियम

रिपोर्ताज सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं है, बल्कि लेखक के लिए दिल, भावना और दो-दृष्टि वाले, संवेदनशील व्यक्तित्व का होना नितांत आवश्यक है। जो व्यक्ति इन बातों में लीन नहीं है, उसे केवल रिपोर्टर ही कहा जा सकता है। घटना का मार्मिक वर्णन रिपोर्ताज है।

  • एक अच्छा रिपोर्टर वह व्यक्ति हो सकता है जिसमें नाटकीयता, रुचि, उत्सुकता आदि के गुण हों।
  • शहरों, पहाड़ों, झीलों, सम्मेलनों आदि विषयों पर अच्छी रिपोर्ट लिखी जाती है।
  • प्रिंट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अक्सर विषय विशेषज्ञों, लेखकों, कलाकारों, राजनेताओं, समाज सुधारकों आदि के साक्षात्कार बहुतायत में लिखे जाते हैं।

इस विधा के माध्यम से दो व्यक्तियों की मानसिकता को पढ़ा, सुना और देखा जा सकता है। एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से बात करके सत्य के स्तर तक पहुँच जाता है।

15 अगस्त, 26 जनवरी, राष्ट्रीय नेता का अंतिम संस्कार जुलूस, जब हम रेडियो और टेलीविजन पर खेल की आंखों और आंखों को सुनते हैं, तो इसे कमेंट्री कहा जाता है।

कमेंटेटर को घटना के हर विवरण का वर्णन करना होता है। खेल कमेंट्री उत्तेजक और रोमांचक है जबकि अंतिम संस्कार का जुलूस भावनाओं से भरा होता है।

चाहे वह रेडियो के लिए हो या टेलीविजन के लिए, कमेंटेटर का लहजा घटना के लिए उपयुक्त होना चाहिए।
सामग्री को पहले अच्छी तरह से पढ़ा जाना चाहिए।

इस विधा में उच्चारण पहला गुण है। साथ ही टेक्निकल नॉलेज भी होनी चाहिए।

यह भी पढ़े:- अगर आप बेवजह ई-मेल से हैं परेशान तो Gmail पर ऐसे करें आईडी ब्लॉक, जानिए पूरी प्रक्रिया

समाचार लेख

रेडियो समाचार बुलेटिन और समाचार दर्शन रेडियो समाचार के दो रूप हैं। बुलेटिन में देशी-विदेशी खबरों को रखा जाता है। घरेलू और विदेशी समाचार का अर्थ है कि जब समाचार पूरे देश से संबंधित होता है, तो उसे राष्ट्रीय स्तर का समाचार कहा जाता है, लेकिन जहां समाचार का स्वर राष्ट्रीय स्तर पर नहीं बल्कि राज्य स्तर पर होता है, तो उसका प्रसारण किया जाता है। रेडियो पर प्रसारित होने वाले समाचारों को हम बुलेटिन कहते हैं। जबकि समाचार दर्शन का अर्थ उस समाचार से है जिसमें खेल प्रतियोगिता, दुर्घटना स्थल, बाढ़ दर्शन, साक्षात्कार, व्याख्यान, रोचक घटनाओं का वर्णन आता है।

बोलने से पहले समाचार को छोटे और सरल वाक्यों में कागज पर लिखा जाता है। इस लिखित रूप को रेडियो-लिपि कहा जाता है। सुनने वाले को हमेशा यह महसूस करना चाहिए कि न्यूज रीडर जोर से बोल रहा है।

रेडियो समाचार की भाषा सरल होनी चाहिए। साहित्यिक भाषा कभी भी कारक नहीं होनी चाहिए। यह मानकर लिखा जाना चाहिए कि मुझे एक अनपढ़ व्यक्ति को समाचार सुनाना है। समाचारों में दैनिक भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए।

वाक्य में उतने शब्द होने चाहिए जितने एक सांस में बोले जा सकते हैं। क्या, क्यों, कब, कहाँ, कौन और कैसे आदि छह शब्द रेडियो समाचार के मुख्य घटक हैं, इसलिए इन छह तत्वों को ध्यान में रखते हुए समाचार तैयार करना चाहिए।
रेडियो समाचार लेखन में तिथि के स्थान पर दिन का प्रयोग किया जाता है।

महीने और साल का नाम देने के बजाय, ‘आज’, रविवार, सोमवार या बस ‘इस सप्ताह’, ‘इस महीने’, अगले महीने, पिछले साल, अगले साल आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। उपरोक्त शब्दों, अप्रसन्नता, अपर्याप्त संसाधनों आदि का क्रमशः प्रयोग नहीं करना चाहिए।

स्क्रिप्ट लिखते समय, पंक्तियाँ स्पष्ट होनी चाहिए, शब्द अलग-अलग होने चाहिए, कागज के दोनों किनारों पर समान मार्जिन के साथ और पृष्ठ समाप्त होने से पहले वाक्य समाप्त हो जाना चाहिए।

छोटी संख्याओं को हमेशा संख्याओं में और बड़ी संख्याओं को शब्दों में लिखना चाहिए। इसके भी दो तरीके हैं- पहला बारह हजार चार सौ पच्चीस, दूसरा 12 हजार चार सौ पच्चीस (12425)।

यह भी पढ़े:-  यह LIC Policy बच्चे को ‘लखपति’ बनाएगी, इस योजना को जन्म पर ही खरीद लीजिए

हेडलाइंस को हमेशा बोल्ड किया जाता है ताकि समाचार पाठक इसे जोर से पढ़ सकें।

अक्सर रेडियो पर 5,10,15 मिनट का समाचार बुलेटिन होता है। 2 मिनट का समाचार संक्षेप में दिया जाता है जबकि दस और पंद्रह मिनट का समाचार तीन चरणों में विभाजित किया जाता है। पहले चरण में मुख्य समाचार और दूसरे चरण में विस्तार से समाचार और अंतिम चरण में फिर से मुख्य समाचार बोले जाते हैं।
रेडियो पत्रकारिता एक समय सीमा के भीतर चलती है, इसलिए इस पत्रकारिता की विशेषता 20 या 30 शब्दों में समाचार तैयार करना है।

10 मिनट के बुलेटिन में चार से छह और 15 मिनट के बुलेटिन में छह से आठ हेडलाइन होते हैं। 15,000 शब्दों का बुलेटिन है।

टेलीविजन

टेलीविजन के लिए लिखने वाला व्यक्ति दृश्यों और छवियों के बारे में सोचता है। टेलीविजन समाचार के दो पहलू होते हैं। पहले पक्ष में समाचार लेखन के अलावा समाचार रचना, दृश्य रचना और संपादन का कार्य आता है। पढ़ने का काम दूसरी तरफ रखा गया है।

समाचार तैयार करते समय समाचार से संबंधित दृश्यता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
ग्राफ, डायग्राम और नक्शों का संयोजन भी एक तरह से किया जाता है। समय-सीमा का भी ध्यान रखना होगा।

एक टेलीविजन समाचार संपादक का काम बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है। समाचार के लिए दृश्य संलग्न करना। समाचार और दृश्य सामग्री की समय सीमा भी तय करनी होगी। टेलीविजन पर समाचार संवाददाता समाचार वाचक हो भी सकता है और नहीं भी।

चित्रों का संपादन – समाचारों का वाचन क्रम से करना होता है।

टेलीविजन समाचार को रेडियो की तरह तीन चरणों में बांटा गया है। पहले और तीसरे चरण को मुख्य समाचार कहा जाता है। दूसरा चरण विस्तार से खबर है। प्रत्येक बुलेटिन में छह या आठ शीर्षक होते हैं। शीर्षक संक्षिप्त हैं। संपादक समाचार की चार प्रतियां तैयार करता है। फ्लोर मैनेजर, रीडर और प्रोड्यूसर को एक-एक कॉपी दी जाती है। वह चौदहवीं प्रति अपने पास रखता है।

नवीनता, स्पष्टता, संक्षिप्तता और भाषा पर पूरा ध्यान देना चाहिए। अतः टेलीविजन समाचार कार्यक्रमों में चित्रात्मकता, संक्षिप्तता, बोलचाल की भाषा, रुचि के अतिरिक्त समय-सीमा को विशेष गुण माना गया है।

यह भी पढ़े:- WhatsApp पर गलती से भी गलती न करें ये गलतियां, नहीं तो आपको जेल भी जाना पड़ सकता है

समाचार पढ़ना

रेडियो वाचन

रेडियो प्रस्तुति के लिए स्वाभाविकता, आत्मीयता और विविधता को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। प्रिंट मीडिया हमें 24 घंटे बाद खबर देता है जबकि रेडियो हमें तुरंत खबर देता है। रेडियो के माध्यम से हम हर घंटे देश-विदेश में होने वाली ताजा घटनाओं से अवगत होते हैं, लेकिन संचार के अन्य माध्यमों से यह संभव नहीं है।

रेडियो समाचार के तीन चरण होते हैं – पहले चरण में समाचार विभिन्न स्रोतों से संकलित किए जाते हैं। दूसरे चरण में समाचार का चयन किया जाता है और तीसरे चरण में समाचार लेखन आता है।

समाचार जनहित और राष्ट्रहित में होना चाहिए। समाचार संपादक केवल मान्यता प्राप्त मीडिया से समाचार स्वीकार करता है।

समाचार छोटे वाक्यों और सरल भाषा में लिखे जाते हैं। खबर छोटी और पूरी लिखी जाती है। समाचारों में आंकड़े कम ही दिए जाते हैं। समाचार लिखने के बाद समाचार संपादक एक बार फिर समाचार की समीक्षा करता है। फिर समाचार को ‘पूल’ में रखा जाता है। पूल का अर्थ है जहां से समाचार पाठक को पढ़ने के लिए समाचार दिया जाता है। पूल को तीन भागों में बांटा गया है – पहला भाग देश समाचार रखता है। इस पूल में राजनीतिक खबरें भी रखी जाती हैं। दूसरे भाग में विदेशी समाचारों को रखा गया है। खेल समाचार को तीसरे पूल में रखा गया है। हर बुलेटिन के लिए अलग पूल है। पार्लियामेंट न्यूज के लिए अलग पूल है।

बुलेटिन की सजीवता, सफलता और प्रभावशीलता संपादक के कौशल का प्रमाण है। समाचारों में विराम की व्यवस्था भी होती है। इस अवसर पर समाचार वाचक कहते हैं – ‘आप यह समाचार आकाशवाणी से सुन रहे हैं, या यह समाचार आकाशवाणी से प्रसारित किया जा रहा है।

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें और  टेलीग्राम पर ज्वाइन करे और  ट्विटर पर फॉलो करें .डाउनलोड करे Talkaaj.com पर विस्तार से पढ़ें व्यापार की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

Post Views: 2,201

Facebook

Twitter

Telegram

WhatsApp

Print

TalkAaj

Leave a Comment Cancel reply

Comment

Name Email Website

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Δ

Top Stories

Ration Card है तो 500 रुपये में मिलेगा गैस सिलेंडर, सरकार ने दी बड़ी जानकारी!

January 2, 2023

सावधान! बाइक है तो जानिए New Traffic Rules, वरना देना होगा 25,000 का चालान

January 2, 2023

PM Vaya Vandana Yojana Details Review In Hindi: इस योजना में सरकार देगी 72 हजार रुपये, ऐसे करें तुरंत आवेदन

January 1, 2023

ACF Kya Hai? Full Form of ACF in Hindi

January 1, 2023

Maruti Alto K10 को 40 हजार में घर लाए! 34kmpl का माइलेज, देखे आसान फाइनेंस प्लान

January 1, 2023

Changes From 1 January 2023 In Hindi: आज से कई नियमों में बड़ा बदलाव, आपकी जेब पर पड़ेगा भारी असर

January 1, 2023

Income Tax News: बड़ी खबर, अब इनकम पर लगेगा सिर्फ 5% टैक्स, वित्त मंत्री ने जारी किया आदेश!

January 1, 2023

अगर आपके पास गाड़ी है तो आज ही कर लें ये 3 जरूरी काम, वरना लगेगा 5000 का जुर्माना

January 1, 2023

Inter Caste Marriage Kya h Janiye Puri Jankari | Marriage Certificate से मिलेंगे अब 5 लाख रुपये! जल्द इस तरह करें आवेदन

December 31, 2022

Train coach color in Hindi : इसलिए कोच का रंग लाल, हरा और नीला होता है; क्या आप कारण जानते हैं?

December 31, 2022

Filmywap Bollywood and Hollywood Movies & Web-stories Download- Filmywap.com

December 31, 2022

रसोई गैस की छुटी, घर लाए ये सस्ता Solar Stove, 3 टाइम का खाना आराम से बनेगा, ऐसे खरीदें

December 30, 2022

किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, बस इस नंबर पर दें Missed Call, सीधे खाते में आएंगे पैसे

December 30, 2022

Maruti Suzuki की ये शानदार कार जल्द मार्केट में तहलका मचाने आ रही है, देखकर मन हो जायेगा खुश  

December 30, 2022

40 Best Advanced SEO Techniques in 2023 (Beginner Guide)

December 30, 2022

हेलमेट पहनने को लेकर बदल गए ट्रैफिक नियम, नियम तोड़ने पर लगेगा भारी जुर्माना, जानें New Traffic Rules

December 29, 2022

PM Yuva 2.0 Yojana: मोदी सरकार की इस योजना में हर महीने मिलेंगे 50 हजार, ऐसे करें आवेदन

December 29, 2022

How to install Minecraft for free on Computer?

December 29, 2022

Online Games on Poki Complete Review 

December 29, 2022

ब्लॉग से पैसे कैसे कमाए – ऐसे कमायें 1 लाख रुपए महीना | Blog Se Paise Kaise Kamaye Full Review

December 28, 2022

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की लोकप्रियता का कारण क्या है? - ilektronik maadhyam kee lokapriyata ka kaaran kya hai?

Ration Card है तो 500 रुपये में मिलेगा गैस सिलेंडर, सरकार ने दी बड़ी जानकारी!

TalkAaj January 2, 2023

Ration Card है तो 500 रुपये में मिलेगा गैस सिलेंडर, सरकार ने दी बड़ी जानकारी! Ration Card Rules: हर दिन बढ़ती गैस सिलेंडर की कीमतों

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की लोकप्रियता का कारण क्या है? - ilektronik maadhyam kee lokapriyata ka kaaran kya hai?

सावधान! बाइक है तो जानिए New Traffic Rules, वरना देना होगा 25,000 का चालान

TalkAaj January 2, 2023

सावधान! बाइक है तो जानिए New Traffic Rules, वरना देना होगा 25,000 का चालान New Traffic Rules : नए ट्रैफिक नियमों ( new traffic rules

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की लोकप्रियता का कारण क्या है? - ilektronik maadhyam kee lokapriyata ka kaaran kya hai?

PM Vaya Vandana Yojana Details Review In Hindi: इस योजना में सरकार देगी 72 हजार रुपये, ऐसे करें तुरंत आवेदन

TalkAaj January 2, 2023

PMVVY – PM Vaya Vandana Yojana Details Review In Hindi: इस योजना में सरकार देगी 72 हजार रुपये, ऐसे करें तुरंत आवेदन Modi sarkar Pension

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की लोकप्रियता के क्या कारण है?

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण यह है कि हम इसे देख, सुन और पढ़ सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से जानकारी जानने के लिए साक्षरता महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि उपभोक्ता वीडियो देखकर या ऑडियो वर्जन सुनकर भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के कितने साधन है?

रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, इंटरनेट और मल्टीमीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (Electronic Media) के घटक हैं।

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम क्या है in Hindi?

Electronic Media Kya Hai सरल शब्दों में, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वह माध्यम है जो ऑडियो और विजुअल मोड के माध्यम से तत्काल जानकारी प्रदान करता है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के उदाहरण टेलीविजन, रेडियो, इंटरनेट आदि हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया लोगों को एक-दूसरे से जोड़कर संचार को आसान बनाता है।

इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम कौन कौन से हैं?

जनसंचार के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम.
रेडियो आधुनिक संचार क्रांति ने समाचार जगत में उथल-पुथल कर दी है। ... .
टेलीविजन टेलीविजन जनसंचार का बहुत ही प्रभावशाली और युवा माध्यम है। ... .
कम्प्यूटर सम्प्रति सर्वत्र कम्प्यूटर का वर्चस्व हैं। ... .
मल्टीमीडिया ... .
इन्टरनेट.