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प्रश्न 1:‘जामुन का पेड़' पाठ का प्रतिपाद्य बताइए।उत्तर- जामुन का पेड़ कृश्नचंदर की प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कथा है। हास्य व्यंग्य के लिए चीजों को अनुपात से ज्यादा फैला फुलाकर दिखलाने की परिपाटी पुरानी है और यह कहानी भी उसका अनुपालन करती है। इसलिए इसकी घटनाएँ अतिशयोक्तिपूर्ण और अविश्वसनीय लगने लगती हैं। विश्वसनीयता ऐसी रचनाओं के मूल्यांकन की कसौटी नहीं हो सकती। यह पाठ यह स्पष्ट करता है कि कार्यालयी तौर तरीकों में पाया जाने वाला विस्तार कितना निरर्थक और पदानुक्रम कितना हास्यस्पद है। यह व्यवस्था के संवेदनशून्य व अमानवीयता के रूप को भी बताता है। प्रश्न 2:माली को दबे हुए आदमी से सहानुभूति होने का क्या कारण था?उत्तर- माली का काम लॉन में लगे पेड़-पौधों की देखभाल करना था। रात की आँधी में सचिवालय के लॉन में खड़ा पेड़ गिर गया तथा उसके नीचे एक आदमी दब गया। माली ने विभाग को इसकी सूचना दे दी, जब तक पेड़ नहीं हटता, तब तक माली की ड्यूटी उसकी देखभाल की थी। इसलिए उसे पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति से सहानुभूति हो गई। वह जल्द से जल्द इस समस्या से भी छुटकारा पाना चाहता था। प्रश्न 3:जामुन का पेड़ गिरा देखकर क्लर्क ने क्या प्रतिक्रिया की?उत्तर- लॉन में जामुन का पेड़ गिर गया। उसे देखकर क्लर्क को दुख हुआ, क्योंकि अब उसे उसके मीठे फल खाने को नहीं मिलेंगे। उसे पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति की कोई चिंता नहीं थी। प्रश्न 4:माली ने दबे हुए आदमी को बाहर निकालने के लिए क्या शर्त लगाई?उत्तर- माली सरकारी कर्मचारी था। अगर वह स्वयं उस व्यक्ति को निकालने का निर्णय लेता तो ऊपर के अधिकारी उसे परेशान करते। अतः उसने अपनी परेशानी को देखते हुए सुपरिंटेंडेंट साहब से इजाजत लेने की बात कही। उसने कहा कि अगर सुपरिंटेंडेंट साहब हुक्म दें तो अभी पंद्रह बीस माली, चपरासी और क्लर्क लगाकर पेड़ के नीचे से दबे हुए आदमी को निकाला जा सकता है। प्रश्न 5:हॉर्टीकल्चर विभाग का जवाब व्यंग्यपूर्ण क्यों था?उत्तर- हॉर्टीकल्चर विभाग के सचिव ने जवाब दिया कि उनका विभाग 'पेड़ लगाओ' अभियान में जोर-शोर से जुटा हुआ है। ऐसे में किसी भी अधिकारी को पेड़ काटने की बात नहीं सोचनी चाहिए। जामुन फलदार पेड़ है। अतः फलदार पेड़ को काटने की अनुमति कदापि नहीं दे सकते। लेखक व्यंग्य करता है कि ऐसे अफसरों को अपनी नीतियों, फलों की अधिक चिंता रहती है, व्यक्ति की जान की नहीं। प्रश्न : 6पेड़ के बजाय आदमी को काटने की सलाह पर टिप्पणी करें।उत्तर- एक मनचले क्लर्क ने सलाह दी कि यदि जामुन के फलदार पेड़ को बचाने की जरूरत है तो उसके नीचे दबे आदमी को काटकर निकाल लो, फिर उसे प्लास्टिक सर्जरी से जोड़ दिया जाएगा। इस तरीके से पेड़ भी बच जाएगा। यह सुझाव सरकारी बाबुओं की संवेदनशून्यता पर चोट करती है। ये ऊट-पटांग सुझाव देते हैं ताकि अफसर खुश रह सके। प्रश्न : 7साहित्य अकादमी के सचिव ने शायर को क्या बताया?उत्तर- उसने शायर को बताया कि तुम्हें केंद्रीय शाखा का सदस्य चुन लिया गया है और तुम्हारे मरणोपरांत तुम्हारी बीवी को वजीफा दिया जाएगा। परंतु हमारा विभाग पेड़ के नीचे से तुम्हें नहीं निकाल सकता। यह काम साहित्य अकादमी का नहीं है। हालाँकि हमने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को लिख दिया है और अर्जेंट लिखा है। Gujarat Board GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Aaroh Chapter 8 जामुन का पेड़ Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf. GSEB Class 11 Hindi Solutions जामुन का पेड़ Textbook Questions and Answers अभ्यास
पाठ के साथ : प्रश्न 1. ख. इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है ? प्रश्न 2. माली की बात सुनकर यह आदमी आह भरते हुए एक शायरी कहता है – ‘ये तो माना कि तग़ाफुल न करोगे लेकिन यह सुनकर माली आश्चर्यचकित रह गया और कहता है कि क्या तुम शायर हो ? उसने हामी भरते हुए सिर हिलाया ! फिर क्या था माली ने फौरन इस बात की चर्चा क्लकों के साथ की। इस प्रकार इस बात की चर्चा सारे शहर में फैल गई। सेक्रेटेरियट के लॉन में शहर भर के जाने-माने शायर इकट्ठे हो गए। तभी वह फाइल कल्चर डिपार्टमेंट को भेजी गई। वहाँ का सचिव उस आदमी का इंटरव्यू लेने वहाँ पहुँचा और उसे अकादमी का सदस्य बना दिया किंतु यह कहकर कि पेड़ के नीचे से निकालने का काम उसके विभाग का नहीं है। वह फाइल वन विभाग को भेज देता है। इससे उसकी समस्या का निदान पाने में उसे और समय लग रहा है। समस्या सुलझने के बदले और भी उलड़ा जाती है। प्रश्न 3. प्रश्न 4.
इस पाठ से यह पता चलता है कि किसी भी विभाग में संवेदना नहीं है। हरेक विभाग अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहता है। या यूँ कहें कि अपने फर्ज से बचना चाहता है। इतनी गंभीर और जानलेवा समस्या को सुलझाने में किसी विभाग को रस नहीं पाठ के आसपास प्रश्न 1. इस प्रकार से उन लोगों का संकल्प भंग हो जाता है। वे चाहकर भी पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी को बचा नहीं पाते। दूसरा प्रसंग :- यह दूसरा प्रसंग दोपहर के भोजन के समय आता है। दबे हुए व्यक्ति को बाहर निकालने के लिए बनी फाइल आधे दिन तक सेक्रेटेरियट में घूमती रही, परंतु कोई फैसला न हो सका। इसी बीच कुछ मनचले किस्म के सरकारी कर्मचारी (क्लर्क) सरकारी फैसले के इंतजार के बिना पेड़ को स्वयं हटा देना चाहते थे कि उसी समय सुपरिंटेंडेंट फाइल लेकर भागा-भागा आया और कहा कि हम खुद इस पेड़ को नहीं हटा सकते। यह पेड़ कृषि विभाग के अधीन है। वहाँ से जवाब आने पर पेड़ हटवा दिया जाएगा। इसी प्रकार दूसरी बार फाइल अन्य विभाग में भेजने के कारण लोगों का संकल्प भंग हो जाता है। प्रश्न 2. अधिकारियों तथा विभागों की फूहड़ हरकतें हास्य के साथ करुणा को जाग्रत करती हैं। इसी प्रकार फाइल एक विभाग से दूसरे विभागों में घूमती रहती है। सिर्फ वहाँ के माली ही दया करके उसे खाना देता है। कुछ लोग आदमी को काटकर उसे प्लास्टिक सर्जरी से जोड़ने की बात कहते हैं। यह संवेदनहीनता का रूप है। कल्चर विभाग का सचिव उसे अकादमी का सदस्य बना देता है, और इसी खुशी में उससे मिठाई की मांग करता है। परंतु उसे बचाने का प्रयास भी नहीं करता। अन्य देशों के संबंध के नाम पर आम आदमी की बलि चढ़ाई जा सकती है। ये सभी घटनाएँ करुणा की गहनता को व्यक्त करती हैं। कुल मिलाकर पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी को बचाने की जगह जामुन की तारीफ करना, विभिन्न विभागों की बेहूदा बातें और तर्क, दबे हुए आदमी को काटकर फिर प्लास्टिक सर्जरी करने का कुतर्क, उसे साहित्य अकादमी का सदस्य बना देना, उससे मिठाई माँगना आदि घटनाएँ हास्य को जन्म देती है, वहीं पेड़ के नीचे दबे हुए व्यक्ति की दुर्दशा और मरणासन्न अवस्था पर करुणा भी जगती है। प्रश्न 3. यदि मैं माली की जगह होता तो मेरी सहानुभूति दबे हुए व्यक्ति के साथ होती। क्योंकि इंसान की जिंदगी से बढ़कर और कुछ नहीं है। अपनी नजर के सामने तड़पते हुए आदमी को बचाना ही मनुष्य की प्रथम आवश्यकता, अनिवार्यता, दायित्व और धर्म होता है। यही कारण है कि आज-कल सरकार ने भी दुर्घटना में घायल या तड़पते हुए आदमी को बचानेवाले या अस्पताल पहुँचानेवाले आदमी को कानूनी दावपेच से मुक्त करने की पहल की है। प्रश्न 4. प्रश्न 5. शीर्षक सुझाइए. प्रश्न 1. भाषा की बात प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
(सरल वाक्य)
प्रश्न 3.
Hindi Digest Std 11 GSEB जामुन का पेड़ Important Questions and Answers पाठ के साथ प्रश्न 1. प्रश्न 2. ससंदर्भ व्याख्या कीजिए। प्रश्न 1. व्याख्या : प्रस्तुत गद्यांश कृश्नचंदर द्वारा लिखित ‘जामुन का पेड़’ नामक हास्य-व्यंग्य कथा के मध्यांतर में रात को माली ने उस ‘जामुन के पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी को बताया कि कल सभी सचिवों की बैठक होगी। वहाँ केस सुलझने के आसार हैं अर्थात् तुम्हारी समस्या का निवारण अब हो जायेगा। माली की बात सुनकर दबा हुआ आदमी एक शायरी सुनाता है कि “ये तो माना कि तग़ाफूल न करोगे लेकिन खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक !” कृश्नचंदर ने इस शेर का बड़ा ही खूबसूरत प्रयोग किया है। आज के दौर में सभी लोग एवं संस्थाएँ अपनी-अपनी जवाबदारियों से छूटने के लिए बहाने ढूंढते रहते हैं – मामला चाहे कितना ही पेचीदा क्यों न हो ! यहाँ पेड़ के नीचे दबे आदमी की जान पर बन आई है, और उधर सारे लोग अमानवीय ढंग से पेश आ रहे हैं। जब तक उसकी समस्या का हल होगा तब तक तो वह दुनिया की सारी समस्याओं से मुक्त हो जायेगा ! होता भी ऐसा ही है। विशेष :-
प्रश्न 2. मुख्य पात्र इसी जामुन के पेड़ के नीचे दबा है। फिर जामुन के पेड़ को लेकर ही विविध डिपार्टमेन्ट में जो फाइल चलती है। संक्षेप में सारी कथा जामुन के पेड़ के इर्द गिर्द मंडराती रहती है। अतः यह एक प्रतीकात्मक, व्यंग्यपूर्ण एवं आकर्षक शीर्षक है। योग्य विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न
7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. एक-दो वाक्यों में उत्तर दीजिए। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. अपठित गद्य नीचे दिए गए गयखंड को पढ़कर उस पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए। भूमि, भूमि पर बसनेवाला जन, और जन की संस्कृति, इन तीनों के सम्मिलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता है। राष्ट्र का तीसरा अंग जन की संस्कृति है। मनुष्यों ने युग-युगों में जिस सभ्यता का निर्माण किया है वही उसके जीवन की श्वासप्रश्वास है। बिना संस्कृति के जन की कल्पना कबन्धमात्र है, संस्कृति ही जन का मस्तिष्क है। संस्कृति के विकास और अभ्युदय के द्वारा ही राष्ट्र की वृद्धि सम्भव है। राष्ट्र के समग्न रूप में भूमि और जन के साथ-साथ जन की संस्कृति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यदि भूमि और जन अपनी संस्कृति से विरहित कर दिए जाएँ तो राष्ट्र का लोप समझना चाहिए। जीवन के बिटप का पुष्प संस्कृति है। भूमि पर बसनेवाले जन ने ज्ञान के क्षेत्र में जो सोचा है और कर्म के क्षेत्र में जो रचा है. दोनों के रूप में हमें राष्ट्रीय संस्कृति के दर्शन मिलते हैं। जंगल में जिस प्रकार अनेक लता, वृक्ष और वनस्पति अपने अदम्य भाव से उठते हुए पारस्परिक सम्मिलन से अविरोधी स्थिति प्राप्त करते है, उसी प्रकार राष्ट्रीय जन अपनी संस्कृतियों के द्वारा एक-दूसरे के साथ मिलकर राष्ट्र में रहते है। जिस प्रकार जलों के अनेक प्रवाह नदियों के रूप में मिलकर समुद्र में एकरूपता प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार राष्ट्रीय जीवन की अनेक विधियाँ राष्ट्रीय संस्कृति में समन्वय प्राप्त करती है। समन्वययुक्त जीवन ही राष्ट्र का सुखदायी रूप है। साहित्य, कला, नृत्य, गीत, आमोद-प्रमोद अनेक रूपों में राष्ट्रीय जन अपने-अपने मानसिक भावों को प्रकट करते हैं। गाँवों और जंगलों में स्वच्छन्द जन्म लेनेवाले लोकगीतों में, तारों के नीचे विकसित लोक कथाओं में, संस्कृति का अमित भण्डार भरा हुआ है, जहाँ से आनन्द की भरपूर मात्रा प्राप्त हो सकती है। राष्ट्रीय संस्कृति के परिचय-काल में उन सबका स्वागत करने की आवश्यकता है। वासुदेव शरण अग्रवाल प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. जामुन का पेड़ Summary in Hindiलेखक का जीवन परिचय : ‘कृश्नचंदर’ जी का जन्म 23 नवम्बर, सन् 1914 ई को पंजाब के गुजरांवाला जिला के वजीराबाद नामक गाँव में हुआ था। उनका बचपन पुंछ क्षेत्र (जम्मू और कश्मीर) में बीता। यहीं पर रहकर इन्होंने प्राथमिक शिक्षा भी प्राप्त की। कुश्नचंदर जी अपनी उच्च शिक्षा के लिए सन् 1930 में लाहौर आ गए तथा फॉरमेन क्रिश्चियन नामक कॉलेज में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके पश्चात् ई. 1934 में पंजाब के विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. किया। उन्होंने अपने जीवनकाल में बीस उपन्यास तथा 30 कथा संग्रह प्रकाशित किए। बाद में वे फिल्म जगत से जुड़ गए। रेडियो नाटक और फिल्मी पटकथाएँ भी लिखीं। सन् 1973 की प्रसिद्ध फिल्म ‘मनचली’ के संवाद उन्हीं के द्वारा लिखे हुए थे, मगर उनकी पहचान कहानीकार के रूप में अधिक हुई है। ‘महालक्ष्मी का पुल’, ‘आईने के सामने आदि उनकी मशहूर कहानियाँ हैं। उनकी लोकप्रियता इस कारण भी है कि वे काव्यात्मक रोमानियत और शैली की विविधता के कारण अलग मुकाम बनाते हैं। फिल्मी दुनिया से जुड़ने के बाद कृश्नचंदर जी अंत तक मुंबई में ही रहे। तथा इन्हें साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया गया तथा भारत सरकार ने इन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया। इनका निधन 8 मार्च, 1977 में हुआ। रचनाएँ : इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं : नज्जारे, जिंदगी के मोड़ पर, तीन गुंडे, एक गिरजा-ए-खंदक, समुन्दर दूर है, अन्नदाता, दिल किसी का दोस्त नहीं, टूटे हुए तारे, तलिस्में खिआल, यूकेलिप्ट्स की डाली, जामुन का पेड़ उपन्यास : एक गधे की वापसी, अन्नदाता, सपनों का कैदी, हम वहशी है, कागज की नाव, एक वायलिन समंदर के किनारे, रेत का महल, जेरगाँव की रानी, पिआसी धरती पिआसे लोक, शिकस्त साहित्यिक विशेषताएँ : प्रेमचंद के बाद जिन-जिन कहानीकारों ने कहानी विधा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया उनमें कृश्नचंदर का नाम महत्त्वपूर्ण है। इनका प्रगतिशील लेखक संघ से गहरा संबंध था। इस विचारधारा का असर इनके साहित्य पर भी मिलता है। ये उन लेख्यकों में है जिन्होंने लेखन को ही रोजी-रोटी का सहारा बनाया। कृश्नचंदर उर्दू कथा-साहित्य में अनूठी रचनाशीलता के लिए बहुचर्चित रहे हैं। ये प्रगतिशील और यथार्थवादी नज़रिए से लिख्ने जानेवाले साहित्य के पक्षधर थे। जामुन का पेड़ : कृश्नचंदर की एक प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कथा है। हास्य-व्यंग्य के लिए चीजों को अनुपात से ज्यादा फैला-फुलाकर दिखलाने की परिपाटी पुरानी है और यह कहानी भी उसका अनुपालन करती है। इसलिए यहाँ घटनाएँ अतिशयोक्तिपूर्ण और अविश्वसनीय जान पड़े, तो कोई हैरत नहीं। विश्वसनीयता ऐसी रचनाओं के मूल्यांकन की कसौटी नहीं हो सकती। प्रस्तुत पाठ में हँसतेहँसते ही हमारे भीतर इस बात की समझ पैदा होती है कि कार्यालयी तौर-तरीकों में पाया जानेवाला विस्तार कितना निरर्थक और पदानुक्रम कितना हास्यास्पद है। बात यहीं तक नहीं रहती – इस व्यवस्था के संवेदनशून्य एवं अमानवीय होने का पक्ष भी हमारे सामने आता है। पाठ का सारांश : रात को बड़े जोर की आँधी चली जिसमें सचिवालय के पार्क में जामुन का पेड़ गिर गया। सुबह माली ने देखा कि उसके नीचे ‘ एक आदमी दबा पड़ा है। उसने इस बात की सूचना तुरंत जाकर चपरासी को दी। इस तरह मिनटों में दबे आदमी के पास लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई। वहाँ मौजूद क्लर्क रसीले जामुनों की प्रशंसा कर ही रहे थे कि, तभी माली ने आदमी के बारे में पूछा। उन्हें उस आदमी के जीवित होने में संदेह था, तभी वह दबा आदमी बोल पड़ा। माली ने उस पर गिरे पेड़ को हटाने का सुझाव दिया परंतु सुपरिटेंडेंट ने अपने ऊपर के अधिकारी से पूछने की बात कही। इस तरह इस बात डिप्टी सेक्रेटरी, ज्वांइट सेक्रेटरी, चीफ सेक्रेटरी से होते हुए मिनिस्टर के पास पहुंची। मंत्री ने चीफ सेक्रेटरी से कुछ कहा और उसी क्रम में बात नीचे तक पहुँची और इसी तरह फाइल आगे चलती रही। दोपहर के खाने पर दबे हुए आदमी के चारों ओर बहुत भीड़ हो गई थी। लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे। कुछ मनचले क्लर्क सरकारी इजाजत के बिना पेड़ हटाने कि बात कहते हैं, कि तभी वहाँ सुपरिंटेंडेंट फाइल लेकर दौड़कर आया और कहा कि यह काम कृषि विभाग का है। वह उन्हें फाइल भेजने की बात करता है। कृषि विभाग ने पेड़ हटवाने की जिम्मेदारी व्यापार विभाग पर डाल दी। व्यापार विभाग ने कृषि विभाग पर जिम्मेदारी डालकर अपना पल्ला झाड़ लिया। दूसरे दिन भी फाइल चलती रही। शाम को इस मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग के हवाले करने का फैसला किया गया क्योंकि यह फलदार पेड़ हैं। रात को माली ने दबे हुए आदमी को दाल-भात खिलाया, जबकि उसके चारों तरफ पुलिस का पहरा था। माली ने उसके परिवार के बारे में पूछा तो दबे हुए आदमी ने स्वयं को लावारिस बताया। तीसरे दिन हॉर्टीकल्चर विभाग से जवाब आया कि आजकल पेड़ लगाओ स्कीम अथवा अभियान जोरशोर से चल रहा है। अतः जामुन के पेड़ को काटने की इजाजत नहीं दी जा सकती। एक मनचले ने आदमी को काटने की बात कही। इससे पेड़ बच जाएगा। दबे हुए आदमी ने इस पर आपत्ति की कि ऐसे तो वह मर जाएगा। आदमी काटनेवाले ने अपना तर्क दिया कि आजकल प्लास्टिक सर्जरी उन्नति कर चुकी है। यदि आदमी को बीच में से काटकर निकाल लिया जाए तो उसे प्लास्टिक सर्जरी से जोड़ा जा सकता है। इस बात पर फाइल मेडिकल विभाग को भेजी गई। वहाँ से रिपोर्ट आई कि सारी जाँच-पड़ताल करके पता चला कि प्लास्टिक सर्जरी तो हो सकती है किन्तु आदमी मर जाएगा। अतः यह फैसला रद्द हो गया। रात को माली ने उस आदमी को बताया कि कल सभी सचिवों की बैठक होगी। वहाँ केस सुलहाने के आसार हैं। दबे हुए आदमी ने गालिब का एक शेर सुनाया। ‘ये तो माना कि तग़ाफूल न करोगे लेकिन यह सुनकर माली हैरान हो गया। आदमी के शायर होने की बात सारे सचिवालय में फैल गई फिर यह चर्चा शहर में फैल गई और तरह-तरह के कवि व शायर वहाँ इकट्ठे हो गए। वे सभी अपनी रचनाएँ सुनाने लगे। कई क्लर्क उस आदमी से अपनी कविता पर आलोचना करने को मजबूर करने लगे। जब यह पता चला कि दबा हुआ व्यक्ति कवि है तो सब-कमेटी ने यह मामला कल्चरल डिपार्टमेन्ट को सौंप दिया। साहित्य अकादमी के सचिव के पास फाइल पहुँची। सचिव उसी समय उस आदमी का इन्टरव्यू लेने पहुँचा। दबे हुए आदमी ने बताया कि उसका उपनाम ‘ओस’ है, तथा कुछ दिन पहले उसका लिखा हुआ ‘ओस के फूल’ गद्य-संग्रह प्रकाशित हुआ है। सचिव ने आश्चर्य जताया कि इतना बड़ा लेखक उनकी अकादमी का सदस्य नहीं है। आदमी ने कहा कि मुझे पेड़ के नीचे से निकालिए। सचिव उसे आश्वासन देकर चला गया। अगले दिन सचिव ने उसे बधाई देते हुए यह खबर सुनाई की उसे साहित्य अकादमी का सदस्य चुन लिया गया है। आवमी ने उसे पेड़ के नीचे से निकालने की प्रार्थना की तो उसने इनकार करते हुए कहा कि यदि तुम मर गए तो वे उसकी बीवी को वजीफा दे सकते है। उनके विभाग का संबंध सिर्फ कल्चर से है। पेड़ काटने का काम आरी-कुल्हाड़ी से होगा। वन विभाग को लिख दिया गया है। शाम को माली ने बताया कि कल वन विभाग वाले पेड़ काट देंगे। माली खुश था। दबे हुए आदमी का स्वास्थ्य जवाब दे रहा था। दूसरे दिन वन विभाग के लोग आरी-कुल्हाड़ी लेकर आए तो विदेश विभाग के आदेश से यह कार्य रोक दिया गया। यह पेड़ पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने सचिवालय में दस साल पहले लगाया था। पेड़ काटने से दोनों राज्यों के संबंध बिगड़ जाएँगे। दूसरे पीटोनिया सरकार राज्य को बहुत सहायता प्रदान करती है। इसीलिए दो देशों की खातिर एक आदमी के जीवन का बलिदान दिया जा सकता है। – अंडर सेक्रेटरी ने बताया कि प्रधानमंत्री विदेश दौरे से सुबह वापस आ गए हैं। अब वे ही निर्णय देंगे। शाम के पाँच बजे खुद ही सुपरिंटेंडेंट कवि की फाइल लेकर उसके पास आया और खुशी से फ़ाइल को हिलाते हुए चिल्लाया, – ‘प्रधानमंत्री ने इस पेड़ को काटने का हुक्म दे दिया, और इस घटना की सारी अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी अपने सिर ले ली है। कल यह पेड़ काट दिया जाएगा, और तुम इस संकट से छुटकारा हासिल कर लोगे। तुम्हारी फ़ाइल पूरी हो गई। मगर उस समय कवि का हाथ ठंडा था, आँखों की पुतलियाँ निर्जीव और चीटियों की एक लंबी कतार उसके मुँह में जा रही थी….। इसी प्रकार उसके जीवन की फ़ाइल भी पूरी हो चुकी थी। शब्दार्थ :
जामुन का पेड़ कहानी का मूल प्रतिपाद्य क्या है?पाठ का सारांश जामुन का पेड़' कृश्नचंदर की प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कथा है। हास्य-व्यंग्य के लिए चीजों को अनुपात से ज्यादा फैला-फुलाकर दिखलाने की परिपाटी पुरानी है और यह कहानी भी उसका अनुपालन करती है। इसलिए इसकी घटनाएँ अतिशयोक्तिपूर्ण और अविश्वसनीय लगने लगती हैं।
जामुन का पेड़ नामक पाठ का मुख्य उद्देश्य क्या है?कहानी का उद्देश्य
इस कहानी के माध्यम से लेखक ने सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों में फैली अकर्मण्यता पर भी करारा व्यंग्य किया है। हर विभाग अपनी ज़िम्मेदारी को दूसरे विभाग पर तरह-तरह के बहाने बनाकर डाल सेता है। फ़ाइल एक विभाग से दूसरे विभाग तक घूमती रहती है किन्तु परिणाम कुछ नहीं निकलता है।
जामुन का पेड़ का पाठ लिखकर लिखकर हमें क्या संदेश देना चाहता है?This is Expert Verified Answer
जामुन के पेड़ कहानी में आज के समाज की वास्तविक झलकियां चित्रित की गई है। आज के युग में जब कोई मुसीबत में फंस जाता है तो लोग उसे उस मुसीबत से छुटकारा दिलाने के बजाय उसे और डरा देते हैं। जामुन के पेड़ में भी दबे हुए व्यक्ति को कोई नहीं निकालता है बल्कि उससे कविता के बारे में चर्चा करते हैं।
जामुन का पेड़ पाठ में क्या व्यंग्य निहित है?जामुन फलदार पेड़ है। अत: फलदार पेड़ को काटने की अनुमति कदापि नहीं दे सकते। लेखक व्यंग्य करता है कि ऐसे अफसरों को अपनी नीतियों, फलों की अधिक चिंता रहती है, व्यक्ति की जान की नहीं।
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