कैल्शियम और फास्फोरस की कमी से क्या होता है? - kailshiyam aur phaasphoras kee kamee se kya hota hai?

फास्फोरस की कमी क्या है?

शरीर के कई अंगो और हिस्सों के मेटाबॉलिज्म को उचित रूप से बनाए रखने के लिए फास्फोरस खनिज की आवश्यकता होती है। यह हड्डियों में पाया जाता है और किडनी द्वारा इसकी प्रोसेसिंग (साफ करके आगे बढ़ाना) की जाती है। कैल्शियम के बाद यह शरीर में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला खनिज होता है। यह दोनों खनिज साथ मिल कर शरीर में मजबूत और स्वस्थ हड्डियों और दांतों का निर्माण करते हैं। दरअसल, शरीर में पाए जाने वाले फास्फोरस का कुल 85 फीसदी हिस्सा तो हड्डियों और दांतों में ही होता है। 

कैल्शियम को ठीक रूप से काम में लाने के लिए आपके शरीर को फास्फोरस की आवश्यकता पड़ती है। फास्फोरस हड्डियों में मिनरलाइजेशन, उर्जा उत्पादन और कोशिकीय संरचनाओं का विकास करने को बढ़ावा देता है।

फास्फोरस कई स्वास्थ्य संबंधी लाभों से भी जुड़ा होता है जैसे कि रिकेट्स, हड्डी टूटना, भुरभुरे दांत और मसूड़ों संबंधी विकार का इलाज। किडनी को सामान्य रूप से काम करने के लिए और तंत्रिका आवेगों में उचित संचारण बनाए रखने में भी फास्फोरस मदद करता है। इसके अलावा शरीर की कोशिकाओं की सामान्य वृद्धि और मरम्मत के लिए वसा, कार्बोहाइड्रेट्स व प्रोटीन का उपयोग करने के लिए भी यह काफी जरूरी होता है। इसको कोशिकाओं की अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए भी जाना जाता है जिससे चोट व जलने आदि के घाव जल्दी ठीक होने लगते हैं। फास्फोरस को कुछ प्रकार के कैंसर से बचाव करने वाले खनिज के रूप में भी जाना जाता है।

शरीर में फास्फोरस की कमी होना एक असामान्य समस्या है। यह समस्या तब होती है जब शरीर में इस महत्वपूर्ण खनिज की मात्रा कम हो जाती है। खराब आहार व खाने से जुड़े विकार फास्फोरस में कमी होने की स्थिति को बढ़ावा देते हैं। अन्य मेडिकल स्थिति व परिस्थितियां जो फास्फोरस के स्तर को कम कर देती हैं। इनमें डायबिटीज, वंशागत (विरासत में मिले) विकार और शराब की लत आदि शामिल हैं।

इसका परीक्षण आपके लक्षणों और ब्लड टेस्ट के आधार पर किया जाता है। ब्लड टेस्ट की मदद से खून में फास्फोरस के स्तर की जांच की जाती है। इसके उपचार में फास्फोरस में उच्च खाद्य पदार्थ वाले आहार पूरक (Dietary supplemantations) और टेबलेट आदि के रूप में सप्लीमेंट्स शामिल हैं।

(और पढ़ें - हड्डी टूटने का प्राथमिक उपचार)

फास्फोरस की कमी के लक्षण - Phosphorus Deficiency Symptoms in Hindi

फास्फोरस की कमी होने पर कौनसे लक्षण महसूस होते हैं?

कुछ ऐसे लक्षण जो यह संकेत देते हैं कि आप पर्याप्त मात्रा में फास्फोरस प्राप्त नहीं कर रहे हैं या फास्फोरस की कमी से ग्रस्त हैं:

कमजोर हड्डियां व दांत:
यदि आपके दांत व हड्डियां कमजोर हैं और आपमें फास्फोरस की कमी नहीं है तो फास्फोरस की कमी होने की संभावना हो सकती है। आपके दांत व हड्डियां इतने कमजोर हो जाते हैं कि कभी भी टूट सकते हैं। साथ ही आपको आपको सारा दिन कमजोरी महसूस होती है। (और पढ़ें - हड्डियां मजबूत करने के उपाय)

जोड़ों में दर्द व अकड़न:
आपके जोड़ों को विकसित करने और उनको बढ़ाने में फास्फोरस एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्योंकि ज्यादातर जोड़ सीधे हड्डियों से जुड़े होते हैं, इसलिए कमजोर हड्डियां जोड़ों में अकड़न व दर्द पैदा कर देती है। इस स्थिति में आपको स्थिर रूप से जोड़ों में अकड़न महसूस होती रहती है। 

(और पढ़ें - जोड़ों में दर्द के घरेलू उपाय)

उर्जा में कमी:
यदि आपको लगातार उर्जा में कमी महसूस होती रहती है, तो कुछ संभावनाएं हैं कि आपमें फास्फोरस की कमी हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट्स को मेटाबॉलाइज करके उर्जा में बदलने में फास्फोरस शरीर की मदद करता है। (और पढ़ें - एनर्जी बढ़ाने का उपाय)

भूख में कमी:
भूख में कमी कई प्रकार की समस्या के परिणाम से हो सकता है। लेकिन यदि भूख में कमी आपको ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण के साथ महसूस हो रही है तो यह शरीर में फास्फोरस की कमी होने से पैदा हो सकती है।

(और पढ़ें - बच्चों में भूख ना लगने के कारण)

अगर आपके शरीर में फास्फोरस की कमी है, तो आपको कई हड्डियों से जुड़े लक्षण महसूस हो सकते हैं। उदाहरण के लिए आपकी हड्डियों में दर्द हो सकता है या आपकी हड्डियां बहुत कमजोर हो सकती है जो आसानी से टूट सकती हैं। भूख कम लगना एक अन्य लक्षण भी है जो आहार के माध्यम से फास्फोरस का स्तर बढ़ने की स्थिति को कठिन बनाता है।

अन्य लक्षण जिसमें निम्न शामिल हैं:

  • चिड़चिड़ापन
  • सुन्नता
  • चिंता (और पढ़ें - चिंता दूर करने के उपाय)
  • थकान (और पढ़ें - गर्भावस्था में थकान का इलाज)
  • अनियमित रूप से सांस लेना
  • कमजोरी (और पढ़ें - कमजोरी दूर करने के घरेलू उपाय)
  • शरीर के वजन में बदलाव

इसके अलावा, जिन बच्चों के शरीर में पर्याप्त मात्रा में फास्फोरस नहीं है तो उनमें बढ़ने की गति मे बदलाव आ सकता है या दांत व हड्डियां विकसित होने संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

  • भ्रम, मानसिक स्थिति में बदलाव, चिड़चिड़ा व्यवहार। (और पढ़ें - भ्रम का इलाज)
  • मांसपेशियों में नई जगह दर्द (और पढ़ें - मांसपेशियों में दर्द का उपाय)
  • मतली महसूस होना जो आपके खाने की क्षमता में हस्तक्षेप कर रही हैं और किसी दवा से ठीक नहीं हो रही हैं। (और पढ़ें - उल्टी रोकने के उपाय)
  • उल्टी (24 घंटे के समय में 4 से 5 बार उल्टियां लगना)
  • दस्त (24 घंटे के समय में 4 से 6 बार दस्त लगना), जो दस्त को रोकने वाली दवाएं लेने पर भी ठीक ना हो पाएं। (और पढ़ें - दस्त को रोकने के उपाय)
  • गंभीर कब्ज जो 2 से 3 दिन तक लगातार रहती है और लैक्सेटिव (Laxatives) दवाओं से ठीक नहीं हो पाती। (और पढ़ें - कब्ज रोकने के उपाय)

फास्फोरस की कमी के कारण व जोखिम - Phosphorus Deficiency Causes & Risks in Hindi

फास्फोरस में कमी किस कारण से होती है?

आपके द्वारा खाए गए भोजन से ही आप फास्फोरस प्राप्त करते हैं। यदि आप उचित आहार का सेवन नहीं कर रहे या आपको कोई ऐसी समस्या है जो आपको भोजन से खनिज पदार्थों को अवशोषित करने में कठिनाई पैदा कर रही है। ऐसी स्थितियों में आपमें फास्फोरस की कमी हो सकती है।

भुखमरी (Starvation):
फास्फोरस की कमी काफी दुर्लभ स्थिति होती है। क्योंकि अगर कोई व्यक्ति इस खनिज को पर्याप्त मात्रा में प्राप्त ना करे तो शरीर, खून में पहले से ही मौजूद फास्फोरस को फिर से अवशोषित करके इसकी कमी की पूर्ति कर लेता है। ऐसा कहा जाता है कि भुखमरी के मामले फास्फोरस की कमी का कारण बन सकते हैं।
यदि आपमें विटामिन डी या ऐसे किसी अन्य विटामिन की कमी है, तो आपको फास्फोरस और कैल्शियम जैसे अन्य खनिजों को अवशोषित करने में कठिनाई हो सकती है।  (और पढ़ें - विटामिन डी की कमी के लक्षण)

डायबिटीज:
डायबिटीज रोग भी फास्फोरस में कमी की समस्या का कारण बन सकता है, खासकर उन लोगों में जिनके डायबिटीज का स्तर ज्यादातर अनियंत्रित रहता है। क्योंकि इसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन नहीं बना पाता और ईंधन के रूप में वसा को नहीं तोड़ पाता। इसके परिणामस्वरूप खून में एसिड बनने लगता है जो फास्फोरस के स्तर में कमी करने लगता है। (और पढ़ें - डायबिटीज में परहेज)

शराब की लत:
शराब की लत के कारण भी कुपोषण (पोषण की कमी) हो सकता है। इसके परिणामस्वरुप जिन लोगों को नशे की लत होती है उनमें पोषक तत्वों की कमी होती है, इनमें फास्फोरस भी शामिल है। फास्फोरस की कमी विशेषरूप से उन लोगों में होती है जो लोग अत्यधिक शराब संबंधी समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती होते हैं। (और पढ़ें - शराब छुड़ाने के उपाय)

आहार:
जिन लोगों का आहार संबंधी विकारों का इलाज चल रहा होता है उमें अक्सर कैलोरी उच्च मात्रा में और फास्फोरस कम मात्रा में पाया जाता है। जिससे फास्फोरस में कमी की समस्या विकसित होने लगती है।  (और पढ़ें - कैलोरी क्या है)

आनुवंशिक विकार:
कुछ ऐसे आनुवंशिक विकार भी हैं जो फास्फोरस का संग्रह करने के लिए शरीर की क्षमता को प्रभावित करती हैं। यह विकार अक्सर अत्यधिक फास्फोरस को पेशाब के द्वारा शरीर के बाहर निकालने या भोजन से खनिजों को अवशोषित ना करने के कारण होता है।

 (और पढ़ें - आयरन युक्त आहार)

फास्फोरस की कमी का खतरा कब बढ़ जाता है? 

  • यदि आप अपने आहार के माध्यम से पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं तो आपका शरीर उचित मात्रा में फास्फोरस को अवशोषित नहीं कर पाता। फास्फोरस का अच्छे से उपयोग करने के लिए शरीर को मैग्निशियम की आवश्यकता पड़ती है।
  • कुअवशोषण या लगातार उल्टियां लगने के कारण कुपोषण होना
  • अस्पताल में भर्ती गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति
  • विटामिन डी की कमी

 (और पढ़ें - विटामिन डी 3 के फायदे)

कैल्शियम और फास्फोरस की कमी से कौन सा रोग होता है?

फास्फोरस की कम मात्रा से उत्पन्न होने वाले रोग को हाइपोफॉस्फेटीमिया कहा जाता है, वहीं अत्याधिक मात्रा में फास्फोरस की कमी के कारण हड्डियों का रोग (रिकेट्स) हो सकता है। इसके अलावा फास्फोरस एवं कैल्शियम तत्व के संतुलन से पशुओें में ऑस्टियोपोरोसिस रोग हो जाता है।

शरीर में फास्फोरस की कमी से कौन सा रोग होता है?

जब शरीर में इसकी कमी होती है तो हड्डियां कमजोर होती ही हैं साथ ही ऑर्थराइटिस, दांतों का कमजोर होना और मसूड़ों में दिक्कत जैसी समस्याएं होने लगती हैं। फास्फोरस की कमी से भूख में कमी और सामान्य संक्रमण भी हो सकता है। अगर भोजन को सही तरह से नहीं पकाते तो फास्फोरस से भरपूर खाद्य पदार्थ भी पौष्टिकता खो देते हैं।

कैल्शियम की कमी से कौन कौन सी बीमारी होती है?

कैल्शियम की कमी से ब्लड क्लॉटिंग का खतरा बढ़ सकता है. Calcium Deficiency: मांसपेशियों और जोड़ों में जकड़न, दांतों में दर्द, ड्राई स्किन, नाखून कमजोर होकर टूटने जैसी समस्याएं आजकल आम होती जा रहे है. क्या आप जानते हैं कि ये लक्षण हमारे शरीर में कैल्शियम की कमी की ओर संकेत करते हैं.

फास्फोरस क्या खाने से बढ़ता है?

फास्फोरस प्राकृतिक रूप से अंडे, पनीर, दही, डार्क चॉकलेट और दूध जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जा सकता है। फास्फोरस युक्त खाद्य पदार्थों के अलावा, आहार कैल्शियम और प्रोटीन से भी भरपूर होना चाहिए, क्योंकि वे फास्फोरस को बेहतर तरीके से अवशोषित करने में मदद करते हैं।