कंस के नाना का क्या नाम था - kans ke naana ka kya naam tha

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कृष्ण के नाना जी का क्या नाम था कृष्ण के नाना जी का नाम महाराजा अग्रसेन था जो मथुरा के राजा थे उसने उनको सिंहासन से उतार के जेल में डाल दिया था जब कृष्ण ने कंस का वध किया था उन्होंने पुनः मथुरा के सिंहासन पर अपने नाना को बिठाया

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कंस के नाना का क्या नाम था - kans ke naana ka kya naam tha

कंस के नाना का क्या नाम था - kans ke naana ka kya naam tha

कंस हिन्दू पौराणिक कथाएँ अनुसार चंद्रवंशी यादव राजा था जिसकी राजधानी मथुरा थी। वह भगवान कृष्ण की मां देवकी का भाई था। कंस को प्रारंभिक स्रोतों में मानव और पुराणों में एक दानव के रूप में वर्णित किया गया है। कंस का जन्म चंद्रवंशी क्षत्रिय यादव राजा उग्रसेन और रानी पद्मावती के यहाँ हुआ था। हालांकि महत्वाकांक्षा से और अपने व्यक्तिगत विश्वासियों, बाणासुर और नरकासुर की सलाह पर, कंस ने अपने पिता को अपदस्थ किया और मथुरा के राजा के रूप में खुद को स्थापित किया किन्तू वो अपनी बहन से बहुुत स्नेह रखता था.[1]कंस ने मगध के राजा जरासन्ध की बेटियों अस्ति और प्राप्ति से विवाह करने का फैसला किया और अपनी बहन का विवाह अपने सामांत चंद्रवंशी क्षत्रिय वासुदेव के साथ तय कर दी।[2]

जब कंस अपनी बहन देवकी के विवाह के उपरान्त, उन्हे रथ मे बिठा कर विदा कर रहे थे उसी समय आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। इसलिये उसने देवकी और उनके पति वसुदेव को कारागार मे डाल दिया। कंस ने माता देवकी के छः पुत्रों को मार डाला। (बलराम इनकी सातवीं सन्तान थे।) [3] हालांकि आठवें पुत्र भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण को गोकुल ले जाया गया, जहां उन्हें गोकुल के यादवकुल के मुखिया व वासुदेव के भाई नंद की देखभाल में पाला गया था । कंस ने कृष्ण को मारने के लिए कई असुरों को भेजा, जिनमें से सभी का कृष्ण द्वारा वध कर दिया गया। अंत में, कृष्ण अक्रूर जी के साथ मथुरा पहुँचते हैं और अपने मामा कंस का वध करते हैं तथा अपने माता पिता को कारावास से मुक्त कराया गया। कंस वध के बाद भी भगवान ने कई लीलाएं की जो जीवों को मोक्ष देने के लिए हितकारी हैं।[4]

लोकप्रिय संस्कृति में[संपादित करें]

किसी अत्याचारी या कष्ट पहुँचाने वाले मामा को कंस मामा कहा जाता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "इतिहास कहता है कि कंस देवकी का सगा भाई नहीं था..." वन इंडिया. 10 अगस्त 2017. मूल से 10 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2018.
  2. "Kans Vadh: भगवान श्रीकृष्ण ने आज ही किया था कंस का वध, जानें उससे जुड़ी ये 10 बातें". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 2021-08-01.
  3. 'शतायु', अनिरुद्ध जोशी. "कौन थे कृष्ण के पांच बड़े शत्रु, जानिए". वेबदुनिया (अंग्रेज़ी में). मूल से 26 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2018.
  4. "कार्तिक शुक्ल दशमी को हुआ था कंस का वध, जानिए इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें". Jansatta. 2019-11-07. अभिगमन तिथि 2021-08-01.

कंस हमेशा से वीना बजाने के लिए तैयार रहता था परंतु महाराज उग्रसेन को ये पसंद नही था।

भगवान श्रीकृष्ण के मामा का नाम था कंस। यह कंस न तो राक्षस, न ही असुर और न ही दावव था। सभी जानते हैं कि कंस के बारे में यह भविष्यवाणी कही गई थी कि उनकी बहन देवका एक पुत्र ही उसे मारेगा। बस इसी भविष्यवाणी के कारण वह दहशत में रहने लाग था।


1.कंस अपने पूर्व जन्म में 'कालनेमि' नामक असुर था जिसे भगवान विष्णु ने मारा था। कालनेमि विरोचन का पुत्र था। देवासुर संग्राम में कालनेमि ने भगवान हरि पर अपने सिंह पर बैठे ही बैठे बड़े वेग से त्रिशूल चलाया, पर हरि ने उस त्रिशूल को पकड़ लिया और उसी से उसको तथा उसके वाहन को मार डाला। अन्य कथा अनुसार युद्ध में उसने अनेक प्रकार की माया फैलाई और ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। वर तारकामय में हरि के चक्र में मारा गया।

2. कालनेमि ने कंस के रूप में उग्रसेन के यहां जन्म लिया। कंस शूरसेन जनपद के राजा अन्धक-वृष्णि संघ के गण मुख्य उग्रसेन का पुत्र और भगवान कृष्ण का मामा था। अंधक, अहीर, भोज, स्तवत्ता, गौर आदि 106 कुलों को मिलाकर उस काल में यादव गणराज्य कहा जाता था। उग्रसेन यदुवंशीय राजा आहुक के पुत्र थे। इनके नौ पुत्र और पांच पुत्रियां थी। कंस भाइयों में सबसे बड़ा था। उग्रसेन की अन्य पुत्रियां वसुदेव के छोटे भाइयों से ब्याही गई थीं। उग्रसेन की माता माता काशीराज की पुत्री काश्या थीं, जिनके देवक और उग्रसेन दो पुत्र थे।

3.कंस ने अपने पिता उग्रसेन को राज पद से हटाकर जेल में डाल दिया था और स्वयं शूरसेन जनपद का राजा बन बैठा था। शूरसेन जनपद के अंतर्गत ही मथुरा आता है। कंस के काका शूरसेन का मथुरा पर राज था। कंस ने मथुरा को भी अपने शासन के अधीन कर लिया था और वह प्रजा को अनेक प्रकार से पीड़ित करने लगा।


4.आर्यावर्त के तत्कालीन सर्वप्रतापी राजा जरासंध की पुत्री से कंस ने विवाह कर अपनी शक्ति को बढ़ा लिया था। जरासंध पौरव वंश का था और मगध के विशाल साम्राज्य का शासक था। कंस को जरासंध ने 'अस्ति' और 'प्राप्ति' नामक अपनी दो लड़कियां ब्याह दी थीं। इस प्रकार दोनों में घनिष्ठ संबंध बन गया था।

5. चेदि के यादव वंशी राजा शिशुपाल को भी जरासंध ने अपना गहरा मित्र बना लिया। यह शिशुपाल भगवान श्रीकृष्ण की बुआ का लड़का था और इसकी आस्था भी कंस के प्रति थी। कंस ने उत्तर-पश्चिम में कुरुराज दुर्योधन को भी अपना सहायक बना रखा था। जरासंध के कारण पूर्वोत्तर की ओर असम के राजा भगदन्त से भी उसने मित्रता जोड़ रखी थी।

6. कंस के काका शूरसेन का मथुरा पर राज था और शूरसेन के पुत्र वसुदेव का विवाह कंस की बहन देवकी से हुआ था। श्रीकृष्ण के पिता का नाम वसुदेव और माता का नाम देवकी था। जन्म के पश्चात् उनका पालन-पोषण नन्द बाबा और यशोदा माता के द्वारा हुआ। वसुदेव यादव के पिता का नाम 'राजा सूरसेन' था तथा बाबा नन्द यादव के पिता का नाम राजा पार्जन्य था। नन्द बाबा पार्जन्य के नौ पुत्रों में से तीसरे पुत्र थे। सूरसेन और पार्जन्य दोनों सगे भाई थे। सूरसेन जी और पार्जन्य जी के पिताजी का नाम था महाराज देवमीढ।

7.कंस अपनी चचेरी बहन देवकी से बहुत स्नेह रखता था, लेकिन एक दिन वह देवकी के साथ रथ पर कहीं जा रहा था, तभी आकाशवाणी सुनाई पड़ी- 'जिसे तू चाहता है, उस देवकी का आठवां बालक तुझे मार डालेगा।' इस भयंकर आकाशवाणी को सुनकर कंस भयभीत हो गया और उसने अपनी बहन को मारने के लिए तलवार निकाल ली। वसुदेव ने उसे जैसे-तैसे समझाकर शांत किया और वादा किया कि वे अपने पुत्र उसे सौंप देंगे।

8. पहला पुत्र होने पर जब वसुदेव कंस के पास पहुंचे तो कंस ने कहा कि मुझे तो आठवां बेटा चाहिए। बाद में नारद ने बताया कि तुम्हें मारने के लिए देवकी के उदर से स्वयं भगवान विष्णु जन्म लेंगे तो कंस और भयभीत हो गया और उसने वसुदेव और देवकी को कैद कर लिया। बाद में कंस ने एक-एक करके देवकी के 6 बेटों को जन्म लेते ही मार डाला।

9.7वें गर्भ में श्रीशेष (अनंत) ने प्रवेश किया था। भगवान विष्णु ने श्रीशेष को बचाने के लिए योगमाया से देवकी का गर्भ ब्रजनिवासिनी वसुदेव की पत्नी रोहिणी के उदर में रखवा दिया। तदनंतर 8वें बेटे की बारी में श्रीहरि ने स्वयं देवकी के उदर से पूर्णावतार लिया। कृष्ण के जन्म लेते ही माया के प्रभाव से सभी संतरी सो गए और जेल के दरवाजे अपने आप खुलते गए। वसुदेव मथुरा की जेल से शिशु कृष्ण को लेकर नंद के घर पहुंच गए।

बाद में कंस को जब पता चला तो उसके मंत्रियों ने अपने प्रदेश के सभी नवजात शिशुओं को मारना प्रारंभ कर दिया। बाद में उसे कृष्ण के नंद के घर होने का पता चला तो उसने अनेक आसुरी प्रवृत्ति वाले लोगों से कृष्ण को मरवाना चाहा, पर सभी कृष्ण तथा बलराम के हाथों मारे गए। तब योजना अनुसार कंस ने एक समारोह के अवसर पर कृष्ण तथा बलराम को आमंत्रित किया। वह वहीं पर कृष्ण को मारना चाहता था, किंतु कृष्ण ने उस समारोह में कंस को बालों से पकड़कर उसकी गद्दी से खींचकर उसे भूमि पर पटक दिया और इसके बाद उसका वध कर दिया। कंस को मारने के बाद देवकी तथा वसुदेव को मुक्त किया और उन्होंने माता-पिता के चरणों में वंदना की।

10.कंस का वध करने के पश्चात कृष्ण और बलदेव ने कंस के पिता उग्रसेन को पुन: राजा बना दिया। उग्रसेन के 9 पुत्र थे, उनमें कंस ज्येष्ठ था। उनके नाम हैं- न्यग्रोध, सुनामा, कंक, शंकु अजभू, राष्ट्रपाल, युद्धमुष्टि और सुमुष्टिद। उनके कंसा, कंसवती, सतन्तू, राष्ट्रपाली और कंका नाम की 5 बहनें थीं। अपनी संतानों सहित उग्रसेनकुकुर-वंश में उत्पन्न हुए कहे जाते हैं और उन्होंने व्रजनाभ के शासन संभालने के पूर्व तक राज किया।

11.भारत में ऐसे कई गांव है जहां पर कंस की पूजा होती है। लखनऊ से हरदोई जाते वक्त मार्ग में कंस की एक प्रतिमा मिलती है। इसके आसपास के स्‍थानों में कंस की पूजा करने का प्रचलन है। उड़ीसा में 'कंस महोत्सव' होता है। यहां धनु यात्रा निकलती है। कंस का दरबार सजता है और 11 दिन के लिए कंस उड़ीसा का राजा होता है। कंस बने इस पात्र की इतनी चलती है कि यह राज्य के मुख्यमंत्री को भी इन 11 दिनों में तलब कर सकता है। कहते हैं कि कंस के राज्य में जनता प्रताड़ित जरूर थी लेकिन सभी अनुशासन में रहती थी और उन्हें सभी तरह की सुविधाएं भी उपलब्ध थी।

कृष्ण के नाना का क्या नाम था?

भगवान कृष्ण के नाना का नाम उग्रसेन था। उग्रसेन यदुवंशीय राजा आहुक के पुत्र थेश्रीकृष्ण की नानी का नाम पद्मावती थी।

कंस के ससुर का नाम क्या है?

मगध का राजा जरासंध कंस का ससुर था

कंस पिछले जन्म में क्या था?

कंस का पूर्व जन्म असल में कंस अपने पिछले जन्म एक राक्षस था. जिसका नाम था कालनेमि. एक बार देवासुर संग्राम हुआ. इस दौरान भगवान विष्णु ने कालनेमि का वध कर दिया.

कंस का असली नाम क्या है?

1. कंस अपने पूर्व जन्म में 'कालनेमि' नामक असुर था जिसे भगवान विष्णु ने मारा था। कालनेमि विरोचन का पुत्र था। देवासुर संग्राम में कालनेमि ने भगवान हरि पर अपने सिंह पर बैठे ही बैठे बड़े वेग से त्रिशूल चलाया, पर हरि ने उस त्रिशूल को पकड़ लिया और उसी से उसको तथा उसके वाहन को मार डाला।