Raidas ke Pad CBSE Class 9 Hindi Sparsh Lesson 7 summary with a detailed explanation of the lesson ‘रैदास के पद’ along with meanings of difficult words. Show
Given here is the complete explanation of the lesson, along with a summary and all the exercises, Question, and Answers given at the back of the lesson. कक्षा 9 स्पर्श भाग 1 पाठ 7 “रैदास के पद”यहाँ हम हिंदी कक्षा 9 ”स्पर्श – भाग 1” के काव्य खण्ड पाठ 7 “पद” के पाठ प्रवेश, पाठ सार, पाठ व्याख्या, कठिन शब्दों के अर्थ, अतिरिक्त प्रश्न और NCERT पुस्तक के अनुसार प्रश्नों के उत्तर इन सभी बारे में जानेंगे |
कवि परिचयकवि – रैदास रैदास के पद पाठ प्रवेशयहाँ रैदास के दो पद लिए गए हैं। पहले पद ‘प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी’ में कवि अपने आराध्य को याद करते हुए उनसे अपनी तुलना करता है। पहले पद में कवि ने भगवान् की तुलना चंदन, बादल, चाँद, मोती, दीपक से और भक्त की तुलना पानी, मोर, चकोर, धागा, बाती से की है। यही नहीं, कवि का आराध्य प्रभु हर हाल में, हर काल में उससे श्रेष्ठ और सर्वगुण संपन्न है। इसीलिए तो कवि को उन जैसा बनने की प्रेरणा मिलती है। रैदास के पद Class 9 Video Explanation
रैदास के पद पाठ सारयहाँ पर रैदास के दो पद लिए गए हैं। पहले पद में कवि ने भक्त की उस अवस्था का वर्णन किया है जब भक्त पर अपने आराध्य की भक्ति का रंग पूरी तरह से चढ़ जाता है कवि के कहने का अभिप्राय है कि एक बार जब भगवान की भक्ति का रंग भक्त पर चढ़ जाता है तो भक्त को भगवान् की भक्ति से दूर करना असंभव हो जाता है। कवि कहता है कि यदि प्रभु चंदन है तो भक्त पानी है। जिस प्रकार चंदन की सुगंध पानी के बूँद-बूँद में समा जाती है उसी प्रकार प्रभु की भक्ति भक्त के अंग-अंग में समा जाती है। यदि प्रभु बादल है तो भक्त मोर के समान है जो बादल को देखते ही नाचने लगता है। यदि प्रभु चाँद है तो भक्त उस चकोर पक्षी की तरह है जो बिना अपनी पलकों को झपकाए चाँद को देखता रहता है। रैदास के पद पाठ व्याख्यापद – शब्दार्थ – व्याख्या – इस पद में कवि ने भक्त की उस अवस्था का वर्णन किया है जब भक्त पर अपने आराध्य की भक्ति का रंग पूरी तरह से चढ़ जाता है कवि के कहने का अभिप्राय है कि एक बार जब भगवान की भक्ति का रंग भक्त पर चढ़ जाता है तो भक्त को भगवान् की भक्ति से दूर करना असंभव हो जाता है। These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 पद. प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से) प्रश्न 1. (ख) (ग) (घ) दूसरे पद में ‘गरीब निवाजु’ ईश्वर को कहा गया है। जिस व्यक्ति पर ईश्वर की कृपा होती है वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है। नीच से नीच व्यक्ति का भी उद्धार हो जाता है। ऐसे लोग जो स्पर्श दोष के कारण हाथ लगने पर अपने-आपको अपवित्र मानते हैं। ऐसे दोनों पर दया करनेवाले प्रभु ही हैं जो दुखियों के | दर्द से द्रवित हो जाते हैं। (ङ) इस पंक्ति का आशय है कि सांसारिक लोग नीच जाति में उत्पन्न होनेवालों के प्रति स्पर्श दोष मानते हुए उन्हें अछूत मानते हैं, पर ईश्वर उन लोगों पर भी कृपा करते हैं। उनका उद्धार कर देते हैं, क्योंकि उनकी दृष्टि में भक्त की भक्ति ही श्रेष्ठ है। उसका प्रेम ही सर्वोपरि है। इसलिए प्रभु को पतित पावन, भक्त-वत्सल, दीनानाथ कहा जाता है। (च) रैदास ने अपने स्वामी को गरीब निवाजु, लाल, गोबिंद, गुसाई, हरि, लाल आदि नामों से पुकारा है, नाम भले ही अनेक हो, परंतु दीनदयाल गरीबों का उद्धार करने वाले हैं। वे सभी पर अपना प्रेम लुटाते (छ) प्रश्न 2. (ख) भक्त हमेशा भवसागर से पार करानेवाले परमात्मा के प्रति स्वयं को अर्पित कर देना चाहता है। हर क्षण उसी के रूप-दर्शन करने की इच्छा करता है। जिस प्रकार चकोर दिन-रात चाँद को निहारना चाहता है। उसी प्रकार रैदास भी प्रभु रूपी चाँद को एकटक निहारना चाहते हैं इसलिए एक क्षण के लिए भी उनका ध्यान प्रभु भक्ति से नहीं हटता।। (ग) जिसकी ज्योति दिन-रात जलती रहती है। अर्थात् कवि स्वयं को बत्ती और प्रभु को ऐसा दीपक मानते हैं, जिसकी ज्योति दिन-रात जलती रहती है, यानी रैदास जी दिन-रात प्रभु की भक्ति से आलोकित रहना चाहते हैं। (घ) हे प्रभु! आपके अतिरिक्त भक्तों को इतना मान-सम्मान देनेवाला कोई और नहीं है। अर्थात् समाज में नीची जाति में उत्पन्न होने के कारण आदर-सम्मान मिलना कठिन होता है परंतु ईश्वर के यहाँ जातिगत भेद-भाव नहीं होता। वे सबके सम्मान की लाज रखते हैं। प्रभु ही सबका कल्याण करते हैं। उनके अतिरिक्त कोई ऐसा नहीं है जो गरीबों और दोनों की खोज-खबर रखता है। ईश्वर ही अछूतों को ऊँचे पद पर आसीन करते हैं। (ङ) कवि ने ईश्वर को पतित पावन, भक्त वत्सल, दीनानाथ व उद्धारक कहा है। निम्न श्रेणी के लोगों को भी प्रभु ऊँचा कर देता है। वह अपने भक्तों पर दया करता है तथा उनका उद्धार कर देता है। उनका गोबिंद किसी से नहीं डरता। कवि ने प्रभु को नाम देकर भी उसके निराकार रूप की ही चर्चा की है। गरीबों के दु:ख-दर्द को समझनेवाला वही ईश्वर है। वहीं उन्हें पीड़ाओ से मुक्ति दिलाने वाला भी है। प्रश्न 3. योग्यता-विस्तार प्रश्न 1. प्रश्न 2. Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 are helpful to complete your homework. If you have any doubts, please comment below. NCERT-Solutions.com try to provide online tutoring for you. कवि ने स्वयं को पानी माँ कर प्रभु को क्या माना है?कवि ने स्वयं को पानी मानकर प्रभु को चंदन माना है। रैदास के स्वामी निराकार प्रभु हैं। वे अपनी असीम कृपा से नीच को भी ऊँच और अछूत को महान बना देते हैं। रैदास अपने प्रभु के अनन्य भक्त हैं, जिन्हें अपने आराध्य को देखने से असीम खुशी मिलती है।
संत रैदास ने स्वयं को क्या क्या कहकर संबोधित किया है?वे स्वयं को लघु, तुच्छ और दास कहते हैं। वे प्रभु को दीनदयाल, भक्तवत्सल कहते हैं व स्वयं को दास और प्रभु को उनका स्वामी बताते हुए कहते हैं-"तुम स्वामी हम दासा।"
Raidas कविता का केंद्रीय भाव क्या है?पहला पद – रैदास के पहले पद का केंद्रीय भाव यह है कि वे उनके प्रभु के अनन्य भक्त हैं। वे अपने ईश्वर से कुछ इस प्रकार से घुलमिल गए हैं कि उन्हें अपने प्रभु से अलग करके देखा ही नहीं जा सकता। दूसरा पद – रैदास के दूसरे पद का केंद्रीय भाव यह है कि उसके प्रभु सर्वगुण संपन्न, दयालु और समदर्शी हैं।
कवि राम नाम की रट क्यों नहीं छोड़ पा रहे हैं?रैदास को राम के नाम की रट लगी है। वह इस आदत को इसलिए नहीं छोड़ पा रहे हैं, क्योंकि वे अपने आराध्ये प्रभु के साथ मिलकर उसी तरह एकाकार हो गए हैं; जैसे-चंदन और पानी मिलकर एक-दूसरे के पूरक हो जाते हैं।
|