क्या भारत वीटो का सदस्य है? - kya bhaarat veeto ka sadasy hai?

क्या भारत वीटो का सदस्य है? - kya bhaarat veeto ka sadasy hai?

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क्या भारत वीटो का सदस्य है? - kya bhaarat veeto ka sadasy hai?

भारत को वीटो पावर क्यों नहीं मिला, किसने की गलती, पढ़ें एक रिपोर्ट?

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न्यूज डेस्क: भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश हैं। यहां दुनिया की एक बड़ी आबादी निवास करती हैं। लेकिन भारत को संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य नहीं बनाया गया हैं। आज इसी विषय में एक रिपोर्ट के मुताबिक जानने की कोशिश करेंगे की भारत को संयुक्त राष्ट्र में वीटो पावर क्यों नहीं मिला हैं। किसने गलतियां की जिसके कारण भारत इस शक्ति को हासिल नहीं कर पाया।

रिपोर्ट के मुताबिक जब भारत को आजादी मिली उसके बाद संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य बनाने को लेकर ब्रिटेन के साथ अमेरिका ने भी भारत को प्रस्ताव दिया था। अमेरिका उस वक्त भारत को अपने पक्ष में करना चाहता था।


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कब मिलेगा भारत को सुरक्षा परिषद में वीटो पावर, अमरीका, ब्रिटेन, फ़्रांस और रूस का समर्थन

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न्यूज डेस्क: आज के वर्तमान समय में भारत की चाहत है की उसे सुरक्षा परिषद में वीटो पावर मिलें। क्यों की भारत तेजी से बढ़ती एक बड़ी अर्थववस्था हैं। साथ ही साथ दुनिया का एक जिम्मेदार और बड़ा लोकतंत्र देश हैं। दुनिया के कई बड़े और छोटे देश भारत के लिए वीटो पावर की मांग कर चुके हैं।

बीबीसी की एक रिपोट की मानें तो भारत भी इस मामले में अलग नहीं रहा है। हाल के दिनों में इसकी सैन्य और आर्थिक शक्ति बढ़ी है, ऐसे में विश्व राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने को लेकर उसकी चाहत भी बढ़ी है। पिछले कुछ दिनों से भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट को लेकर लगातार मांग कर रहा है।

भारत के नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र महासभा समेत दुनिया भर के विभिन्न मंचों पर इसके लिए पुरजोर कोशिशें की हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदायों के सामने बतौर स्थायी सदस्य भारत की योग्यता जताई जाए।


अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के बाद अब विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार की वकालत की है. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि हमने कभी ये नहीं सोचा कि ये आसान प्रक्रिया है, लेकिन हमारा मानना है कि सुधार की जरूरत को हमेशा के लिए नहीं नकारा जा सकता.

कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए बाइडेन ने भी कहा था कि अब समय आ गया है कि सुरक्षा परिषद में ऐसे सुधार किए जाएं जो आज की जरूरत को बेहतर तरीके से पूरा कर सकें. 

बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी, दोनों सदस्यों को बढ़ाने का समर्थन करता है. इनमें वो देश भी शामिल हैं, जिनकी स्थायी सदस्यता की मांग का समर्थन हम लंबे समय से करते आ रहे हैं.

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बुधवार को विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि मेरा मानना है कि राष्ट्रपति (जो बाइडेन) ने कहा, वो सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए अमेरिकी समर्थन को दिखाता है. उन्होंने कहा कि ये किसी एक देश की जिम्मेदारी नहीं है, ये हम सभी और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों पर निर्भर करता है.

पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद है क्या? वीटो पावर को लेकर क्या है लड़ाई? स्थायी सदस्यता के लिए भारत के अलावा और कौन-कौन से दावेदार हैं? जानते हैं...

क्या है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद?

- दूसरे विश्व युद्ध के बाद एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय मंच की जरूरत पड़ी जो सभी देशों को साथ लेकर चल सके. इसलिए 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र का गठन हुआ. इसका हेडक्वार्टर न्यूयॉर्क में है. मौजूदा समय में 193 देश इसके सदस्य हैं.

- संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंग- जनरल असेंबली, सिक्योरिटी काउंसिल, इकोनॉमिक एंड सोशल काउंसिल, ट्रस्टीशिप काउंसिल और सेक्रेटेरिएट और इंटरनेशनल कोर्ट है. इंटरनेशनल कोर्ट नीदरलैंड के हेग में स्थित है. बाकी सभी न्यूयॉर्क में है.

- संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद यानी सिक्योरिटी काउंसिल पर है. सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य हैं. इनमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य हैं.

- स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस हैं. अस्थायी सदस्यों में भारत के अलावा अल्बानिया, ब्राजील, गेबन, घाना, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको, नॉर्वे और यूएई हैं. अस्थायी सदस्य दो साल के लिए क्षेत्रीय आधार पर चुने जाते हैं.

भारत की क्या है मांग?

- भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता देने की मांग करता रहा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गठन के बाद से अब तक कई बार भारत अस्थायी सदस्य बन चुका है.

- भारत पहली बार 1950-51 में अस्थायी सदस्य बना था. उसके बाद 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92 और 2011-12 में दो साल के लिए सदस्य बना था. अभी भारत की अस्थायी सदस्यता इस साल दिसंबर में खत्म हो रही है.

- सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता देने का समर्थन कई देश करते भी हैं, लेकिन अब तक कुछ खास हुआ नहीं है. 

- हाल ही में महासभा को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत बड़ी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल में भारत ने कई गंभीर मुद्दों को सुलझाने के लिए ब्रिज की तरह काम किया है. हमने समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना और आतंकवाद का मुकाबला करने जैसी चिंताओं पर भी ध्यान केंद्रित किया है.

वीटो पावर की क्या है लड़ाई?

- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो पावर सिर्फ पांच स्थायी देशों के पास ही हैं. वीटो पावर स्थायी सदस्यों को सुरक्षा परिषद के किसी भी प्रस्ताव को वीटो (अस्वीकार) करने का अधिकार देता है.

- वीटो पावर को लेकर अक्सर लड़ाई होती रहती है. इसे अलोकतांत्रिक भी माना जाता है, क्योंकि स्थायी सदस्यों के पास बिना किसी शर्त के वीटो पावर है.

- लेकिन यहां सुधार भी नहीं हो सकता. क्योंकि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 108 और 109 के तहत पांच स्थायी सदस्यों को चार्टर में किसी भी संशोधन पर वीटो पावर दिया गया है. अगर वीटो पावर में कोई संशोधन करना भी है तो इन पांचों स्थायी सदस्य देशों की अनुमति लेनी होगी.

- संयुक्त राष्ट्र की स्थापना, शांति और सुरक्षा बनाए रखने में इन पांच सदस्य देशों की भूमिका को अहम माना जाता है, इसलिए इन्हें वीटो पावर दिया गया है. 

- वीटो पावर के साथ एक चिंता की बात ये भी है कि अगर पांच में से एक सदस्य देश भी इसका इस्तेमाल करता है, तो वो प्रस्ताव खारिज हो जाता है. यही वजह है कि अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग उठ रही है.

भारत के अलावा और कौन-कौन दावेदार?

भारत के अलावा ब्राजील, साउथ अफ्रीका, जापान और जर्मनी भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता पर दावेदारी करते हैं. भारत की मांग का समर्थन चीन को छोड़कर बाकी चारों स्थायी सदस्य करते भी हैं. लेकिन चीन के अड़ंगे की वजह से भारत इसका स्थायी सदस्य नहीं बन पा रहा है.

क्या इंडिया के पास वीटो पावर है?

अगर भारत परमानेंट मेंबर बन जाता है, तो भारत को वीटो पावर (Veto Power) मिल जाएगी. अभी तक UNSC में वीटो पावर सिर्फ पांच देशों के पास हैं. वीटो पावर परमानेंट मेंबर्स को UNSC के किसी भी प्रस्ताव को वीटो (अस्वीकार) करने का अधिकार देता है.

भारत के पास वीटो पावर क्यों नहीं है?

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब भारत स्वतंत्र हुआ तब भारत की औद्योगिक,राजनीतिक, आर्थिक तथा सैन्य शक्ति के विकास को देखते हुए भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट यानि ''वीटो पॉवर'' देने की पेशकश की गई थी परन्तु नेहरू जी ने तब चीन के लोगों के गणतंत्र का हवाला देते हुए वीटो पॉवर लेने से इनकार कर दिया था.

वीटो पावर वाले 5 देश कौन से हैं?

स्थायी सदस्यों में अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन हैं. यानी इन्हीं पांच देशों के पास वीटो पावर है.

वीटो पावर का मतलब क्या होता है?

यह एक लैटिन भाषा का शब्द है,जिसका मतलब किसी चीज़ के लिए ”निषेध करना है ” या अनुमति नहीं देना” है। वीटो पावर का अर्थ ”किसी को रोकने की शक्ति” है।