Solution : ऐल्कोहॉल उद्योग में (In alcoholic industry)- कार्बोहाइड्रेट्स का यीस्ट द्वारा किण्वन करके एथिल ऐल्कोहॉल बनता है। सैकेरोमाइसीज कीविभिन्न प्रजातियाँ बीयर तथा वाइन जैसे पेय पदार्थ बनाने में सहायता करती हैं। Show A व C C व DA, B व C A, B, C व D Solution : चीज़, दूध से बनने वाला सबसे पुराना उत्पाद है जो सूक्ष्मजीवों की मदद से बनता है। दही को इसके द्रव भाग से अलग करके चीज़ बनाते हैं। डोसा, उपमा और इडली, चावल और काली उड़द के किण्वन से बने भोज्य पदार्थ हैं। इन दोनों को 3-12 घण्टे, वायुजनित बैक्टीरिया, ल्यूकोनॉस्टॉक और स्ट्रेप्टोकोकस की जातियों द्वारा किण्वित होने के लिये रखा जाता है। टोडी, दक्षिण भारत का एक परम्परागत पेय है जो खजूर के रस के किण्वन से बनता है। NCERT Solutions Class 12 जीव विज्ञान Chapter-10 (मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव) NCERT Solutions Class 12 जीव विज्ञान 12 वीं कक्षा से Chapter-10 (मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव) के उत्तर मिलेंगे। यह अध्याय आपको मूल बातें सीखने में मदद करेगा और आपको इस अध्याय से अपनी परीक्षा में कम से कम एक प्रश्न की उम्मीद करनी चाहिए। हमने NCERT बोर्ड की टेक्सटबुक्स हिंदी जीव विज्ञान के सभी Questions के जवाब बड़ी ही आसान भाषा में दिए हैं जिनको समझना और याद करना Students के लिए बहुत आसान रहेगा जिस से आप अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो सके। एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर Class 12 जीव विज्ञान पाठ-10 (मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव) अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. इसी तरह ब्रैड का सना हुआ आटा यीस्ट द्वारा किण्वित होता है। प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6.
प्रश्न 7.
प्रश्न 8. 1. प्राथमिक उपचार (Primary treatment) – प्राथमिक उपचार में मुख्यत: बड़े-छोटे कणों को भौतिक क्रियाओं; जैसे- अवसादन (sedimentation), निस्यंदन (filtration), प्लवन आदि द्वारा अलग किया जाता है। सबसे पहले तैरते हुए कूड़े-करकट को नियंदन द्वारा हटा दिया जाता है। इसके बाद ग्रिट (grit) मृदा तथा छोटे कणों को अवसादन द्वारा पृथक् किया जाता है। बारीक कण प्राथमिक स्लज (primary sludge) के रूप में नीचे बैठ जाते हैं और प्लावी बहिःस्राव (supernatant effluent) का निर्माण होता है। बहि:स्राव को प्राथमिक उपचार टैंक से द्वितीयक उपचार के लिए ले जाया जाता है। 2. द्वितीयक उपचार (Secondary treatment) – द्वितीयक उपचार में सूक्ष्मजीवधारियों का उपयोग किया जाता है। जैसे-ऑक्सीकरण ताल एक उथला जलाशय होता है जिसमें वाहित मल एकत्रित किया जाता है। इसमें कार्बनिक पदार्थ अधिक होने के कारण शैवाल और जीवाणुओं की अच्छी वृद्धि होने लगती है। जीवाणु अपघटन करते हैं और शैवाल उनसे उत्पन्न कार्बन डाइ ऑक्साइड का प्रकाश संश्लेषण में उपयोग करते हैं। प्रकाश संश्लेषण में विमोचित ऑक्सीजन जल को दूषित होने से बचाती है। इस प्रकार ऑक्सीकरण ताल, शैवाल और जीवाणुओं के बीच सहजीविता का उदाहरण है। ऑक्सीजन ताल में होने वाली क्रियाओं द्वारा संक्रामक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं और कार्बनिक पदार्थों के अपघटन के पश्चात् केवल नुकसान न देने वाले पदार्थ ही रह जाते हैं। द्वितीयक उपचार के पश्चात् प्लान्ट से बहि:स्राव सामान्यत: जल के प्राकृतिक स्रोतों जैसे-नदियों, झरनों आदि में छोड़ दिया जाता है अथवा तृतीयक उपचार हेतु रासायनिक क्रियाविधियों द्वारा इससे नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस लवणों को पृथक् करने के पश्चात् बहि:स्राव को जलाशयों में मुक्त कर दिया जाती है। प्रश्न 9. प्रश्न 10. जैव उर्वरक के रूप में सूक्ष्मजीव (Microbes as biofertilizers) – जैव उर्वरकों का मुख्य स्रोत जीवाणु, कवक तथा सायनोबैक्टीरिया होते हैं। लेग्यूमिनस पादपों की जड़ों पर उपस्थित ग्रंथियों का निर्माण राइजोबियम (Rhizobium) जीवाणु के सहजीवी सम्बन्ध द्वारा होता है। ये जीवाणु वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर कार्बनिक रूप में परिवर्तित करते हैं। मृदा में मुक्तावस्था में रहने वाले अन्य जीवाणु जैसे-एजोस्पाइरिलम (Azospirilum) तथा एजोटोबैक्टर (Azotobacter) भी वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर मृदा में नाइट्रोजन अवयव की मात्रा को बढ़ाते हैं। कवक अनेक पादपों के साथ सहजीवी सम्बन्ध स्थापित करते हैं। इस सम्बन्ध को माईकोराइजा (Mycorrhiza) कहते हैं। ग्लोमस (Glomus) जीनस के बहुत-से कवक सदस्य माइकोराइजा बनाते हैं। इस सम्बन्ध में कवकीय सहजीवी मृदा से जल एवं पोषक तत्वों का अवशोषण कर पादपों को प्रदान करते हैं और पादपों से भोजन प्राप्त करते हैं। पीड़क तथा रोगों का जैव नियन्त्रण (Biological Control of Pests & Diseases) – जैव नियन्त्रण विधि से विषाक्त रसायन तथा पीड़कनाशियों पर हमारी निर्भरता को काफी हद तक कम किया जा सकता है। बैक्टीरिया बैसीलस थूरिनजिएन्सिस (Bacillus thuringiensis) को प्रयोग बटरफ्लाई कैटरपिलर नियन्त्रण में किया जाता है। पिछले दशक में आनुवंशिक अभियान्त्रिकी की सहायता से वैज्ञानिक बैसीलस थूरिनजिएन्सिस टॉक्सिन जीन को पादपों में पहुँचा सके हैं। ऐसे पादप पीड़के द्वारा किए गए आक्रमण के प्रति प्रतिरोधी होते हैं। Bt-कॉटन इसका एक उदाहरण है जिसे हमारे देश के कुछ राज्यों में उगाया जाता है। ड्रेगनफ्लाई (dragonflies), मच्छर और ऐफिड्स (aphids) आदि Bt-कॉटन को क्षति नहीं पहुंचा पाते। जैव वैज्ञानिक नियन्त्रण के तहत कवक ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) का उपयोग पादप रोगों के उपचार में किया जाता है। यह बहुत-से पादप रोगजनकों का प्रभावशील जैव नियन्त्रण कारक है। बेक्यूलोवायरसिस (Baculoviruses) ऐसे रोगजनक हैं जो कीटों तथा सन्धिपादों (आर्थोपोड्स) पर हमला करते हैं। अधिकांश बैक्यूलोवायरसिस जो जैव वैज्ञानिक नियन्त्रण कारकों की तरह प्रयोग किए जाते हैं, वे न्यूक्लिओपॉलिहीड्रोवायरस (nucleopolyhedrovirus) प्रजाति के अन्तर्गत आते हैं। यह विषाणु प्रजाति-विशेष; सँकरे स्पेक्ट्रम कीटनाशीय उपचारों के लिए अति उत्तम मानी जाती हैं। प्रश्न 11. अनुपचारित वाहित मल जल सबसे अधिक प्रदूषित होता है क्योंकि इसमें मनुष्य का मल-मूत्र, कपड़े की धुलाई से उत्पन्न जल, औद्योगिक तथा कृषि अपशिष्ट आदि उपस्थित रहता है, इसलिए इस जल का BOD सबसे अधिक होगा। नदी का जल साफ होता है क्योंकि इसमें कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बहुत कम होती है, अत: इस जल को BOD सबसे कम होगा। इसलिए ये निम्नलिखित प्रकार से लेबल किए जा सकते हैं – प्रश्न 12.
प्रश्न 13.
उत्तर 2. मृदा (Soil) – यह एक अकेला निवास स्थल है जिसमें विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव तथा प्राणिजात उपस्थित रहते हैं और उच्च पादपों को यांत्रिक सहायता एवं पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं, जिस पर मनुष्य की सभ्यता आधारित है। पौधे के विकास पर राइजोस्फीयर सूक्ष्मजीवों का लाभदायक प्रभाव पड़ता है। राइजोस्फीयर में सूक्ष्मजीवों द्वारा प्रतिक्रिया के फलस्वरूप CO2 तथा कार्बनिक अम्ल का निर्माण होता है जो पौधे में अकार्बनिक पोषकों को घुलाते हैं। कुछ राइजोस्फीयर सूक्ष्मजीव वृद्धि उत्तेजक पदार्थ भी उत्पादित करते हैं। जीवाणु, कवक, सायनोबैक्टीरिया आदि जैव उर्वरक मृदा की पोषक प्रश्न 14.
प्रश्न 15. सहजीवी जीवाणु; जैसे- राइजोबियम मटर कुल के पौधों की जड़ों में ग्रंथियाँ बनाते हैं और वायुमण्डल से नाइट्रोजन गैस ग्रहण कर इसे नाइट्रोजन के यौगिकों के रूप में परिणत करते हैं। इससे मृदा की पोषक शक्ति की वृद्धि होती है। परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर बहुविकल्पीय प्रश्न प्रश्न 1.स्ट्रेप्टोमाइसिन उत्पादित की जाती है – (क) स्ट्रेप्टोमाइसिस स्कोलियस द्वारा (ख) स्ट्रेप्टोमाइसिस फ्रेडी द्वारा (ग) स्ट्रेप्टोमाइसिस वैनेजुएली द्वारा (घ) स्ट्रेप्टोमाइसिस ग्रीसिअस द्वारा उत्तर (घ) स्ट्रेप्टोमाइसिस ग्रीसिअस द्वारा प्रश्न 2. प्रश्न 3. अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. 2. औद्योगिक उत्पादन में सूक्ष्मजीव कुछ विशेष प्रकार के रसायनों; जैसे-कार्बनिक अम्ल, ऐल्कोहॉल, एंजाइम आदि के व्यावसायिक तथा औद्योगिक उत्पादन में भी सूक्ष्मजीवों का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। उदाहरणार्थ-ऐसीटिक अम्ल का उत्पादन ऐसीटोबैक्टर एसिटाई तथा एथेनॉल का उत्पादन सकेरोमाइसीस सैरीविसेई नामक सूक्ष्मजीवों द्वारा किया जाता है।] किण्वन प्रक्रिया के लिए कौन सा सूक्ष्मजीव सहायक है?सैकैरोमाइसीज (Saccharomyces) जाति के यीस्ट का प्रयोग किडवन में होता है।
सूक्ष्म जीव के क्या लाभ है?सूक्ष्मजीवों का प्रयोग औद्योगिक उत्पाद जैसे लैक्टिक एसिड, एसिटिक एसिड तथा ऐल्कोहल उत्पन्न करने में किया जाता है। प्रतिजैविक (ऐंटीबायटिक) जैसे पैनीसिलिन का उत्पादन लाभप्रद सूक्ष्मजीवों द्वारा किया जाता है। प्रतिजैविक संक्रामक रोग जैसे डिप्थीरिया, काली खाँसी, तथा निमोनिया की रोकथाम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सूक्ष्मजीव हमारे लिए कैसे उपयोगी होते हैं?सूक्ष्मजीव विभिन्न कार्यों में उपयोग किए जाते हैं। इनका उपयोग दही, ब्रेड एवं केक बनाने में किया जाता है। प्राचीन काल से ही सूक्ष्मजीवों का उपयोग एल्कोहल बनाने में किया जाता रहा है। पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए भी इनका उपयोग किया जाता है।
किण्वन प्रक्रिया में किसका निर्माण होता है?किण्वन के प्रयोग से अल्कोहल या शराब का निर्माण होता है। पावरोटी एवं बिस्कूट बनाने में भी इसका उपयोग होता है। दही, सिरका एवं अन्य रासायनिक पदार्थों के निर्माण में भी इसका प्रयोग होता है।
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