एक पद वाले व्यंजक को क्या कहते हैं? - ek pad vaale vyanjak ko kya kahate hain?

प्रारंभिक बीजगणित में धन (+) और ऋण (-) चिह्नों से संबंद्ध कई पदों के व्यंजक (expression) को बहुपद (Polynomial) कहते हैं, यथा (3a+2b-5c) .

पदों की संख्या के अनुसार इसके विशिष्ट उपनाम 'एकपद' (monomial), 'द्विपद' (binomial), आदि होते हैं। उच्चतर गणित में बहुपद का विशिष्ट उपयोग ऐसे व्यंजक के लिए होता है जिसके पदों में किसी एक चर राशि, या एक से अधिक चर राशियों, के शून्य अथवा धन पूर्णांक घात आरोह या अवरोह क्रम में हो, यथा

3x + x2 - x4 . . . . . . . . . . . . (1)-6x6y + 5px2yx2 - a x . . . . . . . . . . . . (2)

व्यंजक (1) (x) का बहुपद है और (2) x, y z, का तथा उसमें (a) अचर (constant) है। यदि (x) के स्थान में सर्वत्र कोई अन्य व्यंजक मान लें, log x रख दिया जाए, तो नया व्यंजक log x का व्यंजक कहलाएगा। पदों के घातों में से महत्तम को बहुपद का घात (डिग्री) कहते हैं। यदि एक से अधिक चर राशियाँ हों, तो विभिन्न पदों में चर राशियों के घातों के योगफलों में से महत्तम को बहुपद का घात कहते हैं। इस प्रकार बहुपद (1) का घात 4 है और (2) का 7। ऐसा भी कहा जाता है कि बहुपद (2) (x) में छठे घात का और (y) में द्वितीय घात का है।

दो बहुपदों का योगफल, अंतर और गुणनफल बहुपद ही होता है, किंतु उनका भागफल बहुपद नहीं होता। दो बहुपदों के भागफल को, जिनमें एक संख्या मात्र भी हो सकता है, परिमेय फलन (rational function) कहते हैं। चर (x) में घात (m) का व्यापक बहुपद यह है :

ao xm +a1 xm-1+.....+am, जहाँ ao अशून्य है

बीजगणित का एक मौलिक प्रमेय[संपादित करें]

बीजगणित का एक मौलिक प्रमेय यह है कि यदि f (x) चर राशि x में घात m का बहुपद है, तो बहुपद समीकरण f(x) = 0 के सदा m मूल होते हैं। ये मूल संमिश्र (complex) भी हो सकते हैं और संपाती (coincident) भी।

यदि f(x) = 0 का कोई मूल p1 है तो बहुपद f(x) में (x-p1) का भाग पूरा-पूरा चला जाता है और भागफल में घात m-1 वाला एक बहुपद f1(x) प्राप्त होता है। अब बहुपद समीकरण f1(x) = 0 के m-1 मूल होंगे और यदि इसका एक मूल (x-p2) है (यह भी संभव है कि p2=p1), तो फिर f1(x) में (x-p2) का भाग पूरा चला जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण प्रमेय है कि f(x) का गुणनखंडन अद्वितीय होता है।

यदि हम f(x) के गुणांकों और गुणनखंडों में प्रयुक्त संख्याओं पर यह प्रतिबंध लगा दें कि वे किसी अमुक क्षेत्र की होंगी, तो मूलों का अस्तित्व अवश्यंभावी नहीं रहता। इतना अवश्य है कि यदि बहुपद का गुणनखंडन हो सकेगा, तो गुणनखंड अद्वितीय होंगे।

विभिन्न शाखाओं में बहुपद का उपयोग[संपादित करें]

त्रिकोणमिति का एक महत्वपूर्ण प्रमेय यह है कि यदि म कोई धनात्मक पूर्णांक है, तो कोज्या mx की अभिव्यक्ति कोज्या x के m घातवाले बहुपद के रूप में की जा सकती है, यथा

कोज्या 2x = 2 कोज्या2 x - 1 ;कोज्या 3x = 4 कोज्या3 x - 3 कोज्या x

ज्या mx के बारे में प्रमेय यह है कि यदि m विषम है तो ज्या mx की अभिव्यक्ति ज्या x के m वें घात के बहुपद के रूप में की जा सकती है और यदि m सम है तो ज्या mx / कोज्या x की अभिव्यक्ति ज्या x के m-1 वें घात के बहुपद के रूप में होगी, यथा

ज्या 3 x = 3 ज्या x - 4 ज्या3 x,ज्या 4 x = 4 कोज्या x (ज्या x - 2 ज्या3 x)

वैश्लेषिक ज्योमिति में वक्रों का अध्ययन उन्हें दो चरों के बहुपद समीकरण द्वारा निरूपित कर किया जाता है। इसी प्रकार तलों के अध्ययन के लिए तीन चरवाले बहुपद समीकरणों की सहायता ली जाती है। स्वेच्छ घात के बहुपद समीकरणों से निरूपित वक्रों और तलों का अध्ययन बीजीय ज्यामिति में किया जाता है।

दो या अधिक चरों के ऐसे बहुपद को, जिसके प्रत्येक पद में चरों के घातों का योगफल समान हो, समघात बहुपद, या केवल समघात, कहते हैं; आधुनिक बीजगणित में इन समघातों के रूपांतरण का और इन रूपातंरणों से संबंधित निश्चर (invariant) और सहपरिवर्त (covariant) के सिद्धातों का प्रमुख स्थान है और इनके अनेक उपयोग हैं।

कलन में एक चरवाले बहुपद सरल वर्ग के फलन हैं, क्योंकि इनके अवकलन तथा समाकलन के नियम विशेष रूप से सरल हैं और हर स्थिति में फल एक बहुपद होता है। आधुनिक फलन सिद्धांत में प्रत्येक बहुपद अपने चरों का एक सतत और वैश्लेषिक फलन होता है। इस सिद्धांत में एक महत्वपूर्ण प्रमेय यह है कि यदि संमिश्र चर का कोई फलन चर के प्रत्येक परिमित मान के लिए वैश्लेषिक है, तो वह एक बहुपद ही होगा और यदि चर के अपरिमित होने पर भी फलन परिमित रहता हे, तो वह केवल एक अचर है।

अन्य उपयोग

बहुपदों का उपयोग संनिकटन के लिए भी होता है। प्रांरभिक विश्लेषण के मानक फलन, मैकलॉरिन अथवा टेलर प्रमेय के अनुसार, घात श्रेणी द्वारा निरूपित किए जा सकते हैं। कार्ल वायस्ट्रसि ने 1885 ई. में सिद्ध किया था कि कोई भी सतत फलन किसी भी कोटि की यथार्थता तक एक समान संनिकटन के साथ बहुपद द्वारा निरूपित किया जा सकता है।

किसी फलन को व्यक्त करने के लिए य, य2, ....के अतिरिक्त अन्य बहुपद समुदाय भी हैं। उदाहरणत:, लजांड्र बहुपद (Legendre Polynomial)। इन बहुपदों का उपयोग अनुप्रयुक्त गणित में बहुलता से होता है। इसी प्रकार हर्माइट बहुपदों का सांख्यिकी में उपयोग होता है।

अंतर्वेशन (इंटरपोलेशन) समूचा ही बहुपद द्वारा सन्निकटीकरण (approximation) पर आधारित है। (m) दिए हुए मानों का उपयोग करनेवाले अंतर्वेशन सूत्र के आधार में इन मानों को ग्रहण करनेवाले m-1 घात के बहुपद की कल्पना निहित होती है।

आज की इस लेख में आपको पूर्णांक संख्या के बारे में बताया है। इस लेख के अंतर्गत आप बीजीय व्यंजक क्या है और इनसे जुड़ी सभी के बारे में विस्तृत तरीके से जानकारी उपलब्ध कराई गई है।

इस लेख के मुख्य शीर्षक

1 पद क्या है?

2 व्यंजकों की घात

2.1 कोष्ठकों का प्रयोग ( Uses of Brackets)

एक पद वाले व्यंजक को क्या कहते हैं? - ek pad vaale vyanjak ko kya kahate hain?

बीजीय व्यंजक क्या है?

बीजीय व्यंजक:- कोई चर या अचर संख्या अथवा इनका मौलिक गणितीय संक्रियाओं के चिन्हों (+, -, ×, ÷ आदि) से युक्त संख्याओं का समूह, बीजीय व्यंजक कहलाता है। उदाहरणार्थ:- 𝒙 + 𝒚, 2𝒙 – 5𝒚

व्यंजकों के पद या पद:- किसी आंकिक संख्या या अक्षर संख्या या इनके गुणनफल या भागफल को पद कहते हैं।

उदाहरणार्थ:- 3𝒙 – 2𝒚 में उपस्थित पदों की संख्या = 2 (प्रथम=3𝒙, द्वितीय= -2𝒚)

पद के गुणांक:- किसी बीजीय व्यंजक के पद को गुणनखंडों के गुणनफल के रूप में लिखते हैं इनमें से एक गुणनखंड संख्यात्मक हो सकता है तथा अन्य बीजीय हो सकते हैं।

उदाहरणार्थ:- 4𝒙3 मे 4 संख्यात्मक गुणांक है तथा 𝒙3 बीजीय गुणनखंड है।

संख्यात्मक गुणांक:- किसी पद में संख्याओं या अंकीय गुणनखंड को, संख्यात्मक गुणांक कहते हैं

उदाहरणार्थ:- 5𝒙2𝒚 मे 5 एक संख्यात्मक गुणांक है।

बीजीय गुणांक:- किसी पद में संख्याओं या अंकीय गुणनखंड को छोड़कर शेष बीजीय गुणनखंड को, बीजीय गुणांक कहते हैं

उदाहरणार्थ:-  7𝒙3𝒚2𝒛 मे 𝒙3𝒚2𝒛  बीजीय गुणांक है।

पद क्या है?

समान या सजातीय पद:- जिन पदों के बीजीय गुणनखंड तथा अक्षर संख्याओं के घातांक आपस में समान होते हैं, उन्हें समान या सजातीय पद कहते हैं। जबकि उनके संख्यात्मक गुणांक अलग-अलग हो सकते हैं।

उदाहरणार्थ:- 3𝒙2𝒚 – 5𝒛 + 𝒙2𝒚 – 1 मे 3𝒙2𝒚 और 𝒙2𝒚 सजातीय पद है।

महत्वपूर्ण बिंदु:- सजातीय पदों को आपस में जोड़कर सरल किया जा सकता है।

असमान या विजातीय पद:- जिन पदों के बीजीय गुणनखंड आपस में समान नहीं होते हैं, उन्हें असमान या विजातीय पद कहते हैं।

उदाहरणार्थ:- 𝒙3 + 3𝒚2 – 𝒛 मे तीनों ही पद असमान है।

महत्वपूर्ण बिंदु:-1. असमान या विजातीय पदों को जोड़कर सरल नहीं किया जा सकता है।

2. समान पद और और असमान पद को जानने के लिए गुणांकों पर ध्यान ना देकर केवल पद के बीजीय भाग पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

व्यंजकों की घात

व्यंजकों की घात: किसी भी व्यंजक की घात एक ऋणेत्तर पूर्णांक होती है। साथ ही साथ व्यंजक की घात उस व्यंजक मे प्रयुक्त चर की उच्चतम घात होती है। अर्थात व्यंजक में पदों की भी घात होती है।

उदाहरणार्थ:- बीजीय व्यंजक 4𝒙2+3𝒙+1 मे व्यंजक की उच्चतम घात 2 है, जबकि पदों 4𝒙2, 3𝒙, 1 की घात क्रमशः 2,1 तथा 0 है।

एकपदीय:- जिन व्यंजकों में एक पद होता है उन्हें एकपदीय व्यंजक कहते है।

उदाहरणार्थ:- 4𝒙3𝒚

द्विपदीय:- जिन व्यंजकों में 2 पद होते हैं उन्हें द्विपद या द्विपदीय व्यंजक कहते हैं।

उदाहरणार्थ:- 2𝒙2 𝒚 + 𝒚𝒛

त्रिपदीय:- जिन व्यंजकों में 3 पद होते हैं, उन्हें त्रिपद व्यंजक कहते हैं।

उदाहरणार्थ:- 3𝒙3 – 5𝒚2 + 𝒛

बहुपद:- जिन व्यंजकों में दो या दो से अधिक पद होते हैं, उन्हें बहुपद कहते हैं।

उदाहरणार्थ:- 𝒙3 – 6𝒚2 + 3𝒛 + 4

महत्वपूर्ण बिंदु:- द्विपद तथा त्रिपद व्यंजक भी विशेष प्रकार के बहुपद व्यंजक है।

बीजगणितीय व्यंजकों का जोड़-घटाना:- हम सभी जानते हैं कि केवल सजातीय पदों को जोड़ा या घटाया जा सकता है।

बीजगणितीय व्यंजकों को जोड़ने या घटाने के लिए निम्नलिखित दो विधियां प्रयोग में लाई जाती हैं-

  1. पंक्ति विधि
  2. स्तंभ विधि

पंक्ति विधि:- इस विधि मे, दिए हुए व्यंजकों को एक पंक्ति में लिखा जाता है, तत्पश्चात सजातीय पदों को साथ-साथ लिखकर चिन्ह सहित जोड़ या घटा दिया जाता है जोड़ने या घटाने की इस विधि को, पंक्ति विधि कहते हैं।

पंक्ति विधि को क्षैतिज विधि भी कहा जाता है।

उदाहरणार्थ:- 8𝒙2𝒚 + 3𝒛2 – 5𝒚𝒛 + 7 मे से -2𝒙2𝒚 + 6𝒛2 – 3𝒚𝒛 + 1 को घटाइए।

हल:- (8𝒙2𝒚 + 3𝒛2 – 5𝒚𝒛 + 7) – (-2𝒙2𝒚 + 6𝒛2 – 3𝒚𝒛 + 1)

      = 8𝒙2𝒚 + 3𝒛2 – 5𝒚𝒛 + 7 + 2𝒙2𝒚 – 6𝒛2 + 3𝒚𝒛 – 1

      = 8𝒙2𝒚 + 2𝒙2𝒚 + 3𝒛2 – 6𝒛2 – 5𝒚𝒛 + 3𝒚𝒛 + 7 – 1

      = 6𝒙2𝒚 – 3𝒛2 – 2𝒚𝒛 + 6

स्तंभ विधि:- इस विधि में, दिए हुए व्यंजकों को इस प्रकार लिखा जाता है कि सजातीय पद चिन्हों के साथ-साथ एक दूसरे के ठीक नीचे हो, तत्पश्चात उन्हें चिन्ह सहित जोड़ या घटा लिया जाता है, इस विधि को स्तम्भ विधि कहते हैं।

उदाहरणार्थ:- 2𝒙2 + 4𝒚2 – 7𝒙𝒚 मे से  -𝒙2 + 3𝒚2 + 𝒙𝒚 को जोड़िए।

हल:- 2𝒙2 + 4𝒚2 – 7𝒙𝒚

         -𝒙2 + 3𝒚2 + 𝒙𝒚

+ ________________

         𝒙2 + 7𝒚2 – 6𝒙𝒚

   —————————

बीजगणितीय व्यंजकों का जोड़: दो या दो से अधिक समान पदों का योग एक समान पद होता है, जिसका संख्यात्मक गुणांक सभी समान पदों के गुणांकों के योग के बराबर होता है।

उदाहरणार्थ:- 11𝒙𝒚 + 3𝒙𝒚 = (11+3)𝒙𝒚 = 14𝒙𝒚

बीजगणितीय व्यंजकों का घटाना:- दो या दो से अधिक समान पदों का अंतर भी एक समान पद होता है, जिसका संख्यात्मक गुणांक सभी समान पदों के गुणांकों के अंतर के बराबर होता है।

उदाहरणार्थ:- 8𝒙𝒚 – 5𝒙𝒚 = (8-5)𝒙𝒚 = 3𝒙𝒚

कोष्ठकों का प्रयोग ( Uses of Brackets)

कोष्ठकों का प्रयोग:- जब किसी कथन में कई घटना क्रम मिलकर एक संयुक्त घटना बनाते हैं तो इस प्रकार के प्रत्येक कथन को एक दूसरे से जोड़ने या समूहबद्ध करने के लिए विभिन्न प्रकार के कोष्ठकों का प्रयोग करते हैं।

प्रायः सर्वप्रथम रेखा कोष्ठक एवं छोटे कोष्ठक (–) को सबसे अंदर, फिर मंझला कोष्ठक { } तथा अंत में बड़ा कोष्ठक [ ] लगाते हैं।

जिस व्यंजक में केवल एक पद होता है उसे क्या कहते है?

जिस व्यंजक में केवल एक पद होता है उसे एकपदी कहते हैं। दो पदों वाला व्यंजक द्विपद कहलाता है। तीन पदों वाले व्यंजक को त्रिपद कहते हैं और इसी प्रकार अन्य ।

तीन पदों वाले व्यंजक को क्या कहते हैं?

तीन पदों वाले व्यंजक को त्रिपद कहते हैं और इसी प्रकार अन्य । व्यापकत: एक अथवा अधिक पदों वाला व्यंजक जिसके गुणांक शून्येतर हों और जिसके चरों की घात ऋणेतर हों, बहुपद कहलाता है। बहुपद के पदों की संख्या एक अथवा एक से अधिक कुछ भी हो सकती है । एकपद के उदाहरण : इत्यादि।

व्यंजक में कितने पद हैं?

इस प्रकार, एकपदी, द्विपदी और त्रिपदी भी बहुपद हैं । है । व्यंजक (a + b + 5 ) एक द्विपद नहीं है । इसमें तीन पद हैं

व्यंजक में पदों का क्या अर्थ होता है?

एक अभिव्यक्ति में शर्तें क्या हैं? एक पद एक संख्या, एक चर, दो या दो से अधिक चरों का गुणनफल या एक संख्या और एक चर का गुणनफल हो सकता है । एक बीजगणितीय व्यंजक एक पद या पदों के समूह से बनता है। उदाहरण के लिए, व्यंजक 4x + y में, दो पद 4x और y हैं।