वट वृक्ष को क्या बोलते हैं? - vat vrksh ko kya bolate hain?

Vat Savitri Vrat 2021 वट वृक्ष हिंदू धर्म में विशिष्ट माना गया है इसमें त्रिदेवों ब्रह्मा विष्णु और महेश का वास माना जाता है। कई व्रत और त्योहार में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है इसमें से वट सावित्री या बरगदाई की पूजा प्रमुख है।

Vat Savitri Vrat 2021: हिंदू धर्म में प्रकृति के संरक्षण तथा उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए प्राकृतिक तत्वों की पूजा करने की परंपरा है। इसी क्रम में वृक्षों की पूजा का विशेष विधान है, उनमें देवताओं का वास माना गया है। वट वृक्ष या बरगद का पेड़ का हिंदू धर्म में विशिष्ट माना गया है, इसमें त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है। कई व्रत और त्योहार में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है, इसमें से वट सावित्री या बरगदाई की पूजा प्रमुख है।

वट वृक्ष का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, वट वृक्ष या बरगद के पेड़ के तने में भगवान विष्णु, जड़ में ब्रह्मा तथा शाखाओं में शिव का वास होता है। वट वृक्ष को त्रिमूर्ति का प्रतीक माना गया है। विशाल एवं दीर्घजीवी होने के कारण वट वृक्ष की पूजा लम्बी आयु की कामना के लिए की जाती है। मान्यता है कि भगवान शिव वट वृक्ष के नीचे ही तपस्या करते हैं तथा तथागत भगवान बुद्ध को भी बरगद के पेड़ के नीचे ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। अतः बौद्ध धर्म में इसे बोधि वृक्ष कहा गया है।

पौराणिक मान्यता वाले विशिष्ट वट वृक्ष

सनातन हिंदू परंम्परा में चार वट वृक्षों का विशिष्ट स्थान हैं, अक्षय वट, वंशीवट, गयावट और सिद्ध वट। इनकी प्राचीनता के विषय में स्पष्टतौर पर कुछ ज्ञात नहीं है, परन्तु इनका वर्णन पुराणों में मिलता है। अतः ये हिंदू आस्था के प्रतीक हैं। इनमें से अक्षय वट प्रयागराज में संगम के किनारे अवस्थित है, मान्यता है कि प्रलय काल में स्वयं श्री हरि विष्णु इसकी शरण लेते हैं क्योकि अक्षय अर्थात् कभी समाप्त न होने वाला अक्षय वट प्रलय काल में भी समाप्त नहीं होता है। इसका उल्लेख पद्म पुराण तथा भविष्य पुराण में मिलता है।

वट सावित्री या बरगदाई की पूजा

वट सावित्री या बरगदायी की पूजा में विशेष तौर पर बरगद के पेड़ की ही पूजा की जाती है। मान्यता है कि बरगद के पेड़ के नीचे ही सावित्री ने अपने पति सत्यावान को पुनर्जीवित किया था। तब से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री के दिन बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इसी पूजा को देश के कुछ भाग में बरगदाई भी कहा जाता है।

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Edited By: Jeetesh Kumar

हिंदू धर्म में क्या है वट वृक्ष की विशेषता, जानें यहां

वट वृक्ष को क्या बोलते हैं? - vat vrksh ko kya bolate hain?

सनातन धर्म में न केवल देवी-देवता की पूजा बल्कि इसमें कई तरह के पेड़ आदि की भी पूजा का अधिक महत्व है। इतना ही नहीं बल्कि इन पेड़ पौधों से जुड़े कई व्रत त्यौहार भी रखे जाते हैं

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सनातन धर्म में न केवल देवी-देवता की पूजा बल्कि इसमें कई तरह के पेड़ आदि की भी पूजा का अधिक महत्व है। इतना ही नहीं बल्कि इन पेड़ पौधों से जुड़े कई व्रत त्यौहार भी रखे जाते हैं। इन्हीं में से एक है वट सावित्री का व्रत। मान्यताओं के अनुसार इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा अर्चना करती हैं। पुत्र कामना व घर की सुख-शांति के लिए वट वृक्ष को जल अर्पित करती हुई इस पर रक्षा सूत्र बांधती है तथा 108 बार इसकी परिक्रमा करती है। हिंदू धर्म के पुराणों की मानें तो वटवृक्ष के मूल में भगवान ब्रह्मा, मध्य, में विष्णु तथा अग्रभाग में महादेव का वास होता है। 

वैदिक धर्म के साथ-साथ जैन धर्म में भी वट का काफी महत्व माना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार इसे अमरता का प्रतीक भी माना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तथा पूर्णिमा तिथि के दिन किया जाता है। मुख्य रूप से वट सावित्री का वट गुजरात. महाराष्ट्र व दक्षिण भारत ती स्त्रियां ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि की इस व्रत को करती हैं। कहा जाता है कि इस पवित्र वट यानी बरगद के वृक्ष में सृष्टि के सृजन, पालन और संहार करने वाले त्रिदेवों की दिव्य ऊर्जा का अक्षय भंडार उपलब्ध होता है। प्राचीन ग्रंथ वृक्षायुर्वेद में वर्णन मिलता है कि जो यथोचित रूप से बरगद के वृक्ष लगाता है, वह अंत में शिव धाम को प्राप्त होता है। बता दें कि इस वृक्ष का जितना धार्मिक दृष्टि से महत्व है, उतना ही नहीं चिकित्सा की दृष्टि से भी है। 

इसके सभी हिस्से कसैले, मधुर, शीतल तथा आंतों का संकुचन करने वाले होते हैं। इसका उपयोग खासतौर पर कफ, पित्त आदि विकार को नष्ट करने के लिए किया जाता है। 

इसके अलावा वमन, ज्वर, मूर्च्छा आदि में भी इसका प्रयोग लाभदायक है। इससे कांति में वृद्धि होती है।

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कहा जाता है वट वृक्ष के छाल और पत्तों से औषधियां भी बनाई जाती हैं।

  ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार वट सावित्री पूर्णिमा के दिन किसी योग्य ब्राह्मण अथवा जरूरतमंद व्यक्ति को अपनी श्रद्धानुसार दान-दक्षिणा दें, इससे पुण्‍यफल प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन प्रसाद के रूप में चने व गुड़ का वितरण करने का भी अधिक महत्व है।

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वट वृक्ष का दूसरा नाम क्या है?

बरगद बहुवर्षीय विशाल वृक्ष है। इसे 'वट' और 'बड़' भी कहते हैं।

वट वृक्ष को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

वट MEANING IN ENGLISH - EXACT MATCHES Usage : banyan is a holly tree.

बट का पेड़ कौन सा है?

वट का अर्थ बरगद, बढ़ आदि। इस वृक्ष को मनोरथ वृक्ष भी कहते हैं अर्थात मोक्ष देने वाला या मनोकामना पूर्ण करने वाला। यह वृक्ष प्रयाग में स्थित है। हिन्दुओं के पवित्र तीर्थों के नाम बदलने के दौरा में प्रयाग का नाम बदलकर मुगल बादशाह अकबर ने अल्लाहबाद कर दिया था जो बिगड़कर इलाहाबाद हो गया।

वट वृक्ष का मतलब क्या है?

वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष जिसका अर्थ है बरगद का पेड़, का खास महत्व होता है। इस पेड़ में लटकी हुई शाखाओं को सावित्री देवी का रूप माना जाता है। वहीं पुराणों के अनुसार बरगद के पेड़ में त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास भी माना जाता है। इसलिए कहते हें कि इस पेड़ की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।