(जय प्रकाश सिंह) Show
देश के युवाओं के लिए आज भी उतने ही प्रासंगिक स्वामी विवेकानंद का आज जन्मदिन है. विलक्षण प्रतिभाशाली स्वामी विवेकानंद ने अपने ज्ञान, आध्यात्म और देशप्रेम की पताका दुनियाभर में फहराई. हालांकि 40 बरस पार करने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई. इस बात को वे खुद कई बार कह चुके थे कि वे लंबी उम्र नहीं जियेंगे. स्वास्थ्य पर बेहद जोर देने वाले स्वामी विवेकानंद के साथ आखिर क्या समस्या हुई थी? मृत्यु के कारण जानने से पहले स्वामी विवेकानंद के बचपन और उनकी खासियतों के बारे में जानते हैं ताकि समझा जा सके कि साल 2021 में भी वे क्यों इतना याद किए जाते हैं. उनका जन्म 1863 में कलकत्ता के कायस्थ परिवार में हुआ था. उनके बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था. उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील थे. ये भी पढ़ें: Explained: क्या है चाइना सिंड्रोम और क्यों इसने उथल-पुथल मचा रखी है? नरेंद्र नाथ दत्त 25 साल की उम्र में घर-बार छोड़कर संन्यासी बन गए. वे रामकृष्ण परमहंस के अनन्य शिष्य थे. संन्यास लेने के बाद ही इनका नाम विवेकानंद पड़ा. स्वामी विवेकानंद ने 1 मई 1897 में कलकत्ता में रामकृष्ण मिशन और 9 दिसंबर 1898 को गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की. विवेकानंद ने पश्चिमी तर्क, पश्चिमी दर्शन और यूरोपीय इतिहास का अध्ययन भी किया थाअमेरिका में हुई धर्म संसद में जब स्वामी विवेकानंद ने 'अमेरिका के भाइयों और बहनों' के संबोधन से भाषण शुरू किया तो पूरे दो मिनट तक 'आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो' में तालियां बजती रहीं. 11 सितंबर 1893 का वो दिन हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गया. स्वामी विवेकानंद दर्शन, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कला और साहित्यादि विषयों के उत्साही पाठक थे. इनकी वेद, उपनिषद, भगवद् गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के अतिरिक्त अनेक हिन्दू शास्त्रों में गहन रूचि थी. उन्होंने पश्चिमी तर्क, पश्चिमी दर्शन और यूरोपीय इतिहास का अध्ययन भी किया था. ये भी पढ़ें: Explained: क्या ट्विटर Donald Trump को कानूनन हमेशा के लिए बैन कर सकता है? " isDesktop="true" id="3412928" >अच्छी जीवनशैली के बाद भी स्वामी जी को कई बीमारियां थीं, दमा और डायबिटीज की बीमारियां भी इनमें शामिल थीं. ऐसा नहीं है कि स्वामी विवेकानंद इनकी ओर से सचेत नहीं थे. वे कह चुके थे कि बीमारियां मुझे 40 साल भी पार नहीं करने देंगी. और यही हुआ भी. पनी मृत्यु के बारे में उनकी भविष्यवाणी सच साबित हुई और उन्होंने 39 बरस की बेहद कम उम्र में 4 जुलाई 1902 को बेलूर स्थित रामकृष्ण मठ में ध्यानमग्न अवस्था में महासमाधि धारण कर प्राण त्याग दिए. बेलूर में गंगा तट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ. ये वही जगह थी, जहां उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का अंतिम संस्कार हुआ था. अच्छी जीवनशैली के बाद भी स्वामी विवेकानंद को कई बीमारियां थींइसके बाद से स्वामी विवेकानंद के आध्यात्म और दर्शन के बारे में देश समेत दुनियाभर के विद्वान बात कर चुके हैं. स्वामी विवेकानंद ने जितने युवाओं के हृदय को झंकृत किया, शायद ही उतना किसी और ने किया हो. उनका रोम-रोम राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत था और राष्ट्र के दीन-हीनजनों की सेवा को ही वे ईश्वर की सच्ची पूजा मानते थे. यही कारण है कि साल 1985 में उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई. तब से हर साल आज का दिन काफी उत्साह से मनाते हैं. ये भी पढ़ें: क्यों फ्लाइट लेने के लिए इंडोनेशिया दुनिया का सबसे खराब मुल्क है? वैसे तो उनके शिकागो के भाषण को लगातार याद किया जाता है लेकिन विवेकानंद से ऐसी अनेकों बातें कहीं जो युवाओं में नया जोश भरती हैं. एक पंक्ति अक्सर याद की जाती है- उठो मेरे शेरों, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो. तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, न ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है, तुम तत्व के सेवक नहीं हों. ये भी पढ़ें: न्यूक्लियर लॉन्च कोड, जिससे केवल 30 मिनट में US का राष्ट्रपति परमाणु हमला कर सकता है लोगों को सही और गलत रास्ते में फर्क बताते हुए एक बार उन्होंने कहा था कि जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आए, आप यकीन कर सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर सफर कर रहे हैं. अपने बारे में भी विवेकानंद से कुछ बातें कही थीं, जो लोगों की मानसिकता की ओर इशारा करती थीं. जैसे एक बार उन्होंने कहा था- यही दुनिया है; यदि तुम किसी का उपकार करो, तो लोग उसे कोई महत्व नहीं देंगे, किन्तु ज्यों ही तुम उस कार्य को बंद कर दो, वे तुरन्त तुम्हें बदमाश प्रमाणित करने में नहीं हिचकिचायेंगे. मेरे जैसे भावुक व्यक्ति अपने सगे – स्नेहियों द्वारा ठगे जाते हैं. (लेखक जय प्रकाश सिंह भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं. वर्तमान में वे शिमला में आईजी, सशस्त्र पुलिस एवं प्रशिक्षण के तौर पर तैनात है) ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| Tags: Swami vivekananda, Vivekananda FIRST PUBLISHED : January 12, 2021, 11:24 IST
aadarshr | भाषा | Updated: 6 Jan 2013, 1:55 pm एक बांग्ला लेखक ने कहा है कि स्वामी विवेकानंद एकसाथ 31 बीमारियों से ग्रस्त थे, जिस वजह से सिर्फ 39 साल की उम्र में उनका निधन हो गया...
किताब के मुताबिक विवेकानंद को नींद नहीं आती थी। अनिद्रा रोग से वह बहुत परेशान थे। किताब में लिखा है, 'विवेकानंद ने 29 मई, 1897 को शशि भूषण घोष के नाम लिखे पत्र में कहा था कि मैं अपनी जिंदगी में कभी भी बिस्तर पर लेटते ही नहीं सो सका।' Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें रेकमेंडेड खबरें
देश-दुनिया की बड़ी खबरें मिस हो जाती हैं?धन्यवादविवेकानंद कितने घंटे ध्यान करते थे?मृत्यु वाले दिन भी विवेकानंद प्रतिदिन की तरह प्रात:काल में उठे थे. उठने के बाद उन्होंने दिन की शुरुआत तीन घंटे तक ध्यान करने से की थी.
स्वामी विवेकानंद को कौन कौन सी बीमारियां थी?मशहूर बांग्ला लेखक शंकर की पुस्तक 'द मॉन्क एस मैन' में कहा गया है कि निद्रा, यकृत, गुर्दे, मलेरिया, माइग्रेन, मधुमेह व दिल सहित 31 बीमारियों से स्वामी विवेकानंद को जूझना पड़ा था।
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु का कारण क्या है?कई बीमारियों से लड़ते हुए चार जुलाई 1902 को विवेकानंद का 39 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन की वजह तीसरी बार दिल का दौरा पड़ना था।
क्या स्वामी विवेकानंद भगवान को मानते थे?स्वामी विवेकानंद
ईसा मसीह भगवान थे। मनुष्य के शरीर में अवतरित साकार ईश्वर। ईश्वर कई बार कई रूपों में खुद को प्रकट करते हैं और तुम केवल उन रूपों की ही पूजा कर सकते हो। जो परमब्रह्म है, वह उपासना की वस्तु नहीं है।
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