लखनऊ: दीपावली यानी साफ सफाई, खुशियां, पकवान और रोशनी का त्यौहार। क्या आपको मालूम है कि इस पावन पर्व की शुरुआत कब और कैसे हुई थी? तो आइये आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं। Show दीपावली दो शब्दों से मिलकर बना है। दीप और आवली यानि दीप की पंक्ति या कतार। यहीं वजह है कि इस दिन दीप जलाने और घरों के आस पास जगमग करने का खास महत्व है। ये भी पढ़ें...दीपावली पर हर साल ऐसे उल्लू बनते हैं लोग पांडवों के वनवास से जुड़ी है ये कहानी-दीवावली की एक कथा पांडवों से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार पांडवों को वनवास की सजा हुई थी। वनवास की अवधि पूरी होने के बाद पांडव वापस अपने घर लौट आये थे। लोग उनके वापस लौटने से काफी खुश थे और उन्होंने अपने घरों के बाहर दीपक से रोशनी करके पांडवों के घर वापस लौटने का स्वागत किया था। कथा के अनुसार तब से दीपावली से मनाने की शुरुआत हुई थी। श्रीकृष्ण और नरकासुर से जुड़ी है ये कहानीनरका सुर को नारी के हाथों मृत्यु का श्राप मिला था। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से असुर राजा नरकासुर का वध किया था। वो दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी। जब प्रजा को नरकासुर के मारे जाने की खबर मिली तो उन्होंने घरों के बाहर दीपक जलाए और जश्न मनाया। उसके अगले दिन लोगों ने दीपावली मनाई। ये भी पढ़ें...विदेशियों में बढ़ने लगा है देव दीपावली का क्रेज, मोदी ने किया ग्लोबलाइज ये कथा धनवन्तरि से जुड़ी हुई है-धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी कि धनतेरस को समुद्र मंथन से देवताओं के वैद्य धनवन्तरि अमृत कलश के साथ अवतरित हुए थे। धनवन्तरि के अवतरित होने के कारण धनतेरस मनाया जाने लगा। कथा में उल्लेख है कि उसके बाद धन की देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं जिनके स्वागत में दीपक जलाकर दीपोत्सव मनाया गया। ऐसा कहा जाता है कि सतयुग में ही पहली दीपावली मनाई गई थी। लक्ष्मी गणेश पूजा से जुड़ा हुआ है ये प्रसंगहम सब जानते हैं कि धन के बिना विद्या और विद्या के बिन धन। हमारे जीवन को नीरस बना देता है। वैसे दीपावली पर हम भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की एक साथ पूजा करते हैं और कुशल मंगल की कामना भी करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान गणेश बुद्धि के देवता हैं और माता लक्ष्मी धन की देवी हैं। ये कथा भगवान राम की अयोध्या वापसी से जुड़ी हुई हैभगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन पर दीपावली मनाई गई थी, हर नगर हर गांव में दीपक जलाए गए थे। तब से दीपावली का यह पर्व अंधकार पर विजय का पर्व बन गया और हर वर्ष मनाया जाने लगा। रामायण में बताया गया है कि भगवान श्रीराम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी। ये भी पढ़ें...यहां जाने सब कुछ! दीपावली से छठ पूजा तक की जानकारी ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ यानि ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। वहीं जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं तथा सिख समुदाय इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है। कब मनाई जाती है दीपावली : क्यों मनायी जाती है दीपावली : 1. भगवान राम की विजय और आगमन: हिन्दू महाकाव्य रामायण के अनुसार, भगवान राम राक्षस राजा रावण को मारकर और पत्नी सीता को उसके बंधन से छुड़ाने के बाद भगवान राम, माता सीता व भाई लक्ष्मण के साथ अपने राज्य, अयोध्या, बहुत लम्बे समय(14 वर्ष) के बाद वापस आये थे। अयोध्या के लोग अपने सबसे प्रिय और दयालु राजा राम, उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के आने से बहुत खुश थे। इसलिये उन्होनें भगवान राम का लौटने का दिन अपने घर और पूरे राज्य को सजाकर, मिट्टी से बने दिये और पटाखे जलाकर मनाया। 2. देवी लक्ष्मी का जन्मदिन: देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि की स्वामिनी मानी जाती हैं। यह माना जाता है कि राक्षस और देवताओं द्वारा समुद्र मंथन के समय देवी लक्ष्मी दूध के समुद्र (क्षीर सागर) से कार्तिक महीने की अमावस्या को ब्रह्माण्ड में आयी थी। यही कारण है कि यह दिन माता लक्ष्मी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में दीपावली के त्यौहार के रूप में मनाना शुरू कर दिया गया। 3. भगवान विष्णु ने लक्ष्मी को बचाया: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक महान दानव राजा बाली था, जो सभी तीनों लोक (पृथ्वी, आकाश और पाताल) का मालिक बनना चाहता था, उसे भगवान से असीमित शक्तियों का वरदान प्राप्त था। पूरे विश्व में केवल गरीबी थी क्योंकि पृथ्वी का सम्पूर्ण धन राजा बाली द्वारा रोका हुआ था। भगवान के बनाए ब्रह्मांण्ड के नियम जारी रखने के लिए भगवान विष्णु ने सभी तीनों लोकों को बचाया था (अपने वामन यानि 5वें अवतार में) और देवी लक्ष्मी को उसकी जेल से छुडाया था। तब से, यह दिन बुराई की सत्ता पर भगवान की जीत और धन की देवी को बचाने के रूप में मनाया जाना शुरू किया गया। 4. भगवान कृष्ण ने नरकासुर को मार डाला: मुख्य दीपावली यानि दिवाली पर्व के तीसरे दिन से एक दिन पहले का दिन नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि बहुत समय पहले, नरकासुर नाम का राक्षस राजा(प्रदोषपुरम में राज्य करता था)था, जो लोगों पर अत्याचार करता था और उसने अपनी जेल में 16000 औरतों को बंधी बना रखा था। भगवान कृष्ण (भगवान विष्णु के 8वें अवतार) उसकी हत्या करके नरकासुर की हिरासत से उन सभी महिलाओं की जान बचाई थी। उस दिन से यह बुराई सत्ता पर सत्य की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। 5. राज्य में पांडवों की वापसी: हिंदू महाकाव्य महाभारत के अनुसार, निष्कासन के लम्बे समय(12 वर्ष) के बाद कार्तिक महीने की अमावस्या को पांडव अपने ऱाज्य लौटे थे। कोरवों से जुएं में हारने के बाद उन्हें 12 वर्ष के लिये निष्कासित कर दिया गया था। पांडवों के राज्य के लोग पांडवों के राज्य में आने के लिए बहुत खुश थे और मिट्टी के दीपक जलाकर और पटाखे जलाकर पांडवों के लौटने दिन मनाना शुरू कर दिया। 6. विक्रमादित्य का राज्याभिषेक: राजा विक्रमादित्य एक महान हिन्दू राजा का विशेष दिन पर राज्यभिषेक हुआ, तब लोगों ने दिवाली को ऐतिहासिक रुप से मनाना शुरु कर दिया। 7. आर्य समाज के लिए विशेष दिन: महर्षि दयानंद महान हिन्दू सुधारक के साथ साथ आर्य समाज के संस्थापक थे और उन्होंने कार्तिक के महीने में नया चांद(अमावश्या) के दिन निर्वाण प्राप्त किया। उस दिन से इस खास दिन के उपलक्ष्य में दीवाली के रूप में मनाया जा रहा है।
8. जैनियों के लिए विशेष दिन: तीर्थंकर महावीर, जिन्होंने आधुनिक जैन धर्म की स्थापना की, उन्हें इस विशेष दिन दिवाली पर निर्वाण की प्राप्ति हुई जिसके उपलक्ष्य में जैनियों में यह दिन दीवाली के रूप में मनाया जाता है। 9. मारवाड़ी नया साल: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मारवाड़ी अश्विन की कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन पर महान हिंदू त्यौहार दीवाली पर अपने नए साल का जश्न मनाते है। 10. गुजरातियों के लिए नया साल: चंद्र कैलेंडर के अनुसार, गुजराती भी कार्तिक के महीने में शुक्ल पक्ष के पहले दिन दीवाली के एक दिन बाद अपने नए साल का जश्न मनाते है। 11. सिखों के लिए विशेष दिन: अमर दास (तीसरे सिख गुरु) ने दिवाली को लाल-पत्र दिन के पारंम्परिक रुप में बदल दिया जिस पर सभी सिख अपने गुरुजनों का आशार्वाद पाने के लिये एक साथ मिलते है। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की स्थापना भी वर्ष 1577 में दीवाली के मौके पर की गयी थी। हरगोबिंद जी (6 सिख गुरु) को वर्ष 1619 में मुगल सम्राट जहांगीर की हिरासत से ग्वालियर किले से रिहा किया गया था। ऐसे मनाया जाता है दीपावली का त्यौहार : 1. पहला दिन (धनतेरस/ धनतृयोदशी) : 2. दूसरा दिन (नरक चतुर्दशी) : 3. तीसरा दिन (अमावस) : 4. चौथा दिन (गोवर्धन पूजा/शुक्ल प्रतिपदा) : 5. पांचवां दिन (भाई दूज) : दीपावली पर्व 2017 :- - धनतेरस (पहला दिन): मंगलवार, 17 अक्टूबर 2017 - नरक चतुर्दशी (छोटी दीवाली): बुधवार, 18 अक्टूबर 2017 - लक्ष्मी पूजा (मुख्य दिवाली): गुरुवार, 19 अक्टूबर 2017 - बाली प्रतिप्रदा या गोवर्धन पूजा: शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2017 - यम द्वितीय या भाईदूज: शनिवार, 21 अक्टूबर 2017 दुनिया में यहां-यहां मनाई जाती है दीपावली : दीपावली मनाने की शुरुआत किसने और क्यों की?रामायण में बताया गया है कि भगवान श्रीराम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी. भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन पर दिवाली मनाई गई थी. हर नगर हर गांव में दीपक जलाए गए थे.
दीपावली की शुरुआत कब और कहां से हुई?इस दिन भगवान श्रीराम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अपने घर अयोध्या लौटे थे। इतने सालों बाद घर लौटने की खुशी में सभी अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से दीपों के त्योहार दीपावली मनाया जाने लगा।
दीपावली की शुरुआत कैसे हुई?* बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध के समर्थकों एवं अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध के स्वागत में हजारों-लाखों दीप जलाकर दीपावली मनाई थी। * कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध दीपावली के एक दिन पहले चतुर्दशी को किया था। इसी खुशी में अगले दिन अमावस्या को गोकुलवासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थीं।
दीपावली का पुराना नाम क्या है?दीपावली एक प्राचीन हिंदू त्यौहार है जो कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता हैं दीपावली दीपों का त्यौहार है इसीलिए इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। दीपावली का पुराना नाम क्या है? "नरक चतुरदशी स्नान" या "कार्तिक अमावास्या" या "राम राज्याभिषेक समारोह"।
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