पाठ-परिचय – पाठ में सर्वेश्वरजी की ‘मेघ आए’ शीर्षक कविता संकलित है। इसमें उन्होंने मेघों के आने की तुलना सजकर आये प्रवासी अतिथि (दामाद) से की है। ग्रामीण परिवेश में मेघों के आने से सर्वत्र उल्लास छा जाता है, इसी प्रकार वहाँ के परिवेश में दामाद के आने से आनन्दमय अनुभूति होती है। कवि ने इसी भाव का सजीव एवं आकर्षक वर्णन किया है। x भावार्थ एवं अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न मेघ आए 1. मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के! कठिन-शब्दार्थ :
भावार्थ : कवि सर्वेश्वर वर्णन करते हुए कहते हैं कि बादल रूपी प्रवासी मेहमान बड़े सज-धजकर आ गए हैं। उन बादलों की सूचना देने वाली हवा उनके आगे नाचती-गाती चली आ रही है। उसके आने से मकानों के बन्द दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी हैं। ऐसा लगता है कि शहर से आये मेहमान (दामाद) को देखने के लिए गली-गली में बन्द दरवाजे एवं खिड़कियाँ खोली जा रही हैं, ताकि घरों के लोग इस शहरी मेहमान को देख सकें। इस तरह मेघ गाँव में मेहमान की तरह सज-धजकर आ गया है। कवि कहता है कि बादलों के आने की सूचना हवा से मिल जाने पर पेड़ भी खुशी से झूम रहे हैं और सिर झुकाकर देखते हुए फिर गर्दन ऊँची कर रहे हैं । अर्थात् हवा के चलने से पेड़ कुछ झुक रहे हैं, फिर सीधे हो रहे हैं। इस तरह वे व्याकुलता से बार-बार अपनी गर्दन उचकाकर देख रहे हैं । आँधी चलने से गलियों की धूल उठकर अन्यत्र जाने लगी, इससे ऐसा लग रहा है कि जैसे गाँव की कोई लड़की अपना घाघरा उठाये भागी जा रही है। नदी कुछ रुककर बादलों को उसी प्रकार देखने लगी, जिस प्रकार गाँव की कोई स्त्री मेहमान को देखने के लिए अपने पूंघट को थोड़ा-सा हटाकर और लज्जा सहित नेत्रों को कुछ तिरछा करके देखने लगी हो। इस प्रकार बादल मेहमान के रूप में सज-धजकर गाँव में आ गये हैं। प्रश्न 1. मेघों की तुलना पाहुन से क्यों की गई है? बताइये। 2. गाँव के रहन-सहन और शहर के रहन-सहन में अन्तर होता है। गाँवों के लोगों में शहरों के प्रति अधिक उत्सुकता रहती है। इसीलिए जब पहली बार बादल आये, तो गाँव के लोगों में उनके प्रति ऐसी उत्सुकता जागी, जैसे शहरी मेहमान के आने पर जगती है। 3. मनोरम मेघों को देखने के लिए गली-गली में दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं। इस सम्बन्ध में कवि ने यह कल्पना की है कि प्रवासी बादल रूपी मेहमान (दामाद) के आने की सचना मिलने से गाँव के लोगों में उत्सकता जागी। मेहमान को देखकर उससे स्वागत-सत्कार की बातें कर सकें, इस दृष्टि से लोगों ने दरवाजे-खिड़कियाँ खोल दीं। 4. हवा मेघ रूपी पाहुन के आगे-आगे नाचती-गाती हुई चली। 2. बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की, कठिन-शब्दार्थ :
भावार्थ : कवि कहता है कि सजे-धजे मेहमान के रूप में बादल को आया देखकर बढे पीपल ने पीपल ने गाँव के बजर्ग.. सम्मानित व्यक्ति के रूप में इस मेहमान का अभिवादन या स्वागत किया। गर्मी से व्याकुल लता ने दरवाजे की ओट में होकर उलाहना देते हुए कहा कि तुम्हें पूरे एक साल बाद मेरी याद आयी। मेघ को सज-धजकर आये मेहमान रूप में देखकर तालाब प्रसन्न हो उठा और वह परात में पानी भरकर (मेहमान के पैर धोने हेतु) लाया। आकाश में उमड़ते हुए बादलों को देखकर कवि कहता है कि उसी समय क्षितिज रूपी अटारी पर मेघ छाने लगे मध्य में बिजली चमकने लगी। अब तक लोगों को भ्रम था कि पता नहीं बादल आयेंगे या नहीं, अबकी बार बरसेंगे या नहीं। परन्तु बिजली चमकने से अब वह भ्रम दूर हो गया। साथ ही प्रवासी मेहमान (दामाद) के अटारी पर पहुंचते ही उसकी नायिका का भी भ्रम समाप्त हो गया। तब उसने मेहमान से कहा कि ‘आपके आगमन को लेकर मेरे मन में जो भ्रम था, अब वह मिट गया है। आप मुझे माफ कर दें।’ यह सुनते ही मेहमान (बादल) के सब्र का बाँध टूट गया और उस मिलन-वेला में प्रिया-प्रिय के नेत्रों से अश्रुपात होने लगा, अर्थात् मूसलाधार वर्षा होने लगी। इस प्रकार मेघ बन-ठनकर मेहमान की तरह गाँव में आये। प्रश्न 1. बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर किसका स्वागत किया और क्यों? 2. वर्षा ऋतु या बरसात साल में एक बार आती है। लता रूपी नायिका कुछ लजित होकर, किवाड़ की ओट लिए अपने प्रवासी मेहमान (नायक) से बोली कि तुम्हें पूरे एक वर्ष बाद हमारी याद आयी है। लता रूपी युवती ने बादल रूपी प्रिय से हृदयगत शिकायत या उलाहने के रूप में ऐसा कहा। 3. भारत की प्राचीन संस्कृति में घर आये मेहमान के पैर धोने की परम्परा प्रचलित रही। आज भी देश के कुछ भागों में मेहमान के पैर धोए जाते हैं, मेहमान यदि दामाद हो, तो फिर उसे पूज्य माना जाता है। तालाब भी प्रसन्न होकर मेहमान रूप में आये मेघ के पैर धोने के लिए पानी की परात लेकर आया। 4. गाँव के लोगों को मेहमान रूपी बादलों के समय पर आने और बरसने को लेकर भ्रम था, परन्तु बादल ठीक समय पर आ गये। इस कारण गाँव वालों की और लता रूपी नायिका की यह भ्रान्ति मिट गई, उनका भ्रम समाप्त हो गया। इसी निमित्त मेहमान से मिलने पर क्षमायाचना की गई है। RBSE Class 9 Hindi मेघ आए Textbook Questions and Answersप्रश्न 1.
प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. ग्रामीणों को भ्रम था कि बादल आयेंगे या नहीं, बरसेंगे या नहीं, परन्तु बादल समय पर आ गये। इसलिए ग्रामीणों के मन की गाँठें खुल गईं और वे उससे क्षमा-याचना करने लगे। बादल के नियत समय पर आने से ग्रामीणों का भ्रम समाप्त हो गया। (ख) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, चूंघट सरके। प्रश्न 5.
प्रश्न 6. प्रश्न 7.
रूपक के उदाहरण प्रश्न 8. प्रश्न 9. गाँव में मेहमान का वर्णन-शहर से दामाद बन-ठनकर गाँव पहुँचा। उसके आने की खबर हवा की तरह फैली। पुरुष उसे झुककर देखने लगे तो स्त्रियाँ भी घूघट सरकाकर तिरछी नजर से देखने लगीं। किसी ने आगे बढ़कर उसका स्वागत किया, तो कोई पैर धोने के लिए पानी की परात ले आया। उसकी विरहिणी प्रियतमा को भ्रम था कि वह न जाने कब आयेगा। इसलिए वह आकुलता से सबके सामने नहीं अपितु किवाड़ की ओट में मिली। तब उसने प्रियतम से क्षमा माँगी और दोनों के मधुर-मिलन की बेला में उनके आँसू बहने लगे। प्रश्न 10. शिल्प-सौन्दर्य – इसमें उत्प्रेक्षा अलंकार अनुप्रास अलंकार ‘बड़े बन-ठन’ के तथा मानवीकरण अलंकार बादलों पर मेहमान का आरोप करने में है। भाषा सरल, भावानुकूल एवं छन्द तुकान्त है। रचना और अभिव्यक्ति – प्रश्न 11. दो-चार दिन की बरसात के बाद तो सारी धरती हरी-भरी हो गई, जगह-जगह तृण-राशि उगकर आँखों को प्रिय लगने लगी। पेड़ों के पत्ते एकदम धुल गये, बेलें ऊपर की ओर उठने लगीं। बादल कभी सघन छा जाते, गर्जते एवं बिजली चमकाते और कभी शान्त होकर आकाश में सैर करते रहते। इस कारण सूर्य कभी चमकता और कभी बादलों के पीछे छिप जाता। बरसात होने से गाँव के तालाबों एवं कुओं का जलस्तर बढ़ गया, पास में बहने वाली सूखी नदी में भी पानी का वेग चढ़ने लगा। इस तरह वर्षा के आने पर आसपास के वातावरण में अनेक परिवर्तन दिखाई दिये। प्रश्न 12. प्रश्न 13.
भाषा अध्ययन – प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. वसन्त ऋतु के आगमन का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए। बागों में आम पर बौर आ जाता है। वृक्ष नवीन पत्ते धारण कर शोभा को बिखेरने लगते हैं तो वनों में महुआ महकने लगता है। सारा वातावरण वासन्ती सुषमा से व्याप्त हो जाता है। दक्षिण की हवा मन्द-सुगन्ध बहती है, तो पूर्वा हवा का रुख भी मन्द रहता है। सभी जीवों, पशु-पक्षियों को भी वसन्त-ऋतु की मादकता का आभास हो जाता है और सभी के मानस में उल्लास, उमंग, मस्ती एवं मचलने की इच्छा समाई रहती है। वसन्त के आगमन से सब कुछ बदलकर नया हो जाता है। प्रस्तुत अपठित कविता के आधार पर दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए धिन-धिन-धा धमक-धमक मेघ बजे दामिनि यह गई दमक मेघ बजे दादुर का कण्ठ खुला मेघ बजे धरती का हृदय खुला मेघ बजे पंक बना हरिचन्दन मेघ बजे हल का है अभिनन्दन मेघ बजे धिन-धिन-धा 2. मेघों के आने पर बिजली चमकने लगी, मेंढक बोलने लगे, धरती धुली-धुली-सी लगने लगी। चारों ओर कीचड़ दिखाई देने लगा तथा कृषक अपने हल आदि कृषि उपकरणों को ठीक करने लगे। इस तरह प्रकृति में परिवर्तन होने लगे। 3. हरिचन्दन पवित्र होता है, यह देवताओं को लगाया जाता है। प्रसाद रूप में इसे मस्तक पर लगाते हैं तथा शरीर पर लेपते हैं। वर्षा आने से खेतों में मिट्टी गीली होकर कीचड़ बन गई जो कि कृषक के शरीर पर हरिचन्दन के समान लग गई। उस उपजाऊ मिट्टी के कीचड़ से उसका तन-मन पवित्र हो गया। |