मानचित्र में कितने प्रकार होते हैं? - maanachitr mein kitane prakaar hote hain?

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हेल्लो दोस्तों नमस्कार ! आज के इस लेख में हम जानेंगे की मानचित्र किसे कहते है, मानचित्र के प्रकार और मानचित्र का महत्व उपयोग, विशेषता आवश्यक तत्व क्या है और मानव को मानचित्र की  आवश्यकता क्यों पड़ी । इन सब प्रश्नों का जवाब जानने के लिए अंत तक जरुर पढ़े ।

भूगोल के अध्ययन में मानचित्र का विशेष महत्व है। किसी देश या भू-भाग का भौगोलिक अध्ययन मानचित्र के बिना अधूरा है, क्योंकि मानचित्र भू-भाग विशेष का चित्रात्मक स्वरूप प्रस्तुत करता है। भूगोल में हम केवल पृथ्वी का प्राकृतिक स्वरूप ही नहीं पढ़ते वरन् धरातल पर निवास करने वाले मानव और प्रकृति दोनों की गतिविधियों व उनके परस्पर प्रभाव का भी अध्ययन करते हैं। यह परस्पर प्रभाव जानने के लिए मानचित्र और उसकी समझ बहुत आवश्यक है। धरातल के भौतिक, राजनैतिक तथा अन्य स्वरूप सम्बंधी लेखों को समझने में मानचित्र बहुत सहायक है।

Table of Contents

  • मानचित्र किसे कहते है ?
    • मानचित्र के प्रकार
      • मानचित्र की परिभाषा
        • मानचित्रों का महत्व
        • मानचित्र के आवश्यक तत्व ( Necessary Factors of a map in Hindi )
          • मानचित्र का उपयोग ( UTILIZATION OF MAPS IN HINDI )
  • FAQ’s
    • 1. मानचित्र कितने प्रकार के होते है ?
    • 2. मानचित्र किसे कहते है ?
    • आज आपने सीखा

मानचित्र किसे कहते है ?

“मानचित्र, पृथ्वी या उसके किसी भाग के चुने हुए तथ्यों व लक्षणों का एक निश्चित मापक तथा प्रक्षेप पर उपयुक्त रूढ़ चिन्हों द्वारा किसी समतल पटल पर प्रदर्शन हैं । 

मानचित्र में धरातलीय तथ्यों व लक्षणों को दर्शाने हेतु चिन्ह व संकेत तय किये गए है जिन्हें रूढ़ चिन्ह कहते है । इस प्रकार एक पैमाना उपयुक्त प्रक्षेप व रूढ़ चिन्हों व संकेतो की सहायता से मानचित्र में पृथ्वी या उसके किसी धरातलीय भाग के विभिन्न तथ्यों व लक्षणों की स्थिति व विवरण दर्शाया जाता है ।

मानचित्र के प्रकार

सामान्यतः मानचित्र विविध प्रकार के होते है । अध्ययन की सुविधा के लिए इन्हें दो भागो में बांटा जा सकता है –

  1. मापक के आधार पर ( According to scale )
  2. उद्देश्य के आधार पर ( According to purpose )

मानचित्र अनेक प्रकार के होते है । उनके वर्गीकरण का आधार मापक, आकार या उपयोगिता हो सकता है । उपयोगिता के आधार पर बनाये जाने वाले मानचित्रों को चार भागो में बांटा जाता है –

  1. भौतिक मानचित्र
  2. राजनीतिक मानचित्र
  3. वितरण मानचित्र
  4. विशेष मानचित्र

भौतिक मानचित्र –

भौतिक मानचित्र में धरातलीय तथ्य व लक्षण ( जैसे – पर्वत पठार मैदान, घाटियाँ आदि । ) समोच्च रेखाओं के अनुरूप विभिन्न रंगों ( यथा – भूरा, पीला, हरा ) द्वारा दर्शाए जाते है ।

राजनीतिक मानचित्र –

राजनीतिक मानचित्र विभिन्न देशों, उनके प्रशासनिक विभागों, राजधानियों, नगरों, आवागमन के मार्गों आदि को दर्शाते हैं भौतिक व सांस्कृतिक स्वरूप भी पृष्ठभूमि में कभी-कभी दर्शाए जाते हैं।

वितरण मानचित्र –

पृथ्वी, महाद्वीप, देश या उसके किसी भाग में पाए जाने वाले तथ्यों का वितरण इन मानचित्रों में दर्शाया जाता है वर्षा, ताप, वायुदाब, जलवायु, कृषि उपज, खनिज, बनस्पति, उद्योग, व्यापार, परिवहन के साधन, जनसंख्या एवं दर्शनीय तथा पर्यटन स्थल आदि का वितरण इस प्रकार के मानचित्रों में दर्शाया जाता है।

विशेष मानचित्र – 

ये वे मानचित्र होते है जो किसी विशेष उद्देश्य से बनाए जाते हैं इनका उपयोग विशिष्ट जानकारी के लिए होता हैं इनके अंतर्गत अनेक प्रकार के मानचित्र आते हैं ( जैसे भू आकृतिक मानचित्र, भूगर्भीय मानचित्र, नगर योजना मानचित्र, मौसम मानचित्र, समुद्री मार्ग वायु मार्ग मानचित्र, सैन्य मानचित्र आदि। )

मानचित्र की परिभाषा

एफ.जे.मोकहाउस के अनुसार – ” निश्चित मापनी के अनुसार धरातल के किसी भाग के लक्षणों के समतल सतह पर निरूपण को मानचित्र की संज्ञा दी जाती है । ”

मानचित्रों का महत्व

वर्तमान समय में मानचित्र का महत्व दिनों दिन बढ़ता जा रहा है जिसके निम्न कारण हो सकते है –

  • मानचित्र के द्वारा कहीं भी किसी भी भू-भाग का अध्ययन किया जा सकता है।
  • मानचित्र, किसी तथ्य को रोचक तरीके वश में उसके सही स्थान पर प्रस्तुत करने की तकनीक है।
  • मानचित्र भूगोल सहित सामाजिक विज्ञान की ऐसी भाषा है जिसे हर देश में समझा जा सकता है।
  • यह अल्प समय में चिह्नों के द्वारा अधिक से अधिक जानकारी गुलभ कराने की कला है।
  • दो सीमावर्ती देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए मानचित्र एक प्रामाणिक दस्तावेज होता है
  • प्रादेशिक योजनाओं को तैयार करने के लिए स्थलाकृतिक (भू-पत्रक) मानचित्रों का उपयोग किया
    जाता है।
  • किसी क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों को मानचित्र में उनकी स्थिति दर्शाकर क्षेत्र का औद्योगिक विकास किया जा
    सकता है।
  • राज्य पुनर्गठन आयोग के लिए मानचित्र की उपयोगिता उस समय बढ़ जाती है जब किसी नए राज्य, नए
    जिले या नई तहसीलों का सीमांकन किया जाता है।
  • सामरिक दृष्टि से मानचित्र (स्थलाकृतिक) की उपयोगिता अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। मानचित्र युद्ध
    केसमय सैनिकों के लिए उपयोगी होते हैं।
  • पर्यटन उद्योग के लिए पर्यटन स्थलों और पहुँच मार्गों को दर्शाने में मानचित्र बहुत उपयोगी होते हैं।
  • आजकल अनेक विषयों जैसे मौसम विज्ञान, समुद्र विज्ञान, वनस्पति शास्त्र, राजनीति विज्ञान, इतिहास, भूगर्भ
    विज्ञान आदि के लिए भी मानचित्र बहुत उपयोगी सिद्ध होते जा रहे है।

मानचित्र के आवश्यक तत्व ( Necessary Factors of a map in Hindi )

किसी भी मानचित्र में निम्नांकित जानकारियों को प्रस्तुत करना आवश्यक होता है –

  • मानचित्र का शीर्षक
  • मानचित्र का मापक
  • मानचित्र की दिशा
  • तथ्यों को प्रकट करने वाले संकेत
  • अक्षांश और देशांतर रेखाएं ।
मानचित्र का उपयोग ( UTILIZATION OF MAPS IN HINDI )

आज संसार में मानचित्रों का उपयोग दिन प्रतिदिन लगातार बढ़ता जा रहा है । मानचित्र का उपयोग अनेकों क्षेत्रों में किया जाता है । मानचित्र के उपयोग को निम्नांकित बिदुओं के अंतर्गत रखा जाता है –

  1.  मानचित्रों द्वारा विश्व या देश के सभी भागों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
  2. परिवहन जैसे-जल, थल, वायु यातायात में चालकों के लिए मानचित्र पथ-प्रदर्शक होते हैं।
  3. औद्योगिक व्यापारिक क्षेत्र में सफलता पाने के लिए इसकी उपयोगिता सर्वविदित है।
  4.  भवन निर्माण कार्य, किसी क्षेत्र के विकास की योजना आदि में मानचित्रों का उपयोग होता है।
  5. मानचित्र बुद्ध व सैन्य संचालन का आधार होता है।
FAQ’s

1. मानचित्र कितने प्रकार के होते है ?

मानचित्र विविध प्रकार के होते है जिसकी जानकारी इस पोस्ट में आपको दी गयी है ।

2. मानचित्र किसे कहते है ?

पृथ्वी के सतह के किसी भाग के स्थानों, नगरों आदि की स्थिति को पैमाने की सहायता से कागज पर लघु रूप में बनाना मानचित्रण कहलाता हैं।

आज आपने सीखा

आशा है की जानकारी आपको अच्छी लगी होंगी और अब आप जान गए होंगे की मानचित्र किसे कहते है और मानचित्र के प्रकार, महत्व,उपयोग तथा मानचित्र के आवश्यक तत्व कौनसे है । अगर आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई परेशानी हो तो हमें जरुर बताएं हम आपकी मदद जरुर करेंगे । धन्यवाद

मानचित्र के कितने प्रकार के होते हैं?

13.1 भौगोलिक मानचित्र.
13.2 स्थलाकृतिक मानचित्र.
13.3 भू-कर तथा राजस्व मानचित्र.
13.4 नगर और कस्बों के दर्शक मानचित्र.
13.5 छावनी मानचित्र.
13.6 विविध मानचित्र.

मानचित्र के कितने तत्व होते हैं?

मानचित्र के तीन घटक हैं : दूरी, दिशा और प्रतीक । मानचित्र एक आरेखण होता है जो कि पूरे विश्व या उसके एक भाग को छोटा कर कागज के एक पन्ने पर दर्शाता है या यह कह सकते हैं कि मानचित्र छोटे पैमाने पर खींचे जाते हैं। लेकिन इसे इतनी सावधानी से छोटा किया जाता है ताकि स्थानों के बीच की दूरी वास्तविक रहे।

मानचित्र की परिभाषा क्या है?

मानचित्र को 'नक्शा' भी कहा जाता है जबकि पृथ्वी की सतह के किसी भाग के स्थानों,नगरों , देशों, पर्वत, नदियों आदि की स्थिति को पैमाने की सहायता से कागज पर लघु रूप में बनाना 'मानचित्रण' कहलाता हैं। मानचित्र दो शब्दों मान और चित्र से मिल कर बना है जिसका अर्थ किसी माप या मूल्य को चित्र द्वारा प्रदर्शित करना है।

मानचित्र का उपयोग क्या है?

मानचित्र पूरे विश्व से लेकर छोटे-से-छोटे स्थान की भौगोलिक जानकारी के लिये एक सन्दर्भ का काम करता है। मानचित्र किसी अज्ञात स्थान के लिये मार्गदर्शक और दिग्दर्शक का काम करता है। थल, जल या वायु मार्ग से यात्रा करने में यात्रा के मार्ग की योजना बनाने और उस मार्ग पर बने रहने में सहायक होता है।