जब वाही जल एक निश्चित रूप में ऊंचाई से निचले ढाल पर गुरुत्वाकर्षण के कारण प्रवाहित होता है अपरदण, परिवहन तथा निक्षेप. नदी द्वारा निर्मित स्थलाकृतियां Archived 2021-03-22 at the Wayback Machine बहुत महत्व पूर्ण होती है V आकार की घाटी-- Show
नदी अपनी तली को काट के गहरा करती है जिससे नदी की गहराई हमेशा बढ़ती जाती है।तथा घाटी का आकार अंर्गेजी के Vआकार के समान हो जाती है। इनको दो वर्गों मे बाँटा गया। 1.गार्ज 2. कैनियन जल प्रपात तथा क्षिप्रिका-- जब किसी स्थान पर नदी का जल अधिक ऊँचाई से सीधे अत्यधिक वेग से नीचे की ओर गिरता है तो उसे जल प्रपात कहते है।इनके प्रकार निम्न है। 1.सोपानी 2.भ्रश 3.नदी की लटकती धाटी वाला 4.सरिता अपहरण वाला नदी वेदिकाये-- नदी विसर्प-- जलोढ पंक-- नदी डेल्टा -- 1.चापाकार डेल्टा 2.पंजा डेल्टा 3.ज्वारनमुखी डेल्टा 4.पालियुक्त डेल्टा 5.अवरोधक डेल्टा 6.परित्यक्त डेल्टा नदी के जल के साथ बहने वाले पदार्थ नदी (river) के तल को खरोच कर गहरा करते हैं। इस क्रिया को अपघर्षण कहते हैं। संक्षारणनदी (river) के जल के साथ चट्टानों के खनिज घुल कर बह जाते हैं यह क्रिया संक्षारण कहलाती है। सनीघर्षणजल के साथ प्रवाहित होने वाले चट्टानों के टुकड़े आपस में रगड़ खाकर और भी छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं इसे सनीघर्षण कहते हैं। जल गति क्रियाइस क्रिया में जल यांत्रिक विधि द्वारा चट्टानों के कणों को ढीला कर उन्हें बहा ले जाती है। इस क्रिया में किसी भी प्रकार के रसायनिक तत्व का संयोग नहीं होता है। गिलबर्ट महोदय बताया है कि यदि नदी का वेग दोगुना हो जाए तो उसकी अपरदन शक्ति चौगुनी हो जाती है तथा यदि नदी का वेग दोगुना हो जाए तो उसका भार वहन करने की क्षमता 64 गुनी हो जाती है। इसी को ही गिल्बर्ट की छठी शक्ति का सिद्धांत कहते हैं। नदी अपरदन द्वारा निर्मित स्थलाकृतियां : Landforms created by rivers erosionनदी अपरदन की क्रिया से निम्नलिखित स्थलाकृतियों का निर्माण होता है:- V आकार की घाटी।नदी (river) के ऊपरी भाग में ढाल तीव्र होता है जिसके कारण नदी तली में अपरदन कार्य अधिक करती है। जिससे V आकार की घाटी का निर्माण हो जाता है। गार्ज़पर्वतीय क्षेत्रों में नदी अपने तल भाग का तीव्र गति से अपरदन करती हैं। जिससे घाटी के दीवारें लंबवत हो जाती हैं। यह घाटी बहुत संकरी होती है। इस प्रकार की घाटी को ही गार्ज़ या महा खंड कहते हैं। भारत में सिंधु, सतलाज, ब्रह्मपुत्र नदियों के घाटियां गार्ज़ का निर्माण करती हैं। केनियानगार्ज़ का विस्तृत रूप ही केनियान कहलाता है। यह गार्ज़ की तुलना में अधिक गहरा और संर्करा होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में कोलोरेडो नदी ग्रैंड कैनयन का निर्माण करती है। जल प्रपातजब नदियों का जल ऊंचे भाग से तीव्र ढाल के सहारे लंबवत नीचे गिरता है तो इसे जलप्रपात करते हैं। जब नदी के मार्ग में कठोर चट्टान के बाद कोमल चट्टान की स्थिति होती है तो कोमल चट्टाने कटकर बह जाती हैं तथा जलप्रपात का निर्माण होता है। जल गर्तिकाएनदी की तली में कठोर चट्टानों के बीच जब किसी स्थान पर कोमल चट्टाने होती हैं तो वहां की मिट्टी का अपरदन हो जाता है। जिससे छोटे-छोटे गर्त बन जाते हैं। इन्हें ही जल गर्तिकाए कहते है। इन गर्तों में चट्टानों के छोटे-छोटे टुकड़े प्रवेश कर जल के साथ घूमने लगते हैं। जो गर्तो को खरोच कर बड़ा कर देते हैं। नदियों द्वारा निर्मित स्थलाकृतियां (निपेक्षणात्मक) : Landforms created by rivers Depositionalनदी जब पर्वतीय क्षेत्र से मैदानी भाग में प्रवेश करती है तो उसके वेग में काफी कमी आ जाती है। जिसके कारण नदी के साथ बहने वाले मोटे अवसाद जमा हो जाते हैं। जिससे जलोढ़ शंकु तथा जलोढ़ पंख का निर्माण होता है। नदी अपने मध्य भाग में निम्नलिखित स्थल आकृतियों का निर्माण करते हैं:- जलोढ़ शंकु तथा जलोढ़ पंख।नदियां पहाड़ी भाग से मैदानों में प्रवेश कर मंद गति से बहने लगती हैं। जिससे पर्वतपदीय क्षेत्र में मोटे अवसादों का जमाव हो जाता है। ये तिकोने रचना जलोढ शंकु कहलाते हैं। जलोढ संकु से होकर मुख्य नदी कई शाखाओं में विभक्त होकर बहने लगती है। जिससे जलोढ़ पंखों का निर्माण होता है। प्राकृतिक बांधमैदानी भागों में नदी अपने दोनों किनारों पर मिट्टियों का जमाव करती है। जिससे दोनों तरफ बांध जैसी रचना का निर्माण हो जाता है। इसे ही प्राकृतिक तटबंध कहते हैं। बाढ़ के मैदाननदी की धारा के निकट क्षेत्र जहां बार-बार बाढ़ आती है वहां इकट्ठा बजरी, रेत इत्यादि नीचे पड़ी चट्टानों को छुपा देते हैं। इसके ऊपर मुलायम मिट्टी जमा हो जाती है। इस प्रकार के बने मैदान को बाढ़ का मैदान कहते हैं। ये काफी उपजाऊ होती है। नदी विसर्प।मैदानी भागों में नदियां घुमावदार मार्ग से होकर बहती है जिसे नदी विसर्प कहते हैं।
गोखुर झील।कभी कभी नदी का विसर्प इतना अधिक घुमावदार हो जाता है की नदी विसर्प को छोड़कर सीधी बहने लगती है। जिससे नदी का एक हिस्सा अलग हो जाता है। इसे ही गोखुर झील या छाड़न झील कहते हैं। डेल्टानदी के निम्न भाग में भूमि का ढाल काफी कम हो जाता है। जिससे नदी के बोझ की मात्रा बढ़ जाती है। नदी अपने निम्न भाग में अपना अधिकतम निक्षेपण कार्य करती है नदी के इस निक्षेपण से डेल्टा का निर्माण होता है। इस भाग में नदियां कई भागों में विभाजित होकर बहती है जिसे गुंफित नदी कहते हैं। Share
Previous articleअपक्षय और अपरदन के प्रकार : Types of weathering and erosion Next articleपवन द्वारा निर्मित स्थलाकृतियां : landforms created by wind Raghwendra https://hindimedium.in नमस्कार दोस्तों। HindiMedium.iN पर आपका स्वागत है। मै इस वेबसाइट का Founder, Author और Editor हूं। मैं Geography और Tourism दोनों विषयों से पोस्ट ग्रेजुएट होने के साथ साथ Geography से UGC NET-JRF Qualified हूं। वर्तमान में भूगोल विषय से शोध (PhD) कार्य में संलग्न हूं। मुझे Geography पढ़ना और पढ़ाना अच्छा लगता है। Geography में किसी भी तरह का सहयोग के लिए आप हमसे Contact कर सकते हैं। धन्यवाद। नदी द्वारा निर्मित स्थलाकृति कौन कौन सी है?नदी जब सागर या झील में गिरती है तो उसके प्रवाह में अवरोध एवं वेग में कमी के कारण नदी के मलबे का निक्षेपण होने लगता है। नदी अपने पुरे जल को एक ही धारा में बहाने में असमर्थ होती है तथा अपने आपको कई धाराओं में विभाजित कर लेती है। इस प्रकार एक त्रिभुजाकार स्थलाकृति का निर्माण होता है। जिसे डेल्टा कहते हैं।
नदी के अपरदन एवं निक्षेपण द्वारा कौन कौन सी स्थलाकृतियाँ बनती हैं?घाटियाँ:. वी के आकार की घाटी. गार्ज (Gorge). कैनियन( Canyon). यू के आकार की घाटी. पवन द्वारा निर्मित स्थलाकृति को क्या कहते हैं?पवन द्वारा निर्मित स्थलाकृति में बरखान विशेष उल्लेखनीय है जिसका तात्पर्य नव चन्द्राकार एवं चापाकार बालुका स्तूप से है जो पवन प्रवाह की दिशा से अनुप्रस्थीय दिशा में स्थित होता है और इसके शृंग उस दिशा की ओर अनुगमन करते हैं जिसमें पवन बहती है, क्योंकि स्तूप के सिरों पर प्रवाहित किए जाने के लिए थोड़ी रेत की मात्रा होती है ...
हिमानी स्थलाकृति क्या है?हिमानी के अपरदन द्वारा निर्मित स्थलाकृति है, जो समुद्र तल तट के पास स्थल में घुसे हुए सागर के लंबे गहरे और संकीर्ण भाग हैं, जिनकी दीवारें खड़ी और ऊंची होती है, जिनमें लटकती घटियां मिलती हैं। यह गहरी हिमानी घाटियां या द्रोणियां है, जो समुद्र सतह से नीचे पाई जाती हैं।
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