पुष्प की अभिलाषा का उद्देश्य क्या है? - pushp kee abhilaasha ka uddeshy kya hai?

आज हम आपके लिए महाकवि माखनलाल चतुर्वेदी की प्रसिद्ध कविता पुष्प की अभिलाषा – Pushp ki abhilasha लेकर आये हैं। यह कविता एक पुष्प के माध्यम से देश के सैनिकों के सम्मान के लिए प्रेरित करती है।

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विषय सूची

  • पुष्प की अभिलाषा कविता – Pushp ki abhilasha
    • कविता का भावार्थ
  • कवि का संछिप्त परिचय
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पुष्प की अभिलाषा कविता – Pushp ki abhilasha

चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ। 

चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ।

चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ।

चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ।

 मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक।

 मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ पर जावें वीर अनेक।।

कविता का भावार्थ

पुष्प की अभिलाषा का उद्देश्य क्या है? - pushp kee abhilaasha ka uddeshy kya hai?
Pushp ki abhilasha

कवि माखन लाल चतुर्वेदी की पुष्प की अभिलाषा नामक यह कविता हिंदी साहित्य जगत की प्रसिद्ध कविताओं में से एक है। इस कविता में उन्होंने एक फूल के माध्यम से सैनिकों के महत्व को महिमण्डित किया है। कवि कहता है-

एक फूल कहता है कि मेरी बिल्कुल इच्छा नहीं है कि मैं किसी अप्सरा के शरीर पर गहनों के रूप में स्थान पाऊं। यद्यपि इसमें अप्सरा के रूप सौंदर्य के साथ-साथ मेरी भी प्रसंशा होगी। न ही मेरी इच्छा किसी प्रेमी की माला में जगह पाने की है। 

जिसे देखकर प्रेमिका का हृदय ललचा उठे। यद्यपि इसमें भी मेरे सौंदर्य का ही मान बढ़ेगा। उसके अलावा हे ईश्वर ! मेरी चाह बड़े-बड़े सम्राटों के पार्थिव शरीर की गरिमा बनने की भी नहीं है।

इतना ही नहीं मेरी इच्छा तो यह भी नहीं है कि मैं देवताओं के सिर पर चढ़ाया जाऊं और यह बात सोच- सोचकर अपने भाग्य पर गर्व करूं कि मैं कितना महत्वपूर्ण हूँ कि मुझे देवताओं के सिर पर स्थान मिला है।

हे माली ! मेरी इच्छा है कि तुम मुझे तोड़ लेना और उस रास्ते पर फेंक देना जिस रास्ते से देश के सैनिक मातृभूमि की रक्षा के लिए युद्ध करने जा रहे हों। तुम मुझे उस रास्ते पर फेंक देना। उनके पैरों के नीचे आकर भी मैं इतना अधिक गौरव की अनुभूति करूंगा। जितना कि पहले बताई गई किसी भी स्थिति में मुझे नहीं होगा। 

कवि का संछिप्त परिचय

हिंदी काव्य साहित्य के प्रमुख कवियों में से एक माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्यप्रदेश के होसंगाबाद जिले के बबाई नामक गाँव में 4 अप्रैल सन 1889 में हुआ था। कविता के अतिरिक्त भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिए भी उन्हें याद किया जाता है।

वे छायावाद के प्रमुख कवियों में से एक हैं। उनकी कालजयी रचना हिम तरंगिनि के लिए उन्हें सन 1955 में हिंदी के पहले साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। भारत सरकार द्वारा उन्हें सन 1963 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया। उनका देहावसान 30 जनवरी सन 1968 में हुआ था।

भावार्थ, एक भारतीय आत्मा कौन कहलाते हैं। पुष्प की क्या इच्छा है। पुष्प के द्वारा कौन अपनी अभिलाषा व्यक्त कर रहा है ? पुष्प किसका प्रतीक है।


" पुष्प की अभिलाषा " कविता के रचयिता माखनलाल चतुर्वेदी ने इस छोटी सी कविता की रचना कर यह सिद्ध कर दिया है कि वे वास्तव में " एक भारतीय आत्मा " के नाम से विभूषित किए जाने के सच्चे अधिकारी हैं। यहां हमने पुष्प की अभिलाषा कविता के कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय,पुष्प की अभिलाषा कविता, शब्दार्थ , भावार्थ, एवं कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर  सरल और सुबोध भाषा शैली में दिए  हैं।  यह कविता हिमतरंगिनी काव्य संग्रह में प्रकाशित है। माखनलाल चतुर्वेदी ने इस कविता की रचना विलासपुर जेल में की थी।उस समय असहयोग आंदोलन का दौर था। इस तरह इस कविता के सौ साल पूरे हो गए।

यह कविता पाठकों में देशभक्ति और देश के लिए उत्सर्ग होने का भाव जाग्रत करने में सफल है। 

कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय:-- 

 एक भारतीय आत्मा के उपनाम से विख्यात कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 1889ई में मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबयी नामक गांव में हुआ था। इनकी मृत्यु 1968 ई में हुई।

इनके पिता जी गांव की स्कूल में अध्यापक थे इसलिए इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई थी। वैष्णव संस्कृति तो इन्हें परिवार से ही मिला था। देश के प्रति इनके ह्रदय में अपार श्रद्धा थी। अपने जीवन की शुरुआत इन्होंने एक अध्यापक के रूप में किया था। किंतु पत्रकारिता के क्षेत्र में भी यह जुड़े थे। इन्होंने प्रभा, प्रताप और कर्मवीर नामक पत्रिकाओं का संपादन किया।

माखनलाल चतुर्वेदी शुरू में क्रांतिकारियों के समर्थक थे लेकिन आगे चलकर गांधीवाद से प्रभावित हो गए और राजनीतिक सक्रियता के कारण कई बार जेल भी गए। जेल में है कविताओं की रचना करते थे। हिमकिरीट नी और हिम तरंगिणी इनकी दो प्रसिद्ध है पुस्तकें हैं। इनकी रचनाओं में देशप्रेम और देशप्रेम के लिए आत्मोत्कर्ष का भाव दिखाई देता है। इन्होंने देशवासियों को संघर्ष और साधना के पथ पर चलने की प्रेरणा दी है।

पुष्प की अभिलाषा का उद्देश्य क्या है? - pushp kee abhilaasha ka uddeshy kya hai?


             पुष्प की अभिलाषा

                           (कविता)

चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं।

चाह नहीं प्रेमी माला में बिंद प्यारी को ललचाऊं।

चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊं।

चाह नहीं देवों के सिर पर चढ़ूं भाग्य पर इठलाऊं।


मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर तू देना फेंक।

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जाएं वीर अनेक ।।

     

मीराबाई के पद "कविता भी पढ़ें)

  पुष्प की अभिलाषा कविता का                 भावार्थ

           कविवर माखनलाल चतुर्वेदी की यह देश भक्ति रचना मातृभूमि के श्रीचरणों में समर्पित है। एक पुष्प मातृभूमि की रक्षा करने वाले वीर सैनिकों की सेवा करने में ही अपने जीवन की सार्थकता के बारे में बताता है। वह नहीं चाहता है कि उसे किसी सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं। सदियों से प्रेमी अपने प्रेमिकाओं को पुष्प प्रदान कर अपने प्रेम का इजहार करता है। यह परंपरा आज भी प्रचलित है। लेकिन यहां फूल अपने आप को इस कार्य के लिए भी समर्पित नहीं करना चाहता। वह नहीं चाहता है कि  किसी प्रेमी द्वारा उसकी प्रेमिका को उसे दिया जाए। इसी तरह वह किसी के राजे महाराजे के शव पर या किसी देवी देवताओं के सिर पर चढ़कर भाग्यशाली नहीं बनना चाहता है। वह तो चाहता है कि कोई उसे तोड़ कर उस रास्ते पर फेंक दें जिस रास्ते से होकर वीर सैनिक गुजरते हैं । वह तो अपनी मातृभूमि के काम आने में ही अपने जीवन को सफल मानता है।

सच्चा हितैषी निबन्ध । क्लिक करें और पढ़ें।


शब्दार्थ

पुष्प -- फूल , अभिलाषा -- इच्छा , चाह - इच्छा , सुरबाला -- देव कन्या , सम्राट --राजा , भाग्य - तकदीर, इठलाना -- इतराना ।पथ -- रास्ता ।


 पुष्प की अभिलाषा कविता का    प्रश्नोत्तर Questions answers

1. पुष्प की अभिलाषा कविता के कवि का नाम लिखे।

उत्तर - माखनलाल चतुर्वेदी।

2. पुष्प की क्या अभिलाषा है ?

उत्तर - पुष्प की अभिलाषा है कि वह देश पर शहीद होने वाले सिपाहियों के मार्ग पर बिछ जाए। इस तरह वह देश पर न्योछावर होना चाहता है।

पुष्प की अभिलाषा कविता का उद्देश्य क्या है?

पुष्प की अभिलाषा माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखी गयी रचना है, इस कविता के माध्यम से कवि देश के प्रति समर्पित होने का संदेश दिया है। पुष्प के माध्यम से कवि ने प्रेरणा दी है कि हमें अपने देश के लिए त्याग-बलिदान करने में पीछे नहीं रहना चाहिए। हमें अपने देश पर स्वयं को बलिदान करने के लिए सदा तत्पर रहना चाहिए।

पुष्प की अभिलाषा कविता में कवि हमें क्या संदेश देना चाहते हैं?

उत्तर- पुष्प वनमाली से कहता है कि मुझे तोड़ लेना और उस पथ पर फेंक देना, जहाँ से मातृभूमि की रक्षा करने अनेक वीर गुजरते हैं

पुष्प की अभिलाषा के कवि कौन है?

माखनलाल चतुर्वेदी की लिखी इन पंक्तियों से यह जाना जा सकता है कि वह 'पुष्प की अभिलाषा' के माध्यम से अपने अंतस की बात कह रहे हैं। मातृभूमि के लिए उनकी यह भावना मात्र कविताओं तक ही सीमित नहीं है, माखनलाल चतुर्वेदी ने महात्मा गांधी द्वारा आहूत सन 1920 के 'असहयोग आंदोलन' में महाकोशल अंचल से पहली गिरफ्तारी दी थी।

पुष्प की अभिलाषा में कवि ने कौन सी भावना का चित्रण किया है?

त्याग और समर्पण की भावना से भरा हुआ पुष्प वनमाली को सम्बोधकर इतनी ही इच्छा प्रकट करता है कि, हे वन माली ! मुझे तोडकर उस पथ में फेंक दो कि, जिस रास्ते से मातृभूमि के लिए समर्पण करनेवाले अनेक वीर जा रहे हैं ।