Essay On Folklore of Rajasthan In Hindi प्रिय विद्यार्थियों आज हम राजस्थान के लोकगीत पर निबंध आपके साथ शेयर कर रहे हैं. कक्षा 1, 2, 3, 4, 5 ,6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए 5, 10 लाइन 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में राजस्थान के प्रमुख लोक गीतआपके साथ साझा कर रहे हैं. Show
Get Free Short & Long Length Essay On Folklore of Rajasthan In Hindi Language For Students & Kids. प्रत्येक देश एवं समाज में लोक भावों की अभिव्यंजना के लिए अलग अलग अवसर पर कई प्रकार के गीत प्रचलित रहते है. लोक में गीत गाने वाला व्यक्ति अपने भावों की अभिव्यक्ति कर आनन्द का अनुभव करता है. परन्तु साथ ही उनके द्वारा गाये गये अच्छे गीत से श्रोता भी भाव विभोर हो जाता है. इस तरह गीत केवल आत्मिक सुख को प्रदान नही करते, अपितु वे सामाजिक जीवन में भी उल्लास एवं आत्मानुभूति का प्रसार करते है. राजस्थान के लोकगीतों का वर्गीकरण (Classification of folklore of Rajasthan)राजस्थानी लोकगीतों में जीवन का विशद चित्रण दिखाई पड़ता है. उनका क्षेत्र व्यापक है. इसी कारण उनकों विभिन्न वर्गो में रखा जाता है. जैसे संस्कारों से सम्बन्धित लोकगीत, ऋतुओं से संबंधित लोकगीत, त्योहारों से सम्बन्धित लोकगीत, विविध लोकगीत. Telegram Group Join Nowविविध लोकगीतों में वे गीत गिनाये जा सकते है जो भक्ति, धर्म, प्रकृति, देवी देवताओं, तीर्थो, व्रतों, खेती, विदाई, मांगलिक अवसरों से सम्बन्धित है. प्रमुख लोकगीतों का परिचय और नाम (Introduction and name of major folklore)राजस्थान में विवाह, नामकरण, कृषि, ऋतू, धार्मिक आस्था आदि अनेक विषयों से सबंधित जो गीत गाए जाते है. जिन्हें कुछ शीर्षों में विभक्त कर भली प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है.
अपनी सांस्कृतिक विशेषता के समान ही राजस्थान लोकगीतों की दृष्टि से भी विशेष महत्वशाली है. यहाँ के गीतों में ह्रदयगत भावों की स्वाभाविक एवं निश्चल अभिव्यक्ति देखने को मिलती है. इनमे जो कसक और जो वेदना रहती है. उनका श्रोता पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है. वस्तुतः लोकगीतों को सरक्षण देने की आवश्यकता है. क्योकि इन गीतों में हमारे सांस्कृतिक भाव तथा सामाजिक अनुभूतियाँ समाविष्ट है. Essay On Folklore of Rajasthan In Hindi In 500 Wordsलोकगीतों की परम्परा- लोक की गीत से बड़ी पुरानी प्रीती हैं. यह प्रीति कब और कैसे जुडी कहना कठिन हैं. किन्तु लोक जीवन के पग पग पर लेखा, लोक गीत समेटे चले आ रहे हैं. जन्म से मृत्यु पर्यन्त जीवन के जितने आयाम है, उन सबकी मार्मिक अभिव्यक्ति लोक गीतों में होती रही हैं. लोक गीतों का स्वरूप-लोक गीत क्या है, इसे किसी निश्चित परिभाषा में बांधना संभव नहीं हैं. लोक गीतों के प्रमुख लक्षण हैं. इनकी भाव प्रधानता, अनुभूति की तीव्रता और सहजता. ह्रदय को छू लेने की सहज शक्ति ही लोक गीत का प्राण हैं. उत्सव, पर्व, ऋतु और अवसर के अनुसार लोक गीतों के विविध स्वरूप देखे जा सकते हैं. लोक गीतों में राजस्थानी लोक जीवन- राजस्थान के लोक जीवन की विविध झाकियां लोक गीतों को चित्रित हुई हैं. राजस्थानी संस्कृति और परम्पराएँ यहाँ के गीतों में सदैव गूंजती रही हैं. राजस्थान के लोक गीतों को सामान्य रूप से कुछ शीर्षकों में विभाजित किया जा सकता हैं. ये शीर्षक है संस्कार गीत, ऋतु सम्बन्धी गीत, पर्व और त्योहार गीत, धार्मिक तथा विविध गीत. संस्कार गीत- जन्मोत्सव, जनेऊ, विवाह आदि संस्कारों के अवसर पर ये गीत गाए जाते हैं. विवाह के समय जब वर वधू फेरे लेते है तो एक बड़ा धार्मिक गीत गाया जाता हैं. दमड़ा रा लोभी ओकावासा की दी रे पराई ढोलारी कैसा मधुर व्यंग्य हैं. दादा या काला धन के लोभी हैं. तभी तो उन्होंने अपनी प्यारी बेटी को पराई बना दिया हैं. ऋतु गीत- ऋतुओं के विविध स्वरूपों ने मनुष्य को सदा ही आकर्षित किया हैं. ऋतु परिवर्तन के साथ साथ गीतों के स्वर और विषय बदलते रहते हैं. राजस्थान को प्रकृति ने सदा से वर्षा के लिए तरसाया हैं. अतः वर्षा की रिमझिम फुहारों को देखकर नारी कंठों से बरबस गीत फूट पड़ते हैं. नित बरसों रे मेहा बागड़ में इसी प्रकार वर्षा ऋतु में झूलों पर झूलती बालाएं गा उठती हैं. सावन तो लाग्या पीया भावणों जी पर्व उत्सव त्योहार गीत-राजस्थान में वर्ष भर विविध पर्व त्योहार मनाए जाते है. इनमें गणगौर तीज बड़े प्रमुख त्योहार है. गणगौर के अवसर पर गाए जाने वाले लोक गीतों की पक्तियां प्रस्तुत है. खोलिए गणगौर माता खोलिए किवारा गणगौर पूजन के लिए पति से अनुरोध करती पत्नी के स्वर देखिए. खेलण द्यो गणगौर म्हाने खेलण द्यो गणगौर, ओजी म्हारी सखियाँ जोवे बाट विविध लोक गीत-उपर्युक्त गीतों के साथ ही कृषि सम्बन्धी कार्यों, कूटने, पीसने के समय, धार्मिक कार्यों में, जात मेलों के अवसर पर भी लोकगीत ध्वनित हो उठते हैं. राजस्थान में लोक प्रसिद्ध वीरों, प्रेमियों तथा दानियों के जीवन से सम्बन्धित लोक गीत गाए जाते हैं. लोक गीतों की रक्षा-लोक गीत राजस्थानी नारियों के कठों में सुरक्षित रहे हैं. किन्तु नये सभ्य शिष्ट जीवन के प्रवाह में ये धरोहर मुरझाती सी जा रही हैं. इसे बचाना है तो नए लोक कवियों को सामने आना होगा. समयानुकूल गीतों की रक्षा करनी होगी. लोकगीत की परिभाषा | Folklore Definition In Hindiगान मानव ह्रद्य के लिए स्वाभाविक है. सुख में हो या दुःख में हो, मनुष्य गाये बिना नही रह सकता है. सुख में वह गाकर उल्लासित होता है. दुःख में गाकर दुःख को भूलता है. गान मानव जीवन का भोजन है आदिकाल से ही मानव ह्रद्य गाता आ रहा है. सूर्य के प्रखर ताप से हल चलाता हुआ किसान अपनी गान से उसकी प्रखरता को भूलता है. अँधेरी रात में चलता हुआ ऊंट वाला तान लगाता चला जाता है. और मरुभूमि की शुन्यता का ताप भूला देता है. गाड़ी वाला पहियों की ढचक ध्वनि के साथ तान मिलाता हुआ उजेली रात में कोसो के कोस पार कर जाता है. जंगल में भेड़े चराता गडरिया अपने लोकगीत के गान से सारे जंगल को प्रतिध्वनित कर देता है. कुँए पर बारी आने की प्रतीक्षा में गाता हुआ बारिया लय को आगे बढ़ाने का आदेश देता है. और लाव पर बैलों के पीछे बैठा हुआ कीलिया अपने गान के द्वारा बैलों को प्रोत्साहित करते हुए आगे बढाएं जाता है. इट और गारा ढ़ोता हुआ मजदूर गान में मस्त होकर जीवन की कठोरता को भूल जाता है. आदिम मनुष्य के इन्ही गानों का नाम लोकगीत है. मानव जीवन की उसके उल्लास की, उसकी उमंगो की, उसकी करुणा की, उसके रुदन की, उसके समस्त सुख दुःख की कहानी उसमे वर्णित है. न जाने कितने काल को चीरकर ये लोकगीत चले आ रहे है. काल का विनाशकारी प्रभाव इनका कुछ नही बिगाड़ सका है. किसी कलम ने इन्हें लेखनबद्ध नही किया पर ये अमर है. सर्वभक्षक समय ने इनकों मिटाने के जितने भी प्रयत्न किये होंगे पर आज भी उसकी असफलता पर मुस्कराते हुए जनता की जिहा पर नाच रहे है. वह खीजता है वह तोड़ता है मरोड़ता है पर मिटा नही सकता, कालान्तर में इसका बाल रूप परिवर्तित हो जाता है. भाषा का आवरण धीरे धीरे बदल जाता है पर भीतर प्राण तत्व में कोई अंतर नही आता है. Rajasthani Lok Geet In Hindi | राजस्थानी लोक गीतराजस्थान के लोकगीतों की समृद्ध परम्परा रही हैं. विविध अवसरों पर राज्यों जैसे बालक के जन्म से विवाह आदि तक विविध प्रसंगों पर लोकगीत की परम्परा हैं. भात भरना राजस्थान की एक महत्वपूर्ण प्रथा है। इसे ‘माहेरा’ भी कहते हैं। जिस स्त्री के घर पुत्र या पुत्री का विवाह पड़ता है वह घर की अन्य स्त्रियों के साथ परात में गेहूँ और गुड़ लेकर नैहरवालों को निमंत्रण देने जाती है. इसको ‘भात’ कहते हैं.
(घूमर लोकगीत) हो म्हारी घूमर छे ए नखराली ए माँ (गोरबंद लोकगीत) लहरियोक्यों जगोई रेराजस्थानी लोक संगीत इतिहास का बेहतरीन गीततारा री चुनड़बागा में कोयल बोलीबेस्ट राजस्थानी हिंदी लोक गीतयह भी पढ़े-
मैं उम्मीद करता हूँ दोस्तों यहाँ दिए गये राजस्थान के लोकगीत पर निबंध Essay On Folklore of Rajasthan In Hindi आपकों पसंद आए होंगे यदि आपकों यहाँ दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे. यह लेख आपकों कैसा लगा यदि आपके पास भी इस तरह के स्लोगन हो तो कमेंट कर हमें अवश्य बताए. राजस्थान का प्रसिद्ध लोक गीत क्या है?केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश-
यह राजस्थान का राज्य गीत हैं, तथा यह राजस्थान का रजवाड़ी गीत हैं। राजस्थान में यह गीत मरू प्रदेश का प्रसिद्ध हैं तथा यह गीत प्रेमी के इन्तजार में गाया जाता हैं।
राजस्थान का मुख्य गीत कौन सा है?घूमर — राजस्थान के प्रसिद्ध लोकनृत्य घूमर के साथ गाया जाने वाला गीत है। यह गणगौर के त्यौहार एवं विशेष पर्वो तथा उत्सवों पर मुख्य रूप से गाया जाता है, जिसके बोल हैं:- “म्हारी घूमर छै नखराली ए माँ, घूमर रमवा म्हें जास्याँ।”
राजस्थान का लोक संगीत कौन सा है?मांड: यह सबसे लोकप्रिय राजस्थानी लोक संगीत है जो शाही दरबारों में विकसित हुआ था और स्थानीय संगीतकार इसे बजाते हैं। संगीतकारों द्वारा पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाए जाते हैं और लोक गायक तेजाजी, गोगाजी और रामदेवजी जैसे राजपूत शासकों की महिमा और प्रशंसा गाते हैं।
राजस्थान की लोक संस्कृति में कौन कौन से गीत है?राजस्थान के लोकगीत एवं लोक नृत्य Rajasthan Ke Lokgeet v Nrtay Question In Hindi - Best. राजस्थान में गाए जाने वाले प्रमुख लोकगीत. इंडोनी. पनिहारी. गोरबंद. बन्ना बन्नी. बंजारा. बिछुडो. |