सामान्य परिभाषा :- ‘मानव तथा प्राकृतिक वातावरण के पारस्परिक परिवर्तनशील संबंध का विस्तृत अध्ययन ही मानव भूगोल है।” Show 19वीं सदी के अंतिम चरण में जर्मनी के प्रख्यात भूगोलवेत्ता फ्रेडरिक रेटजेल (को मानव भूगोल का जनक कहा जाता है) ने सन् 1882 में एन्थ्रोपोजियोग्राफी नामक ग्रंथ प्रकाशित कर मानव भूगोल का प्रारंभ किया। “रेटजेल के अनुसार” मानव सर्वत्र वातावरण से संबंधित होता है जो स्वयं भौतिक दशाओं का योग है।” अमेरिकी भूगोल विदुषी कुमारी ई.सी. सेम्पुल अनुसार “क्रियाशील मानव एवं गतिशील पृथ्वी के परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन ही मानव भूगोल है।” फ्रांसीसी मानव भूगोलवेत्ता विडाल डी.ला. ब्लांश अनुसार “मानव जाति एवं मानव समाज भूगोल इसके अध्ययन का मार्ग प्रशस्त करता है।” फ्रांसीसी विद्वान जीन्स-ब्रून्श के अनुसार उन्होंने “प्राकृतिक भूगोल और मानव क्रियाओं के संबंध को मानव भूगोल माना है।” अमेरिकी विद्वान हटिंगटन अनुसार “मानव भूगोल को भौतिक वातावरण तथा मानवीय क्रियाकलापों एवं गुणों के पारस्परिक संबंधों के स्वरूप तथा वितरण का अध्ययन माना है।” उपरोक्त सभी परिभाषाओं के आधार पर मानव भूगोल के विषय में एक ही विचारधारा स्पष्ट रूप से प्राप्त होती है कि “मानव भूगोल वह विज्ञान है जिसके अध्ययन का एक पक्ष मानव और दूसरा पक्ष उसके प्राकृतिक वातावरण की शक्तियां एवं उनका प्रभाव है।” इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि मानव भूगोल के अन्तर्गत किसी प्रदेश के मानव समुदाय एवं उनके प्राकृतिक वातावरण की शक्तियों, प्रभावों तथा दोनों पक्षों की पारस्परिक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, क्योंकि किसी भी प्रदेश में निवास करने वाले मानव समुदायों तथा वहां के प्राकृतिक और सांस्कृतिक वातावरण में परस्पर कार्यात्मक संबंध होता है। इस संबंध का अध्ययन ही मानव भूगोल की प्रकृति है। IMPORTANT LINK
Disclaimer Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: [email protected] 19 वीं शताब्दी के अन्तिम चरण में जर्मनी के प्रख्यात भूगोलवेत्ता फ्रेड्रिक रेटजेल, जो मानव भूगोल के जन्मदाता कहे जाते हैं, ने 1882 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘एन्थ्रोपोज्योग्राफी’ में मानव के कार्यकलापों के अध्ययन को प्रमुखता दी। रेटजेल ने भूगोल के क्रमबद्ध अध्ययन के लिए एक नवीन प्रणाली को जन्म दिया। रेटजेल के अनुसार- ‘‘मानव भूगोल के दृश्य सर्वत्र वातावरण से सम्बन्ध हैं जो भौतिक दिशाओं का योग होता है।’ मानव भूगोल की परिभाषाएँ1. फ्रांसीसी विद्वान प्रो. ब्लाश- ‘‘मानव भूगोल पृथ्वी और मानव के पारस्परिक संबंधों को एक नया विचार देता है, जिसमें पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों का तथा पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवों के पारस्परिक संबंधों का अधिक संयुक्त ज्ञान उपलब्ध होता है।’’2. प्रो. जीन्स के अनुसार- ‘‘मानव भूगोल उन सभी तथ्यों का अध्ययन है जो मानव के क्रियाकलापों से प्रभावित है और जो हमारी पृथ्वी के धरातल पर घटित होने वाली घटनाओं में से छाँटकर विशेष श्रेणी में रखे जा सकते हैं। 3. प्रो. हटिंगटन- ‘‘मानव भूगोल भौगोलिक वातावरण और मनुष्य के कार्यकलाप एवं गुणों के पारस्परिक सम्बन्ध के स्वरूप और वितरण का अध्ययन है।’’ 4. रैटजेल- ‘‘मानव भूगोल के दृश्य सर्वत्र वातावरण से सम्बन्धित होते हैं, जो स्वयं भौतिक दशाओं का योग होता है।’’ 5. कुमारी सेम्पल- ‘‘मानव भूगोल क्रियाशील मानव और अस्थिर पृथ्वी के परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन है।’’ 6. डिमाजियाँ- ‘‘मानव भूगोल की समस्याओं पर लिखे गए लेखों के अनुसार मानव भूगोल समुदायों और समाजों का भौतिक वातावरण से संबंधों का अध्ययन है।’’ 7. डेविस के अनुसार- ‘‘मानव भूगोल मुख्यतः प्राकृतिक वातावरण और मानव कार्यकलाप दोनों ही के पारस्परिक सम्बन्ध और उस सम्बन्ध के परिणाम के पार्थिवस्वरूप की खोज है अथवा प्राकृतिक वातावरण के नियंत्रण को उनके आधार के रूप में सिद्ध करने का प्रयास है। 8. लेबान के अनुसार- ‘‘मानव भूगोल एक समष्टि भूगोल है, अर्थात् विस्तृत स्वरूप वाला जिसके अन्तर्गत मानव और उसके वातावरण के बीच के संबंधों के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाली समान्य समस्याओं का स्पष्टीकरण किया जाता है।’’ मानव भूगोल का उद्देश्यमानव भूगोल का उद्देश्य विश्व के विभिन्न प्रदेशों में रहने वाले मानव समूह एवं वहाँ के वातावरण से सम्बन्धित संसाधनों के प्रयोग से उस प्रदेशों के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य का अध्ययन करना है।मानव भूगोल का अध्ययन मात्र मानव पारिस्थितिकी तक ही सीमित नहीं है बल्कि उससे कहीं व्यापक, क्योंकि मानव भूगोल में प्राकृतिक वातावरण का ही नहीं वरन् सांस्कृतिक वातावरण का भी अध्ययन किया जाता है जबकि मानव परिस्थितियों में प्राकृतिक वातावरण की क्रियाओं का मानव पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसका अध्ययन करते हैं, परन्तु सांस्कृतिक वातावरण में मानव की शक्तियों, तथ्यों, प्रक्रियाओं तथा प्रभावों एवं उनके द्वारा किए गए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। मानव एवं भूगोल में यह विश्लेषण किया जाता है कि पृथ्वी के किसी क्षेत्र में रहने वाला कोई मानव समूह अपने जैविक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक विकास के लिए वातावरण का किस प्रकार प्रयोग करता है। इसमें मानव समूह द्वारा किए गए विभिन्न वातावरण समायोजन और उनके संगठन का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल की शाखाएंमानव भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जो मानव समाज के क्रियाकलापों और उनके परिणामस्वरूप बने भौगोलिक प्रतिरूपों का अध्ययन करता है। इसके अन्तर्गत मानव के राजनैतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक पहलु आते हैं।प्रो. राॅक्सबी ने मानव भूगोल निम्न शाखाओं में विभाजित किया है-
इसके अतिरिक्त विकास की सन्तुलित अवस्था प्राप्त करने के लिए कृषि और औद्योगिक दृष्टि से पृथ्वी के विभिन्न भागों में प्राकृतिक साधनों की सुरक्षा का अध्ययन, आर्थिक उपयोग के लिए उनकी जाँच करना ही आर्थिक भूगोल का कार्य है। मानव भूगोल से क्या समझते है?मानव भूगोल, भूगोल की प्रमुख शाखा हैं जिसके अन्तर्गत मानव की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान समय तक उसके पर्यावरण के साथ सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता हैं। मानव भूगोल की एक अत्यन्त लोकप्रिय और बहु अनुमोदित परिभाषा है, मानव एवं उसका प्राकृतिक पर्यावरण के साथ समायोजन का अध्ययन।
मानव भूगोल का क्या महत्व है?मानव भूगोल के अध्ययन का महत्त्व (Significance of the Study of Human Geography) मानव भूगोल, भूगोल की नवीनतम तथा महत्त्वपूर्ण शाखा है। यह मानव को प्राकृतिक एवं सामाजिक दोनों ही वातावरण की पूर्ण जानकारी कराता है। मानव भूगोल में मनुष्य, वातावरण के प्रत्येक पहलू का सूक्ष्म अध्ययन करने के बाद वातावरण से समन्यव करना सीखता है।
मानव भूगोल के उद्देश्य क्या हैं?मानव भूगोल का उद्देश्य प्रादेशिक विभिन्नताओं के बीच रहने वाले मानव जीवन की व्यवस्थित व्याख्या करना है। यह इस तथ्य का अध्ययन करता है कि किस प्रकार मानव समूह अपने भौतिक वातावरण से सामंजस्य स्थापित करता है।
भूगोल का पिता कौन है?Manav Bhugol Ka Janak Kise Kahaa Jata Hai
कार्ल रिटर (1779-185 9), आधुनिक भूगोल के संस्थापकों में से एक और बर्लिन के हम्बोल्ट विश्वविद्यालय में भूगोल में पहली कुर्सी में से एक माना जाता है, उन्होंने अपने कार्यों में कार्बनिक समानता के उपयोग के लिए भी उल्लेख किया।
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