रूस और भारत के बीच क्या संबंध है? - roos aur bhaarat ke beech kya sambandh hai?

भारत की आजादी के बाद से ही भारत और रूस के सम्बन्ध बहुत अच्छे रहे हैं। शीत युद्ध के समय भारत और सोवियत संघ में मजबूत रणनीतिक, सैनिक, आर्थिक, एवं राजनयिक सम्बन्ध रहे हैं। सोवियत संघ के विघटन के बाद भी दोनों के सम्बन्ध पूर्ववत बने रहे।

यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पश्चिमी देश, ख़ासकर अमेरिका के तमाम दबावों के बावजूद भारत और रूस के रिश्ते न केवल स्थिर हैं बल्कि दोनों ही देशों के बीच के व्यापार का ग्राफ़ भी बढ़ा है.

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से पश्चिमी देशों ने रूस के ख़िलाफ़ कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं. भारत पर भी रूस के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ अख़्तियार करने का दवाब है. लेकिन तमाम दबावों के बावजूद भारत और रूस के बीच का व्यापार न केवल स्थिर है, बल्कि फल-फूल रहा है.

युद्ध की शुरुआत के बाद तो भारत रूसी तेल के एक प्रमुख ख़रीदार के रूप में उभरा है.

हालांकि कुछ विशेषज्ञ ये मानते हैं कि रूस से सस्ता तेल ख़रीदना, भारत की लंबे समय से जारी ईंधन ज़रूरतों को पूरा करने का महज़ एक 'अस्थायी समाधान' था.

भारत से चाय निर्यात और रूस से कोयले और स्टील के आयात, इस बात की गवाही देते हैं कि व्यापक पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच भारत औऱ रूस के व्यापार संबंध बेहतर हुए हैं.

भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार रूस के साथ भारत का कुल व्यापार 2020-21 में 8.14 अरब डॉलर और 2021-22 में 13 अरब डॉलर का था.

रूस में भारत का निर्यात जहाँ काफ़ी हद तक स्थिर रहा, वहीं आयात बढ़ा है. साल 2020-21 में 5.4 अरब डॉलर से बढ़कर ये 2021-22 में 9.8 अरब डॉलर हो गया है.

रूस से अपने बढ़े आयात का बचाव करते हुए, भारत ने इसे आपूर्ति में विविधता लाने का प्रयास क़रार दिया है. भारत ने कहा कि व्यापार में ठहराव से वैश्विक क़ीमतें बढ़ेंगी, जिससे उपभोक्ताओं को नुक़सान होगा.

भारत ने बढ़ती वैश्विक तेल क़ीमतों से निपटने में मदद के लिए रूसी तेल की ख़रीद बढ़ा दी है. भारत में तेल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं, डॉलर के मुक़ाबले भारतीय रुपये में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है.

ऐसे में क़ीमतों को कम करने और भारतीय रुपये की गिरावट को रोकने के प्रयास में भारत रियायती दरों पर रूसी तेल ख़रीद रहा है.

रूस से कच्चा तेल के आयात में 50 गुना की बढ़ोतरी

बड़े अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों के मुताबिक़, भारत रूसी तेल के एक प्रमुख ख़रीदार के रूप में उभर रहा है.

वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार 24 फ़रवरी 2022, यानी यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से भारत ने रूस से कच्चे तेल के आयात में 25 गुना से अधिक की वृद्धि की है.

वहीं अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ये वृद्धि और भी अधिक रही है. अप्रैल 2022 से अब तक रूस से भारत के कच्चे तेल का आयात 50 गुना अधिक हो गया है.

हालांकि तेल के आयात में हुई वृद्धि को महंगाई पर अंकुश लगाने के प्रयास के रूप में देखा गया है. वहीं कुछ का तर्क है कि रूस से सस्ता तेल ख़रीदना, भारत की लंबे समय से चली आ रही ईंधन ज़रूरतों का एक 'अस्थायी समाधान' था.

प्रमुख समाचार पत्र द इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक टिप्पणी में कहा गया कि यूक्रेन के आक्रमण ने हमें सिखाया है कि हमें अधिक आत्मनिर्भर होने और अपने आंतरिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ाने की ज़रूरत है.

वहीं ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि भारत में रूस से कच्चे तेल की ख़रीद में हो रही वृद्धि में हाल ही गिरावट देखी गई है. हालिया हफ़्तों में भारत और चीन दोनों ही देशों में ये गिरावट नज़र आई.

18 जुलाई को प्रकाशित इस रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रतिबंधों के बाद रूस ने तेल ख़रीद पर छूट की पेशकश की थी, जिसके बाद भारत ने बड़ी मात्रा में ख़रीद शुरू कर दी. लेकिन आक्रमण के बाद हुई वृद्धि की तुलना में अब 30 फ़ीसदी की कमी देखी गई है.

तेल के अलावा स्टील, कोयले के आयात में भी हुई वृद्धि

रूस औऱ भारत के बीच केवल कच्चे तेल का ही नहीं, बल्कि कई दूसरी वस्तुओं का भी व्यापार होता है.

दो व्यापार स्रोत और न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार मई-जून के महीने में भारत में रूसी कोयले की ख़रीद में वृद्धि देखी गई, क्योंकि व्यापारियों ने 30% तक की छूट के ऑफर दिए.

भारत रूसी स्टील का भी आयात कर रहा है.

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में उद्योग से जुड़े आंकड़े साझा करने वाली स्टील मिंट के हवाले से ये बताया गया कि जून के बाद से भारतीय खरीदारों ने लगभग 150,000 टन रूसी बेंचमार्क हॉट-रोल्ड कॉइल (एचआरसी) स्टील की बुकिंग की थी.

स्टीलमिंट ने कहा कि भारत हर महीने अपने घरेलू बाज़ार में 9-10 मिलियन टन स्टील का इस्तेमाल करता है और यह हालिया आंकड़ा 2021 में रूस से भारत के कुल स्टील आयात, जो कि महज़ 56 हज़ार टन था, का लगभग तीन गुना है.

वहीं रूस ने भी जुलाई में भारत से अपने चाय के आयात में वृद्धि की है. द इकोनॉमिक टाइम्स ने अपने एक अन्य रिपोर्ट में कहा कि पहले से ही भारतीय चाय के सबसे बड़े ख़रीददारों में एक रहे रूस ने भारत से चाय के आयात में और इज़ाफ़ा किया है. खुली चाय की पत्तियों के लिए रूस फ़िलहाल 50 फ़ीसदी अधिक रकम चुका रहा है.

रूस में व्यापार विस्तार की योजना बना रही हैं कई भारतीय कंपनियां

रूस पर लगे वैश्विक प्रतिबंधों के बीच कई भारतीय कंपनियां रूस में अपने व्यापार के विस्तार की योजना बना रही हैं. कंपनियों का उद्देश्य यूरोपीय, अमेरिका और जापानी कंपनियों के उस मार्केट को हाइजैक करने की है, जो वैश्विक प्रतिबंधों के कारण खाली हैं.

दी प्रिंट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कई भारतीय कंपनियां या तो नई परियोजनाएं हासिल करने में लगी थीं या अधिक कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए तैयारियां कर रही थीं, क्योंकि रूस नए भागीदारों और विक्रेताओं की तलाश में था.

बिजनेस न्यूज़ वेबसाइट लाइवमिंट की एक रिपोर्ट में कहा गया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जून में ब्रिक्स बिजनेस फोरम को बताया कि भारतीय रिटेलर्स भी रूस में सुपरमार्केट खोलने के लिए बातचीत कर रहे थे.

ब्रिक्स समूह (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) सभी विकासशील देशों के लिए समान चिंता के मुद्दों पर चर्चा और विचार-विमर्श करने का एक मंच है.

प्रतिबंधों के कारण रूस की दवाओं की आपूर्ति के अंतर को भरने के लिए भारत अपने फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने पर भी विचार कर रहा है. ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (टीपीसीआई) ने इंडियन ड्रग्स मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (आईडीएमए) से कहा है कि वह कंपनियों को इस अवसर को समझने और खुद को रूसी बाजार में विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करें.

(बीबीसी मॉनिटरिंग दुनिया भर के टीवी, रेडियो, वेब और प्रिंट माध्यमों में प्रकाशित होने वाली ख़बरों पर रिपोर्टिंग और विश्लेषण करता है. आप बीबीसी मॉनिटरिंग की ख़बरें ट्विटर और फ़ेसबुक पर भी पढ़ सकते हैं.)

रूस का भारत से क्या संबंध है?

शीत युद्ध के दौरान, भारत और सोवियत संघ के बीच एक मज़बूत रणनीतिक, सैन्य, आर्थिक और राजनयिक संबंध थे। सोवियत संघ के विघटन के बाद, रूस को भारत के साथ अपने घनिष्ठ संबंध विरासत में मिले, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों ने एक विशेष सामरिक संबंध साझा किया।

रूस भारत का साथ क्यों देता है?

भारत और रूस के रिश्‍ते आपसी भरोसे पर आधारित है। शीत युद्ध के समय से ही रूस उच्‍च तकनीक वाले हथियार भारत को सप्‍लाई करता आ रहा है। इसी टेक्निक से लैस हथियार वह दूसरे देशों को देने से इनकार कर देता है। रूस में बना एस-400 एयर डिफेंस सिस्‍टम और सुखोई-35 फाइटर जेट दोनों ही पुराने हथियार हैं।

भारत को रूस से क्या लाभ है?

India-Russia Trade भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार अब तक के अपने उच्चतम स्तर 1,822 करोड़ डालर पर पहुंच गया है। वित्त वर्ष 2020-21 में दोनों देशों के बीच मात्र 814 करोड़ डालर का व्यापार हुआ था, जो वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 1,312 करोड़ पर पहुंचा।

रूस और भारत की दोस्ती कब हुई?

आज से 75 साल पहले 13 अप्रैल 1947 को भारत-रूस के बीच दोस्ती की शुरुआत हुई थी। आज से 75 साल पहले 13 अप्रैल 1947 को भारत-रूस के बीच दोस्ती की शुरुआत हुई थी।