मूत्र या पेशाब, मनुष्यों और कई जानवरों में चयापचय का एक तरल उपोत्पाद है। मूत्र गुर्दे से शुरु हो मूत्रवाहिनी से होकर मूत्राशय तक बहता है, और शरीर से मूत्रमार्ग के माध्यम से उत्सर्जित होता है। Show
कोशिकीय चयापचय कई उप-उत्पादों को उत्पन्न करता है जो नाइट्रोजन में समृद्ध होते हैं जैसे कि यूरिया, यूरिक एसिड और क्रिएटिनिन और इनका रक्तप्रवाह से साफ किया जाना आवश्यक होता है। इन उप-उत्पादों को मूत्रोत्सर्जन के दौरान शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है, जो कि शरीर से पानी में घुलनशील सभी रसायनों को बाहर निकालने की प्राथमिक विधि है। मूत्रविश्लेषन से किसी स्तनधारी के शरीर के निकले नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्टों का पता लगाया सकता है। पृथ्वी के नाइट्रोजन चक्र में मूत्र की भूमिका है। संतुलित पारिस्थितिक तंत्र में मूत्र मिट्टी को उपजाऊ बनाता है और पौधों को बढ़ने में मदद करता है। इसलिए, मूत्र को एक उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ जानवर अपने इलाके को चिह्नित करने के लिए इसका उपयोग करते हैं। ऐतिहासिक रूप से, पुराने या किण्वित मूत्र का उपयोग बारूद के उत्पादन, घरेलू सफाई, चमड़े की कमाई और वस्त्रों की रंगाई के लिए भी किया जाता था। मानव मल और मूत्र को सामूहिक रूप से मानव अपशिष्ट के रूप में जाना जाता है, और इनका निपटान के लिए एक स्वच्छता प्रणाली की आवश्यकता होती है। जहाँ पशुधन का घनत्व अधिक हो वहाँ पशुधन के मूत्र और मल को भी एक उचित निपटान की आवश्यकता होती है। आयुर्वेद अनुसार मूत्र को तीन प्रकार के मलो में शामिल किया है एवं शरीर मे इसका प्रमाण 4 अंजली माना गया है । स्टूल कल्चर टेस्ट (Stool culture) या स्टूल टेस्ट की मदद से उन बैक्टीरिया का पता लगाया जाता है, जो पाचन तंत्र के निचले हिस्से में संक्रमण पैदा करते हैं। इस टेस्ट की मदद से बैक्टीरिया के उन प्रकारों में अंतर का पता लगाया जाता है, जो रोग का कारण बनते हैं (Pathogenic) और जो सामान्य रूप से पाचन तंत्र प्रणाली में पाए जाते हैं (Normal flora)। अगर जठरांत्र संबंधी लक्षणों (Gastroenteritis) का कारण पैथोजेनिक बैक्टीरिया ही हैं, तो स्टूल टेस्ट की मदद से इसको निर्धारित किया जाता है। (और पढ़ें - पाचन शक्ति कैसे बढ़ाये) Stool Test In Hindi स्टूल टेस्ट में मुख्य रूप से बैक्टीरिया संक्रमण की जाँच करने के लिए, मरीज के मल की जाँच की जाती है। पेट, आंतों या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम (gastrointestinal system) के अन्य हिस्से में कोई समस्या उत्पन्न होने पर निदान प्रक्रिया के रूप में मल परीक्षण का प्रयोग किया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को पाचन से सम्बंधित गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं, तो यह समस्याएँ अनेक जटिलताओं का कारण बन सकती हैं, जिनमें कोलन कैंसर, आंत संक्रमण रोग, गंभीर दस्त और अन्य अंतर्निहित बीमारियाँ शामिल हैं। पेट दर्द जैसी सामान्य समस्याएँ अक्सर बैक्टीरिया संक्रमण का कारण बन सकती हैं, अतः इस स्थिति में मल परीक्षण आवश्यक हो जाता है। आज के लेख में आप जानेंगे कि मल परीक्षण (स्टूल टेस्ट इन हिंदी) क्या है, यह क्यों आवश्यक है, परीक्षण की तैयारी कैसे की जा सकती है तथा मल जांच की प्रक्रिया, परिणाम और कीमत क्या है। विषय सूची
स्टूल टेस्ट क्या है – What is stool test in Hindiस्टूल टेस्ट (stool test) या मल परीक्षण को स्टूल कल्चर टेस्ट (stool culture test) के नाम से भी जाना जाता है। स्टूल टेस्ट आंत्र कैंसर (bowel cancer) की जांच करने और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारी (gastrointestinal diseases) के कारणों का पता लगाने के लिए एक मल परीक्षण है। यह परीक्षण रोगी के मल के नमूने में हानिकारक बैक्टीरिया की पहचान करता है। अतः एक चिकित्सक मरीज में दस्त, पेट दर्द और मतली या उल्टी जैसे लक्षणों के अंतर्निहित कारणों को पता लगाने के लिए परीक्षणों में स्टूल टेस्ट (stool test) को शामिल कर सकता है। स्टूल (मल) टेस्ट (stool test) निचले पाचन तंत्र में संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया का पता लगाता है। यह परीक्षण बैक्टीरिया के प्रकारों में भी अंतर स्पष्ट कर सकता है, तथा यह व्यक्ति के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों का भी निर्धारण करने में मदद करता है। इस टेस्ट के दौरान एक तकनीशियन (technician) संक्रमित व्यक्ति के मल के छोटे से नमूने को पोषक तत्वों के साथ जीवाणुरहित प्लास्टिक बर्तन (sterile plastic dishes) में रखता है। इस व्यवस्था के तहत् कुछ बैक्टीरिया के विकास को प्रोत्साहित किया जाता है। अतः इन बैक्टीरिया में वृद्धि तभी होगी, जब वे पहले से ही मल में उपस्थिति हों। यदि प्लास्टिक बर्तन में बैक्टीरिया की कॉलोनियां (bacterial colonies) बनती हैं, तो तकनीशियन बैक्टीरिया की पहचान करने के लिए माइक्रोस्कोप और रासायनिक परीक्षणों का उपयोग करता है। तथा संक्रमण की स्थिति का पता लगा लिया जाता है। (और पढ़े – नवजात शिशु को पॉटी करने में हो परेशानी तो करें ये उपाय…) मल परीक्षण के प्रकार – Types of stool tests in Hindiस्टूल परीक्षण के तहत प्रयोगशाला में उद्देश्य के आधार पर विभिन्न तरीकों से परीक्षण प्रक्रिया को अपनाया जा सकता है। स्टूल परीक्षण के तहत निम्न परीक्षण किये जाते हैं : फैकल गुप्त रक्त परीक्षण – Faecal occult blood test in Hindiफैकल गुप्त रक्त परीक्षण (Faecal occult blood test) या एफओबीटी (FOBTs) व्यक्तियों में आंत्र कैंसर (bowel cancer) की संभावनाओं का पता लगाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। यह परीक्षण मल (faces) में उपस्थित रक्त की थोड़ी मात्रा का परीक्षण करता है। जिन मरीज के मल में खून की मौजूदगी होती है, तो डॉक्टर इसके कारणों जैसे – कैंसर या अन्य, का निदान करने के लिए फैकल गुप्त रक्त परीक्षण को प्रयोग में ला सकते हैं। (और पढ़े – कोलोरेक्टल कैंसर (कोलन कैंसर) के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव…) स्टूल कल्चर टेस्ट क्या होता है – Stool culture test in Hindiस्टूल कल्चर टेस्ट (Stool culture test) दस्त जैसी समस्याओं का कारण बनने वाले बैक्टीरिया और परजीवी की पहचान करने में मदद करता है। एक स्टूल कल्चर टेस्ट के द्वारा भी हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया (Helicobacter pylori bacteria) की उपस्थिति का पता लगा सकता है, जो पेट के अल्सर और पेट के कैंसर का कारण बन सकते हैं। (और पढ़े – पेप्टिक अल्सर या पेट में अल्सर (छाले) क्या है, कारण, लक्षण, इलाज और घरेलू उपचार…) स्टूल टेस्ट की प्रक्रिया – Process of stool test in Hindiमल परीक्षण (stool test) के द्वारा मरीज के मल में कोई बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया की मौजूदगी का पता लगाने में मदद मिल सकती है। एक तकनीशियन (technician) जीवाणुरहित विशेष प्रकार की प्लेटों पर मरीज के मल का छोटा सा नमूना लेकर फैला देते हैं। प्लेटों में एक जेल होगा जो उपज माध्यम (growth media) के रूप में कार्य करता है और बैक्टीरिया के विकास में योगदान देता है। फिर प्रयोगशाला तकनीशियन (technician) डाई का धुंधलापन (dye staining), सूक्ष्मदर्शी विश्लेषण (microscope analysis) और अन्य परीक्षणों का उपयोग करके, बैक्टीरिया की पहचान करने की कोशिश करते हैं। परीक्षण के दौरान मरीज के मल के नमूने में निम्नलिखित बैक्टीरिया की तलाश की जा सकती है:
स्टूल टेस्ट क्यों आवश्यक है – Why stool test is necessary in Hindiमल टेस्ट (stool test), पाचन तंत्र या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के साथ सम्बंधित समस्याओं को समझने और इलाज करने में मदद कर सकता है। अनेक प्रकार के पाचन सम्बन्धी लक्षणों का अनुभव करने के कई कारण हो सकते हैं। अतः डॉक्टर हानिकारक बैक्टीरिया से संक्रिमित बीमारी का निदान करने के लिये स्टूल टेस्ट या stool culture का आदेश दे सकता है। पाचन तंत्र में संक्रमण के कारण अनेक असुविधाजनक लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। कुछ मामलों में यह बीमारियाँ जीवन के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकती हैं। अतः अलग-अलग प्रकार के संक्रमण एक ही प्रकार के लक्षणों को पैदा कर सकते हैं, जैसे कि:
अतः इन सभी लक्षणों के अलग-अलग कारण हो सकते हैं अतः मल का परीक्षण के माध्यम से इन लक्षणों के कारण की पहचान करने में मदद मिल सकती है। बैक्टीरिया का निदान हो जाने के बाद उचित और प्रभावशाली उपचार किया जा सकता है। (और पढ़े – खाने के बाद पेट में दर्द होने के कारण और वचाव के तरीके…) स्टूल टेस्ट की तैयारी – Preparation For Stool Test in Hindiस्टूल टेस्ट (मल टेस्ट) के लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है। मरीज द्वारा मल के नमूने को घर पर ही एकत्र किया जा सकता है। लकिन यदि मरीज ने हाल ही में एंटीबायोटिक्स का सेवन किया है, तो नमूना लेने से पहले डॉक्टर को इन दवाओं की जानकारी अवस्य दें। मल परीक्षण के दौरान – During stool test in Hindiस्टूल (मल) परीक्षण के दौरान मल के नमूने को एकत्रित करना और उसकी जाँच के लिए प्रयोगशाला में भेजना शामिल हैं। डॉक्टर मल का नमूना एकत्र करने के लिए मरीज को एक कंटेनर प्रदान करते हैं। आमतौर यह कंटेनर (बर्तन) वायुरोधी ढक्कन के साथ जीवाणुरहित कंटेनर होता है। कुछ प्रयोगशालाओं में नमूना एकत्रित करने के लिए टॉयलेट पेपर को भी शामिल किया जा सकता है। आमतौर पर मरीज द्वारा नमूने को घर पर सावधानीपूर्वक एकत्रित करने की सलाह दी जाती है। मल का नमूना लेने के लिए एक व्यक्ति शौचालय की सीट पर प्लास्टिक की चादर को रखकर, नमूने को कंटेनर में स्थानांतरित कर सकते हैं। ध्यान रहे कि नमूने में मूत्र या टॉयलेट पेपर मिश्रित न हो। मल के नमूने को सावधानीपूर्वक एकत्रित करने के बाद इसे सुरक्षित तरीके से प्रयोगशाला तक तुरंत पहुँचाया जाना चाहिए। प्रयोगशाला तकनीशियन मल का विश्लेषण कर परिणामों को तैयार किया जाता है। स्टूल परीक्षण की सावधानियां – Stool testing precautions in Hindiस्टूल परीक्षण (मल परीक्षण) के लिए मल का नमूना लेते समय निम्न सावधानियां रखनी चाहिए ।
(और पढ़े – हाथ धोने का सही तरीका और फायदे…) स्टूल टेस्ट के परिणाम – Stool test results in Hindiडॉक्टर द्वारा स्टूल टेस्ट रिपोर्ट को देखकर स्टूल टेस्ट से संबंधित परिणामों की व्याख्या की जाती है, यह परिणाम सकारात्मक (positive) और नकारात्मक (negative) रूप में प्राप्त किये जा सकते हैं एक मल परीक्षण या स्टूल कल्चर टेस्ट (stool culture test) के सकारात्मक परिणाम का मतलब है कि सम्बंधित मरीज के मल में हानिकारक बैक्टीरिया मौजूद हैं, अतः डॉक्टर इस स्थिति में एंटीबायोटिक्स या अन्य उपचार प्रक्रियों का निर्धारण कर सकता है। यदि फैकल गुप्त रक्त परीक्षण (Faecal occult blood test) के सकारात्मक परिणाम (positive result) प्राप्त होते है, अर्थात मल में रक्त पाया जाता है, तो यह परिणाम आंत्र कैंसर के अलावा पॉलीप्स (polyps), बवासीर (hemorrhoids) या सूजन (inflammation) जैसी अन्य स्थितियों की और संकेत दे सकते हैं। अतः सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने पर डॉक्टर बीमारी का निदान करने के लिए कॉलोनोस्कोपी (colonoscopy) जैसे अन्य इमेजिंग परीक्षणों की सिफारिश कर सकता है। यदि मल परीक्षण के परिणाम नकारात्मक (negative) प्राप्त होते हैं तो इसका मतलब है कि हानिकारक बैक्टीरिया की उपस्थिति नहीं है। अतः मरीज के लक्षणों के अन्य कारण हो सकते हैं। डॉक्टर अधिक अनुवर्ती परीक्षण (follow-up tests) का आदेश दे सकता है। सामान्य रूप से, मल परीक्षण के परिणाम 24 से 48 घंटों के भीतर तैयार किये जा सकते हैं। (और पढ़े – बवासीर के लिए घरेलू इलाज, उपचार और उपाय…) स्टूल टेस्ट की कीमत – Stool Test Price In India in Hindiस्टूल टेस्ट प्राइस (Stool Test price) भिन्न-भिन्न स्थानों और परीक्षण की गुणवत्ता के आधार पर भिन्न भिन्न हो सकता है। भारत में स्टूल टेस्ट का सामान्य मूल्य 100 रुपये से 200 रुपये के बीच होता है। इसी तरह की अन्य जानकरी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं। पेशाब की धार कमजोर क्यों होती है?* प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने पर प्रारंभ में रात्रि के समय फिर दिन में भी बार-बार पेशाब करने की प्रवृत्ति होती है। * पेशाब जल्दी बाहर नहीं निकलती। * रोगी के पेशाब की धार कमजोर हो जाती है। रोगी द्वारा मूत्र का त्याग करते समय मूत्र की धार आगे की तरफ दूर तक नहीं जाती बल्कि नीचे की तरफ गिरती है।
यूरिन टेस्ट से पहले क्या करना चाहिए?जांच से कुछ दिन पहले से ही सामान्य भोजन करें और फास्टफूड, हाई शुगर फूड जैसी चीजें सीमित मात्रा में ही लें. यूरिन जांच के लिए मुख्य रूप से दिन का पहला यूरिन देना होता है. लेकिन इस बारे में पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य कर लें. यदि आप रेग्युलर बेसिस पर किसी तरह की दवाएं ले रहे हैं तो एक्सपर्ट को जरूर बता दें.
यूरिन कल्चर से क्या पता चलता है?मूत्रमार्ग में संक्रमण के निदान के लिए सबसे अच्छा परीक्षण है पेशाब का कल्चर करवाना और इसे एंटीबायोटिक चिकित्सा शुरू करने से पहले करवाना चाहिए। उपचार के बावजूद सही न होने वाले जटिल मूत्रमार्ग के संक्रमण के मरीजों में एवं मूत्रमार्ग के संक्रमण के नैदानिक निदान की पुष्टि के लिए पेशाब कल्चर करवाने की सलाह दी जाती है।
यूरिन टेस्ट कब करना चाहिए?अगर आप टाइप 1 डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं तो ही आपको यूरीन टेस्ट कराने की आवश्यकता होती है। इस जांच की आवश्यकता तब पड़ती है जब मरीज के अंदर कुछ लक्षण दिखाई दें। यह लक्षण कुछ इस प्रकार हैं। डायबिटिक कीटोएसिडोसिस के लक्षण दिखना।
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