ताइवान का दूसरा नाम क्या है? - taivaan ka doosara naam kya hai?

यह लेख ताइवान द्वीप के बारे में है। आमतौर पर ताइवान नाम से जाने जाने वाले देश के लिए, चीनी गणराज्य देखें।

ताइवान का दूसरा नाम क्या है? - taivaan ka doosara naam kya hai?

ताइवान का दूसरा नाम क्या है? - taivaan ka doosara naam kya hai?

ताइवान या ताईवान (चीनी: 台灣) पूर्व एशिया में स्थित एक द्वीप है। यह द्वीप अपने आसपास के कई द्वीपों को मिलाकर चीनी गणराज्य का अंग है जिसका मुख्यालय ताइवान द्वीप ही है। इस कारण प्रायः 'ताइवान' का अर्थ 'चीनी गणराज्य' से भी लगाया जाता है। यूं तो ऐतिहासिक तथा संस्कृतिक दृष्टि से यह मुख्य भूमि (चीन) का अंग रहा है, पर इसकी स्वायत्ता तथा स्वतंत्रता को लेकर चीन (जिसका, इस लेख में, अभिप्राय चीन का जनवादी गणराज्य से है) तथा चीनी गणराज्य के प्रशासन में विवाद रहा है।

ताइवान की राजधानी है ताइपे। यह देश का वित्तीय केन्द्र भी है और यह नगर देश के उत्तरी भाग में स्थित है।

यहाँ के निवासी मूलत: चीन के फ्यूकियन (Fukien) और क्वांगतुंग प्रदेशों से आकर बसे लोगों की संतान हैं। इनमें ताइवानी वे कहे जाते हैं, जो यहाँ द्वितीय विश्वयुद्ध के पूर्व में बसे हुए हैं। ये ताइवानी लोग दक्षिण चीनी भाषाएँ जिनमें अमाय (Amoy), स्वातोव (Swatow) और हक्का (Hakka) सम्मिलित हैं, बोलते हैं। मंदारिन (Mandarin) राज्यकार्यों की भाषा है। ५० वर्षीय जापानी शासन के प्रभाव में लोगों ने जापानी भी सीखी है। आदिवासी, मलय पोलीनेशियाई समूह की बोलियाँ बोलते हैं।

इतिहास[संपादित करें]

चीन के प्राचीन इतिहास में ताइवान का उल्लेख बहुत कम मिलता है। फिर भी प्राप्त प्रमाणों के अनुसार यह ज्ञात होता है कि तांग राजवंश (Tang Dynasty) (६१८-९०७) के समय में चीनी लोग मुख्य भूमि से निकलकर ताइवान में बसने लगे थे। कुबलई खाँ के शासनकाल (१२६३-९४) में निकट के पेस्काडोर्स (pescadores) द्वीपों पर नागरिक प्रशासन की पद्धति आरंभ हो गई थी। ताइवान उस समय तक अवश्य मंगोलों से अछूता रहा।

जिस समय चीन में सत्ता मिंग वंश (१३६८-१६४४ ई.) के हाथ में थी, कुछ जापानी जलदस्युओं तथा निर्वासित और शरणार्थी चीनियों ने ताइवान के तटीय प्रदेशों पर, वहाँ के आदिवासियों को हटाकर बलात् अधिकार कर लिया। चीनी दक्षिणी पश्चिमी और जापानी उत्तरी इलाकों में बस गए।

१५१७ में ताइवान में पुर्तगाली पहुँचे, और उसका नाम 'इला फारमोसा' (Ilha Formosa) रक्खा। १६२२ में व्यापारिक प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर डचों (हालैंडवासियों) ने पेस्काडोर्स (Pescadores) पर अधिकार कर लिया। दो वर्ष पश्चात् चीनियों ने डच लोगों से संधि की, जिसके अनुसार डचों ने उन द्वीपों से हटकर अपना व्यापारकेंद्र ताइवान बनाया और ताइवान के दक्षिण पश्चिम भाग में फोर्ट ज़ीलांडिया (Fort Zeelandia) और फोर्ट प्राविडेंशिया (Fort Providentia) दो स्थान निर्मित किए। धीरे धीरे राजनीतिक दावँ पेंचों से उन्होंने संपूर्ण द्वीप पर अपना अधिकार कर लिया।

१७वीं शताब्दी में चीन में मिंग वंश का पतन हुआ, और मांचू लोगों ने चिंग वंश (१६४४-१९१२ ई.) की स्थापना की। सत्ताच्युत मिंग वंशीय चेंग चेंग कुंग (Cheng Cheng Kung) ने १६६१-६२ में डचों को हटाकर ताइवान में अपना राज्य स्थापित किया। १६८२ में मांचुओं ने चेंग चेंग कुंग (Cheng Cheng Kung) के उत्तराधिकारियों से ताइवान भी छीन लया। सन् १८८३ से १८८६ तक ताइवान फ्यूकियन (Fukien) प्रदेश के प्रशासन में था। १८८६ में उसे एक प्रदेश के रूप में मान्यता मिल गई। प्रशासन की ओर भी चीनी सरकार अधिक ध्यान देने लगी।

१८९५ में चीन-जापान युद्ध के बाद ताइवान पर जापानियों का झंडा गड़ गया, किंतु द्वीपवासियों ने अपने को जापानियों द्वारा शासित नहीं माना और ताइवान गणराज्य के लिए संघर्ष करते रहे। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जापान ने वहाँ अपने प्रसार के लिए उद्योगीकरण की योजनाएँ चलानी आरम्भ कीं। इनको युद्ध की विभीषिका ने बहुत कुछ समाप्त कर दिया।

काहिरा (१९४६) और पोट्सडम (१९४५) की घोषणाओं के अनुसार सितंबर १९४५ में ताइवान पर चीन का अधिकार फिर से मान लिया गया। लेकिन चीनी अधिकारियों के दुर्व्यवहारों से द्वीपवासियों में व्यापक क्षोभ उत्पन्न हुआ। विद्रोहों का दमन बड़ी नृशंसता से किया गया। जनलाभ के लिए कुछ प्रशासनिक सुधार अवश्य लागू हुए।

इधर चीन में साम्यवादी आंदोलन सफल हो रहा था। अंततोगत्वा च्यांग काई शेक (तत्कालीन राष्ट्रपति) को अपनी नेशनलिस्ट सेनाओं के साथ भागकर ताइवान जाना पड़ा। इस प्रकार ८ दिसंबर, १९४९ को चीन की नेशनलिस्ट सरकार का स्थानांतरण हुआ।

१९५१ की सैनफ्रांसिस्को संधि के अंतर्गत जापान ने ताइवान से अपने सारे स्वत्वों की समाप्ति की घोषणा कर दी। दूसरे ही वर्ष ताइपी (Taipei) में चीन-जापान-संधि-वार्ता हुई। किंतु किसी संधि में ताइवान पर चीन के नियंत्रण का स्पष्ट संकेत नहीं किया गया।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • ताइवान : साहित्य और संगीत

ताइवान द्वीप पर मानव के बसने का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। ३००० ईसापूर्व के आसपास कृषि पर आधारित एक संस्कृति का जन्म हुआ। ये ही लोग आज के ताइवान द्वीप के निवासियों के पूर्वज माने जाते हैं। १७वीं शताब्दी में डच लोगों ने इसको अपना उपनिवेश बना लिया। इसके बाद चीन की मुख्यभूमि के फुजियन और गुआंगडांग क्षेत्रों से होक्को लोग भी यहाँ आये। वर्तमान में ताईवान की आबादी में सबसे बड़ा हिस्सा चीनी मूल के लोगों का है।

स्पेनियों ने उत्तरी भाग में एक छोटे समय तक के लिए बस्ती बनायी थी किन्तु १६४२ में डचों ने उन्हें बाहर कर दिया।

1683 से 1895 तक चीन की मुख्यभूमि पर भी ताइवान का शासन था। 1895 में, जापान ने प्रथम चीन-जापान युद्ध जीता और युद्ध के बाद, चीन ने ताइवान को जापान को सौंप दिया। द्वितीय विश्वयुद्ध में पराजय के बाद, जापान ने ताइवान को वापस 'चीन' (चीनी गणतंत्र को) को सौंप दिया।

सन् 1949 में चीन में दो दशक तक चले गृहयुद्ध के अंत में जब माओत्से तुंग ने पूरे मुख्यभूमि चीन पर अपना अधिकार जमा लिया तो विरोधी राष्ट्रवादी पार्टी के नेता और समर्थक भागकर ताइवान आ गए। ताइवान अमेरिका के संरक्षण में चला गया। सन् 1950 में अमेरिकी राष्ट्रपति ने जल सेना का जंगी जहाज 'सातवां बेड़ा' ताइवान और चीन के बीच के समुद्र में पहरेदारी करने भेजा। सन् 1954 में अमेरिकी राष्ट्रपति आइज़न हावर ने ताइवान के साथ आपसी रक्षा संधि पर भी हस्ताक्षर किए।

शुरू में 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' (ताइवान) संयुक्त राष्ट्रसंघ का सदस्य था और चीन नहीं। धीरे-धीरे अमेरिका के संबंध चीन से अच्छे होने लगे और विश्व में चीन का दबदबा बढ़ने लगा तो सन् 1971 में चीन को संयुक्त राष्ट्रसंघ की सदस्यता मिल गई और चीन के दबाव में ताइवान की सदस्यता खारिज कर दी गई। चीन ने ताइवान को अपना प्रांत घोषित कर दिया। धीरे-धीरे चीन के राजनीतिक दबाव की वजह अन्य राष्ट्रों ने भी ताइवान के साथ कूटनीतिक संबंध तोड़ लिए।

ताइवान में सन् 2000 के चुनावों में स्वतंत्र ताइवान समर्थकों की जीत हुई किन्तु चीन ने चेतावनी दे दी कि उसे ताइवान की स्वतंत्रता स्वीकार नहीं है। आठ वर्षों के इस दल के शासन में कई बार ऐसे अवसर आए जब चीन और ताइवान युद्ध पर उतारू हो गए थे। चीन ने बारह सौ मिसाइलें ताइवान की ओर मुंह करके तान रखी हैं। दूसरी ओर ताइवान के पास एक बड़ी सेना है। सेना की संख्या, ताइवान की जनसंख्या का करीब एक प्रतिशत है। किसी भी किस्म की स्वतंत्रता घोषित करने या चीन के साथ एकीकरण में अनिश्चितकालीन विलम्ब करने के विरुद्ध ताइवान को कई बार चीन से धमकियां मिल चुकी हैं।

ताइवान को हिंदी में क्या कहते हैं?

ताइवान या ताईवान (चीनी: 台灣) पूर्व एशिया में स्थित एक द्वीप है। यह द्वीप अपने आसपास के कई द्वीपों को मिलाकर चीनी गणराज्य का अंग है जिसका मुख्यालय ताइवान द्वीप ही है। इस कारण प्रायः 'ताइवान' का अर्थ 'चीनी गणराज्य' से भी लगाया जाता है।

ताइवान का प्राचीन नाम क्या था?

Constantinople और अरबी भाषा में कुस्तुनतुनिया।

चीन का प्राचीन नाम क्या है?

ऐतिहासिक रूप से चीन को सिना या सिनो, सिने, कैथे, या पश्चिमी देशों द्वारा सेरेस के नाम से भी जाना जाता है। चीन का आधिकारिक नाम प्रत्येक वंश के साथ बदलता रहा है और सबसे प्रचलित और आम नाम है झोंग्गुओ (中國), जिसका अर्थ है "केंद्रीय राष्ट्र", या "मध्य साम्राज्य"।

ताइवान को इंग्लिश में क्या बोलते हैं?

ताईवान (Taiwan) = Taiwan देवनागरी और रोमन लिपि में।