वायरस के बारे में आप सभी ने सुना ही होगा लेकिन ये थोड़ा अलग है क्योंकि ये आपके शरीर पर नहीं आपके कंप्यूटर में लगता है। इससे आमतौर पर कंप्यूटर वायरस के नाम से जाना जाता है। कंप्यूटर वायरस एक प्रकार का मैलवेयर है। Show
कंप्यूटर वायरस एक प्रकार का कंप्यूटर प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर होता है, जिसे एक्सीक्यूट करने पर वो दूसरे कंप्यूटर प्रोग्रामों को भी इन्फेक्ट कर देता है, जिसके बाद वो प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर ठीक से काम नहीं करता और फिर वो बाकि सभी प्रोग्राम या कंप्यूटर में फ़ैल जाता है। कंप्यूटर वायरस को आमतौर पर एक होस्ट प्रोग्राम की जरुरत होती है। जब कंप्यूटर वायरस होस्ट प्रोग्राम में घुस जाता है तो वो अपना कोड खुद लिखने लगता है। जब प्रोग्राम चलता है, तो उसे जो वायरस प्रोग्राम होता है वो सबसे पहले एक्सीक्यूट होता है, जिससे सिस्टम या प्रोग्राम इन्फेक्ट हो जाता है और साथ सिस्टम में भरी नुकसान होता है। कंप्यूटर वायरस हर साल अरबों डॉलर की आर्थिक क्षति पहुंचाते हैं। आइए इसके इतिहास से शुरुआत करते है। विषय - सूची
कंप्यूटर वायरस का इतिहाससन 1971 पहला कंप्यूटर वायरस 1971 में बनाया गया था जब इंटेल ने अपना पहला कमर्शियल माइक्रोप्रोसेसर लांच किया था। कंप्यूटर वायरस को US में BBN Technologies द्वारा एक प्रयोग के लिए बनाया गया था ताकि यह जांचा जा सके कि किसी प्रोग्राम के लिए खुद कि कॉपी बनाना संभव है या नहीं। जब इस वायरस ने कंप्यूटर पर हमला किया, तो उसने एक संदेश दिखाया: “I’m a creeper, catch me if you can” यहीं से इसका नाम creeper रखा गया। सन 1974 1970 के दशक के मध्य में रैबिट वायरस आया था। जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता हैं कि ये रैबिट यानिकि खरगोश कि काफी एक्टिव और तेज था। ये बिजली की गति के साथ खुद को फैला लेता था और उतनी ही तेजी से सिस्टम को भी क्रैश कर देता था। उसके एक साल बाद, पहला ट्रोजन विकसित किया गया जिसे ANIMAL कहाँ गया। सन 1982 1982 में, पहला PC वायरस बनाया गया था, ये किसी क्रिमिनल मास्टरमाइंड द्वारा नहीं बनाया था। उस समय 15 साल के स्कूल के बच्चे ने बनाया था। इस वायरस का नाम Elk Cloner रखा गया था। यह एक फ्लॉपी डिस्क के जरिए गेम में फैल गया था और खुद को Apple II ऑपरेटिंग सिस्टम से जोड़ा लिया था। जब खेल को हर 50वीं बार चलाया जाता था, तो स्क्रीन पर खेल के बजाय ये कविता दिखाई देती थी: Elk Cloner: The program with a personality It will stick to you like glue सन 1988 विनाशकारी कंप्यूटर वायरस का युग 1988 में शुरू हुआ था। अभी तक, ज्यादातर वायरस मजाकिया नामों और संदेशों के साथ मजाक करने के लिए बनाए गए थे। लेकिन चीजें तब बदल गईं जब Festering Hate वायरस पहली बार सामने आया। फ्लॉपी डिस्क और हार्ड ड्राइव को इन्फेक्टेड करने के बजाय, यह हार्ड ड्राइव, मेमोरी ड्राइव और फ्लॉपी डिस्क पर प्रत्येक फ़ाइल को भी इन्फेक्टेड और ख़राब कर देता था। सन 1990 1990 के दशक में लियोनार्डो और माइकल एंजेलो जैसे वायरस भी देखे गए, जिनके निर्माता या तो शास्त्रीय कला के प्रशंसक थे या Teenage Mutant Ninja Turtles (TMNT)। बाद में पूरे वर्ष किसी का ध्यान उस पर नहीं गया क्युकि केवल 6 मार्च को ही ये एक्टिव होता था, जिस दिन माइकल एंजेलो का जन्मदिन था। इसलिए लोगों को सलाह दी जाती है कि वे इस दिन अपने कंप्यूटर का इस्तेमाल करने से बचें। 1990 के दशक के मध्य में, वायरस ने इंटरनेट पर भी कब्जा करना शुरू कर दिया और ईमेल और वेबसाइटों के माध्यम से फैलना शुरू कर दिया। सन 2000 2000 से शुरुवात में कई नए और ज्यादा खतरनाक वायरस बनाए गए। उस समय एक बेहद सफल वायरस एक “love letter” था। ILOVEYOU वायरस “आई लव यू” विषय के साथ एक ईमेल से जुड़ा होता था, जो ईमेल के जरिये फैलता है। इस वायरस ने दस दिनों से भी कम समय में 50 मिलियन से अधिक कंप्यूटरों को इन्फेक्ट कर किया था और यह उस समय के सबसे वायरल कंप्यूटर वायरस में से एक था। 2003 में विकसित किया गया SQL Slammer फैलने में इतना तेज था, लॉन्च होने के 30 मिनट से भी कम समय में इसने इंटरनेट को क्रैश कर दिया। 2007 में पहला वायरस था, जो किसी की भी बैंकिंग जानकारी को निकाल सकता था। उसका नाम Zeus था। सन 2010 इस दशक के दौरान कंप्यूटर वायरस एक नए तरीके से लोगो तक पहुँचाए जाने लगे – सोशल मीडिया के जरिए। अब, फेसबुक या ट्विटर यूजर को मालिसियस विज्ञापनों, उनकी वाल पर पोस्ट की हुई लिंक या डायरेक्ट मैसेज पर क्लिक करने के लिए कहाँ जा था। यह एक ऐसा समय था जब सभी प्रकार के अलग अलग कंप्यूटर वायरस बड़े पैमाने पर कंप्यूटरो को इन्फेक्ट करने लगे थे और अब तो एंड्राइड फ़ोन के लिए भी वायरस या मैलवेयर बनने लग गए है। भारत में पहला कंप्यूटर वायरस ‘दि ब्रेन वायरस’ था। यह एक बूट सेक्टर वायरस है जिसे एक एशियाई देश के दो कंप्यूटर वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया था। इस वायरस से सभी फ्लॉपी डिस्क प्रभावित हुए। बूटिंग के समय, वायरस एक्टिव हो जाता था और बहुत ही कम समय में ये पूरी बूटिंग प्रोसेस को इन्फेक्टे कर देता था। वायरस हमारे कंप्यूटर में कैसे घुसते हैं?दुनिया भर में वायरस के हमले बढ़ते जा रहे हैं और इसमें कोई शक नहीं है कि अब ये एक गंभीर मुद्दा बन चूका है। मालिसियस हमलों से सुरक्षित रहने के लिए हर संभव उपाय आपको करना चाहिए। हमारे कंप्यूटर में वायरस कहाँ से आते है उसके कुछ सामन्य तरीके:
कंप्यूटर वायरस के लक्षण क्या हैं?
अगर इनमे से कोई भी एक लक्षण आपके कंप्यूटर में दिखाई देता है तो मुमकिन है की आपके कंप्यूटर में वायरस प्रवेश कर चूका है। वायरस से अपने कंप्यूटर को कैसे बचाए?
कुछ सामान्य प्रकार के कंप्यूटर वायरस
हालाँकि इनके अलावा और भी कई तरह के कंप्यूटर वायरस है, लेकिन मैंने कुछ समान्य वायरस के बारे में बताया है। कंप्यूटर वायरस और उससे संबंधित प्रोग्राम की लिस्ट। कुछ समान्य कंप्यूटर वायरस के नामइंटरनेट कई तरह के वायरस से भरा पड़ा है। जब आप इस लेख को पढ़ रहे होंगे, तब 970 मिलियन मैलवेयर वेब पर इधर से उधर ट्रांसफर हो रहे होंगे। यहां तक कि जब आपके कंप्यूटर में एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर होता हैं, तब भी वायरस या मैलवेयर आपके सम्पुटर में घुस सकता और आपके सिस्टम या पर्सनल डेटा को कर्रप्ट कर सकता है। लेकिन इतिहास के सबसे विनाशकारी और पेचीदा कंप्यूटर वायरस के बारे में जानने से शयद आपका कंप्यूटर वायरस से बच जाए। 1. Morris Wormइसे “ग्रेट वर्म” नाम से भी जाना जाता है। UNIX सिस्टम में सुरक्षा कमियों को जानने के लिए बनाया गया था, इसे रॉबर्ट मॉरिस ने बनाया था जो बहुत बड़ी गलती थी जिसने इस वर्म को एक DDOS (Distributed Denial-of-Service) अटैक मशीन में बदल दिया। वर्म खुद से ही यह पता करता था की क्या कंप्यूटर पर पहले से ही उसकी कॉपी चल रही है या नहीं, उसकी कॉपी होने बा बवजूद भी वो लगातार अपनी कॉपी बनता गया, जिससे सिस्टम धीमा हो गया और आखिर में इसने कंप्यूटर को क्रैश कर दिया। ऐसा कहाँ जाता है कि मॉरिस वर्म ने लगभग 6,000 UNIX मशीनों को इन्फेक्टेड किया था, जिससे दस मिलियन अमेरिकी डॉलर तक का नुकसान हुआ। 2. Nimdaये रिलीज होने के एक घंटे के अंदर ही लगभग सभी जगह पर पहुंच गया था। इसका मुख्य टारगेट विंडोज़ NT और 2000 चलाने वाले इंटरनेट सर्वर थे। निमडा ने विंडोज़ चलाने वाले यूजर के कंप्यूटर पर भी अटैक किया था। बाद में ये काफी तेजी से फैलाने लगा और नेटवर्क की कटौती करने लगा। 3. ILOVEYOUये नाम रोमांटिक जैसा लगता है, लेकिन ILOVEYOU उस तरह का कंप्यूटर वायरस नहीं है जिसे आप वेलेंटाइन डे पर किसी को देना चाहे। इस वायरस ने ईमेल को एक ट्रांसमिशन चैनल के रूप में इस्तेमाल किया था, ये अपने शिकार के कांटेक्ट में खुद को छुपा लेता है। वायरस अपने आप को “LOVE-LETTER-FOR-YOU.TXT.vbs” नाम की फाइल अटैचमेंट में छिपा लेता था। जब उस फाइल पर क्लिक करते है तो एक विजुअल बेसिक (एक प्रोग्रामिंग भाषा है जो प्रोग्रामर को कोड मॉडिफाई करने की अनुमति देती है) स्क्रिप्ट एक्टिवेट हो जाती है, और वर्म यूजर के कंप्यूटर पर रैंडम फाइलों को ओवरराइट (बदलाव) करना शुरू कर देता है। वर्म यूजर की कांटेक्ट बुक में सभी संपर्कों को स्वयं की कॉपी भी भेजना शुरू कर देता है। ILOVEYOU ने दस मिलियन से अधिक विंडोज कंप्यूटर को इन्फेक्ट किया था। इस “लव” नाम के बग के कारण पेंटागन, ब्रिटिश सरकार और CIA ने अपने मेल सिस्टम को पूरी तरह से बंद कर दिया था। 4. SQL Slammerसिएटल में 911 सेवा में रुकावट, बैंक ऑफ अमेरिका की ATM सर्विस का क्रैश, और कई कॉन्टिनेंटल एयरलाइंस की उड़ानें रद्द कराइ – ये कुछ उदाहरण हैं जो SQL स्लैमर करने में सक्षम हैं। इसने 25 जनवरी, 2003 में पहला सर्वर को इन्फेक्ट करा था। एक बार काम पूरा हो जाने के बाद, ये तेजी से फैलता गया, हर कुछ सेकंड में विक्टिम की संख्या दोगुनी होती गई, और इसके लांच होने के केवल दस मिनट बाद, इन्फेक्टेड कंप्यूटरों की संख्या बढ़कर 75,000 हो गई। इसने दुनिया भर में इंटरनेट ट्रैफ़िक को धीमा कर दिया था, कई महत्वपूर्ण सिस्टम को ख़राब किया, जिससे बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ। मजेदार बात यह है कि इस साइबर सुरक्षा उल्लंघन को आसानी से रोका जा सकता था। इस वायरस ने Microsoft के SQL सर्वर में एक बग का फायदा उठाया। फिर भी, इसे रोकने वाला पैच हमले से छह महीने पहले जारी किया गया था, लेकिन कई आर्गेनाइजेशन ने इसे अनदेखा कर दिया या इसे समय पर लागू नहीं किया था। 5. Stuxnetकंप्यूटर वायरस की विनाशकारी शक्ति इन्हे बड़े पैमाने पर डिजिटल विनाश का हथियार बना रही है। उस समय के किसी भी दूसरे वायरस या मैलवेयर से ये बिलकुल उल्टा था, स्टक्सनेट को ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को बाधा डालने के लिए अमेरिका और इजरायल सरकार के इंजीनियरों द्वारा विकसित किया गया था। USB ड्राइव के माध्यम से फैला था, इसने सीमेंस इंडस्ट्रियल कंट्रोल सिस्टम को टारगेट किया। ऐसा माना जाता है कि स्टक्सनेट ने 200,000 से ज्यादा कंप्यूटरों को इन्फेक्ट किया था। 2010 में, जिस वर्ष यह दिखाई दिया था। इसने अपने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया और कुछ वर्षों के लिए परमाणु हथियार बनाने में ईरान की प्रगति को रोक दिया। 6. CryptoLockerक्रिप्टोलॉकर बाकि कंप्यूटर वायरस की तरह नहीं है जो सिस्टम को नुकसान पहुंचाता और खुद को फैलाता हो। यह रैंसमवेयर है: एक तरह का मैलवेयर है जो आपकी फाइलों या कंप्यूटर को फिरौती की रकम आने तक लॉक करके रखता है। क्रिप्टोलॉकर ने एक PDF फाइल के रूप में छुपा हुआ एक ट्रोजन का इस्तेमाल किया जो ईमेल अटैचमेंट के जरिये फैला था। सोचने वाली बात ये है, क्रिप्टोलॉकर ने कंप्यूटर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया और कंप्यूटर को एन्क्रिप्ट होने तक उसके बारे में किसी को पता भी नहीं चला। अगर आपने अपनी फ़ाइलों या कंप्यूटर का बैकअप नहीं लिया है, तो उन्हें वपस पाने के लिए एकमात्र तरीका फिरौती की मांगी गई रकम को देना था। सभी विक्टिम में से केवल 1.3% ने फिरौती की रकम दी थी। 7. ConfickerConficker, Downup, Downadup, Kido – ये सभी कंप्यूटर वायरस नाम हैं जो 2008 में इंटरनेट पर दिखाई दिए थे। इसने MS08-067 विंडोज सिस्टम की कमजोरी और एडवांस्ड मैलवेयर तकनीकों का उपयोग करके सिस्टम में खुद को बढ़ाने और इनस्टॉल करने के लिए किया था। इन तकनीकों में शेयर किए गए फ़ोल्डरों और रिमूवेबल मीडिया में खुद को कॉपी करने के लिए ऑटोरन का इस्तेमाल करता था। एक बार जब एक कंप्यूटर इन्फेक्ट हो गया, तो Conficker ने विंडोज सिस्टम की सिक्योरिटी सर्विस और आटोमेटिक बैकअप सेटिंग्स को डिसएबल कर दिया, रेस्टोर पॉइंट को डिलीट कर दिया, और सुरक्षा-संबंधित टूल को ख़राब कर दिया। 8. Tinbaइसका मुख्य टारगेट फाइनेंसियल इंस्टीटूशन आर्गेनाइजेशन की वेबसाइटें थीं। टिनबा ने यूजर की बैंकिंग जानकारी हासिल करने के लिए मैन-इन-द-ब्राउज़र हमलों और network sniffing का उपयोग किया। खाता संख्या, यूजरनाम, पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर, पिन कोड – इन सभी को बैंक अकाउंट हैक करके चुराया लिया गया था। टिनबा ने दर्जनों बैंकिंग आर्गेनाइजेशन को इन्फेक्ट किया था, जिनमें Wells Fargo, TD Bank, Bank of America, Chase, PNC और HSBC जैसे शामिल हैं। इसकी सफलता इसके छोटे आकार (20KB) और फैलने के तरीकों से है। वेबसाइट पॉप-अप पर क्लिक करना, किसी अविश्वसनीय सोर्स से सॉफ़्टवेयर डाउनलोड करना, या केवल एक इन्फेक्टेड लिंक खोलने से टिनबा आपके कंप्यूटर में आ सकता है। इसमें बुरा क्या है? ये आपके सिस्टम में छिप जाता है और तब तक कोई हरकत नहीं करता जब तक आप कोई जरुरी वेबसाइट नहीं खोलते। अगर आप इस तरह के साइबर खतरे में नहीं पड़ना चाहते हैं, तो हमेशा ये जरूर जांचें कि क्या आप जिस वेबसाइट को खोल रहे हैं, उसके पास एक सुरक्षित HTTPS (जिस वेबसाइट पर HTTPS होता है वो सुरक्षित होती है, हालाँकि आज की डेट में किसी एक या दो वेबसाइट को छोड़ कर लगभग सभी इसका इस्तेमाल करती है) कनेक्शन है और अपनी संवेदनशील जानकारी दर्ज न करें जैसे कि आधार कार्ड नंबर या आपकी माँ का पहला नाम या कार्ड नंबर, इत्यादि। 9. Welchiaनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भी वायरस बनाए जा सकते हैं। वेल्चिया या नाची वर्म उनमें से ही एक है। इसे यूजर के कंप्यूटर पर ब्लास्टर वर्म से लड़ने और मारने के लिए डिज़ाइन किया गया था, और Microsoft से सुरक्षा पैच डाउनलोड और इंस्टॉल करके आगे ब्लास्टर इन्फेक्शन को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया था। फिर भी, इसका एक कमजोर स्थान था: नैतिक वायरस ने कंप्यूटर को धीमा कर दिया था। नतीजा, वेल्चिया ने अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा वीजा के प्रोसेसिंग और उसे जारी करने में नौ घंटे की देरी की। इसने नेवी-मरीन कॉर्प्स की तीन-चौथाई क्षमता का भी इस्तेमाल किया, जिससे यह कुछ समय के लिए बेकार हो गया। 10. Schlairजब कंप्यूटर वायरस की बात आती है, तो विंडोज मशीनें पर वायरस ज्यादा लगता हैं। फिर भी अगर आपके पास Macbook है तो इसका मतलब ये नहीं है कि आपके सिस्टम में वायरस बिलकुल आ ही नहीं सकता। दरअसल, Schlair Trojan ने इसके बिल्कुल विपरीत साबित किया था। इसने 2019 में सभी लगभग 30% macOS पर हमला किया था, जिससे उस साल मैक मैलवेयर बहुत बड़ा खतरा बन गया था। श्लेयर ने एडोब फ्लैश प्लेयर के अपडेट में खुद को छुपा लिया था। ज्यादातर मामलों में, यूजर को अविश्वसनीय टोरेंट वेबसाइटों पर जाने, विज्ञापनों पर क्लिक करने या छायादार फ़ाइलों को डाउनलोड करने पर श्लेयर वायरस मिला। ये कुछ वायरस के नाम है जो काफी खतरनाक थे उस समय, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है की ये फिर से हमला नहीं करेंगे। हो सकता है की आने वाले समय में ये सभी वायरस पहले से ज्यादा विकसित और एडवांस्ड हो जाए। इसलिए मैं यही सलाह दूंगा की अपने कंप्यूटर एक एंटीवायरस जरूर इनस्टॉल करे और समय पर उसे अपडेट भी करते रहे। कंप्यूटर वायरस और एंटीवायरस में क्या अन्तर है?अगर देखा जाए तो दोनों ही कंप्यूटर प्रोग्राम है और दोनों की कोडिंग अलग अलग होती है। एक कंप्यूटर या उसके फाइल या प्रोग्राम या डाटा को नुकसान पूछने के इरादे से बनाया गया है, तो दूसरा कंप्यूटर को इन सबसे बचाने के उद्देश्य से बनाया गया है। कंप्यूटर वायरस: कंप्यूटर वायरस एक प्रकार का कंप्यूटर प्रोग्राम है। जिसे कुछ लोगो ने कंप्यूटर के सॉफ्टवेर, डाटा, या पर्सनल फाइल को चुराने या नुकसान पहुचाने के इरादे से बनाया है। कंप्यूटर वायरस बहुत ही कम समय में ही एक से ज्यादा कंप्यूटर फाइलो में फैल जाता है। कंप्यूटर एंटीवायरस: कंप्यूटर वायरस से कंप्यूटर को सुरक्षित रखने के इरादे से एंटीवायरस को बनाया गया है। ये भी एक कंप्यूटर प्रोग्राम ही है। जो कंप्यूटर वायरस से होने वाले नुकसान से हमे बचता और वायरस को कंप्यूटर से बाहर निकल देता है। कंप्यूटर एंटीवायरस फ्री और पेड (paid) मिल जाते है। आप एंटीवायरस को इसकी ओफ्फिकल वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते है। अगर ये जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों, परिवार जनो और सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करे और हम से जुड़े रहने और लेटेस्ट अपडेट के लिए आप हमें Facebook पर फॉलो करे। Dharmendra मेरा नाम धर्मेंद्र मीणा है, मुझे तकनीक (कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन्स, सॉफ्टवेयर, इंटरनेट, इत्यादि) से सम्बन्धी नया सीखा अच्छा लगता है। जो भी में सीखता हु वो मुझे दुसरो के साथ शेयर करना अच्छा लगता है। इस ब्लॉग को शुरू करने का मेरा मकसद जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक हिंदी में पहुंचना है। B Virus क्या है हम अपने कम्प्यूटर को वायरस से कैसे बचा सकते हैं समझाइये 8?एंटीवायरस का इस्तेमाल करे: अपने कंप्यूटर में एक अच्छे एंटीवायरस को इंसटाल करके रखे और उसे समय समय पर अपडेट करते रहे। अगर मुमकिन हो तो हर महीने अपडेट करे। अगर कोई नया वायरस आया होगा तो आपका एंटीवायरस अपडेट होगा तो उसके डेटाबेस में उस नए वायरस की जानकारी होगी जिससे वो उस वायरस को आसानी से पकड़ लेगा और हटा पाएगा।
Virus क्या है हम अपने कंप्यूटर?Computer Virus यह एक software program है, जो किसी तरीके से या किसी माध्यम से बहुत तीव्र गति से हमारे कंप्यूटर में प्रवेश करके कंप्यूटर के data, files, कुछ important data को delete कर देता है, या data को चोरी करता है और कभी कभी hard disk के data को भी नष्ट करता है।
वायरस क्या है कंप्यूटर को वायरस से कैसे बचा सकते हैं?Computer Virus क्या है? - Computer virus in Hindi
यह अपने जैसा क्लोन बना लेता यही और यूजर के सिस्टम पर पूरी तरह से हाबी हो जाता है , वायरस बहुत डेंजरस होता है जो यूजर के सिस्टम को अपने अनुसार चला सकता है। इससे बचने के लिए एक एंटीवायरस आता है। जो यूजर के सिस्टम में इंसटाल करना होता है।
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