107 डिग्री बुखार होने पर क्या होता है? - 107 digree bukhaar hone par kya hota hai?

इस मौसम में यदि किसी का शरीर गर्म है तो जरूरी नहीं कि सामान्य बुखार ही हो। यह हीट स्ट्रोक यानी हाइपर थर्मिया भी हो सकता है। हाइपर थर्मिया को साधारण बुखार मानना बड़ी भूल साबित हो सकता है। तापमान के...

107 डिग्री बुखार होने पर क्या होता है? - 107 digree bukhaar hone par kya hota hai?

Malayनई दिल्ली, स्मार्ट डेस्कThu, 06 Jun 2019 06:26 PM

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इस मौसम में यदि किसी का शरीर गर्म है तो जरूरी नहीं कि सामान्य बुखार ही हो। यह हीट स्ट्रोक यानी हाइपर थर्मिया भी हो सकता है। हाइपर थर्मिया को साधारण बुखार मानना बड़ी भूल साबित हो सकता है। तापमान के बढ़ने के साथ शरीर का तापमान भी बढ़ने लगता है, जिस कारण दिमाग की एक ग्रंथि हाइपो थैलेमस शरीर के ताप नियंत्रण प्रणाली की तरह काम करती है। यह शरीर के तापमान को संतुलित रखने का काम करती है। तेज गर्मी के कारण कई बार इस ग्रंथि में कमजोरी आ जाती है और यह काम करना बंद कर देती है। ऐसे में तापमान का संतुलन बिगड़ जाता है। जब शरीर से अनावश्यक गर्मी बाहर नहीं निकल पाती तो इससे शरीर गर्म होने लगता है। शरीर में पानी की कमी से भी ऐसा होता है। यह काफी खतरनाक और जानलेवा भी हो सकता है।

क्या है कारण 
इस मौसम में तेज धूप और गर्म हवाओं के कारण इसका खतरा वैसे ही बढ़ जाता है। उस पर हम अगर तरल पदार्थों का सेवन सही ढंग से नहीं करते और गर्म हवाओं से अपना बचाव नहीं करते तो खतरा और बढ़ जाता है। इसके अलावा हमारा रहन-सहन भी इसका कारण बनता है। सर्दियों में हम खुद को ढक कर रखते हैं। फिर जब गर्मी का मौसम आता है तो शरीर यह बदलाव झेल नहीं पाता। कई बार लोग गर्मी में भी खुद को ज्यादा कपड़ों में ढक कर रखते हैं। ऐसे में हाइपर थर्मिया का खतरा रहता है।

हो सकता है जानलेवा
अगर तुरंत इलाज न हो तो हाइपर थर्मिया जानलेवा भी हो सकता है। ज्यादा गर्मी से शरीर में थकावट महसूस होना और हाइपर थर्मिया दोनों में अंतर है। हाइपर थर्मिया हीट स्ट्रोक और लू लगने से ज्यादा गंभीर स्थिति है। तेज धूप या तेज तापमान में काफी देर तक धूप के संपर्क में रहने से शरीर का तापक्रम 98.6 डिग्री फारेनहाइट से कहीं अधिक हो जाता है। अगर शरीर का तापक्रम 104 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा हो जाए तो चिंताजनक स्थिति होती है।

होता है इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन : तेज धूप से लोगों में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन की शिकायत होती है, जो शुगर, बीपी और न्यूरो की दवाएं खाने वाले मरीजों के लिए ज्यादा खतरनाक है। तेज धूप और गर्मी से शरीर में सोडियम और पोटैशियम का संतुलन बिगड़ जाता है। इससे हाइपर थर्मिया की बीमारी हो जाती है। 

सामान्य बुखार से अलग है यह 
हाइपर थर्मिया सामान्य बुखार से अलग है। सामान्य बुखार में शरीर का तापमान 100 से 105 डिग्री फारेनहाइट रहता है, जबकि हाइपर थर्मिया में शरीर का तापमान उससे अधिक भी हो जाता है। हाइपो व हाइपर थर्मिया दोनों ही अलग अवस्थाएं हैं। हाइपर थर्मिया में जहां शरीर का तापमान बढ़ जाता है, वहीं हाइपो थर्मिया में यह तापमान घट जाता है। 

कैसे हो बचाव
गर्मी में शारीरिक गतिविधियां भारी पड़ती हैं। इस मौसम में पानी कम पीने से बुखार होने की आशंका अधिक रहती है, जो हाइपर थर्मिया भी हो सकता है। इस मौसम में सबसे फायदेमंद है पानी और दूसरे तरल पदार्थ, इसलिए इन चीजों का प्रयोग करें। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चीजों का सेवन करें। ठंडे कमरे या ठंडे स्थान में रहें। शरीर के ज्यादा गर्म होने पर गीला कपड़ा फेरते रहें। 

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परेशान ना हो क्‍योंकि बुखार कोई हौवा नहीं हैं बल्कि बुखार आपकी बॉडी का एक हिस्सा है जो इंफेक्‍शन के खिलाफ आपका बचाव करता है।

मौसम के बदलते मिजाज के साथ ही बीमारियों का तांता सा लग जाता है।
सुबह उठते समय गले में दर्द और बहती नाक महसूस होना इस मौसम में बेहद ही आम है। और आप तो जानती ही हैं कि गले में हल्‍का-हल्‍का दर्द और चुभन और साथ ही नाक का बहना किस ओर इशारा करता है। जी हां यह इस बात की ओर इशारा करता है कि आपकी बॉडी का temperature बढ़ने वाला है, और आपको तभी सी अजीब सा महसूस होने लगता है।

लेकिन परेशान ना हो क्‍योंकि बुखार कोई हौवा नहीं हैं बल्कि बुखार आपकी बॉडी का एक हिस्सा है जो इंफेक्‍शन के खिलाफ आपका बचाव करता है। जब हमारी बॉडी पर किसी आक्रमणकारी का हमला होता हैं, तो हमारी बॉडी का temperature बढ़ता है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि यह हमें पटपड़ गंज स्थित क्लिनिक के homeopathic doctor Dr. Himanshu Saxena ने बताया है। इस बारे में विस्‍तार से बताते हुए वह कहते हैं कि

क्या है normal body temperature?

बॉडी का normal temperature लगभग 98.6 डिग्री फ़ारेनहाइट (37 सेल्सियस) है, हालांकि यह व्यक्ति में अलग-अलग होता है। Normal temperature एक डिग्री से नीचे या एक डिग्री ऊपर 9.6 डिग्री सेल्सियस तक उतार चढ़ाव हो सकता है।

body fever health

High temperature के दौरान क्या होता है?

बुखार खून में बह रहे, pyrogens के रूप में जाना जाने वाले केमिकल के कारण होता है। आमतौर पर, pyrogens बैक्‍टीरिया और वायरस जैसे infectious agents से लड़कर इम्‍यून सिस्‍टम की हेल्‍प करते हैं- जो temperature changes के प्रति संवेदनशील होते हैं।

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बॉडी का temperature 100.4 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक के आसपास होना बुखार का संकेत है, हालांकि केवल मुंह और बगल का temperature वास्तविक बॉडी  का temperature होता है।

ब्रेन में hypothalamus बॉडी के temperature को नियंत्रित करने का काम करता है, और बॉडी की thermostat के रूप में काम करता है। हमारी बॉडी का temperature बढ़ जाता है, जब pyrogens ब्रेन तक पहुंचते हैं और hypothalamus में कुछ रिसेप्टर्स के साथ बांधते हैं।

कब high fever ज्‍यादा 'high' होता है?

जबकि बुखार infections से लड़ने में हेल्‍प करता है, शायद ही कभी, यह घातक भी हो सकता है। लेकिन 104 डिग्री सेल्सियस से अधिक बॉडी temperature को medical emergencies माना जाना चाहिए और तुरंत medical help ली जानी चाहिए।

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गर्मी का यह लेवल प्रोटीन के काम को नुकसाना पहुंचा सकता है, जिसका नियमित कार्य बॉडी के normal temperature पर निर्भर करता है। गंभीर रूप से high fever से दौरे, भ्रम, सिरदर्द और तेज रोशनी और आवाज के प्रति असामान्य संवेदनशीलता और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।

डॉक्टर को कब बुलाना चाहिए?

अगर आपका temperature 103 degrees F से ज्‍यादा है तो तुरंत अपने डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए। घबराने की जरूरत नहीं हैं क्‍योंकि दवा और देखभाल से  temperature आसानी से नीचे आ जाता है। आमतौर पर temperature कुछ दिनों के अंदर ही अधिकतम आराम, विटामिन सी से भरपूर फूड और ताजी हवा के कारण दूर हो जाता है-क्‍योंकि यह सभी चीजें इंफेक्‍शन को दूर करने में बेहद ही मददगार होते हैं।

लेकिन अगर आपको बहुत ही तेज फीवर (more than 104 degrees F) है या body temperature तीन दिनों के बाद भी कम नहीं हो रहा है तो आपको तुरंत किसी अच्‍छे डॉक्‍टर के पास जाना चाहिए और डॉक्‍टर के बताने पर लगातार देखभाल और निगरानी के लिए हॉस्पिटल में भर्ती हो जाना चाहिए।  

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107 डिग्री बुखार कितना खतरनाक है?

हाई ग्रेड फीवर - यदि शरीर का तापमान 103 से 104 डिग्री फारेनहाइट है, तो स्थिति को हाई ग्रेड फीवर की श्रेणी में रखा जाता है। डेंजरस ग्रेड फीवर - यह बुखार का सबसे घातक प्रकार है, जिसमें शरीर का तापमान 104 से 107 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ जाता है। यह आमतौर पर किसी अंदरूनी गंभीर बीमारी का संकेत देता है।

106 डिग्री बुखार कितना खतरनाक है?

वहीं जब शरीर का तापमान 104 से 106 डिग्री के पार पहुंच जाता है तो वह तेज बुखार कहलाता है। ऐसे में दिमाग के साथ-साथ पूरे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। तेज बुखार से परेशान हैं तो ऐसे में आप कुछ उपाय अपनाकर शरीर का तापमान कम कर सकते हैं। साथ ही डॉक्टर से सपंर्क जरूर करें।

104 से ज्यादा बुखार होने पर क्या करें?

ध्यान रहे कि अगर आपका बुखार 104 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा है तो यह बेहद खतरनाक भी हो सकता है. ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

104 बुखार कितना होता है?

हो सकता है जानलेवा हाइपर थर्मिया हीट स्ट्रोक और लू लगने से ज्यादा गंभीर स्थिति है। तेज धूप या तेज तापमान में काफी देर तक धूप के संपर्क में रहने से शरीर का तापक्रम 98.6 डिग्री फारेनहाइट से कहीं अधिक हो जाता है। अगर शरीर का तापक्रम 104 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा हो जाए तो चिंताजनक स्थिति होती है।