आंख का ऑपरेशन कैसे होता है वीडियो - aankh ka opareshan kaise hota hai veediyo

Shraddha Aftab Latest News Today Live: श्रद्धा हत्याकांड में आरोपी आफताब का नार्को टेस्ट रोहिणी स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में पूरा हो गया है। कड़ी सुरक्षा में पुलिस आफताब को अस्पताल लेकर पहुंची थी। अब यहां से वापस तिहाड़ ले जाया जाएगा। पढ़ें श्रद्धा हत्याकांड से जुड़ा लाइव अपडेट...

Jamshedpur Eye Scandal: आंख हमारे शरीर का एक बेहद जरूरी अंग है. इससे हम इस खूबसूरत दुनिया को देखते हैं. अब आप कल्पना कीजिए कि एक व्यक्ति अपने आंख के इलाज के लिए अस्पताल जाता है, उसका ऑपरेशन किया जाता है और फिर उसे बाद में पता चलता है कि उसके एक आंख को निकालकर उसकी जगह कांच की गोली लगा दी गई है. तब प्रतिक्रिया क्या होगी...? जी हां...आप बिलकुल सही सुन रहे हैं....आंख को निकालकर कांच की गोली लगा दी गई. ये घटना इंसानियत के साथ सबसे बड़ी क्रूरता है. डॉक्टर के पेशे पर सबसे बड़ा कलंक है और लाचार-गरीब लोगों के साथ सबसे बड़ा अन्याय है. ये सिस्टम की आम लोगों के साथ सबसे बड़ी गद्दारी है. आइये आपको इस दरिंदगी के बारे में विस्तार से बताते हैं जिसके बारे में सोचकर ही दिल दहल जाता है.

झारखंड के जमशेदपुर की घटना

ये घटना झारखंड के जमशेदपुर से केवल 45 किलोमीटर दूर घाटशिला की है. यहां 8 बुजुर्गों के साथ मोतियाबिंद के इलाज के नाम पर उनकी जिंदगी से सबसे बड़ा खिलवाड़ किया गया है. दरअसल एक महिला ने किसी NGO से जुड़े होने का दावा करके इन बुजुर्गों को मुफ्त में इजाल कराने का भरोसा दिलाया. फिर इन बुजुर्गों का KCC Eye Hospital में ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन के दूसरे दिन सभी को घर भेज दिया गया. 

हाथ में निकल आई आंख!

कुछ दिन बाद जिन लोगों का ऑपरेशन किया गया था उसमें एक बुजुर्ग गंगाधर सिंह के आंख में खुजली और जलन होने लगी. जिसके बाद गंगाधर सिंह को जमशेदपुर, रांची और कोलकाता ले जाकर दिखाया गया. हालांकि डॉक्टर को बीमारी समझ में नहीं आई. वहीं उसकी आंख में लगातार दिक्कत हो रही थी. 7 अक्टूबर को जब गंगाधर की आंखों में बहुत ज्यादा जलन और खुजली हुई तो उन्होंने अपने आंखों को खुजलाना शुरू किया. और इसी दौरान ऑपरेशन वाले आंख से सफेद कांच की गोली बाहर निकल आई. यानी गंगाधर सिंह के एक आंख को निकालकर उसकी जगह कांच की गोली लगा दी गई थी .

डॉक्टर ने निकाल ली आंख

इसके बाद पीड़ित को घाटशिला अनुमंडल अस्पताल ले जाया गया. वहां के डॉक्टर ने जब इस आंख का चेकअप किया तो वो भी चौंक गए. उसके बाद मरीज को एमजीएम अस्पताल रेफर किया गया. इस घटना का खुलासा होने के बाद सिविल सर्जन घाटशिला अनुमंडल अस्पताल पहुंचे और मामले की जानकारी ली. वहीं, पीड़ित बुजुर्ग गंगाधर सिंह के घरवालों ने पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दी. इसके बाद शिकायत दर्ज कर ली गई है. लोगों में इस घटना के बाद बहुत गुस्सा है और वो दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

बख्शा नहीं जाएगा दोषियों को

इस घटना का खुलासा होने के बाद सिविल सर्जन घाटशिला अनुमंडल अस्पताल पहुंचे और मामले की जानकारी ली. वहीं, पीड़ित बुजुर्ग गंगाधर सिंह के घरवालों ने पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दी. इसके बाद शिकायत दर्ज कर ली गई है. लोगों में इस घटना के बाद बहुत गुस्सा है और वो दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

प्रशासन ने किया ये वादा

प्रशासन की ओर से वादा किया गया है कि जिन डॉक्टरों ने ये ऑपरेशन किया है और जिस KCC Eye Hospital में ये ऑपरेशन हुआ है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ये घटना दिल दहलाने वाली है. सोचिए जरा इस बुजुर्ग की क्या गलती थी. क्या गरीब होना अपराध है. क्या गरीब लोगों को जीने का हक नहीं है. क्या स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर उनकी आंखों की रौशनी छिन ली जाएगी. और क्या ऐसे डॉक्टरों को खुलेआम छोड़ देना चाहिए. मानवीय अंगों को धोखे से निकालकर उसकी तस्करी करने की सबसे बड़ी वजह ये है कि इससे भारी कमाई होती है. दरअसल देश में अंगदान की परंपरा बेहद कम है. अलग-अलग वजह से लोग अंगदान करने से बचते हैं. लेकिन लाखों लोगों को इलाज के लिए मानवीय अंगों की जरुरत होती है और इसी का फायदा उठाकर कुछ लोग धोखे से किसी का कोई भी अंग निकालकर बेच देते हैं.

अंगदान करने से बचते हैं लोग

हर साल करीब 4 लाख लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरुरत होती है, जबकि हर साल 8-9 हजार किडनी ट्रांसप्लांट ही हो पाते हैं. इतना कम किडनी ट्रांसप्लांट होने की बड़ी वजह ये है कि डोनर बेहद कम होते हैं. डोनर यानी वो व्यक्ति जो मानवीय अंग दान देता है. सामान्य तौर पर ये डोनर रिश्तेदार ही होते हैं. या ऐसे लोग होते हैं जिसे पैसे देकर खरीदा जाता है. मांग और सप्लाई के इस अंतर का फायदा middle man उठाता है. जो कभी धोखे से तो कभी पैसे देकर गैरकानूनी तरीके से किडनी खरीदता और बेचता है.

WHO की चौंका देने वाली रिपोर्ट

WHO के मुताबिक भारत में कुल किडनी ट्रांसप्लांट में करीब 2000 ट्रांसप्लांट गैरकानूनी तरीके से होता है. जबकि दुनिया में करीब 10 प्रतिशत ट्रांसप्लांट गैरकानूनी होता है. WHO के मुताबिक दुनिया में गैरकानूनी तरीके से मानवीय अंगों के ट्रांसप्लांट का कारोबार करीब 13 हजार 940 करोड़ रुपये हैं. हालांकि कई जानकारों का मानना है ये आंकड़ा इससे काफी ज्यादा हो सकता है. मानवीय अंगों के ट्रांसप्लांट को लेकर 1994 में कानून बनाया गया था. इसका मकसद मानवीय अंगों की तस्करी को रोकना था. लेकिन इस कानून के बावजूद मानवीय अंगों की तस्करी का धंधा धड़ल्ले से चलता रहा. और ये कानून मानव अंगों की तस्करी को रोकने में सक्षम साबित नहीं हुआ. फिर वर्ष 2011 में इसमें संशोधन किया गया. इसके तहत मानव अंगों की तस्करी करने वालों को 10 साल तक की सजा और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.

न हम पहले झुके हैं, न आगे झुकेंगे। राष्ट्रहित में जो उचित होगा वैसा करेंगे। पहले हम पश्चिम की चाल समझते थे पर हाथ बंधे थे लेकिन ये सरकार चुप नहीं बैठती, मुंह भर सुना देती है।

आलोक कुमार


अब जब वॉशिंगटन में 11 दिनों के भीतर 50 से ज्यादा देशों के साथ ताबड़तोड़ मीटिंग कर एस जयशंकर ने हर कठिन सवाल का सीधा और तगड़ा जवाब दिया है तब अमेरिका ने नई डिमांड सामने रखी है। अमेरिका हमसे ये कह रहा है कि रूस ने यूक्रेन के चार इलाकों पर कब्जा किया है जिसके खिलाफ यूएन में प्रस्ताव लाया जाएगा और भारत को इसका समर्थन करना चाहिए। इससे पहले जयशंकर ने वॉशिंगटन में बताया कि कैसे दुनिया के कई देश भारत से बात करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि हम सभी ध्रुवों से संपर्क में हैं और उन पर असर डाल सकते हैं। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा में जयशंक ने कहा था - दुनिया जिस अवस्था में है, उसमें भारत महत्व रखता है। हम एक सेतु हैं, हम एक आवाज हैं, हम एक दृष्टिकोण, एक जरिया हैं।

अब बात आती है कि यूएन में रूस के खिलाफ फिर प्रस्ताव आएगा तो भारत क्या करेगा। ये सवाल पत्रकारों ने जयशंकर से भी पूछ लिया। उन्होंने कूटनीतिक कौशल का परिचय देते हुए कहा कि जब सुरक्षा परिषद में बात होगी तब देखा जाएगा, यूएन में हमारे राजदूत इसका जवाब देंगे। माना जा रहा है कि अगले हफ्ते तक अमेरिका की तरफ से ये प्रस्ताव यूएन में आएगा। हमरा रुख हमें पता है लेकिन अमेरिका को किसी तरह के दबाव से बाज आना चाहिए। न हम पहले झुके हैं, न आगे झुकेंगे। राष्ट्रहित में जो उचित होगा वैसा करेंगे। पहले हम पश्चिम की चाल समझते थे पर हाथ बंधे थे लेकिन ये सरकार चुप नहीं बैठती, मुंह भर सुना देती है। आपने भी देखा होगा कैसे अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के रख रखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर दे दिए और बताया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ये काम आएंगे। तो एस जयशंकर ने सुना दिया कि ये दलील देकर तुम किसको मूर्ख बना रहे हो। उधर जो बाइडन बिना भारत का नाम लिए यूएन में कहते हैं कि समय आ गया है सुरक्षा परिषद का विस्तार किया जाए। मतलब भारत को शामिल किया जाए। ये मस्का लगाने जैसा है या कुछ और पता नहीं पर यही हमारी जीत है। दुनिया को पता चल चुका है कि आंख दिखाकर भारत को झुका नहीं सकते।


आँख का ऑपरेशन कैसे किया जाता है?

सामान्य सर्जिकल प्रक्रिया इस ऑपरेशन में डॉक्टर द्वारा अपारदर्शी लेंस को हटाकर मरीज़ की आँख में प्राकृतिक लेंस के स्थान पर नया कृत्रिम लेंस आरोपित किया जाता है, कृत्रिम लेंसों को इंट्रा ऑक्युलर लेंस कहते हैं, उसे उसी स्थान पर लगा दिया जाता है, जहां आपका प्रकृतिक लेंस लगा होता है।

आंखों के ऑपरेशन के बाद कितने दिन आराम करना चाहिए?

मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद तीन - चार दिनों का आराम लेना चाहिए । हालांकि २४ घंटों के बाद आप अपने जरुरी काम कर सकते हैं लेकिन अपनी आंखों को धूप और तेज प्रकाश से बचाएं।

आंख का ऑपरेशन कितने घंटे में होता है?

आमतौर पर, इसमें लगभग 30 मिनट से एक घंटे तक का समय लगता है।

आंख के ऑपरेशन के बाद क्या क्या सावधानी रखना चाहिए?

इसलिए इसे ऑपरेशन के बाद कुछ दिनों तक पहनें। सोते वक्त भी चश्मा लगाकर रखें ताकि आंखों पर किसी तरह का जोर न पड़े। 2- अगर हफ्तेभर बाद भी ये लक्षण दिखें और आंखों की रोशनी में कोई सुधार न हो या फिर काला निशान आंख में बन जाए तो फिर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 3- सर्जरी के बाद ड्राइविंग न करें आंखों को कवर करके ही रखें।