5. अश्लील साहित्य पर रोक – अश्लील साहित्य पर कठोरता से प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए, जिससे इसका प्रकाशन व वितरण न हो सके। अपराधी घटनाओं का विवरण देने में भी सतर्कता रखी जानी चाहिए। अपराधियों व डाकुओं इत्यादि को हीरो के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए। उनके कारनामे पढ़कर छात्र एवं बालक अपराध में लिप्त हो जाते हैं। Show बाल अपराध का अर्थ – वे कार्य जो बालकों के द्वारा नियम विरुद्ध किये गए हो। कई विद्वानों के अनुसार एक बालक को अपराधी तभी माना जब उसकी समाज विरोधी गतिविधियां इतनी गंभीर रूप धारण कर लेती है कि उनके विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही करना आवश्यक हो जाता है।
बाल अपराध के कारण
रोकथाम – 1 घर में वातावरण प्रेमपूर्ण होना चाहिए दूसरे बालक की जिज्ञासाओं के समाधान में बडी सावधानी की आवश्यकता है। कोई बात पूछने पर बालक को झिडक दिया जाए या उससे झूठ बोल देने पर प्रभाव बुरा पडता है। परिजनों को इस आदत से बचना चाहिए। बृजमोहन (स्वतंत्र समालोचक, चिंतक, समीक्षक) (i) विद्यालय के वातावरण को आनन्दमय व उल्लासमय बनाया जाए जिससे छात्र विद्यालय को बन्दीगृह के रूप में न लेकर शिक्षा मन्दिर व आनन्द स्थली के रूप में ले। (ii) अध्यापकों को बालकों के साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए उनकी समस्याओं को समझकर उपर्युक्त सुझाव देने चाहिए। (iii) विद्यालयों में छात्रों के साथ किसी आधार पर पक्षपात न किया जाए। (iv) बालकों की मनोवृत्तियों को ठीक प्रकार से समझा जाए तथा उन्हें उनकी रुचियों के अनुकूल शिक्षा की व्यवस्था की जाए। (v) विद्यालय में उचित निर्देशन की व्यवस्था की जाए। (vi) छात्रों पर उत्तरदायित्व सौंपे जाएँ। (vii) अध्यापकों को अपने आचरण को आदर्श बनाना चाहिए। इसी भी पढ़ें…
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बाल अपराध का क्या कारण है?मनोवैज्ञानिक आधार पर मानसिक अस्थिरता, हीनता की भावना तथा बुद्धि की कमी भी बाल अपराध का कारण है। जिन परिवारों में पारिवारिक अशान्ति तथा कलह का वातावरण रहता है, उन परिवारों में बच्चा यह तय नहीं कर पाता है कि उसे कैसा व्यवहार करना चाहिए। यह स्थिति बालक को अपराधी बना देती है।
अपराध शास्त्र का पिता कौन है?अपराधशास्त्र के वास्तविक क्रमबद्ध अध्ययन का शुभारम्भ इटली के विख्यात अपराधशास्त्री सिसेर बकारिया ने किया जिन्हें अपराधशास्त्र का जनक माना जाता है ।
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