बाल अपराध की रोकथाम के लिए माता पिता को क्या करना चाहिए? - baal aparaadh kee rokathaam ke lie maata pita ko kya karana chaahie?

5. अश्लील साहित्य पर रोक – अश्लील साहित्य पर कठोरता से प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए, जिससे इसका प्रकाशन व वितरण न हो सके। अपराधी घटनाओं का विवरण देने में भी सतर्कता रखी जानी चाहिए। अपराधियों व डाकुओं इत्यादि को हीरो के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए। उनके कारनामे पढ़कर छात्र एवं बालक अपराध में लिप्त हो जाते हैं।

बाल अपराध का अर्थ – वे कार्य जो बालकों के द्वारा नियम विरुद्ध किये गए हो। कई विद्वानों के अनुसार एक बालक को अपराधी तभी माना जब उसकी समाज विरोधी गतिविधियां इतनी गंभीर रूप धारण कर लेती है कि उनके विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही करना आवश्यक हो जाता है।
बाल अपराध के अन्तर्गत हम कानून के द्वारा निर्धारित उम्र के नीचे के बालक एवं बालिकाओं के त्रुटिपूर्ण व्यवहार को शामिल करते हैं। वे बालक जो जिनका आचरण समाज द्वारा इसीलिए स्वीकार नहीं है, क्योंकि वही दुर्व्यहार उसको अपराध करने के लिए उसको उत्तेजित कर सकता है।
-बाल अपराध को परिभाषित करते हुए मार्टिन न्यूमेयर मे लिखा है-“बाल अपराधी एक निश्चित आयु से कम का वह व्यक्ति है जिसने समाज विरोधी कार्य किया है तथा जिसका दुर्व्यवहार कानून को तोडऩे वाला हो।”
-सोल रुवीन ने बाल अपराध को कानूनी अर्थ को एक पंक्ति में व्यक्त करते हुए लिखा है कि कानून जिस अपराध को बाल अपराध मानता है वही बाल अपराध है।
– मावरर ने बाल अपराध की परिभाषा इस प्रकार दी है- ‘ह व्यक्ति जो जान बूझकर इरादे के साथ तथा समझते हुए उस समाज की रूढिय़ों की उपेक्षा करता है जिससे उसका संबंध है।
– एच. एच. लाऊ के अनुसार- बाल अपराध किसी ऐसे बालक द्वारा किया गया विधि विरोधी कार्य है जिसकी अवस्था कानून में बाल अवस्था की सीमा में रखी गयी है और जिसके लिए कानूनी कार्यवाही तथा दंड व्यवस्था से भिन्न है।

 

बाल अपराध के कारण
1 ऐसे बालक जो आदतन स्कूल से भागते है।
2 ऐसे लोगों के साथ रहता हो जो अपराधी किस्म के लोग हों।
3 जिनके माता पिता अपराधी किस्म के हो।
4 जो कानून के उल्लंघन करने वाली जगह पर जाता हो।
5 ऐसे घरों में जाता हो जहाँ नियम विरुद्ध गतिविधियों का संचालन होता है।
6 जो माता पिता और सरंक्षकों के नियंत्रण से बहार हो।
7 जिन परिवारों में माता-पिता का जीवन बहुत व्यस्त हो।
8 ऐसे बच्चे जिनको कठोर अनुशासन या आवश्यकता से अधिक स्वतंत्रता दी जाए।
9 अधिक सुख कि चाह।
10 अश्लील साहित्य पढऩा या दृश्य देखना।
ऐसे अनेक कारण और भी है।

 

रोकथाम –

1 घर में वातावरण प्रेमपूर्ण होना चाहिए दूसरे बालक की जिज्ञासाओं के समाधान में बडी सावधानी की आवश्यकता है। कोई बात पूछने पर बालक को झिडक दिया जाए या उससे झूठ बोल देने पर प्रभाव बुरा पडता है। परिजनों को इस आदत से बचना चाहिए।
2 बालकों से यौन जिज्ञासाओं के विषय में खुलकर बात करनी चाहिए । स्त्री पुरुष परस्पर प्रेम व्यवहार के समय बालक के आ जाने पर वे अपराधी की सी मुद्रा बना लेते हैं या बालको को फटकार देते हैं इससे बालक में अपराध ग्रंथी बन जाती है। आवश्यक यौन शिक्षा के अभाव में अनेक बालक-बालिकाऐं बाल अपराध की राह पर अग्रसर हो जाते है। माता-पिता बालक के सामने आदर्श होते है। उनके आपस में झगड़ों का और उनके चरित्र को ठीक रखने के विषय में बालक के प्रति जिम्मेदारी महसूस करनी चाहिए वास्तव में बालक को अपराध से बचाने का तरीका उसकी बुरी आदतों को रोकना नही बल्कि उसमें अच्छी आदतें डालना है।
3 मनोरंजन का व्यक्ति के जीवन में बडा महत्वपूर्ण स्थान होता है स्वस्थ मनोरंजन के अभाव में बालक की अपराधी प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन मिलता है। माता पिता दोनों ही कामकाजी हो तो उस परिस्थिति में बच्चों को अकेले रहने का मौका मिलता है और अश्लील वीडियो देखकर मनोरंजन करते हैं । ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए हेल्थी मनोरंजन करवाना और माता पिता को बच्चों को समय देना चाहिए ।
4 बालकों को अपराधों से रोकने के लिए उनके मनोवैज्ञानिक दोषो का उपचार अत्यंत आवश्यक है इसके लिए सरकारों को विद्यालयों में मनोवैज्ञानिक क्लिनिक बनाने चाहिए जो बालकों के विषय में उचित देखभाल कर सकें तथा समय समय परामर्श दे सकें।

बृजमोहन (स्वतंत्र समालोचक, चिंतक, समीक्षक)

(i) विद्यालय के वातावरण को आनन्दमय व उल्लासमय बनाया जाए जिससे छात्र विद्यालय को बन्दीगृह के रूप में न लेकर शिक्षा मन्दिर व आनन्द स्थली के रूप में ले।

(ii) अध्यापकों को बालकों के साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए उनकी समस्याओं को समझकर उपर्युक्त सुझाव देने चाहिए।

(iii) विद्यालयों में छात्रों के साथ किसी आधार पर पक्षपात न किया जाए।

(iv) बालकों की मनोवृत्तियों को ठीक प्रकार से समझा जाए तथा उन्हें उनकी रुचियों के अनुकूल शिक्षा की व्यवस्था की जाए।

(v) विद्यालय में उचित निर्देशन की व्यवस्था की जाए।

(vi) छात्रों पर उत्तरदायित्व सौंपे जाएँ।

(vii) अध्यापकों को अपने आचरण को आदर्श बनाना चाहिए।

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बाल अपराध को कैसे रोका जा सकता है?

बाल अपराध के रोकथाम के उपाय.
समुचित पालन पोषण मारपीट और अपमान बहुधा बालक को अपराध की राह पर ले जाता है। ... .
स्वस्थ मनोरंजन मनोरंजन का व्यक्ति के जीवन में बडा महत्वपूर्ण स्थान होता है स्वस्थ मनोरंजन के अभाव में बालक की अपराधी प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन मिलता है।.
मनोवैज्ञानिक दोषों का उपचार.

अपराधी बालक कौन है विद्यालय में उनकी सहायता कैसे की जा सकती है?

उस बालक को अपराधी बालक कहा जाता है, जो सामाजिक तथा कानूनी नियमों का उल्लंघन करता है। तथा उसके प्रति कानूनी कार्रवाई आवश्यक हो जाती है। वह बालक जो 18 वर्ष की आयु पूर्ण ना कर चुका हो किंतु उसकी गतिविधियां समाज, विरोधी कानून विरोधी होती है। तब उस बालक को अपराधी बालक कहा जाता है।

बाल अपराध का क्या कारण है?

मनोवैज्ञानिक आधार पर मानसिक अस्थिरता, हीनता की भावना तथा बुद्धि की कमी भी बाल अपराध का कारण है। जिन परिवारों में पारिवारिक अशान्ति तथा कलह का वातावरण रहता है, उन परिवारों में बच्चा यह तय नहीं कर पाता है कि उसे कैसा व्यवहार करना चाहिए। यह स्थिति बालक को अपराधी बना देती है।

अपराध शास्त्र का पिता कौन है?

अपराधशास्त्र के वास्तविक क्रमबद्ध अध्ययन का शुभारम्भ इटली के विख्यात अपराधशास्त्री सिसेर बकारिया ने किया जिन्हें अपराधशास्त्र का जनक माना जाता है ।