फाइलेरिया के लक्षण क्या होते हैं? - phaileriya ke lakshan kya hote hain?

फाइलेरिया के लक्षण क्या होते हैं? - phaileriya ke lakshan kya hote hain?

हेल्थ डेस्क: फाइलेरिया एक बार आपके शरीर पर असर नहीं दिखाता है। यह बीमारी धीर-धीरे आपके पूरे शरीर पर असर दिखाता है। इसकी शुरुआत ऐसे होती है कि आपके शरीर के अंग जैसे पैर, स्तन, हाथ, मुंह सूज जाते हैं।

फाइलेरिया रोग, जिसे हाथी पांव या फील पांव भी कहते हैं, में अक्सर हाथ या पैर बहुत ज्यादा सूज जाते हैं। इसके अलावा फाइलेरिया रोग से पीड़ित व्यक्ति के कभी हाथ, कभी अंडकोष, कभी स्तन आदि या कभी अन्य अंग भी सूज सकते हैं। आम बोलचाल की भाषा में हाथीपांव भी कहा जाता है। 

एलीफेंटिटिस यानि श्लीपद ज्वर एक परजीवी के कारण फैलती है जो कि मच्छर के काटने से शरीर के अंदर प्रवेश करता है। इस बीमारी से मरीज के पैर हाथी के पैरों की तरह फूल जाते हैं। इस रोग के होने से न केवल शारीरिक विकलांगता हो सकती है बल्कि मरीजों की मानसिक और आर्थिक स्थिति भी बिगड़ सकती है। 

एलीफेंटिटिस को लसीका फाइलेरिया भी कहा जाता है क्योंकि फाइलेरिया शरीर की लसिका प्रणाली को प्रभावित करता है। यह रोग मनुष्यों के हाथ- पैरों के साथ ही जननांगों को भी प्रभावित करता है।

फाइलेरिया के उपचार के लिए यहां हम आपको कुछ घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खे बता रहे हैं:-

लौंग - लौंग फाइलेरिया के उपचार के लिए बहुत प्रभावी घरेलू नुस्खा है। लौंग में मौजूद एंजाइम परजीवी के पनपते ही उसे खत्म कर देते हैं और बहुत ही प्रभावी तरीके से परजीवी को रक्त से नष्ट कर देते हैं। रोगी लौंग से तैयार चाय का सेवन कर सकते हैं।

काले अखरोट का तेल - काले अखरोट के तेल को एक कप गर्म पानी में तीन से चार बूंदे डालकर पिएं। इस मित्रण को दिन में दो बार पिया जा सकता है। अखरोट के अंदर मौजूद गुणों से खून में मौजूद कीड़ों की संख्या कम होने लगती है और धीरे धीरे एकदम खत्म हो जाती है। जल्द परिणाम के लिए कम से कम छह हफ्ते प्रतिदिन इस उपाय को करें।

खाने में ऐसे करें यूज - फाइलेरिया के इलाज के लिए अपने रोज के खाने में कुछ आहार जैसे लहसुन, अनानास, मीठे आलू, शकरकंदी, गाजर और खुबानी आदि शामिल करें। इनमें विटामिन ए होता है और बैक्टरीरिया को मारने के लिए विशेष गुण भी होते हैं।

आंवला- आंवला में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है। इसमें एन्थेलमिंथिंक (Anthelmintic) भी होता है जो कि घाव को जल्दी भरने में बेहद लाभप्रद है। आंवला को रोज खाने से इंफेक्शन दूर रहता है।

अश्वगंधा - अश्वगंधा शिलाजीत का मुख्य हिस्सा है, जिसके आयुर्वेद में बहुत से उपयोग हैं। अश्वगंधा को फाइलेरिया के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

ब्राह्मी- ब्राह्मी पुराने समय से ही बहुत सी बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है। फाइलेरिया के इलाज के लिए ब्राह्मी को पीसकर उसका लेप लगाया जाता है। रोजाना ऐसा करने से रोगी सूजन कम हो जाती है।

अदरक- फाइलेरिया से निजात के लिए सूखे अदरक का पाउडर या सोंठ का रोज गरम पानी से सेवन करें। इसके सेवन से शरीर में मौजूद परजीवी नष्ट होते हैं और मरीज को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। 

शंखपुष्पी- फाइलेरिया के उपचार के लिए शंखपुष्पी की जड़ को गरम पानी के साथ पीसकर पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को प्रभावित स्थान पर लगाएं। इससे सूजन कम होने में मदद मिलेगी।

कुल्ठी- कुल्ठी या हॉर्स ग्राम में चींटियों द्वारा निकाली गई मिट्टी और अंडे की सफेदी मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएं। इस लेप को प्रतिदिन प्रभावित स्थान पर लगाएं, सूजन से आराम मिलेगा।अगर को पानी के साथ मिलाकर लेप तैयार करें। इस लेप को प्रतिदिन 20 मिनट के लिए दिन में दो बार प्रभावित स्थान पर लगाएं। इससे घाव जल्दी भरते हैं और सूजन कम होती है। घाव में मौजूद बैक्टीरिया भी मर जाते हैं।

रॉक साल्ट - शंखपुष्पी और सौंठ के पाउडर में रॉक साल्ट मिलाकर, एक एक चुटकी रोज दो बार गरम पानी के साथ लें।

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मरीज को मृत समान बना देता है फाइलेरिया, जानें लक्षण से लेकर बचाव और कारण

| Updated: 19 Jul 2019, 3:46 pm

फाइलेरिया दुनिया की दूसरे नंबर की ऐसी बीमारी है जो बड़े पैमाने पर लोगों को विकलांग बना रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 65 करोड़ भारतीयों पर फाइलेरिया रोग का खतरा मंडरा रहा है। आइए जानते हैं इसके कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के बारे में:

फाइलेरिया के लक्षण क्या होते हैं? - phaileriya ke lakshan kya hote hain?
फोटो साभार: getty

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 65 करोड़ भारतीयों पर फाइलेरिया रोग का खतरा मंडरा रहा है। 21 राज्यों और केंद्र शासित राज्यों के 256 जिले फाइलेरिया से प्रभावित हैं। फाइलेरिया दुनिया की दूसरे नंबर की ऐसी बीमारी है जो बड़े पैमाने पर लोगों को विकलांग बना रही है। दुनिया के 52 देशों में करीब 85.6 करोड़ लोग फाइलेरिया के खतरे की जद में हैं। लिंफेटिक फाइलेरियासिस को ही आम बोलचाल की भाषा में फाइलेरिया कहा जाता है।इस साल जनवरी में वाराणसी में फाइलेरिया के कई मामले देखे गए। फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह जान तो नहीं लेती है, लेकिन जिंदा आदमी को मृत के समान बना देती है। इस बीमारी को हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। अगर समय पर फाइलेरिया की पहचान कर ली जाए तो जल्द इलाज शुरू किया जा सकता है।

फाइलेरिया के कारण

फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है, खासकर परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। लेकिन ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है। इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है।

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फाइलेरिया के लक्षण
आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैर हाथी के पांव जितने सूज जाते हैं इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

फाइलेरिया से बचाव

  • फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें।
  • पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें। पूरी बाजू के कपड़े पहनकर रहें।
  • सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगा लें
  • हाथ या पैर में कही चोट लगी हो या घाव हो तो फिर उसे साफ रखें। साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवाई लगा लें।

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फाइलेरिया की पहचान कैसे करें?

इम्यूनोडायग्नोस्टिक टेस्ट (Immunodiagnostic tests) – इस जांच में रक्त में यह देखा जाता है कि रक्त में प्रतिरक्षी (एंटीबॉडी) है या नहीं। रक्त में फाइलेरिया परिसंचरण करने वाला प्रतिजन (Circulating Filarial Antigen) है या नहीं यह जानने के लिए टेस्ट किए जाते हैं।

फाइलेरिया के शुरुआती लक्षण क्या है?

फाइलेरिया के लक्षण आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। हालांकि बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं।

फाइलेरिया में क्या परहेज करना चाहिए?

दवा को खाली पेट नहीं खाना चाहिए। चंदौली : बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। शरीर पर सरसों अथवा नीम का तेल लगाकर सोएं। सोते समय ऐसे वस्त्रों का प्रयोग करें जिससे शरीर का अधिकांश भाग ढका हो।

फाइलेरिया कितने प्रकार के होते हैं?

फाइलेरिया के आठ प्रकार के नेमाटोड ज्ञात हैं जो मानवों को अपना निशाना बनाते हैं