पीरियड्स का समय 4 से 7 दिन का होता है और ‘पीरियड साइकिल ’ यानि माहवारी चक्र करीब 21 से 35 दिन का। लेकिन हम सभी जानते हैं कि ‘पीरियड’ आगे-पीछे होते रहते हैं और यह नाॅर्मल है। पीरियड का आगे पीछे होना, कम ज्यादा होना, जल्दी या देर से होना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। आसान शब्दों में कहें तो हमारा पीरियड ‘वाई-फाई’ जैसा होता है। अविश्वसनीय-सा। कभी स्पीड अच्छी आई तो, बहुत अच्छी आई, और नहीं आई तो बैठे रहो इंतजार में! Show
लेकिन नीचे बताए गए हमारे स्वास्थ्य और हमारी जीवनशैली से जुड़े कारण वास्तव में हमारे मासिक धर्म के प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं। इनमें से एक भी कारण से यदि आप परेशान हैं तो हो सकता है आपको डाॅक्टर की सलाह की जरूरत हो। सामान्य से अधिक या भारी रक्तस्राव, कभी-कभी पीरियड हो जाने के बाद भी स्पाॅटिंग होना, 7 दिन या उससे अधिक समय तक माहवारी होना। यह सभी मासिक धर्म की ‘सामान्य’ समस्याएं मानी जाती हैं। अगर कोई पुरानी बीमारी है। और आप ठीक नहीं हो पा रही हैं तो वह बीमारी से माहवारी पर असर पड़ सकता है। अगर शरीर में कोई परेशानी हो, दिक्कत हो, तो लाज़िमी है कि उसका हमारे शरीर की दूसरी चीजों पर प्रभाव पड़ता ही है। यह सामान्य है। डायबिटिक महिलाएं जब अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखतीं और लापरवाही बरतती हैं, तब यह लापरवाही ‘अनियमित माहावारी’ का एक कारण बनती है कभी-कभी । ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ‘ब्लड-शुगर लेवल’ में होने वाले बदलाव हमारे हार्मोन्स को प्रभावित करते है। हालांकि यह बहुत कम होता है। समझिए 100 में एक, लेकिन होता है और कारण होता है बीमारी की ‘टेक-केयर’ न करना। Table of Contents
1. अचानक वजन कम होनाshutterstockआमतौर पर महिलाओं में वजन का उतार-चढ़ाव कोई खास बात नहीं। यह चलता रहता है। किसी महीने थोड़ा कम हो गया। तो कभी थोड़ा-बहुत बढ़ गया । लेकिन बिना किसी कारण 6 महीने के अंदर यदि 5 प्रतिशत या इससे ज्यादा वजन कम हो जाए तो यह चिंता का विषय है और आपको ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि यह आपके ‘पीरियड साइकिल’ को प्रभावित कर सकता है। शरीर की कमज़ोरी, मासिक धर्म पर असर पड़ने के बड़े कारणों में शामिल है। शरीर को जब वो ‘पोषक तत्व’ नहीं मिलते हैं, जो उसे ‘ईंधन’ यानि उर्जा देने के लिए चाहिए होते हैं, तब उस अवस्था में हम ‘कुपोषण’ का शिकार होते हैं। असंतुलित आहार, बुलीमिया,ऐनोरेक्सिया सभी कुपोषण का कारण हैं। और कुपोषण कारण बनता है ‘अनियमित माहवारी’ का । खाने के प्रति लापरवाही और जरूरत से ज्यादा व्यायाम शरीर में ‘एस्ट्रोजेन’ के उत्पादन पर असर डालता है। जिसके चलते पीरियड पर भी असर पड़ता है। हालांकि, वजन ऊपर नीचे होने के कारणों का पता हम ‘बीएमआई’ जांच से लगा सकते हैं। लेकिन यह ध्यान रखें कि ‘बीएमआई’ जांच मांसपेशियों की माप नहीं बताता और इसलिए इसे एकदम एक्युरेट नहीं माना जा सकता। 2. आपका वजन बढ़ गया हो तो?Image Credit: Instagram, theshilpashettyदिक्कत अगर वजन घटने से आती है, तो दिक्कत वजन बढ़ने से भी आती है। अगर आपको ऐसा लगता है कि जबसे आपने ‘वेट गेन ’ किया है, इस अनियमितता की दिक्कत आपको तभी से है तो, तुरंत अपने डाॅक्टर से मिल लें ताकि कम से कम यह तो पता चल जाए कि हमारी सोच कि दिशा सही है या गलत! और मान भी लिया जाए कि आपका वजन समस्या है, तो यह डाॅक्टर ही है जो आपकी मदद कर सकता है। घर पर बैठकर फ्रस्ट्रेट होने से तो कुछ नहीं होने वाला। 3. तनाव, तनाव और तनावfile photoबहुत ज्यादा तनाव की स्थिति में भी कई बार ‘पीरियड’ या तो जल्दी आ जाता है या लेट हो जाता है। कभी-कभी ऐसे वक्त में ‘दर्द’ भी हो जाता है। कभी-कभी अगर तनाव हद से थोड़ा ज्यादा ही हो, तो पीरियड ‘रुक’ भी जाता है। वजन भी कई बार तनाव से ही कम होता है ।यह सभी चीजें आपके ‘मेन्स्ट्रुअल साइकल’ पर असर डालती हैं। तनाव मुक्त रहा करो! इतना मत सोचा करो! यह सलाह देने में जितनी अच्छी लगती है, इसे फाॅलो करना उतना ही मुश्किल होता है। जिसे तनाव होता है, बस उसे ही पता होता है कि जितना हम इसे अपने से दूर करना चाहते हैं, यह उतना ही हमें पकड़ने की कोशिश करता है। लेकिन नियमित व्यायाम, अच्छी डाइट और बढ़िया नींद, ऐसे उपाय हैं, जिनकी मदद से आप इस तनाव को काफी हद तक हरा सकते हैं। 4. PCOS यानि पाॅलिसिस्टक ओवरी सिन्ड्रोमImage Credit: Piku, Shoojit Sircar‘PCOS यानि पाॅलिसिस्टक ओवरी सिन्ड्रोम।’ यह एक ऐसी स्थिति है जो अंडाशय को प्रभावित करती है। इस अवस्था में हमारे शरीर में ‘एंड्रोजन’ नामक हार्मोन जो कि एक प्रकार का ‘पुरुष प्रधान हार्मोन’ होता है, ज्यादा बनने लगता है। और जैसा कि हमने पहले ही कहा कि बहुत ज्यादा या बहुत कम ‘हार्मोनल’ बदलाव या ‘प्रोडक्शन’ दोनों ही अवस्थाओं में हमारे ‘स्त्रीयोचित गुणों’ को नुकसान पहुँचता है। पीसीओ ‘ओवेरियन सिस्ट’ यानि अंडाशय के कैंसर में भी तब्दील हो सकता है। इसके दूसरे लक्षण भी हैं, मसलन- मुहांसे, गर्दन, कमर और बे्स्ट के नीचे के हिस्सों पर काली धब्बे, चेहरे और शरीर पर बालों की अत्यधिक वृद्धि, सिर दर्द,पीरियडस में भारी रक्तस्राव, पुरुषों की तरह का का गंजेपन और वजन बढ़ना। हालांकि पीसीओएस बांझपन का एक प्रमुख कारण है। एक अध्ययन से यह पता चलाता है कि पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं में से करीब 70 प्रतिशत महिलाओं में तो यह डायग्नोज भी नहीं हो पाता। यदि आपको भी पीसीओएस की समस्या है तो, डायबिटीज की दवा मेटामाॅर्फीन आपके परियडस की अवधि और मधुमेह के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है। लेकिन बेहतर यही होगा कि आप अपने डाॅक्टर से सलाह लेकर आगे बढ़ें। 5.जल्दी हो जाए मेनोपाॅजfile photoमेनोपाॅज टेक्निकली 45 से 55 की उम्र के बीच होता है। ‘मेनोपाॅज’ होने के पहले अपने कुछ लक्षण देता है। 12 महीने लगातार मासिक धर्म जब नहीं होता तब ‘मेनोपाॅज’ हो जाता है। ‘अर्ली मेनोपाॅज’ यानि बताई गई उम्र से पहले जब यह समस्या सर उठाए तो उसे अर्ली मेनोपाॅज कहा जाता है। 40 की उम्र से पहले होने वाले मेनोपाॅज को ‘प्री-मेच्योर मेनोपाॅज या पेरिमेनोपॉज़ कहते हैं।’ डाॅक्टरों की भाषा में इसे ‘प्री-मेच्योर ओवेरियन फेल्योर’ कहते हैं। 6. थायराॅइड की समस्याfile photoओवर एक्टिव या अंडर एक्टिव थायराॅइड भी इसकी एक वजह हो सकती है। मेन्सट्रुअल समस्याओं के अलावा ओवर एक्टिव थाइराॅयड , वेट लाॅस, ज्यादा भूख लगना, ज्यादा पसीना आना जैसे लक्षणों का भी कारण होता है। 7. प्रेगनेंसीfile photoअब कह रही हूं। हालांकि शायद यह पहले पाॅइंट पर बोलना चाहिए था। भइया! सबसे पहले तो यही जरूरी है। अगर आप सेक्सुअली एक्टिव हैं। और पीरियड हर बार की अपेक्षा लेट है, तो तत्काल ‘प्रेगनेंसी किट’ लाएं और चेक करें। क्या पता यह आपके जुनूनी हदों को पार करने का नतीजा निकले..!! पीरियड लेट होने पर कब मिलें अपने डाॅक्टर से?
Read iDiva for the latest in Bollywood, fashion looks, beauty and lifestyle news. पीरियड कितने दिनों तक लेट हो सकता है?अगर आपका साइकल 28 दिन का है और 29 या 30 दिन तक आपको पीरियड नहीं हुआ तो आप इसे लेट मान सकती हैं लेकिन इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं है। हां अगर 40 दिन से ऊपर हो जाएं यानी पिछले पीरियड के बाद 6 हफ्तों तक डेट ना आए तो इसे आप लेट पीरियड या पीरियड मिस होना मान सकती हैं।
पीरियड late हो गया है तो क्या करें?माहवारी न होने की समस्या से बचने के उपाय. सोने और जागने का समय तय करें. संतुलित खाना खाएं. पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं. अपनी डेली रूटीन को फॉलो करें. फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक्स से बचें. शराब और सिगरेट आदि का सेवन न करें. रोजाना हल्का-फुल्का व्यायाम करें. अपने वजन को फिट रखें. पीरियड लेट होने के क्या लक्षण होते हैं?यदि पीरियड्स 30 से 35 दिन तक न आएं तो समझिए ये किसी बीमारी का संकेत है. प्रेग्नेंसी के अलावा यदि पीरियड्स लेट हो जाते हैं तो इसके कई कारण हो सकते हैं. कई बार दवाईयों के अधिक सेवन से भी पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं. वहीं हार्मोनल इम्बैलेंस को भी इसका जिम्मेदार माना जा सकता है.
पीरियड की डेट आगे क्यों बढ़ जाती है?पीरियड्स में देरी उन्हीं प्रभावों में से एक है। दरअसल, जब आप ज्यादा स्ट्रेस लेती हैं तो इससे शरीर में इसको बैलेंस करने वाले हॉरमोन्स बढ़ जाते हैं और रिप्रोडक्टिव हॉरमोन्स डिस्टर्ब हो जाते हैं। अधिक वजन या वजन बेहद कम होना - मोटापा और दुबलापन, दोनों ही चीजें शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
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