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यह सोच कर बड़ा अजीब लगता हैं कि वह भारत जो अपने आप में एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा हैं उसमें आज भी एक ऐसी कुरीति जिन्दा हैं। एक ऐसी कुरीति जिसमें दो अपरिपक्व लोगो को जो आपस में बिलकुल अनजान हैं उन्हें जबरन ज़िन्दगी भर साथ रहने के एक बंधन में बांध दिया जाता हैं और वे दो अपरिपक्व बालक शायद पूरी ज़िन्दगी भर इस कुरीति से उनके ऊपर हुए अत्याचार से उभर नहीं पाते हैं और बाद में स्तिथियाँ बिलकुल खराब हो जाती हैं और नतीजे तलाक और मृत्यु तक पहुच जाते हैं। तो क्या यह प्रथा भारत में आदिकाल से ही थी? या इसे बाद में प्रचलन में लाया गया? और यदि बाद में लाया गया तो इसका क्या कारण था? यह प्रथा भारत में शुरू से नहीं थी। इसकी जानकारी हमें आर्यो के आने के बाद देखने को मिलती है। भारतीय बाल विवाह को लड़कियों को विदेशी शासकों से बलात्कार और अपहरण से बचाने के लिये एक हथियार के रूप में प्रयोग किया जाता था। बाल विवाह को शुरु करने का एक और कारण था कि बड़े बुजुर्गों को अपने पौतो को देखने की चाह अधिक होती थी इसलिये वो कम आयु में ही बच्चों की शादी कर देते थे जिससे कि मरने से पहले वो अपने पौत्रों के साथ कुछ समय बिता सकें। बालविवाह के दुस्परिणाम?' बालविवाह के केवल दुस्परिणाम ही होते हैं जिनमें सबसे घातक शिशु व माता की मृत्यु दर में वृद्धि | शारीरिक और मानसिक विकास पूर्ण नहीं हो पता हैं और वे अपनी जिम्मेदारियों का पूर्ण निर्वेहन नहीं कर पाते हैं और इनसे एच.आई.वि. जेसे यौन संक्रमित रोग होने का खतरा हमेशा बना रहता हैं। 'बालविवाह होने के कारण? भारत में बालविवाह होने के कई कारण हैं जैसे- 1. लड़की की शादी को माता-पिता द्वारा अपने ऊपर एक बोझ समझना | 2. शिक्षा का अभाव | 3. रूढ़िवादिता का होना | 4. अन्धविश्वास | 5. निम्न आर्थिक स्थिति | क्या बालविवाह को रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया? बालविवाह को रोकने के लिए इतिहास में कई लोग आगे आये जिनमें सबसे प्रमुख राजाराम मोहन राय, केशबचन्द्र सेन जिन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा एक बिल पास करवाया जिसे Special Marriage Act कहा जाता हैं इसके अंतर्गत शादी के लिए लडको की उम्र 18 वर्ष एवं लडकियों की उम्र 14 वर्ष निर्धारित की गयी एवं इसे प्रतिबंधित कर दिया गया। फिर भी सुधार न आने पर बाद में Child Marriage Restraint नामक बिल पास किया गया इसमें लडको की उम्र बढ़ाकर 21 वर्ष और लडकियों की उम्र बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी गयी। स्वतंत्र भारत में भी सरकार द्वारा भी इसे रोकने के कही प्रयत्न किये गए और कही क़ानून बनाये गए जिस से कुछ हद तक इनमे सुधार आया परन्तु ये पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुआ। सरकार द्वारा कुछ क़ानून बनाये गए हैं जैसे बाल-विवाह निषेध अधिनियम 2006 जो अस्तित्व में हैं। ये अधिनियम बाल विवाह को आंशिक रूप से सीमित करने के स्थान पर इसे सख्ती से प्रतिबंधित करता है। इस कानून के अन्तर्गत, बच्चे अपनी इच्छा से वयस्क होने के दो साल के अन्दर अपने बाल विवाह को अवैध घोषित कर सकते है। किन्तु ये कानून मुस्लिमों पर लागू नहीं होता जो इस कानून की सबसे बड़ी कमी है। बाल विवाह को रोकने हेतु उपाय? बालविवाह रोकने हेतु कुछ उपाय हो सकते हैं जैसे- 1. समाज में जागरूकता फैलाना | 2. मीडिया इसे रोकने में प्रमुख भागीदारी निभा सकती हैं। 3. शिक्षा का प्रसार | 4. ग़रीबी का उन्मूलन | 5. जहाँ मीडिया का प्रसार ना हो सके वह नुक्कड़ नाटको का आयोजन करना चाहिए। # बाल विवाह प्रथा अधिनियम = शारदा एक्ट 1929 में 1 अप्रैल 1930 को बाल विवाह प्रथा को पहली बार समाप्त किया गया था जिसमें लड़के की उम्र 18 वर्ष और लड़की की उम्र 14 वर्ष रखी गई थी लेकिन संसोधन 1978 एक्ट में लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 वर्ष कर दी गई। #वर्तमान समय में लड़के और लड़कियों की विवाह के लिए 21 वर्ष उम्र तय की गई है। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
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बाल विवाह क्या है, इसे कैसे रोके व इसके प्रभाव, कविता (How to stop Child Marriage or Bal Vivah Law Information, effects, history, Poem in Hindi) हमारे भारत देश के अलावा विश्व के कई देशों में प्राचीन समय से कुछ ऐसी प्रथाएं चली आ रही हैं, जिसका लोगों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है खास कर लड़कियों पर. जिन पर यह अन्याय होता है और जिसके कारण उन्हें कई बार उनकी मृत्यु का सामना भी करना पड़ जाता है और कुछ की तो मृत्यु हो भी जाती है. इस लेख में आज हम ऐसी ही एक प्रथा के बारे में बात करने जा रहे हैं, जोकि सदियों से चली आ रही है. यह प्रथा हैं बाल विवाह. यह क्या है, इसके कारण, इसका प्रभाव एवं इसे कैसे रोका जा सकता हैं ये सभी जानकारी नीचे कुछ बिन्दुओं के आधार पर दर्शायी गई है.
बाल विवाह क्या है ? (What is Child Marriage ?)कानून के अनुसार किसी भी बच्चे की निश्चित आयु से पहले यानि बच्चों के नाबालिग उम्र में उनकी शादी करना बाल विवाह होता है. यह एक रुढ़िवादी प्रथा है, जिसे बाल विवाह नाम दिया गया है. यह बच्चों के मानवाधिकारों को ख़त्म कर देता है. जिसमें उनके बचपन को उनसे छीन कर उन्हें ऐसे बंधन में बढ़ दिया जाता है, जिसके बारे में उन्हें बिलकुल भी ज्ञान नहीं होता है. उन्हें यह तक नहीं पता होता है, कि उनके साथ क्या हो रहा है. इस प्रथा का शिकार अधिकतर कम उम्र की लड़कियां होती हैं. क्योंकि इसमें न सिर्फ कम उम्र की लड़की का विवाह कम उम्र के लड़के से कराया जाता है, बल्कि कम उम्र की लड़की का विवाह उनसे बहुत अधिक उम्र के बड़े लड़के से भी करा दिया जाता है. इससे उनके पूरे जीवन पर शारीरिक एवं मानसिक रूप से गंभीर दुष्प्रभाव पड़ता है. इतिहास (History)ऐतिहासिक रूप से बाल विवाह दुनिया भर में आम बात है. इस प्रथा का इतिहास कई सदियों पुराना है. कुछ लोगों का कहना हैं कि यह वैदिक काल से चली आ रही प्रथा हैं, तो कुछ का कहना हैं कि यह मध्यकाल से चल रही है. कुछ लोगों का कहना हैं कि जब विदेशी शासक भारत आये थे, तब वे धीरे – धीरे भारत पर राज करने लगे थे, उस समय अपने बेटियों की रक्षा के लिए उनका बाल विवाह कर दिया जाता था. दरअसल वे लोग उन विदेशी शासकों यानी अंग्रेजों से अपनी लड़कियों की यौन शोषण जैसे अत्याचारों से बचाने के लिए उनका कम उम्र में ही विवाह कर देते थे. ताकि वे यह अंग्रेजों के खिलाफ हथियार के रूप में उपयोग कर सकें. इसके अलावा कुछ इतिहासकारों का यह कहना है, कि इस बुराई को दिल्ली सल्तनत के समय से भी लागू किया गया है. अतः यह प्राचीन समय से चली आ रही प्रथा है, जिसे कई पीढ़ियों द्वारा आगे बढ़ाया जाता गया, और जिसके कारण यह अब भी कई स्थानों पर लागू हैं. कारण (Causes)बाल विवाह के सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक रूप में कई कारण हैं. यहाँ हम आपके सामने बाल विवाह के कुछ प्रमुख कारणों के बारे में दर्शाने जा रहे हैं.
ये सभी बाल विवाह के कुछ मुख्य कारण हैं जिसका परिणाम बहुत ही घातक हो सकता है. प्रभाव (Effects)यह एक ऐसी प्रथा हैं, जिसका प्रभाव नाकारात्मक ही होता है. इसके दुष्प्रभाव निम्न हैं –
बाल विवाह को कैसे रोका जा सकता है ? (How to Stop Child Marriage?)लोगों को इसके प्रति जागरूक करने एवं उन्हें ऐसी प्रथाओं का त्याग करने के लिए कई प्रयास किये गए हैं. और आज भी किये जा रहे हैं कुछ प्रयासों के बारे में जानकारी हम यहाँ प्रदर्शित कर रहे हैं –
इस तरह के प्रयासों के चलते बाल विवाह को रोकना बहुत आसान हो गया है. आज के समय में बाल विवाह पहले की तुलना में काफी कम हो गए हैं. बाल विवाह के लिए बनाये गए कानून की जानकारी (Basic Law Information for Child Marriage)बाल विवाह को रोकने के लिए अलग – अलग देशों में अलग – अलग कानून बनाये गये हैं. हम यहाँ भारत में बाल विवाह के लिए बनाये गये कानून के बारे में बात करने जा रहे हैं जोकि इस प्रकार है – बाल विवाह अधिनियम 1929 :-बाल विवाह के खिलाफ सबसे पहले सन 1929 में कानून बनाया गया था. जिसे सन 1930 में अप्रैल माह की पहली तारीख को पूरे देश में लागू किया गया था. इस कानून का लक्ष्य लड़कियों पर इसके कारण होने वाले दुष्प्रभावों को समाप्त करना था. इस कानून में निम्न नियम लागू किये गये थे –
हालाँकि इस कानून के लागू होने के बाद इसमें कई बार संशोधन भी किया गया था. बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 :-बाल विवाह के लिए बनाये गये कानून की कुछ कमियों को दूर करने के लिए भारत सरकार ने 2006 में बाल विवाह निषेध अधिनियम बनाया था, जिसे 1 नवंबर सन 2007 को लागू किया गया था. इस अधिनियम के अनुसार बाल विवाह को न सिर्फ रोकना था, बल्कि इसे पूरी तरह से खत्म करना था. पिछले अधिनियम में बाल विवाह के खिलाफ कार्यवाही करना कठिन और समय लेता था, साथ ही इसे पूर्ण रूप से लागू नहीं किया गया था. इसलिए सन 2006 के अधिनियम के अनुसार इसमें आयु सीमा में कोई बदलाव नहीं किया, किन्तु इसमें बच्चों की सुरक्षा को लेकर कुछ बदलाव किये गये थे. जोकि इस प्रकार हैं –
हालाँकि इस कानून के लागू होने के बाद मुस्लिम संगठनों ने इसे मानने से इंकार कर दिया था. किन्तु इसके बाद भी यह कानून पूरे देश में लागू है. विवाह समाज का ऐसा भाग हैं जिसके बिना समाज कुछ नहीं है अर्थात विवाह समाज की एक ऐसी परम्परा हैं जोकि सभी लड़के एवं लड़कियों के जीवन में अहम भूमिका निभाती हैं. किन्तु विवाह अगर सही उम्र में किया जाये तो बेहतर होता हैं, यदि उम्र से पहले कर दिया जाये, तो यह एक अभिश्राप भी बन सकता है. अतः बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने एवं इस प्रथा को ख़त्म करने के प्रयासों के चलते आज के समय में इसमें काफी कमी भी आई हैं. उम्मीद है कि आने वाले समय में यह पूरी तरह से ख़त्म हो जायेगा. हिंदी कविता बाल विवाह (Child Marriage Kavita or Poem)कैसा अजब ये नियम बना दिया जिन्हें जीवन क्या हैं मालूम नहीं अच्छा बुरा मालूम नहीं ऐसे नाज़ुक कन्धों पर जैसे दो खुले परिंदों को छोटी सी उम्र के भोले भाले भाव पति पत्नी क्या हैं कोई पूछो इनसे एक जश्न की
तरह जो ये मना गये रिवाजो के नाम पर इन्हें यूँ ना बाँधों बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाना जरुरी हैं जिस तरह कन्या भ्रूणहत्या, दहेज़ प्रथा एक अपराध हैं, वैसे ही बाल विवाह भी एक जघन्य अपराध हैं, जिसमे मासूमों का बालपन खत्म होता हैं उनकी नींव कमजोर होती हैं. अन्य पढ़े :
बाल विवाह के दुष्परिणाम क्या है?बाल विवाह का सीधा असर न केवल लड़कियों पर, बल्कि उनके परिवार और समुदाय पर भी होता हैं। जिस लड़की की शादी कम उम्र में हो जाती है, उसके स्कूल से निकल जाने की संभावना बढ़ जाती है तथा उसके कमाने और समुदाय में योगदान देने की क्षमता कम हो जाती है। उसे घरेलू हिंसा तथा एचआईवी / एड्स का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है।
बाल विवाह का क्या दोष है?जनसंख्या में वृद्धि बाल-विवाह के फलस्वरुप जनसंख्या वृद्धि दर तेज हो जाती है। बाल विवाह हो जाने से माता-पिता जल्दी जल्दी सन्तान उत्पन्न करने लगते या तव व सन्तान से जाती है। बेरोजगारी भारत में बेरोजगारी की समस्या अधिक हैं।
बाल विवाह को रोकने के लिए क्या करना चाहिए?बाल विवाह संबंधी सूचना टोल फ्री नंबर 1098, 100 डायल एवं महिला हेल्पलाइन 1090 तथा जिला कार्यालय के कंट्रोल रूम के दूरभाष नंबर 07482-222784 पर दी जा सकती है। इसके साथ ही ग्राम स्तरों पर आंगनबाड़ी केन्द्र, ग्राम पंचायत भवन एवं पुलिस को भी सूचना दे सकते हैं।
बाल विवाह होने के क्या कारण है?बाल विवाह का एक बड़ा कारण वर मूल्य अथवा दहेज प्रथा है । इससे अनेक लोग वर मिल जाने से छोटी आयु में ही शीघ्र से शीघ्र कन्या का विवाह कर देना अच्छा समझते हैं । (V) संयुक्त परिवार: संयुक्त परिवार में विवाह हो जाने पर भी लड़कों पर अपनी पत्नी और बच्चों का कोई उत्तरदायित्व नहीं होता था ।
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