क्या CT Scan खाली पेट होता है - kya cht schan khaalee pet hota hai

एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने दावा किया है कि बार-बार सीटी स्कैन से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. शुरुआती लक्षणों पर सीटी स्कैन कराने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक सीटी स्कैन 300 एक्स-रे के बराबार होता है. कई रिसर्स में यह साबित हो चुका है कि सीटी स्कैन से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसे में कोरोना के शुरुआती लक्षणों पर सीटी स्कैन करवाने की कोई जरूरत नहीं है, डॉक्टरों की सलाह पर ही सीटी स्कैन करवाना चाहिए. देखें वीडियो.

AIIMS director Dr Randeep Guleria said that unnecessary CT scans should be avoided in all mild Covid-19 cases. He further said that one CT scan is equivalent to 300-400 chest X-rays and this increases the risk of having cancer in later life. He added that overuse of CT scans increases exposure to radiation, which is very harmful to the human body. Watch this video.

एब्डोमन या पेट का सीटी स्कैन एक इमेजिंग टेस्ट है, जिसमें एक्स-रे तरंगों व कंप्यूटर की मदद से पेट के अंदर की संरचनाओं (जैसे रक्त वाहिका, मांसपेशियों और वसा) का सीटी स्कैन किया जाता है। इस टेस्ट के माध्यम से एब्डोमन में असामान्यताओं के बारे में पता किया जा सकता है। स्कैन के दौरान, शरीर के चारों तरफ कई एक्स-रे बीम घूमते हैं।

स्कैन के दौरान, कई एक्स-रे बीम आपके शरीर के चारों ओर घूमते हैं। जब सीटी स्कैन प्रक्रिया चल रही होती है तो पूरे शरीर में अवशोषित रेडिएशन को मापा जाता है। इस दौरान कंप्यूटर स्कैन किए गए हिस्से की 2डी छवियां तैयार करता है।

सीटी स्कैन के माध्यम से आंतरिक अंगों और ऊतकों की विस्तृत छवियां तैयार की जा सकती हैं। हालांकि, जिन मामलों में और अधिक विस्तृत छवियों को देखने की जरूरत होती है, उनमें रोगी के शरीर में कंट्रास्ट डाई को इंजेक्ट किया जाता है। डाई का प्रयोग करने से सीटी स्कैन फिल्म पर विशिष्ट ऊतक या अंग गहरे हिस्से में दिखाई देते हैं, जिससे डॉक्टर या तकनीशियन के लिए उन्हें अलग से नोटिस करना आसान हो जाता है।

वक्त रहते कैंसर की पहचान हो जाए तो इलाज मुश्किल नहीं। किंतु जांच में जरा सी चूक मरीजों के लिए जानलेवा बन जाती है। अब पेट स्कैन-पोजीशन इमीशन ट्रामोग्राफी से कैंसर कोशिकाओं की फौरन सटीक जानकारी मिलेगी। यह शरीर में छिपे सूक्ष्मतम कैंसर कोशिकाओं की भी पहचान कर लेगा। इससे तमाम प्रकार के कैंसर को पहली स्टेज में ही ठीक किया जा सकेगा। मुंबई एवं दिल्ली के साथ यह हाइटेक जांच मेरठ में भी उपलब्ध है।

सौ फीसदी सटीक जांच

कैंसर मरीजों की जांच अब तक एमआरआइ एवं सीटी स्कैन की इमेज के आधार पर जांच की जाती है, किंतु कोशिकाओं की वास्तविक स्थिति का सटीक पता नहीं लग पाता है। जबकि पेट स्कैन सूक्ष्म बीमार कोशिकाओं तक का पता लगा लेती है। इसमें मरीज को एक विशेष ग्लूकोज के साथ रेडियोआइसोटोप का इंजेक्शन दिया जाता है। यह दवा सिर्फ कैंसर कोशिकाओं में ही पहुंचती है। इन कोशिकाओं से पाजीट्रान निकलते हैं, जिससे रेडियोएक्टिव आइसोटोप पकड़ लेता है। यही कैंसरग्रस्त कोशिकाएं होती हैं, जिनकी इमेज पूरी तरह साफ हो जाती है। पता चल जाता है कि कैंसर वाली कोशिकाएं किस अंग से सिग्नल दे रही हैं। ये कोशिकाएं ज्यादा ग्लूकोज लेती हैं, ऐसे में पकड़ में आती हैं।

वेस्ट यूपी में बढ़े कैंसर के मामले

गंगेटिक बेल्ट में पित्त की थैली में पथरी एवं कैंसर की घटनाएं ज्यादा हैं। तंबाकू सेवन की वजह से मुंह से लेकर आंत तक के बीच करीब दर्जनभर तरह के कैंसर बन रहे हैं। वेस्ट में धूम्रपान करने की तादात काफी ज्यादा है, जिसमें कैडमियम, निकोटीन समेत 40 प्रकार के कैंसरकारक रसायन पहुंच रहे हैं। खेतीबाड़ी में दर्जनों प्रकार के कीटनाशक भी कैंसर के बड़े कारण हैं। भारी वायु प्रदूषण से सांस की नली एवं फेफड़ों के कैंसर में बड़ा इजाफा हुआ है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

पेट स्कैन से कैंसर के इलाज में बड़ी उम्मीद जगी है। जांच से पहले मरीज को फ्लोरोडॉक्सी ग्लूकोज के साथ रेडियोआइसोटोप दिया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं की शिनाख्त कर लेती हैं। इससे कैंसर का इलाज बेहद आसान हो जाएगा।

सीटी स्कैन (CT Scan) में किसी प्रकार का कोई दर्द नहीं होता। अब नई तकनीक के माध्यम से यह कुछ ही मिनट में पूरा हो जाता है। सीटी स्कैन की पूरी प्रक्रिया 30 मिनट में पूरी हो जाती है।

इस प्रक्रिया के दौरान आपको हॉस्पिटल गाउन पहनने और किसी भी प्रकार की ज्वैलरी उतारने के लिए कहा जा सकता है। ज्वैलरी या किसी धातु की वजह से सीटी स्कैन (CT Scan) के नतीजे प्रभावित हो सकते हैं।

इसके बाद डॉक्टर आपको पीठ के बल लेटने को कहते हैं। एक स्लाइड्र के माध्यम से आपका शरीर स्कैन (Scan) के अंदर जाता है। इसके बाद डॉक्टर कंट्रोल रूप से स्कैनिंग देखते हैं।

स्कैनिंग के दौरान स्लाइडर कुछ ऊपर की उठता है। इसके बाद एक्स-रे (X-ray) मशीन आपको शरीर के आसपास घूमती है। हर रोटेशन में एक्स-रे (X-ray) मशीन दर्जनों इमेज तैयार कर लेती है। इस दौरान मशीन के काम करने की आवाज साफ सुनाई देती है। स्कैनिंग के दौरान स्लाइडर कई बार एडजस्ट होता है। कई बार इसमें कुछ ज्यादा समय लग सकता है।

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स्कैनिंग के दौरान मरीज को हमेशा बिना हिले लेटे रहना चाहिए। हिलने-डुलने पर स्कैनर में धुंधली तस्वीरें आती हैं, जो किसी काम की नहीं होतीं। कई बार डॉक्टर आपको सांस रोके रहने के लिए भी कह सकता है, जिससे सीने का हिलना-डुलना ना हो। बच्चों के मामले में डॉक्टर दवाई देकर कुछ देर के लिए उन्हें शांत कर देते हैं।

हाल ही में मुंबई के नायर अस्पताल में MRI रूम में गलती से ऑक्सिजन सिलेंडर ले जाने की वजह से एक युवक की मौत हो गई थी। इस तरह के हादसे आपके साथ न हों, इसके लिए जानें, कि एमआरआई, सीटी स्कैन और एक्स-रे कराते वक्त किन बातों का ध्यान मरीज और उनके साथ आए अटेंडेंट्स को रखना चाहिए...

MRI
MRI स्कैन वाले दिन आप खाना और पानी ले सकते हैं और जरूरी दवाएं भी। कुछ मामलों में स्कैन से 4 घंटे पहले तक ही खाने को कहा जाता है। इसके लिए आप अपने डॉक्टर से सलाह लें। एमआरआई कराने के लिए मेकअप करके बिलकुल ना जाएं क्योंकि उसमें किसी मेटल का पाउडर हो सकता है। जिस व्यक्ति की MRI करानी हो, उसका पिछला तमाम मेडिकल रेकॉर्ड साथ ले जाएं। वैसे तो मेडिकल स्टाफ आपसे यह जरूर पूछेगा कि आपके पास कोई मेटल की चीजें तो नहीं हैं। अगर न भी पूछे तो आपको पता होना चाहिए कि जांच के लिए आपको किस तरह जाना है।

- मेटल से बनी कोई भी वस्तु- घड़ी, जूलरी, यहां तक कि मंगलसूत्र भी उतारकर जांच के लिए जाएं।
- मेटल के बने हुए नकली दांत और विग भी उतार देना चाहिए, क्योंकि इनमें भी धातु के कुछ टुकड़े होते हैं।
- सुनने की मशीन, हेयर पिन भी निकाल दें।
- ब्रा में भी मेटल वायर का उपयोग होता है, उसे भी न पहनें।
- चश्मा, बेल्ट, पर्स, सिक्के, जूते, चप्पल

(नोट: मेटल की चीजों के प्रति सतर्कता मरीज और उसके साथ जा रहे व्यक्ति दोनों को बरतनी चाहिए।)

क्या CT Scan खाली पेट होता है - kya cht schan khaalee pet hota hai

सीटी स्कैन
सीटी स्कैन करने वाले रेडियॉलजिस्ट या फिर डॉक्टर को आपकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री पता होनी चाहिए।
- जांच अगर सुबह 8-9 बजे के बीच होनी है तो रात में 12 बजे के बाद कुछ न खाएं।
- सूती कपड़ा पहनना बेहतर है।
- अगर डायबीटीज के मरीज हैं तो शुगर 100 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
- कपड़े जरूर मेटल फ्री हों।

एक्स-रे
एक्स-रे करवाने के दौरान रेडिएशन से बचने के लिए मेटल साथ में ले जाने से मना किया जाता है। खासकर उस अंग के आसपास तो कोई भी मेटल की चीज नहीं होनी चाहिए, जिसका एक्स-रे होना है।
- गर्भवती महिलाओं को एक्स-रे जांच के लिए मना किया जाता है।
- अगर स्टमक वाले किसी हिस्से का एक्स-रे होना है तो जांच के लिए खाली पेट जाएं।

क्या CT Scan खाली पेट होता है - kya cht schan khaalee pet hota hai

अस्पताल प्रशासन लगाए साइन बोर्ड्स
इमरजेंसी के दौरान कई बार ऐसा होता है कि मरीज और उसके परिजन जिस हालत में होते हैं, वैसे ही अस्पताल पहुंच जाते हैं। ऐसे में मरीज अपनी परेशानियों के चलते और परिजन इस तनाव में इन बातों का ध्यान नहीं रख पाते कि उन्हें MRI, सीटी स्कैन और एक्स-रे रूम में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। ऐसे में अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी बन जाती है कि उसके पास जो पैरामेडिकल स्टाफ है, वह सतर्क होने के साथ ही अच्छी तरह से प्रशिक्षित भी हो। नई मशीनों को लेकर स्टाफ को अपडेट करना भी अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी है। इसके अलावा अस्पताल प्रशासन को चाहिए कि वह जांच कक्ष के बाहर स्पष्ट और बड़े-बड़े अक्षरों में लिखे कि जांच के लिए मरीज को किस तरह अंदर ले जाया जाए और उसके सहयोगी क्या-क्या सावधानी रखें।

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पेट का सीटी स्कैन खाली पेट होता है क्या?

अगर पेट वाले किसी हिस्से का एक्स-रे होना है, तो इसके जांच के लिए खाली पेट ही जाना चाहिए।

पेट का सीटी स्कैन कितने पैसे में होता है?

16 स्लाइड तक के लिए 2000 का रेट तय किए गए शुक्रवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद की ओर से जारी किए गए आदेश में तय किए सिटी स्कैन के रेट के अनुसार, 16 स्लाइड तक के सिटी स्कैन के लिए 2000 रुपये, वहीं 16 से 64 स्लाइड वाले सिटी स्कैन के लिए 2250 रुपये वसूले जाएंगे।

सीटी स्कैन और एमआरआई में क्या अंतर है?

जैसे कि सबसे बड़ा अंतर यह है कि एमआरआई (Magnetic resonance imaging Or MRI) रेडियो तरंगों का उपयोग करते हैं और सीटी (Computed Tomography Scan) स्कैन है जिसमें, एक्स-रे का उपयोग करते हैं।