आजकल मोतियाबिंद एक आम समस्या है, जिसके कारण कई लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वैसे तो मोतियाबिंद के कई कारण होते हैं लेकिन इसमें कुछ अहम कारण आंखों में लंबे समय तक सूजन बने रहना, जन्मजात सूजन होना, आंख की संरचना में कोई कमी होना, आंख में चोट लग जाना जैसे होते हैं। एक साथ में दोनों आंखों में मोतियाबिंद हो सकता है और एक साथ ये दोनों ही आंखों से खत्म हो सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, मोतियाबिंद आपको अचानक से कभी नहीं दिखाई दे सकता न ही आपको इसके लक्षण नजर आ सकते हैं। बल्कि ये धीरे-धीरे आपकी आंखों को अपना शिकार बनाता है। आपको काफी समय के बाद ही इसके लक्षण नजर आ सकते हैं। अक्सर लोग सोचा करते हैं कि मोतियाबिंद से छुटकारा पाने के लिए सर्जरी या ऑपरेशन की जरूरत होती है, जबकि ऐसा नहीं है। मोतियाबिंद के लिए आयुर्वेद में बिना ऑपरेशन के इलाज मौजूद है। इस पर हमने बात की डॉ. अनार सिंह आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष , शल्य तंत्र की डॉक्टर राखी मेहरा से। जिन्होंने बताया कि आयुर्वेद में किस प्रकार मोतियाबिंद का इलाज मौजूद है। Show
डॉक्टर राखी मेहरा बताती हैं कि मोतियाबिंद इतनी गंभीर बीमारी नहीं जिसके लिए किसी को भी इलाज से घबराना चाहिए, बल्कि इसके लक्षण देखने के साथ ही आपको तुरंत इससे संबंधित जांच करानी चाहिए और डॉक्टर के कहे अनुसार इलाज कराना चाहिए। डॉक्टर राखी मेहरा बताती हैं कि आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों की मदद से आईड्रॉप और कुछ हर्ब्ल दवाएं तैयार की गई हैं जिसकी मदद से आसानी से मोतियाबिंद का इलाज किया जा सकता है। राखी मेहरा ने बताया कि आयुर्वेद में वात, पित और कफ को देखते हुए दवाई तैयार की गई है। मोतियाबिंद के लिए आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment For Cataract In Hindi)त्रिफलाडॉक्टर राखी मेहरा ने बताया कि मोतियाबिंद के लिए महा त्रिफला घृत को सबसे ज्यादा फायदेमंद और असरदार माना गया है जो आसानी से मोतियाबिंद की समस्या को कम करने का काम करता है। आपको बता दें कि त्रिफला आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है और कई तरह की आंखों से संबंधित समस्याओं को दूर करता है। इतना ही नहीं त्रिफला में मौजूद खास पोषक तत्व आपकी आंखों के लिए अच्छे माने जाते हैं जो नसों और ऊतकों को मजबूत करने का काम करते है। आयुर्वेद के मुताबिक, ये आपके उत्तेजित वात को संतुलित करने का काम करता है। चंद्रोदय व्रतीचंद्रोदय व्रती आयुर्वेद में मोतियाबिंद के इलाज के लिए असरदार मानी जाती है, इसे आंखों में आसानी से लगाया जा सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक इसमें हल्का चिड़चिड़ा स्वभाव होता है, यह आँखों में लैक्रिमेशन का कारण बनता है और रक्त संचार को बढ़ावा देता है। ये आपके शरीर में अच्छी तरह से खून के प्रवाह को बढ़ाता है, जिन लोगों के ब्लड सर्कुलेशन में समस्या होती है उन लोगों को चंद्रोदय व्रती के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। पुर्ननवा की जड़पुर्ननवा की जड़ आपकी आंखों को मोतियाबिंद से दूर रख सकती है साथ ही जिन लोगों को मोतियाबिंद का खतरा रहता है उन लोगों के लिए पुर्ननवा की जड़ें काफी अच्छी होती है। इसकी जड़ों को अच्छी तरह से सूखाकर पीस लें और एक पाउडर का रूप दें। इसके साथ ही आपको सांभर के सींग का चूर्ण बनाकर रखना होगा। इन दोनों ही पाउडर को मिलाकर आप इसका सूरमा बना लें और इसे रोजाना सुबह-शाम अपनी आंखों पर लगाएं। इसकी मदद से आपका मोतियाबिंद खत्म हो सकता है। इसे भी पढ़ें: जानें नजर की कमजोरी दूर करने और मोतियाबिंद से बचने में कैसे फायदेमंद है अरंडी का तेल चौलाई के पत्तों का रसडॉक्टर राखी मेहरा बताती हैं कि चौलाई के पत्तों का रस भी आपको मोतियाबिंद से बाहर निकालने के लिए काफी असरदार होता है, आप रोजाना चौलाई के पत्तों का रस निकालकर पिएं। ऐसा करने से आपको 2 से 3 महीनों में ही मोतियाबिंद खत्म होता दिखेगा और आपको अपनी आंखों की रोशनी वापस आती दिखेगी। चंदन का पाउडरचंदन को हर कोई जानता है इसके कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, ऐसे ही चंदन के पाउडर की मदद से आंखों को स्वस्थ रखा जा सकता है। अब आप सभी का सवाल होगा कि चंदन से कैसे मोतियाबिंद ठीक हो सकता है, तो इसके लिए डॉक्टर राखी बताती हैं कि चंदन में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो आपकी आंखों को स्वस्थ रख सकते हैं। आप रोजाना चंदन को पानी के साथ घीसकर अपनी आंखों पर लगाएं इससे आप मोतियाबिंद से जल्द बाहर निकल सकते हैं। प्याज, भीमसेनी कपूर और शहदप्याज, भीमसेनी कपूर और शहद की मदद से आप अपनी आंखों के धुंधलेपन को वापस लाने के साथ ही मोतियाबिंद की समस्या को कम कर सकते हैं। जी हां, प्याज, भीमसेनी कपूर और शहद को आप एक साथ पीस लें और फिर इसे सूरमा बनाकर रोजाना अपनी आंखों पर लगाएं। इससे आपको कुछ ही दिनों में अपनी आंखों पर असर देखने को मिल सकता है। गिलोय और त्रिफलागिलोय आपके स्वास्थ्य के लिए कितना अच्छा है ये तो आप सभी जानते हैं, गिलोय आपको कई गंभीर बीमारियों से दूर रखने का काम करता है। इतना ही नहीं ये आपको मोतियाबिंद जैसी समस्याओं से भी दूर रख सकता है। ऐसे ही त्रिफला और गिलोय की मदद से आप आसानी से मोतियाबिंद को दूर कर सकते हैं। इसके लिए आप गिलोय और त्रिफला को अच्छी तरह से पीसकर एक पाउडर बना लें। अब आप इसे रोजाना पानी के साथ पिएं, इससे आप जल्द ही अपनी आंखों को स्वस्थ होता देखेंगे। इसे भी पढ़ें: मोतियाबिंद के लिए नहीं कराने होंगे कई टेस्ट, इस जांच से शुरुआत में ही पता चल जाएगा जरूरी बातेंएक्सपर्ट और डॉक्टर राखी मेहरा के मुताबिक, इन सभी तरीकों को तब आगे बढ़ाया जाता है जब डॉक्टर आपका निदान कर लें। इसका मतलब ये कि आपको किसी भी इलाज या उसकी शुरुआत करने से पहले अपनी आंखों की सही जांच करानी बहुत जरूरी है। क्योंकि इसकी मदद से डॉक्टर को मरीज के मोतियाबिंद की सही स्थिति के बारे में पता चल जाता है जिससे वो उसके लिए सही इलाज के विकल्प की सलाह देता है। इतना ही नहीं इसके साथ जरूरी है कि आप किसी भी तरीके ये इलाज के विकल्प को खुद से अपनाने की कोशिश न करें, जब तक आपको डॉक्टर किसी भी प्रकार की सलाह न दें। डॉक्टर मेहरा बताती हैं कि आयुर्वेद में मौजूद सभी तरीकों के इलाज बिना नुकसान पहुंचाए होते हैं लेकिन जरूरी है कि आप किसी डॉक्टर से इसकी सलाह लें। साथ ही एक्सपर्ट के मुताबिक, आयुर्वेद में मोतियाबिंद के लिए खाने से लेकर आईडॉप्स तक की दवाएं उपलब्ध है जिसकी मदद से आसानी से मोतियाबिंद को दूर किया जा सकता है। इसे अलावा जिन लोगों को ये लगता है कि मोतियाबिंद का इलाज सिर्फ ऑपरेशन और सर्जरी से किया जा सकता है उन लोगों ये जानकारी होनी चाहिए कि मोतियाबिंद का इलाज आयुर्वेद में बिना ऑपरेशन के किया जाता है। (इस लेख में दी गई सभी जानकारी डॉ. अनार सिंह आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष , शल्य तंत्र की डॉक्टर राखी मेहरा से)। मोतियाबिंद बिना ऑपरेशन के ठीक हो सकता है क्या?बिना सर्जरी के मोतियाबिंद का इलाज संभव नहीं है। इस बीमारी का एकमात्र इलाज सर्जरी है। अगर आप खुद में मोतियाबिंद के लक्षणों को देखते हैं या इस बीमारी से पीड़ित हैं तो जल्द से जल्द एक विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलकर मोतियाबिंद का विस्तृत जाँच और इलाज कराना चाहिए।
मोतियाबिंद का सफल इलाज क्या है?मोतियाबिंद के इलाज के लिए ऑपरेशन ही एकमात्र विकल्प है। इस ऑपरेशन में डॉक्टर द्वारा अपारदर्शी लेंस को हटाकर मरीज़ की आँख में प्राकृतिक लेंस के स्थान पर नया कृत्रिम लेंस आरोपित किया जाता है, कृत्रिम लेंसों को इंट्रा ऑक्युलर लेंस कहते हैं, उसे उसी स्थान पर लगा दिया जाता है, जहां आपका प्रकृतिक लेंस लगा होता है।
मोतियाबिंद के लिए सबसे अच्छी दवा कौन सी है?कैल्केरिया फ्लोरिका को सामान्य तौर पर फ्लोराइड ऑफ लाइम के नाम से भी जाना जाता है। यह दवा मोतियाबिंद कि समस्या को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से ठीक करती है।
मोतियाबिंद किसकी कमी से होता है?जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है, आपकी आंखों के लेंस की लचक, मोटाई और पारदर्शिता कम होती जाती है । 60 वर्ष से अधिक की उम्र वाले लोगों को मोतियाबिंद होने की संभावना ज्यादा रहती है। लेंस अथवा रेटिना में लगी चोट भी मोतियाबिंद का कारण बन सकती है। कुछ लोगों को अन्य आनुवांशिक बीमारियों के कारण भी मोतियाबिंद होता है।
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