निम्न में से कौन सा विकास का सिद्धांत नहीं है - nimn mein se kaun sa vikaas ka siddhaant nahin hai

अनुकूलित प्रत्यावर्तन का सिद्धान्त पावलोव द्वारा पेश किया गया था।यह एक प्रतिवर्ती या स्वचालित प्रकार कीअधिगम है जिसमें एक उत्तेजना एक प्रतिक्रिया को उद्घटित करने की क्षमता प्राप्त कर लेती है जो मूल रूप से एक और उत्तेजना द्वारा विकसित की गई हो।

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SOLUTION

विकास के मुख्य सिद्धांत निम्नलिखित हैं।
• विकास एक क्रम का अनुसरण करता है
• विकास में परिवर्तन शामिल है
• विकास सामान्य से विशिष्ट तक बढ़ता है
• विकास सहसंबद्ध या एकीकृत है
• विकास एक सतत प्रक्रिया है
• व्यक्तित्व का विकास
• विकास अनुमानित है
सटीक पाठ्यक्रम और विकास की प्रकृति का निर्धारण जन्म के समय ही किया जाता है, यह विकास का सिद्धांत नहीं है।

प्रश्न: ‘‘यदि वर्षावन और उष्णकटिबंधीय वन पृथ्वी के फेफड़े हैं, तो निश्चित ही आर्द्रभूमियाँ इसके गुर्दों की तरह काम करती हैं।’’ निम्नलिखित में से आर्द्रभूमियों का कौन-सा एक कार्य उपर्युक्त कथन को सर्वोत्तम रूप से प्रतिबिंबित करता है? (2022)

(a) आर्द्रभूमियों के जल चक्र में सतही अपवाह, अवमृदा अंत:स्रवण और वाष्पन शामिल होते हैं।
(b) शैवालों से वह पोषक आधार बनता है, जिस पर मत्स्य, परुषकवची (क्रश्टेशिआई), मृदुकवची (मोलस्क), पक्षी, सरीसृप और स्तनधारी फलते-फूलते हैं।
(c) आर्द्रभूमियाँ अवसाद संतुलन और मृदा स्थिरीकरण बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
(d) जलीय पादप भारी धातुओं और पोषकों के आधिक्य को अवशोषित कर लेते हैं।

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • आर्द्रभूमि महत्त्वपूर्ण निस्यंदक (Filter) हैं। ये अवसाद को ट्रैप करती हैं, प्रदूषकों को हटाती हैं और जल को शुद्ध करती हैं। आर्द्रभूमियाँ अपरदन को भी नियंत्रित करती हैं। इस प्रकार आर्द्रभूमि अवसाद संतुलन एवं मृदा स्थिरीकरण को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

अतः विकल्प (c) सही है।


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. रामसर कन्वेंशन के तहत भारत सरकार की ओर से भारत के क्षेत्र में सभी आर्द्रभूमियों की रक्षा और संरक्षण करना अनिवार्य है।
  2. आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2010 भारत सरकार द्वारा रामसर कन्वेंशन की सिफारिशों के आधार पर तैयार किये गए थे।
  3. आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2010 में प्राधिकरण द्वारा निर्धारित आर्द्रभूमि के जल निकासी क्षेत्र या जलग्रहण क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न. आर्द्रभूमि क्या है? आर्द्रभूमि संरक्षण के 'बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग' की रामसर अवधारणा की व्याख्या कीजिये। भारत के रामसर स्थलों के दो उदाहरण दीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2018)

स्रोत : डाउन टू अर्थ

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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

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बिम्सटेक के कृषि मंत्रियों की दूसरी बैठक

    टैग्स:
  • सामान्य अध्ययन-III
  • भारत को शामिल और/या इसके हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते
  • वैश्विक समूह

प्रिलिम्स के लिये:

बिम्सटेक/BIMSTEC, IFPRI

मेन्स के लिये:

नेबरहुड फर्स्ट नीति, भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते, वैश्विक समूह

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने बंगाल की खाड़ी बहुक्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग उपक्रम (बिम्सटेक) की दूसरी कृषि‍ मंत्री-स्तरीय बैठक की मेज़बानी की।

बैठक की मुख्य विशेषताएँ:

  • भारत ने सदस्य देशों से कृषि क्षेत्र में परिवर्तन के लिये आपसी सहयोग को मज़बूत करने के लिये एक व्यापक क्षेत्रीय रणनीति विकसित करने में सहयोग करने का आग्रह किया।
  • इसने सदस्य देशों से एक पोषक भोजन के रूप में बाजरा के महत्त्व और उसके उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिये भारत द्वारा किये गए प्रयास-अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष - 2023 के दौरान सभी के लिये एक अनुकूल कृषि खाद्य प्रणाली और एक स्वस्थ आहार अपनाने का भी आग्रह किया।
  • कृषीय जैवविविधता के संरक्षण एवं रसायनों के उपयोग को कम करने के लिये प्राकृतिक और पारिस्थितिक कृषि को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
    • डिजिटल खेती और सटीक खेती के साथ-साथ भारत में 'वन हेल्थ' दृष्टिकोण के तहत कई पहलें भी साकार होने की दिशा में हैं ।
  • क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा, शांति और समृद्धि के लिये बिम्सटेक देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने पर मार्च 2022 में कोलंबो में आयोजित 5वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भारत के वक्तव्य पर प्रकाश डाला गया।
  • बिम्सटेक कृषि सहयोग (2023-2027) को मज़बूत करने के लिये कार्य योजना को अपनाया गया।
  • बिम्सटेक सचिवालय और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं और कृषि कार्य समूह के तहत मत्स्य पालन एवं पशुधन उप-क्षेत्रों को लाने की मंज़ूरी दी गई है।

बिम्सटेक (BIMSTEC):

  • परिचय:
    • बिम्सटेक क्षेत्रीय संगठन है जिसमें सात सदस्य देश शामिल हैं: पाँच दक्षिण एशिया से हैं, जिनमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया से म्याँमार एवं थाईलैंड दो देश शामिल हैं।
    • यह उप-क्षेत्रीय संगठन 6 जून, 1997 को बैंकॉक घोषणा के माध्यम से अस्तित्व में आया।
    • बिम्सटेक क्षेत्र में लगभग 1.5 बिलियन लोग शामिल है, जो 2.7 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के साथ वैश्विक आबादी का लगभग 22% है।
    • बिम्सटेक सचिवालय ढाका में है।
    • संस्थागत तंत्र:
      • बिम्सटेक शिखर सम्मेलन
      • मंत्रिस्तरीय बैठक
      • वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक
      • बिम्सटेक वर्किंग ग्रुप
      • व्यापार मंच और आर्थिक मंच
  • महत्त्व:
    • तेज़ी से बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में विकास सहयोग के लिये एक प्राकृतिक मंच के रूप में बिम्सटेक के पास विशाल क्षमता है और भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक धुरी के रूप में अपनी अनूठी स्थिति का लाभ उठा सकता है।
    • बिम्सटेक के बढ़ते मूल्यों को इसकी भौगोलिक निकटता, प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक और मानव संसाधनों तथा समृद्ध ऐतिहासिक संबंधों एवं क्षेत्र में गहन सहयोग को बढ़ावा देने के लिये सांस्कृतिक विरासत को महत्त्वपूर्ण माना जा सकता है।
    • बंगाल की खाड़ी में हिंद-प्रशांत क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण केंद्र बनने की क्षमता है, यह ऐसा स्थान है जहाँ पूर्व और दक्षिण एशिया की प्रमुख शक्तियों के रणनीतिक हित टकराते हैं।
    • यह एशिया के दो प्रमुख उच्च विकास केंद्रों- दक्षिण और दक्षिण- पूर्व एशिया के बीच एक पुल के रूप में कार्य करता है।

बिम्सटेक की चुनौतियाँ:

  • बैठकों में विसंगति: बिम्सटेक ने हर साल मंत्रिस्तरीय बैठकें आयोजित करने और हर दो साल में शिखर सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई, लेकिन 20 वर्षों में केवल पाँच शिखर सम्मेलन हुए हैं।
  • सदस्य देशों द्वारा उपेक्षित: ऐसा लगता है कि भारत ने बिम्सटेक का उपयोग केवल तभी किया है जब वह क्षेत्रीय विन्यास में SAARC के माध्यम से काम करने में विफल रहा और अन्य प्रमुख सदस्य देश जैसे कि थाईलैंड तथा म्याँमार बिम्सटेक के बज़ाय ASEAN की ओर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • व्यापक फोकस क्षेत्र: बिम्सटेक का फोकस बहुत व्यापक है, जिसमें कनेक्टिविटी, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि आदि जैसे सहयोग के 14 क्षेत्र शामिल हैं। यह सुझाव दिया जाता है कि बिम्सटेक को छोटे फोकस क्षेत्रों के लिये प्रतिबद्ध रहना चाहिये और उनमें कुशलतापूर्वक सहयोग करना चाहिये।
  • सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय मुद्दे: बांग्लादेश म्याँमार के रोहिंग्याओं के सबसे खराब शरणार्थी संकटों में से एक का सामना कर रहा है जो म्याँमार के रखाइन राज्य में क़ानूनी कार्यवाही करने से बच रहे हैं। म्याँमार और थाईलैंड के बीच सीमा पर संघर्ष चल रहा है।
  • BCIM: चीन की सक्रिय सदस्यता के साथ एक और उप-क्षेत्रीय पहल, बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार (BCIM) फोरम के गठन ने बिम्सटेक की अनन्य क्षमता के बारे में अधिक संदेह पैदा किया है।
  • आर्थिक सहयोग पर अपर्याप्त फोकस: अधूरे कार्यों और नई चुनौतियों पर ध्यानाकर्षण होने पर ज़िम्मेदारियों के बोझ बढ़ता है।
    • वर्ष 2004 में एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) हेतु रूपरेखा के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बावज़ूद बिम्सटेक इस लक्ष्य से बहुत दूर है।

आगे की राह

  • सदस्य देशों के बीच बिम्सटेक मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की आवश्यकता है।
    • चूँकि यह क्षेत्र स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा की चुनौतियों का सामना कर रहा है और एकजुटता तथा सहयोग की आवश्यकता पर बल दे रहा है जिससे एफटीए बंगाल की खाड़ी को संपर्क, समृद्धि एवं सुरक्षा का पुल बना देगा।
  • भारत को इस धारणा का मुकाबला करना होगा कि बिम्सटेक एक भारत-प्रभुत्व वाला ब्लॉक है, इस संदर्भ में भारत गुजराल सिद्धांत का पालन कर सकता है जो द्विपक्षीय संबंधों में लेन-देन के प्रभाव को सशक्त करने का इरादा रखता है।
  • बिम्सटेक को भविष्य में नीली अर्थव्यवस्था, डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्टार्ट-अप तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के बीच आदान-प्रदान तथा लिंक को बढ़ावा देने जैसे नए क्षेत्रों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिये।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (पीवाईक्यू)  

प्रश्न. आपके विचार में क्या बिमस्टेक, सार्क (SAARC) की तरह एक समानांतर संगठन है? इन दोनों के बीच क्या समानताएँ और असमानताएँ हैं? इस नए संगठन के बनाए जाने से भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य कैसे प्राप्त हुए हैं? (मेन्स-2022)

स्रोत: पी.आई.बी.

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भारतीय अर्थव्यवस्था

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नगर निकाय वित्त रिपोर्ट: RBI

    टैग्स:
  • सामान्य अध्ययन-II
  • स्थानीय स्वशासन

प्रिलिम्स के लिये:

स्थानीय शासन, RBI, नगर निगम, GDP, GST।

मेन्स के लिये:

नगर निगम वित्त रिपोर्ट, RBI।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सभी राज्यों में 201 नगर निगमों (MCs) के लिये बजटीय आँकड़ों का संकलन और विश्लेषण करते हुए नगर निकाय निगम वित्त रिपोर्ट जारी की है।

  • RBI की रिपोर्ट 'नगर निगमों के लिये वित्तपोषण के वैकल्पिक स्रोतों' को अपने विषय के रूप में तलाशती है।

नगर निगम:

  • परिचय:
    • भारत में नगर निगम दस लाख से अधिक लोगों की आबादी वाले किसी भी महानगर/शहर के विकास के लिये ज़िम्मेदार एक शहरी स्थानीय निकाय है।
      • महानगर पालिका, नगर पालिका, नगर निगम, सिटी कारपोरेशन आदि इसके कुछ अन्य नाम हैं।
    • राज्यों में नगर निगमों की स्थापना राज्य विधानसभाओं के अधिनियमों द्वारा तथा केंद्रशासित प्रदेशों में संसद के अधिनियमों के माध्यम से की जाती है।
    • नगरपालिका अपने कार्यों के संचालन के लिये संपत्ति कर राजस्व पर अधिक निर्भर रहती है।
    • भारत में पहला नगर निगम वर्ष 1688 में मद्रास में स्थापित किया गया तथा उसके बाद वर्ष 1726 में बॉम्बे और कलकत्ता में नगर निगम स्थापित किये गए।
  • संवैधानिक प्रावधान:
    • भारत के संविधान में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में अनुच्छेद-40 को शामिल करने के अलावा स्थानीय स्वशासन की स्थापना के लिये कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं किया गया था।
    • 74वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में एक नया भाग IX-A सम्मिलित किया है, जो नगर पालिकाओं और नगर पालिकाओं के प्रशासन से संबंधित है।
    • इसमें अनुच्छेद 243P से 243ZG शामिल हैं। इसने संविधान में एक नई बारहवीं अनुसूची भी जोड़ी। 12वीं अनुसूची में 18 मद शामिल हैं।

निष्कर्ष:

  • नगर निगमों (MCs) का खराब कामकाज:
    • भारत में स्थानीय शासन की संरचना के संस्थागतकरण के बावज़ूद नगरपालिका के कामकाज़ में कई खामियाँ हैं और उनके कामकाज़ में कोई सराहनीय सुधार नहीं हुआ है।
    • परिणामस्वरूप भारत में शहरी आबादी के लिये आवश्यक सेवाओं की उपलब्धता और गुणवत्ता खराब बनी हुई है।
  • वित्तीय स्वायत्तता की कमी:
    • अधिकांश नगरपालिकाएँ केवल बजट तैयार करती हैं और बजट योजनाओं के खिलाफ वास्तविक समीक्षा करती हैं, लेकिन बैलेंस शीट और नकदी प्रवाह प्रबंधन के लिये अपने लेखा परीक्षण वित्तीय विवरणों का उपयोग नहीं करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप महत्त्वपूर्ण अक्षमताएँ देखी जाती हैं।
    • जबकि भारत में नगरपालिका बजट का आकार अन्य देशों के समकक्षों की तुलना में बहुत छोटा है, राजस्व में संपत्ति कर संग्रह और सरकार के ऊपरी स्तरों से करों एवं अनुदानों का अंतरण होता है, जिसके बावज़ूद वित्तीय स्वायत्तता की कमी बनी रहती है।
  • न्यूनतम पूंजीगत व्यय:
    • स्थापना व्यय, प्रशासनिक लागत और ब्याज तथा वित्त शुल्क के रूप में नगरपालिका का प्रतिबद्ध व्यय बढ़ रहा है, लेकिन पूंजीगत व्यय न्यूनतम है।
    • नगरपालिका बॉण्ड के लिये एक सुविकसित बाज़ार के अभाव में नगरपालिकाएँ ज़्यादातर बैंकों और वित्तीय संस्थानों से उधार व केंद्र / राज्य सरकारों से ऋण पर अपने संसाधन अंतराल को पूरा करने के लिये भरोसा करती हैं।
  • स्थिर राजस्व/व्यय:
    • भारत में नगरपालिका राजस्व/व्यय एक दशक से अधिक समय से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 1% पर स्थिर है।
    • इसके विपरीत ब्राज़ील में सकल घरेलू उत्पाद का4% और दक्षिण अफ्रीका में सकल घरेलू उत्पाद का 6% नगरपालिका राजस्व / व्यय है।
  • अप्रभावी राज्य वित्त आयोग:
    • सरकारों ने नियमित और समयबद्ध तरीके से राज्य वित्त आयोगों (एसएफसी) का गठन नहीं किया है, जबकि उन्हें प्रत्येक पाँच वर्ष में स्थापित किया जाना अपेक्षित है। तदनुसार, अधिकांश राज्यों में, एसएफसी स्थानीय सरकारों को निधियों का नियम-आधारित अंतरण सुनिश्चित करने में प्रभावी नहीं रहे हैं।

सुझाव:

  • नगरपालिका को विभिन्न प्राप्ति और व्यय मदों की उचित निगरानी एवं प्रलेखन के साथ ठोस तथा पारदर्शी लेखांकन प्रथाओं को अपनाने व अपने संसाधनों को बढ़ाने के लिये विभिन्न प्रगतिशील बॉण्ड, भूमि-आधारित वित्तपोषण तंत्र का पता लगाने की आवश्यकता है।
  • शहरी जनसंख्या घनत्व में तेज़ी से वृद्धि, हालांकि बेहतर शहरी बुनियादी ढाँचे की मांग करती है, इसलिये स्थानीय सरकारों को वित्तीय संसाधनों के अधिक प्रवाह की आवश्यकता होती है।
  • समय के साथ नगर निगमों की राजस्व सृजन क्षमता में गिरावट के साथ ऊपरी स्तरों से करों और अनुदानों के हस्तांतरण पर निर्भरता बढ़ी है। इसके लिये नवोन्मेषी वित्तपोषण तंत्र की आवश्यकता है।
  • भारत में नगर पालिकाओं को कानून द्वारा अपने बजट को संतुलित करने की आवश्यकता है, और किसी भी नगरपालिका उधार को राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित करने की आवश्यकता है।
  • नगर निगम राजस्व उछाल में सुधार लाने के लिये, केंद्र तथा राज्य अपने GST (वस्तु और सेवा कर) का छठवाँ हिस्सा साझा कर सकते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष प्रश्न  

प्रश्न. भारत में पहला नगर निगम निम्नलिखित में से कहाँ स्थापित किया गया था? (2009)

(a) कलकत्ता
(b) मद्रास
(c) बॉम्बे
(d) दिल्ली

उत्तर: (B)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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भारतीय अर्थव्यवस्था

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भारत में खाद्य तेल क्षेत्र

    टैग्स:
  • सामान्य अध्ययन-II
  • सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप
  • भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव
  • जैव प्रौद्योगिकी
  • सामान्य अध्ययन-III
  • वृद्धि एवं विकास

प्रिलिम्स के लिये:

आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) सरसों, धारा सरसों हाइब्रिड (DMH -11)।

मेन्स के लिये:

GM फसलें और उनका महत्त्व, भारत का खाद्य तेल क्षेत्र और इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र ने GM सरसों की पर्यावरणीय मंज़ूरी को चुनौती देने वाली याचिका में कहा कि भारत पहले से ही आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलों से प्राप्त तेल का आयात और उपभोग कर रहा है।

  • इसके अलावा लगभग 9.5 मिलियन टन (MT) GM कपास बीज का वार्षिक उत्पादन होता है और 1.2 मिलियन टन GM कपास के तेल का उपभोग मनुष्यों द्वारा किया जाता है तथा लगभग 6.5 मिलियन टन कपास के बीज का उपयोग पशु आहार के रूप में किया जाता है।

भारत में खाद्य तेल क्षेत्र की स्थिति:

  • देश की अर्थव्यवस्था में स्थान:
    • भारत दुनिया में तिलहन के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है।
    • कृषि अर्थव्यवस्था में तेल क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
    • कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आँंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान नौ कृषित तिलहनों से 36.56 मिलियन टन अनुमानित उत्पादन हुआ है।
    • भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और वनस्पति तेल का नंबर एक आयातक है।
      • भारत में खाद्य तेल की खपत की वर्तमान दर घरेलू उत्पादन दर से अधिक है। इसलिये देश को मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर रहना पड़ता है।
      • वर्तमान में भारत अपनी खाद्य तेल की मांग का लगभग 55% से 60% आयात के माध्यम से पूरा करता है। इसलिये घरेलू खपत की मांग को पूरा करने के लिये भारत को तेल उत्पादन में स्वतंत्र होने की ज़रूरत है।
      • पाम तेल (कच्चा + परिष्कृत) आयातित कुल खाद्य तेलों का लगभग 62% है और मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात किया जाता है, जबकि सोयाबीन तेल (22%) अर्जेंटीना और ब्राज़ील से आयात किया जाता है तथा सूरजमुखी तेल (15%) मुख्य रूप से यूक्रेन व रूस से आयात किया जाता है।
  • भारत में आमतौर पर उपयोग किये जाने वाले तेलों के प्रकार:
    • भारत में मूँगफली, सरसों, कैनोला/रेपसीड, तिल, कुसुम, अलसी, रामतिल/नाइज़र सीड और अरंडी पारंपरिक रूप से उगाई जाने वाली सबसे अच्छी तिलहन फसलें हैं।
    • सोयाबीन और सूरजमुखी का भी हाल के वर्षों में महत्त्व बढ़ गया है।
    • बगानी फसलों में नारियल सबसे महत्त्वपूर्ण है।
    • गैर-पारंपरिक तेलों में चावल की भूसी का तेल और बिनौला तेल सबसे महत्त्वपूर्ण हैं।
  • खाद्य तेलों पर निर्यात-आयात नीति:
    • खाद्य तेलों का आयात ओपन जनरल लाइसेंस (OGL) के तहत आता है।
    • किसानों, प्रसंस्करणकर्त्ताओं और उपभोक्ताओं के हितों में सामंजस्य स्थापित करने के लिये सरकार समय-समय पर खाद्य तेलों के शुल्क ढाँचे की समीक्षा करती है।

संबंधित सरकारी पहल:

  • भारत सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- पाम ऑयल शुरू किया, जिसे केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र एवं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में विशेष ध्यान देने के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • वर्ष 2025-26 तक पाम तेल के लिये अतिरिक्त 6.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का प्रस्ताव है।
  • वनस्पति तेल क्षेत्र में डेटा प्रबंधन प्रणाली में सुधार और इसे व्यवस्थित करने के लिये खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के तहत चीनी तथा वनस्पति तेल निदेशालय ने मासिक आधार पर वनस्पति तेल उत्पादकों द्वारा इनपुट ऑनलाइन जमा करने के लिये एक वेब-आधारित मंच (evegoils.nic.in) विकसित किया है।
    • पोर्टल ऑनलाइन पंजीकरण और मासिक उत्पादन रिटर्न जमा करने के लिये विंडो भी प्रदान करता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

आयातित खाद्य तेलों की मात्रा पिछले पाँच वर्षों में खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन से अधिक है।

सरकार विशेष मामले के रूप में सभी आयातित खाद्य तेलों पर कोई सीमा शुल्क नहीं लगाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (a)

प्रश्न. पीड़को के प्रतिरोध के अतिरिक्त वे कौन-सी संभावनाएँ है जिनके लिये आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पादपो का निर्माण किया गया है?(2012)

1- सूखा सहन करने के लिये उन्हे सक्षम बनाना

2- उत्पाद में पोषकीय मान बढ़ाना

3- अंतरिक्ष यानों और स्टेशनों में उन्हें उगने और प्रकाश-संश्लेषण करने के लिये सक्षम बनाना

4- उनकी शेत्फ लाइफ बढ़ाना

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 3 और 4

(c) केवल 1, 2 और 4

(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: C

व्याख्या:

आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें (GM फसलें या बायोटेक फसलें) कृषि में उपयोग किये जाने वाले पौधे हैं, जिनके डीएनए को आनुवंशिक इंजीनियरिंग विधियों का उपयोग करके संशोधित किया गया है। अधिकतर मामलों में इसका उद्देश्य पौधे में एक नया लक्षण पैदा करना है जो प्रजातियों में स्वाभाविक रूप से नहीं होता है। खाद्य फसलों में लक्षणों के उदाहरणों में कुछ कीटों, रोगों, पर्यावरणीय परिस्थितियों, खराब होने में कमी, रासायनिक उपचारों के प्रतिरोध (जैसे- जड़ी-बूटियों के प्रतिरोध) या फसल के पोषक तत्त्व प्रोफाइल में सुधार शामिल हैं।

GM फसल प्रौद्योगिकी के कुछ संभावित अनुप्रयोग हैं:

पोषण वृद्धि - उच्च विटामिन सामग्री; अधिक स्वस्थ फैटी एसिड प्रोफाइल; अत: 2 सही है।

तनाव सहनशीलता - उच्च और निम्न तापमान, लवणता और सूखे के प्रति सहनशीलता; अत: 1 सही है।

ऐसी कोई संभावना नहीं है जो GM फसलों को अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष स्टेशनों में बढ़ने तथा प्रकाश संश्लेषण करने में सक्षम बनाती हो। अत: 3 सही नहीं है।

वैज्ञानिक कुछ आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें तैयार करने में सक्षम हैं जो सामान्य रूप से एक महीने तक ताज़ा रहती हैं। अत: 4 सही है। अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।

प्रश्न. बोल्गार्ड I और बोल्गार्ड II प्रौद्योगिकियों का उल्लेख किसके संदर्भ में किया गया है?

 (a) फसल पौधों का क्लोनल प्रवर्धन

(b) आनुवंशिक रूप से संशोधित फसली पौधों का विकास

(c) पादप वृद्धिकर पदार्थों का उत्पादन

(d) जैव उर्वरकों का उत्पादन

 उत्तर:B

व्याख्या:

बोल्गार्ड I बीटी कपास (एकल-जीन प्रौद्योगिकी) 2002 में भारत में व्यावसायीकरण के लिये अनुमोदित पहली बायोटेक फसल प्रौद्योगिकी है, इसके बाद वर्ष 2006 के मध्य में बोल्गार्ड II- डबल-जीन प्रौद्योगिकी, जेनेटिक इंजीनियरिंग अनुमोदन समिति, बायोटेक के लिये भारतीय नियामक निकाय द्वारा अनुमोदित फसलें ।

बोल्गार्ड I कपास एक कीट-प्रतिरोधी ट्रांसजेनिक फसल है जिसे बाॅलवर्म से निपटने के लिये डिज़ाइन किया गया है। यह जीवाणु बैसिलस थुरिंगिनेसिस से एक माइक्रोबियल प्रोटीन को व्यक्त करने के लिये कपास जीनोम को आनुवंशिक रूप से बदलकर बनाया गया था।

बोल्गार्ड II तकनीक में एक बेहतर डबल-जीन तकनीक शामिल है - cry1ac और cry2ab, जो बाॅलवर्म तथा स्पोडोप्टेरा कैटरपिलर से सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे बेहतर बाॅलवर्म प्रतिधारण, अधिकतम उपज, कम कीटनाशकों की लागत एवं कीट प्रतिरोध के खिलाफ सुरक्षा मिलती है।

बोल्गार्ड I और बोल्गार्ड II दोनों कीट-संरक्षित कपास दुनिया भर में व्यापक रूप से बाॅलवर्म को नियंत्रित करने के पर्यावरण के अनुकूल तरीके के रूप में अपनाए जाते हैं। अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

मुख्य परीक्षा:

प्रश्न. किसानों के जीवन स्तर को सुधारने मं जैव प्रौद्योगिकी कैसे मदद कर सकती है? (2019)

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस

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  • सामान्य अध्ययन-II
  • भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव
  • भारत को शामिल और/या इसके हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते

प्रिलिम्स के लिये:

बेलारूस की अवस्थिति

मेन्स के लिये:

भारत-बेलारूस संबंध, भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-बेलारूस अंतर-सरकारी आयोग का 11वाँ सत्र आयोजित किया गया।

कौन सा विकास सिद्धांत नहीं है?

विकास आनुवंशिकता और पर्यावरण से प्रभावित होता है। इसलिए, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि विकास अकेले संस्कृति द्वारा शासित और निर्धारित होता है, यह विकास का सिद्धांत नहीं है।

विकास के सिद्धांत कौन कौन से हैं?

जिसके अनुसार पहले बालको के सिर का उसके बाद उसके नींचे वाले अंगों का विकास होता हैं। 2- निरंतर विकास का सिद्धांत – यह सिद्धांत मानता हैं कि विकास अचानक नहीं होता बल्कि विकास की प्रक्रिया धीरे-धीरे पहले से ही चलते रहती हैं परंतु इसकी गति में बदलाव आते रहता हैं,अर्थात कभी विकास तीव्र गति से होता हैं तो कभी निम्न गति से।

निम्नलिखित में से कौन सा विकास का सिद्धांत गलत है एक?

विकास दर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती है। अतः, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि 'विकास, संयोगों का परिणाम है' विकास का एक सिद्धांत नही है।

कौन सा सिद्धांत वृद्धि और विकास से जुड़ा नहीं है?

संदर्भ का सिद्धांत: इसलिए, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि संदर्भ का सिद्धांत वृद्धि और विकास से संबंधित नहीं है।