नवरात्रों में कौन सा पाठ करना चाहिए? - navaraatron mein kaun sa paath karana chaahie?

नई दिल्ली, Chaitra Navratri 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि 2 अप्रैल, शनिवार को है। इसके साथ ही चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी। इस पर्व को पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम तरीके से मनाया जाता है। 2 अप्रैल से शुरू होने वाले नवरात्रि 11 अप्रैल को रामनवमी के साथ समाप्त होगी। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके साथ ही नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना काफी लाभकारी होता है।

नवरात्रों में कौन सा पाठ करना चाहिए? - navaraatron mein kaun sa paath karana chaahie?

Shani Dev Puja: शनि देव की पूजा में बरते पूर्ण सावधानी, अन्यथा भुगतना पड़ सकता है दुष्परिणाम

यह भी पढ़ें

नवरात्रि के दिनों में रोजाना दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से घर की निगेटिव एनर्जी बाहर निकल जाती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसके साथ ही देवी मां प्रसन्न होकर भक्तों के ऊपर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखती हैं। लेकिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय विशेष सावधानी बरतनी जरूरी है। वरना जातक को पूरा फल की प्राप्ति नहीं होती है।

काफी खास है दुर्गा सप्तशती

नवरात्रों में कौन सा पाठ करना चाहिए? - navaraatron mein kaun sa paath karana chaahie?

Paush Purnima 2023: पौष पूर्णिमा में जरूर करें ये 2 काम, कुंडली में चंद्रमा और सूर्य की स्थिति होगी मजबूत

यह भी पढ़ें

बता दें कि दुर्गा सप्तशती में 13 अध्यायों में 700 श्लोकों के द्वारा मां दुर्गा की आराधना की जाती है इस अध्यायों में देवी मां के तीन चरित्रों के बारे में विस्तार से बताया है। इस चरित्रों को प्रथम, मध्यम और उत्तम चरित्र के नाम से जाना जाता है।

मां की वंदना के हैं तीन अध्याय

दुर्गा सप्तशती के पहले अध्याय में प्रथम चरित्र का वर्णन है। इसमें मां काली की आराधना की जाती हैं। दूसरे से लेकर चौथे अध्याय में मां के मध्यम चरित्र के बारे में बताया गया है। इसमें महालक्ष्मी की आराधना की जाती है। वहीं पांचवें से लेकर 13वें भाग में मां के उत्तम चरित्र का वर्णन है जिसमें मां सरस्वती की आराधना की जाती है।

नवरात्रों में कौन सा पाठ करना चाहिए? - navaraatron mein kaun sa paath karana chaahie?

Aaj Ka Panchang 6 January 2023: पौष पूर्णिमा आज, जानिए शुभ मुहूर्त, व्रत और राहुकाल

यह भी पढ़ें

दुर्गा सप्तशती का बात करते समय ध्यान रखें ये बातें

  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। इसके लिए कलश स्थापना जरूर करें। इसके बाद उनकी विधिवत तरीके से पूजा करें।
  • दुर्गा सप्तशती पाठ को हमेशा साफ सुथरे लाल रंग के कपड़े को बिछाकर रखना चाहिए। इसके साथ ही हमेशा पुष्प, कुमकुम और चावल से पूजा करें।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले शापोद्धार करना बेहद जरूरी है। क्योंकि इसके हर मंत्र को वशिष्ठ, ब्रह्मा जी और विश्वामित्र से शाप मिला है।
  • दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले नवार्ण मंत्र, कीलक, कवच और अर्गला स्तोत्र का पाठ जरूर करें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करते वक्त शब्दों का सही और स्पष्ट उच्चारण करना बहुत जरूरी है।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय किताब को कभी भी हाथ में लेकर नहीं पढ़ना चाहिए। इसे आप किसी चौकी, स्टैंड आदि में रखकर ही पढ़ें। इससे देवी मां जल्द प्रसन्न होती है।

Pic Credit- Instagram/meetukaul

नवरात्रों में कौन सा पाठ करना चाहिए? - navaraatron mein kaun sa paath karana chaahie?

Shukrawar Upay: शुक्रवार के दिन जरूर करें मां लक्ष्मी के इन मंत्रों का जाप

यह भी पढ़ें

डिसक्लेमर'

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

नवरात्र में हम माता की पूजा आराधना में रहते हैं, घट स्थापना करते हैं, और विधिवत माँ का पूजन करते हैं। नवरात्र के 9 दिन माता की उपासना के दिन होते हैं, शक्ति पूजन के दिन होते हैं, और ऐसे में हम तमाम भक्त कोशीश यही करते हैं, कि अपनी पूजा आराधना से माँ को प्रसन्न कर अपनी जो भी मनोकामनाएं हैं, उनसे पूर्ण करवाएं। तो ऐसे में जप का बहुत ज्यादा महत्व होता है। खासतौर पर श्री दुर्गा सप्तशती पाठ का विशेष महत्व है।

श्री दुर्गा सप्तशती पाठ कैसे करें | दुर्गा सप्तशती पाठ नियम

श्री दुर्गा सप्तशती पाठ बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और बहुत फलकारी होते हैं। तो शारदीय नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती का पाठ आप कैसे करेंगे इसकी पूरी जानकारी आपको देने जा रहे है। उस के क्या नियम है? हमें किस तरीके से पाठ करना चाहिए? कैसे हमें विभक्त करना चाहिए? कैसे हमे इन तेरा अध्याय को बांटना चाहिए। पाठ हमें रोज़ कैसे करना चाहिए। कैसे हमें मंत्रों से संपूर्ण करना चाहिए? श्री दुर्गा सप्तशती पाठ को शापोद्धार विधि क्या होगी? कैसे हम श्री दुर्गा सप्तशती पाठ को इन नवरात्रों में खत्म करें? आइये जानते है।

Table of Contents

  • दुर्गा सप्तशती पढ़ने से क्या होता है?
  • सप्तशती में कितने अध्याय होते हैं?
  • दुर्गा सप्तशती पाठ की सरल विधि
  • दुर्गा सप्तशती शापित क्यों है?
  • दुर्गा सप्तशती का बीज मंत्र क्या है?
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ कितने दिन में पूरा करना चाहिए?
  • दुर्गा सप्तशती का कौन सा पाठ करना चाहिए?
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे पढ़ें?
  • दुर्गा सप्तशती पाठ की संपूर्ण विधि

दुर्गा सप्तशती पढ़ने से क्या होता है?

श्री दुर्गा सप्तशती चार वेदों की तरह ही अनादि ग्रंथ माना गया है, जिसमें माँ दुर्गा के अद्भुत चरित्र की गाथा कही गई है। अगर नौ दिनों तक भक्त श्रद्धा पूर्वक शुद्ध चित्त होकर।

नियमों का पालन करते हुए, श्री दुर्गा सप्तशती पाठ करते हैं, तो ऐसा माना गया है, कि भीषण से भीषण संकट भी माँ अपने भक्तों के दूर कर देती है।

जाने दुर्गा सप्तशती पाठ के चमत्कार | दुर्गा सप्तशती पाठ का फल

सप्तशती में कितने अध्याय होते हैं?

श्री दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय हैं, दुर्गा सप्तशती ग्रंथ में कुल 700 श्लोक हैं। तीन भाग में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती नाम से ही तीन चरित्रों का वर्णन है।

प्रथम चरित्र में केवल पहला अध्याय, मध्यम चरित्र में दूसरा, तीसरा और चौथा अध्याय आता है, जबकि बाकी के सभी अध्याय को उत्तम चरित्र में रखा गया है।

दुर्गा सप्तशती पाठ की सरल विधि

सबसे पहले अगर घर में आपने कलश स्थापना की हुई है, तो वहाँ पर आपने गणेश पूजन भी किया होगा। गणेश पूजन कीजिये फिर कलश पूजन, फिर नवगृह पूजन और फिर ज्योति पूजन। इसके बाद श्री दुर्गा सप्तशती ग्रंथ को शुद्ध आसन पर एक लाल कपड़ा बिछाकर रखना चाहिए।

इसके बाद आपको अपने माथे पर भस्म, चंदन, रोली, जिस चीज़ का भी आप टीका लगाते हो, वो तिलक लगाकर पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठ जाना चाहिए। ग्रंथ पढ़ने के पहले शुद्धि के लिए तत्व शुद्धि की जाती है। इसके लिए चार बार आचमन करना चाहिए।

शारदीय नवरात्रि 2021, जाने नवरात्री में क्या करे, क्या ना करें?

दुर्गा सप्तशती शापित क्यों है?

श्री दुर्गा सप्तशती पाठ से पहले शापोद्धार करना जरूरी माना गया है। ऐसा माना जाता है, के श्री दुर्गा सप्तशती का हर मंत्र ब्रह्मा, वशिष्ठ, विश्वामित्र के द्वारा शापित है, इसलिए शापोद्धार के बिना पाठ का फल नहीं मिलता है। अगर आप 1 दिन में पाठ पूरा ना कर सके, तो इसके लिए 1 दिन में केवल मध्यम चरित्र का, या दूसरे दिन शेष चरित्र का पाठ करें, ऐसा आप संकल्प करें।

दुर्गा सप्तशती का बीज मंत्र क्या है?

एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात के श्री दुर्गा सप्तशती पाठ से पहले और बाद में नवान्न मंत्र, जो की एक छोटा सा मंत्र है और अति सिद्ध मंत्र है।

इसका पाठ करना अनिवार्य माना गया है तो आप नवार्ण मंत्र, ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे। यह नवाक्षर मंत्र है,आप इसका उच्चारण जरूर करें।

कम से कम 108 बार इसका उच्चारण करे। अगर संस्कृत में श्री दुर्गा सप्तशती आप नहीं पढ़ पा रहे है तो हिंदी में पाठ कर सकते है। लेकिन पाठ का उच्चारण आपको एकदम ही शुद्धता से करना है।

ऐसा बिलकुल न हो कि पाठ आप किसी भी तरीके से पढ़े, बहुत ज़ोर से पढ़ें, जल्दी-जल्दी पढ़ें। ऐसा बिलकुल नहीं करना चाहिए। बिल्कुल शुद्ध मन से शुद्ध भाव से एकदम भाव विभोर होकर, जैसे माता आपके सामने साक्षात बैठी है, और वैसे ही उतने ही भाव विभोर होकर आपको श्री दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहिए।

9 शक्तिशाली माँ काली को बुलाने का मंत्र अर्थ सहित – Kaali Mantra in Hindi

दुर्गा सप्तशती का पाठ कितने दिन में पूरा करना चाहिए?

अभी आप 13 अध्याय को किस तरह बाटेंगे? पाठ आप 7 दिन तक करेंगे, अगर आप एक दिन में इन 13 अध्याय यानी तीनो चरित्रों का पाठ नहीं कर पाते हैं, तो आपको प्रथम दिन प्रथम अध्याय करना है।

दूसरे दिन दो, पाठ, द्वितीय और तृतीय अध्याय करना चाहिए। तीसरे दिन एक पाठ चतुर्थी अध्याय का कीजिए। चौथे दिन आपको पंचम, षष्टम, सप्तम और अष्टम अध्याय के चार पाठ करने होंगे। 

पांचवें दिन दो अध्याय नवम और दशम अध्याय का पाठ कीजिए। छठे दिन आपको सिर्फ ग्यारहवां अध्याय करना है, और सातवें और आखिरी दिन आपको दो पाठ द्वादश और फिर ओदश अध्याय का पाठ करना है। यानी की 12 वां और 13 वां अध्याय। इसके बाद एक आवृति सप्तशती की पूरी हो जाती है।

तो इस तरीके से आप 7 दिन में जो 13 अध्याय है, वो विधिपूर्वक कर सकते हैं। उसके बाद आठवें दिन कन्या पूजन जरूरी बताया गया है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ, कवच, अर्गला और किलक तीन रहस्यों को भी सम्मिलित इसमें करना चाहिए। श्री दुर्गा सप्तशती पाठ के बाद आपको हर दिन क्षमा प्रार्थना जरूर करनी चाहिए।

दुर्गा सप्तशती का कौन सा पाठ करना चाहिए?

श्री दुर्गा सप्तशती पाठ के प्रथम, मध्यम और उत्तर चरित्र का क्रम से पाठ करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं माँ दुर्गा पूर्ण करती है। इसे महाविद्या क्रम भी कहा गया है। श्री दुर्गा सप्तशती के उत्तर, प्रथम और मध्य चरित्र के क्रमानुसार आप आठ करते हैं, तो इससे शत्रु नाश और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।  इसे महातंत्री क्रम कहते हैं।

देवी पुराण में प्रात काल पूजन और प्रातः में विसर्जन करने को कहा गया है। रात्रि में घटस्थापना वर्जित होती है। तो अगर आप सिर्फ श्री दुर्गा सप्तशती पाठ कर रहे हैं, तो इसी तरीके से करेंगे प्रात काल ही पूजन करेंगे और आखिरी दिन आप प्रात काल की ही पूजा करने के बाद कन्या भोजन कराएंगे।

दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे पढ़ें?

श्री दुर्गा सप्तशती पाठ करने का अलग-अलग विधान है। कुछ अध्याय में उच्च स्वर, कुछ मे मंद और कुछ में शांत मुद्रा से बैठकर पाठ करना श्रेष्ठकर माना गया है। बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी है।

ध्यान से आप सुनिए, जैसे की कीलक मंत्र को शांत मुद्रा में बैठकर, मानसिक पाठ करना श्रेष्ठ है, देवी कवच उच्चस्वर में और श्री अर्गला का प्रारंभ उच्च स्वर में और उसका समापन शांत मुद्रा से करना चाहिए।

दुर्गा सप्तशती पाठ की संपूर्ण विधि

दोस्तों संपूर्ण पाठ विधि जो होती है, कि आप एक मंत्र को विशेष मंत्र जो आप करना चाहते हैं किसी विशेष प्रयोजन के लिए उससे आगे और पीछे लगाकर संपूर्ण करें। इससे क्या होता है, समय बहुत ज्यादा लगता है।

दुर्गा सप्तशती किताब में बहुत सारे मंत्र दिए हुए हैं। आप वहाँ से ले सकते हैं। अगर आप चाहे तो अगर आपको ज्यादा मंत्र नहीं कर सकते, तो जो एक बीज मंत्र है, माँ का जैसे ॐ दुं दुर्गाय नम:। या ॐ दुर्गाये नम: इन छोटे-छोटे मंत्रों से आप पाठ संपूर्ण कर सकते हैं। 

घट स्थापना विधि आपको बताई, अगर आप घटस्थापना नहीं करते हैं, और आप चाहते हैं, कि आप इन नवरात्रों में सिर्फ और सिर्फ श्री दुर्गा सप्तशती का ही पाठ करें, तो इसके लिए भी आपको एक कलश की स्थापना कर लेनी चाहिए।

आपको दीप प्रज्वलन जरूर करना चाहिए। आप अखंड ज्योत जलाये या ना जलाये। जब तक आप पाठ कर रहे हो, तब तक एक दीप प्रज्वलित कर जरूर रखें।

उसके बाद माँ का ध्यान करें और किसी भी ध्यान में अपने गुरु अपने आचार्य का ध्यान करना अति आवश्यक है। उसके बाद गणपति का ध्यान करें, भगवान शंकर का ध्यान करें, भगवान विष्णु और हनुमानजी, नवग्रह देवताओं का ध्यान करके आप श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रारंभ करें। 

पांच विधि में आपको संकल्प लेना चाहिए। दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले गणपति और तमाम देवी देवताओं का संकल्प कीजिए।

हाथ में जौ, चावल, जो भी दक्षिणा रखना है, वो रखकर आपको माता का ध्यान करना चाहिए। संकल्प लेना चाहिए, संकल्प में आप माता से कह सकते हैं, कि हे! भगवती आप जिस गोत्र की है, उस गोत्र का नाम लीजिए, अपना नाम लीजिए, स्थान का नाम दीजिए।

आप ये कहें – कि पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ मैं आपकी भक्ति और ध्यान में हूँ। आप हमारे घर में पधारे और जो भी हमारी मनोकामना है, उसको आप मन ही मन बोलकर आप उस जल को जमीन पर छोड़ सकते हैं।

इसके बाद आपको श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। आप यह संकल्प लें कि आप 13 अध्याय का सात दिनों में पाठ करेंगे, या आप हर दिन पूरा पाठ करेंगे।

जो भी आपको संकल्प लेना है, वो मन में आप पहले दिन ही ले लीजिए और संकल्प करने के बाद माँ की धूप, दीप, नैवेद्य आदि के साथ आप पूजा प्रारंभ करें।

नवरात्रि में किसका पाठ करना चाहिए?

नौ दिन तक लोग पूरी निष्ठा और श्रद्धा से मां दुर्गा की आराधना करते हैं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। Durga Saptasati Path Importance : हिंदू धर्म में नवरात्र पर्व (Navratri 2022) का खास महत्व होता है। नौ दिन तक लोग पूरी निष्ठा और श्रद्धा से मां दुर्गा की आराधना करते हैं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं।

दुर्गा सप्तशती का कौनसा अध्याय पढ़ना चाहिए?

कम समय में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण लाभ लेने के लिए सबसे पहले कवच, कीलक व अर्गला स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। इसके बाद कुंजिका स्त्रोत का पाठ कर लें। ऐसा करने से दुर्गा सप्‍तशती के संपूर्ण पाठ का फल प्राप्‍त हो जाता है।

दुर्गा सप्तशती से पहले क्या पढ़ना चाहिए?

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए सबसे पहले नवार्ण मंत्र, कवच, इसके बाद कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके बाद दुर्गा सप्तशती के पाठ का आरंभ करना चाहिए। अगर आप इस तरह का पाठ करेंगे तो आपकी मनोकामनाएं जल्द पूरी होंगी। साथ ही मा दुर्गा प्रसन्न होकर अपनी विशेष कृपा आप पर बरसाएंगी।

नवरात्र में कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?

नवरात्रि में करें मां दुर्गा के इन मंत्रों का जाप – ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।