ओणम का त्योहार क्यों मनाया जाता है? - onam ka tyohaar kyon manaaya jaata hai?

क्यों मनाया जाता है ओणम का त्योहार ? क्या है इससे जुड़ी मान्यता और परंपरा?

ओणम मुख्य रूप से केरल में मनाया जाता है।  इस बार यह त्योहार 11 सितंबर, बुधवार को मनाया जाएगा। ओणम का त्योहार फसलों की कटाई होने की खुशी में मनाया जाता है।

ओणम का त्योहार क्यों मनाया जाता है? - onam ka tyohaar kyon manaaya jaata hai?

ओणम का त्योहार क्यों मनाया जाता है? - onam ka tyohaar kyon manaaya jaata hai?

Ujjain, First Published Sep 10, 2019, 4:54 PM IST

उज्जैन. विविधता में एकता ही भारत की संस्कृति है। यहां हर दिन किसी धर्म, जाति या समाज विशेष का त्योहार मनाया जाता है। ये सभी त्योहार अनेकता में एकता का संदेश देते हैं। ओणम भी कुछ ऐसा ही एक त्योहार है। यह मुख्य रूप से केरल में मनाया जाता है।  इस बार यह त्योहार 11 सितंबर, बुधवार को मनाया जाएगा।


ओणम का त्योहार फसलों की कटाई होने की खुशी में मनाया जाता है। इसके अलावा मान्यता यह भी है कि इस दिन राजा महाबली अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए पाताल लोक से धरती पर आते हैं। ओणम के दिन महिलाएं आकर्षक ओणमपुक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाती हैं और केरल की प्रसिद्ध आडाप्रधावन (खीर) सभी में बांटी जाती है। ओणम के उपलक्ष्य में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा खेल-कूद प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है।


इन प्रतियोगिताओं में लोकनृत्य, शेर नृत्य, कुचीपुड़ी, ओडि़सी, कथक नृत्य आदि प्रतियोगिताएं प्रमुख हैं। इस दिन सहभोज का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें विशेष पकवान बनाए जाते हैं। केरल ही नहीं दुनिया भर में जहां भी मलयाली परिवार रहते हैं, वे ओणम का त्योहार मनाकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं।


क्या है ओणम से जुड़ी मान्यता ?
पुरातन समय में पृथ्वी के दक्षिण क्षेत्र में भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद के पौत्र बलि का राज था। वह राक्षसों का राजा होने के कारण देवताओं से बैर रखता था। स्वर्ग पर अधिकार करने के उद्देश्य से एक बार बलि यज्ञ कर रहा था, तब देवताओं की सहायता करने के लिए भगवान वामन बलि की यज्ञशाला में गए और राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी।


राजा बलि के गुरु शुक्राचार्य भगवान की लीला समझ गए और उन्होंने बलि को दान देने से मना कर दिया, लेकिन बलि ने फिर भी भगवान वामन को तीन पग धरती दान देने का संकल्प ले लिया। भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर एक पग में धरती और दूसरे पग में स्वर्ग लोक नाप लिया। जब तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा तो बलि ने भगवान वामन को अपने सिर पर पैर रखने को कहा।


बलि के सिर पर भगवान का पैर पड़ते ही वह सुतल लोक पहुंच गया। बलि की दानवीरता देखकर भगवान ने उसे सुतल लोक का स्वामी बना दिया। साथ ही भगवान ने उसे यह भी वरदान दिया कि वह अपनी प्रजा को वर्ष में एक बार अवश्य मिल सकेगा। मान्यता है कि इसी दिन राजा बलि अपनी प्रजा का हाल-चाल जानने पृथ्वी पर आते हैं। राजा बलि के पृथ्वी पर आने की खुशी में ही ओणम का त्योहार मनाया जाता है।

Last Updated Sep 10, 2019, 5:39 PM IST

ओणम का त्योहार केरल में धूमधाम से मनाया जाता है. लोग कुछ दिनों पहले से ही इस त्योहार की तैयारियां शुरु कर देते हैं. इस पर्व को 10 दिनों तक मनाया जाता है. इस त्योहार को क्यों मनाया जाता है और कैसे मनाया जाता है आइए यहां जानें.

ओणम का त्योहार क्यों मनाया जाता है? - onam ka tyohaar kyon manaaya jaata hai?

कब है ओणम

Image Credit source: Prokerala

ओणम केरल का लोकप्रिय त्योहार है. केरल में ओणम का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. ये त्योहार 10 दिनों तक मनाया जाता है. केरल हरियाली और सुंदर नजारों के लिए बेहद प्रसिद्ध है, लेकिन ओणम के दौरान केरल की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है. इस दौरान लोग अपने घरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाते हैं. देश-विदेश से लोग ओणम के दौरान केरल घूमने के लिए आते हैं. इस साल 23 अगस्त से इस पर्व की शुरुआत होगी और 8 सितंबर तक ये त्योहार मनाया जाएगा. आइए जानें इस त्योहार क्यों और कैसे मनाया जाता है.

पौराणिक मान्यताएं …

ऐसा माना जाता है कि एक महाबली नाम का असुर था. वह अपनी प्रजा का बहुत खयाल रखता था. यही कारण था कि उसकी प्रजा देवताओं की तरह उसकी पूजा करती थी. एक बार श्रीहरि वामन रूप में वह राजा बलि के पास गए और राजा बलि से तीन वजन मांगे. वचनों को पूरा करने के लिए राजा बलि को पाताल लोक जाना पड़ा था. इससे उनकी प्रजा काफी दुखी हुई. इस प्रेम को देखकर श्रीहरि ने ये वरदान दिया कि वे साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने के लिए जा सकेंगे. ऐसा माना जाता है कि इसलिए ही ओणम का त्योहार मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि राजा बलि अपने प्रजा से मिलेंगे. उनके दुखों को दूर करेंगे.

इस तरह मनाया जाता है त्योहार

ओणम के खास मौके पर तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं. इसमें पचड़ी,रसम, पुलीसेरी, एरीसेरी, खीर और अवियल आदि शामिल हैं. केरल के लोग ओणम के त्योहार के दौरान केवल दूध से 18 व्यंजन बनाते हैं. इस उत्सव के दौरान लोग दूर-दूर से यहां घूमने के लिए आते हैं. कई तरह की खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. नौका दौड़ होती है. नावों को फूलों से सजाया जाता है. नृत्य और गाना-बजाना होता है. इस दौरान लोग शेर और चीते की तरह तैयार होकर सड़कों पर नाचते हैं. इसे प्ले ऑफ द टाइगर्स के रूप में जाना जाता है. राजा बलि के स्वागत में महिलाएं घरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाती हैं. रंगोली बनाती हैं. रंगोली को दीपों से सजाया जाता है. इस दिन लोग एक दूसरे को इस त्योहार की शुभकामनाएं देते हैं. पारंपरिक भोज को केले के पत्ते पर परोसा जाता है. इस दिन चावल, नारियल के दूध और गुड़ से खीर बनाई जाती है.

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ओणम का त्योहार क्यों मनाते हैं?

ओणम पर्व का महत्व दक्षिण भारत में विशेष रूप से केरल में ओणम का त्योहार राजा बलि के सालभर में एक बार थिरुवोणम नक्षत्र के दौरान अपनी प्रजा से मिलने के लिए पाताल लोक से पृथ्वी पर आने का उत्सव है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तीनों लोकों पर राजा बलि का राज था। महाबलि अपनी प्रजा से विशेष लगाव था।

ओणम त्योहार के पीछे की कहानी क्या है?

ओणम के पीछे एक पौराणिक कथा है। बहुत साल पहले केरल पर महाबली नामक एक दैत्य का राज चलता था जिसने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली थी। उसने हमेशा अपनी प्रजा की भलाई का ध्यान रखा और उसकी ख्याति से देवताओं का महत्व कम होने लगा था। देवताओं ने अपना गौरव और महत्व दुबारा हासिल करने के लिए भगवान विष्णु से सहायता की याचना की।

ओणम के त्योहार का मुख्य आकर्षण क्या है?

इस संबंध में प्राचीन मान्यता है कि राजा बलि ओणम के दिन अपनी प्रजा से मिलने आते हैं। उन्हें यह सौभाग्य भगवान विष्णु से मिला था। उसके चलते समाज के लोग विष्णु जी की आराधना और पूजा करने के साथ ही अपने राजा का स्वागत भी करते हैं। ओणम पर्व का सबसे खास आकर्षण होता है साद्य।