पल्स रेट कम होना : पल्स रेट कम होना कई लोगों को होने वाली एक समस्या है, पल्स रेट कम होने से तात्पर्य हृदय गति का सामान्य स्थिति से धीमा होना है जिसे मंदनाड़ी भी कहा जाता है। यद्यपि हृदय की गति एक मिनट में 60 से 100 बार धड़कती है लेकिन यदि हृदय की गति सामान्य से कम हो तो उसे ब्रेडिकार्डिया कहा जाता है। Show
पल्स रेट कम होना की स्थिति को सामान्य के अलावा गंभीर स्थिति भी माना जा सकता है। पल्स रेट कम होने का प्रमुख कारण शरीर तक ऑक्सीजन युक्त रक्त को हृदय द्वारा न पहुँचा पाना होता है। पल्स रेट कम होने के कारण की जानकारी नीचे दी गयी है – Contents
पल्स रेट कम होने के लक्षण (slow Pulse rate symptoms in hindi)पल्स रेट कम होने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते है –
पल्स रेट कम होने का कारण (slow Pulse rate causes in hindi)पल्स रेट कम होने का कारण दिमाग और शरीर के अन्य भागों तक ऑक्सीजन की उचित मात्रा का न पहुंच पाना है। पल्स रेट कम होने के कारण है –
पल्स रेट कम होने के बचाव के उपाय ( Prevention of slow Pulse rate in hindi)पल्स रेट कम होने से बचाव के लिए हृदय को स्वस्थ्य रखना और हृदय से संबंधित बीमारियों से बचाव के कार्यों को अपनाना है। हमारे द्वारा बताए गए इन उपायों को अपनाकर भी यदि पल्स रेट कम होने के लक्षण खत्म नहीं होते है तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें। पल्स रेट कम होना बचाव के उपाय निम्नलिखित है – व्यायाम – हृदय को स्वस्थ्य रखने और हृदय से जुड़ी बीमारियों से सुरक्षित रहने के लिए व्यायाम बेहद अच्छा माध्यम माना जाता है। रोजाना नियमित रूप से व्यायाम करके पल्स रेट कम होना की समस्या से बचा जा सकता है। संतुलित आहार – संतुलित आहार हमारे शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए बेहद जरुरी होता है। संतुलित आहार से शरीर न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रोगों से भी सुरक्षित रहता है। पल्स रेट कम होने की परेशानी से बचने के लिए संतुलित आहार का सेवन करें जिससे हृदय स्वस्थ्य रहेगा। वजन – वजन शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसीलिए यदि आपका वजन संतुलित होगा तो आप कई बीमारियों से बच सकते है। अधिक वजन होने पर पल्स रेट कम हो सकती है जिसे वजन को नियंत्रित करके दूर किया जा सकता है। बीपी और कोलेस्ट्रॉल – पल्स रेट कम होने का कारण ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का असंतुलित होना हो सकता है। बीपी को संतुलन और शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने के लिए ऐसी जीवनशैली को अपनाए जिससे इन दोनों को नियंत्रित किया जा सकता है। तनाव – तनाव की वजह से पल्स रेट कम हो सकती है। तनाव को दूर करने के उपायों को अपनाए इससे पल्स रेट को सामान्य स्थिति में लाया जा सकता है। अपनी जीवनशैली में परिवर्तन को अपनाकर तनाव को खत्म किया जा सकता है। शराब, धूम्रपान और ड्रग्स – शराब, धूम्रपान और ड्रग्स शरीर के लिए बहुत हानिकारक होते है जिससे न केवल मानसिक स्वास्थ्य पर बल्कि हृदय पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। पल्स रेट कम होने पर शराब, धूम्रपान और ड्रग्स का सेवन न करें। शराब और कॉफी का सेवन कम करें। अपनी आंखें बंद करें और आंखों के गोले को हल्के हाथ से दबाएं। आराम मिलेगा। जितना हो सके आराम करें। यदि कुछ मिनटों तक आपको सीने में दर्द बना रहे और सांस लेने में तकलीफ महसूस हो तो तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करें। दिल की धड़कन धीमी होने पर क्या होता हैकभी धड़कन तेज तो कभी धीमी भी हो सकती है। वैसे तो ऐसा होना सामान्य है। ऐसा तब होता है, जब किसी व्यक्ति की हार्ट रेट 60 बीट प्रति मिनट से कम हो जाए। इस स्थिति को ब्राडीकार्डिया कहते हैं। एथलीटों में ऐसा होना आम है, लेकिन सामान्य व्यक्ति के हार्ट बीट स्लो होने का मतलब है दिमाग में ऑक्सीजन की सप्लाई ठीक से ना होना। इस स्थिति में व्यक्ति को थकावट, कमजोरी और चक्कर भी आ सकते हैं।कारण-
समाधानहार्ट बीट स्लो हो जाए, तो डॉक्टर इनके कारणों का उपचार करने का सुझाव देते हैं। कोशिश करें, कि बॉडी को अच्छी मात्रा में ब्लड मिलता रहे। हार्ट बीट जरूरत से ज्यादा कम होने की स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। इसके लक्षणों को ज्यादा देर तक नजरअंदाज न करें। जब दिल की धड़कन रूक जाएऐसा सुनकर ही मन घबराने लगता है। लेकिन, ऐसा कब होता है आपको पता भी नहीं चलता और कुछ समझ नहीं आता कि ये क्या हुआ। लेकिन हार्ट बीच जब अचानक से स्किप यानि रूक जाए और फिर दिल धड़कने लगे, तो इस कंडीशन को हार्ट पेल्पिटेशन कहते हैं। कहीं न कहीं ये हार्ट अटैक का संकेत होता है, इसलिए कभी आपके साथ ऐसा हो, तो ज्यादा देर तक न करते हुए डॉक्टर से बात करें। कारण-
समाधानअचानक बैठे-बैठे हार्ट बीट स्किप हो जाए, तो घबराएं नहीं, बल्कि गहरी सांस लें। चेहरे पर ठंडे पानी के छींटे डालें। अनावश्यक तनाव लेने से बचें, वरना स्थिति बदतर हो सकती है। इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए आप हार्ट रेट को कंट्रोल कर सकते हैं। इस दौरान आपको अगर चक्कर आएं, सीने में दर्द के साथ हल्की बेहोशी महसूस हो, तो डॉक्टर के पास जाएं। क्योंकि ये स्थितियां गंभीर ह्दय रोग का संकेत देती हैं। पल्स रेट कम होने से कौन सी बीमारी होती है?मंदनाड़ी (Bradycardia) (यूनानी भाषा में मंदनाड़ी, या "हृदय का धीमा होना"), वयस्कों की दवा के संदर्भ में स्थिर हृदय गति की दर प्रति मिनट 60 बीट से कम होने को कहते हैं, हालांकि इसे तब तक रोग का लक्षण नहीं कहा जाता जब तक ये प्रति मिनट 50 बीट से कम न हो जाए.
पल्स रेट 60 से कम होने पर क्या होता है?हृदय की दर 60 से कम होने पर व्यक्ति को बेहोशी, अस्थिर रक्तचाप, चक्कर आना और हृदय में दर्द जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। ब्राडीकार्डिया का उपचार करने के लिए कई बार चिकित्सकों को सर्जरी की भी मदद लेनी पड़ती है।
पल्स रेट कम क्यों होती है?दिल की धड़कन धीमी होने पर क्या होता है
वैसे तो ऐसा होना सामान्य है। ऐसा तब होता है, जब किसी व्यक्ति की हार्ट रेट 60 बीट प्रति मिनट से कम हो जाए। इस स्थिति को ब्राडीकार्डिया कहते हैं। एथलीटों में ऐसा होना आम है, लेकिन सामान्य व्यक्ति के हार्ट बीट स्लो होने का मतलब है दिमाग में ऑक्सीजन की सप्लाई ठीक से ना होना।
कैसे पल्स रेट तुरंत बढ़ाने के लिए?1-उत्कटासन (utkatasana In Hindi) 1-इस आसन को करने के लिए अपने दोनों पैरों के बीच में थोड़ा सा गैप रखें और सीधे खड़े हो जाएं। 2-अब हाथों को सामने की ओर लाकर हथेली को जमीन की ओर रखें और कोहनी सीधी होनी चाहिए। 3-उसके बाद घुटनों को मोड़ें और धीरे-धीरे अपने कूल्हों को नीचे की ओर ले जाएं।
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