प्रयोगशाला एवं क्षेत्र प्रयोग के विभिन्न प्रकार कौन कौन हैं? - prayogashaala evan kshetr prayog ke vibhinn prakaar kaun kaun hain?

प्रयोगशाला एवं क्षेत्र प्रयोग के विभिन्न प्रकार कौन कौन हैं? - prayogashaala evan kshetr prayog ke vibhinn prakaar kaun kaun hain?

उन्नीसवीं शताब्दी के भौतिकशास्त्री एवं रसायनज्ञ माइकल फैराडे अपनी प्रयोगशाला में

प्रयोगशाला एवं क्षेत्र प्रयोग के विभिन्न प्रकार कौन कौन हैं? - prayogashaala evan kshetr prayog ke vibhinn prakaar kaun kaun hain?

प्रयोगशाला वैज्ञानिक प्रयोगों, अनुसंधान, शिक्षण, या रसायनों और औषधियों के निर्माण के लिए सुसज्जित एक कक्ष या भवन है।

सुरक्षा[संपादित करें]

प्रयोगशाला में सुरक्षा अति आवश्यक है। रसायन अथवा भौतिकी में कई प्रकार के ऐसे प्रयोग होते हैं जिसमें आग लगने या रासायनिक अभिक्रिया आदि होने का खतरा बना रहता है। इस कारण सभी प्रयोगशाला में आग बुझाने का सभी सामान पहले से होता है। इसके अलावा प्रयोगशाला में प्रवेश से पूर्व ही यह बताया जाता है कि यहाँ क्या और कैसे करना है। इसके साथ ही सभी प्रकार के सावधानी से जुड़ी बातें बताई जाती हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

प्रयोगशाला प्रयोग ’और क्षेत्र प्रयोग’ के बीच मुख्य अंतर है:

  1. चरों की माप में शुद्धता
  2. बाहरी चर के नियंत्रण की डिग्री
  3. डेटा विश्लेषण तकनीकों का उपयोग
  4. अनुसंधान उपकरणों के आवेदन

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : बाहरी चर के नियंत्रण की डिग्री

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10 Questions 20 Marks 12 Mins

प्रयोगशाला प्रयोग

  • एक प्रयोगशाला प्रयोग अत्यधिक नियंत्रित परिस्थितियों में किया जाने वाला एक प्रयोग है, जहां सटीक माप संभव है।
  • शोधकर्ता यह तय करता है कि प्रयोग कहां होगा, किस समय, किन प्रतिभागियों के साथ, किन परिस्थितियों में और एक मानकीकृत प्रक्रिया का उपयोग किया जाएगा।
  • एक प्रयोगशाला प्रयोग में चरण :
  1. नमूना प्रयोग को समझना।
  2. एक परीक्षण योग्य प्रश्न।
  3. विषय पर शोध।
  4. एक परिकल्पना।
  5. आपका प्रयोग डिजाइन।
  6. प्रयोग करना।
  7. डेटा इकट्ठा करना।
  8. निष्कर्ष।
  • प्रयोगशाला प्रयोग प्रक्रियाओं को निर्धारित करने की लागत प्रभावी साधन प्रदान करते हैं।
  • सिद्धांत की वैधता की सीमा की जांच करना, विशेष रूप से जब गैर-महत्वपूर्णता महत्वपूर्ण है और सैद्धांतिक विश्लेषण विकसित करने में प्रगति करने के लिए अनुमान लगाना आवश्यक है।

क्षेत्र प्रयोग

  • क्षेत्र प्रयोग प्रयोगशाला सेटिंग्स के बाहर किए गए प्रयोग हैं।
  • वे कारण-संबंधी संबंधों के दावों का परीक्षण करने के लिए यादृच्छिक रूप से उपचार या नियंत्रण समूहों को विषय सौंपते हैं।
  • शोधकर्ताओं ने जांच की कि कम से कम एक स्वतंत्र चर का हेरफेर प्राकृतिक वातावरण के संदर्भ में एक आश्रित चर में परिवर्तन कैसे होता है।
  • क्षेत्र प्रयोग एक प्रायोगिक डिजाइन का उपयोग करके अध्ययन है जो एक प्राकृतिक सेटिंग में होते हैं।
  • जिस संदर्भ में प्रयोग किया जाता है वह परिवर्तन होता है
  • प्रयोगशाला सेटिंग के बजाय, प्रयोग क्षेत्र, या वास्तविक दुनिया में किया जाता है।

इसलिए, प्रयोगशाला प्रयोग ’और क्षेत्र प्रयोग’ के बीच मुख्य अंतर बाहरी चर के नियंत्रण की डिग्री का है।

Last updated on Dec 29, 2022

UGC NET 2023 Application Dates and Exam Dates Out. Candidates can apply from 29th December 2022 to 17th January 2023. The exam for this cycle will be conducted from 21st February 2023 till 10th March 2023. The UGC NET CBT exam pattern consists of two papers - Paper I and Paper II. Paper I consists of 50 questions and Paper II consists of 100 questions. By qualifying this exam, candidates will be deemed eligible for JRF and Assistant Professor posts in Universities and Institutes across the country.

प्रयोगशाला विधि जीव विज्ञान की शिक्षा प्रयोगशाला के बिना अपूर्ण हैं इस विधि के माध्यम से छात्र विषय वस्तु को सरलता से ग्रहण करते हैं। माध्यमिक स्तर पर प्रत्येक विद्यालय में प्रयोगशाला अनिवार्य हैं यह विधि जीव विज्ञान शिक्षण की सरलतम विधि हैं। यह विधि शिक्षक के संरक्षण में चलने वाली पद्धति हैं। इसके लिये प्रत्येक विद्यालय में एक प्रयोगशाला होती हैं, जहां छात्र अध्यापक के नेतृत्व में प्रयोग करते हैं।

इस विधि में छात्रों को स्वयं प्रयोगशाला में प्रयोग करनें का अवसर मिलता हैं छात्रों को शिक्षक आवश्यक निर्देश देकर प्रयोग हैंत ु उपकरण तथा सामग्री देते हैं जिनकी सहायता से छात्र स्वयं निरीक्षण करते हैं परीक्षण करते हैं अथवा Dissection करते हैं जीव विज्ञान विषय में मुख्य रूप से जन्तुओं का Dissection, हड्डियों का अध्ययन, स्लाइड तैयार करना, पौधे तथा जन्तुओं को सुरक्षित काटना तथा उनको रंगना, शरीर क्रिया सम्बन्धी प्रयोग, पौधे तथा जन्तुओं को सुरक्षित रखना तथा जड़ना आदि कार्य किया जाता हैं। 

यह सभी कार्य छात्र शिक्षक के संरक्षण में प्रयोगशाला में करते हैं प्रयोग करने के बाद निरीक्षण, चित्र खींचना, प्रयोग सम्बन्धी निष्कर्ष तथा विवरण छात्र अपनी प्रयोगात्मक पुस्तिका में करते हैं इसके उपरान्त शिक्षक इसका मूल्यांकन करता हैं। इस विधि में छात्र अधिकतम सक्रिय रहता हैं तथा शिक्षक निरीक्षण करते हैं इसके द्वारा छात्रों में प्रयोगात्मक योग्यता का विकास होता हैं। प्रयोगशाला में ही यह विधि नहीं समाप्त हो जाती बल्कि तालाब, नदियां, झील, उद्यान, पहाड़, जंगलों कृषि क्षेत्र जैव -संग्रहालय आदि भी प्रयोगशाला के अंग हैं।

इस विधि द्वारा खोज की प्रवृति भी जाग्रत होती हैं। उचित विधि के द्वारा किसी समस्या या प्रयोग के परिणाम पर पहुँचना ओर खोज द्वारा प्राप्त तथ्यों का उल्लेख करना इसी विधि के अंग हैं।

प्रयोगशाला विधि के दोष

  1. अनेक प्रयोग वास्तविक कार्य नहीं होते हैं, इसलिये प्रायोगिक कार्य नीरस हो जाता हैं। 
  2. नकल की सम्भावना अधिक हो जाती हैं, अतः छात्रों के परिणाम एवं निष्कर्षो पर निगरानी रखना आवश्यक हैं। 
  3. यह निश्चित नहीं कि वैज्ञानिक विधियों से समस्या का हल करना सीखा जाये, अतः बाद के जीवन में इसकी उपयोगिता संदिग्ध हैं। 
  4. कुछ तथ्य ऐसे भी होते हैं, जिन्हें प्रदर्शन विधि द्वारा अच्छी प्रकार समझाया जा सकता हैं। 
  5. छात्रों की सक्रियता न हो तो यह विधि असफल होती हैं। 
  6. नाजुक उपकरणों का छात्रों द्वारा ट ूटने का भय रहता हैं। 
  7. सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की प्राप्ति इस पद्धति द्वारा सम्भव नहीं हैं। 
  8. जीव विज्ञान के सैद्धांतिक पक्ष पर कम बल दिया जाता हैं। 
  9. उन प्रकरणों के लिये उपयोगी नहीं हैं। भावी जीवन में भी अधिकांश बालकों के लिये इसका कोई उपयोग नहीं रह पाता। 
  10. यह विधि व्यक्ति सापेक्ष हैं अतः इसके द्वारा विज्ञान शिक्षण की सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती। 
  11. छात्रों के लिये योजना बनाने, व्यक्तिगत रूप से उनके कार्य का निरीक्षण करने एवं उपकरण की देखभाल करने से व्यर्थ में ही अध्यापक का बहुत सा समय नष्ट हो जाता हैं।

प्रयोगशाला विधि में ध्यान रखने योग्य बातें

छात्र जिस जन्तु, पौधे (तने, जड़, पती) की चीर फाड, पहचान करना, प्रयोग आदि कार्य करें उसकी जानकारी तथा तैयारी प्रारम्भ में ही कर लें।

छात्रों को प्रयोगशाला के कार्यों को प्रयोगशाला में ही ईमानदारी से समाप्त करना चाहिए।

अपनी समस्या के समाधान के लिये छात्रों को भी प्रयोग के सुझाव देने चाहिए तथा इन प्रयोगों को विधिवत सावधानी के साथ ओर ठीक ठीक करना चाहिए। सरल ओर अप्रत्ययी प्रयोगों को प्राथमिकता देनी चाहिए ओर इनका प्रयोगात्मक महत्व दैनिक जीवन से संबंधित परिस्थितियों द्वारा समझाना चाहिए।

प्रयोगात्मक कार्य करने के उपरान्त छात्रों को संबंधित सामग्री तथा उपकरणों को सावधानी पूर्वक यथा स्थान रख देना चाहिए। मेज इत्यादि साफ कर देनी चाहिए, ताकि छात्रों के अगले समूह को कठिनाई न हो।

प्रयोगशाला में बातचीत न करें तथा संबंधित समस्या को अध्यापक से पूछे इससे शांतिपूर्ण वातावरण रहेगा तथा छात्रों की एकाग्रता बनी रहेंगी।

चीर फाड करने के उपरान्त जन्तु अथवा पेड़ पौधों को कूड़ादान या उचित स्थान पर फेंके, ताकि प्रयोगशाला स्वच्छ रहें।

इस विधि की सफलता के लिये प्रयोग कार्य की उत्तम योजना, प्रयोगों की विविधता, उपकरणों एवं यन्त्रों (सामग्री) की यथोचित मात्रा एवं क्रियाशीलता आवश्यक हैं प्रयोग सम्बन्धी सहायक पुस्तकें एवं अध्यापक का सहयोग, निर्देशन एवं पथ प्रदर्शन भी इस विधि की सफलता के लिये आवश्यक हैं।

प्रयोगशाला विधि के गुण

  1. इस विधि द्वारा दिया गया ज्ञान रूचिकर तथा स्थायी होता हैं, साथ ही विद्यार्थी यर्थाथता से परिचित होकर स्वयं करके सीखता हैं। 
  2. यह समस्या हल करने की उत्तम विधि हैं समस्या का हल प्रयोगों के आधार पर किया जाता हैं। 
  3. छात्रों में निर्णय शक्ति, तर्क, निरीक्षण आदि गुणों का विकास होता हैं। 
  4. सीखने के उत्तम अवसर छात्र को प्राप्त होते हैं। 
  5. छात्र क्रियाशील रहता हैं तथा उसमें आत्मविश्वास पैदा होता हैं।
  6. छात्र विभिन्न उपकरणों का स्वयं प्रयोग करते हैं इसमें उन्हें यंत्रों की क्रियाविधि का प्रत्यक्ष ज्ञान होता हैं इसके अतिरिक्त छात्रों में प्रयोग कोशल का विकास भी होता हैं।
  7. इससे विद्यार्थी में वैज्ञानिक प्रवृति उत्पन्न होती हैं छात्र निरीक्षण करने, तर्क करने प्रयोग करने, स्वतंत्र चिन्तन करने में दक्षता प्राप्त करना हैं।

प्रयोगशाला एवं क्षेत्र प्रयोग के विभिन्न प्रकार कौन कौन है?

प्रयोगशाला सेटिंग के बजाय, प्रयोग क्षेत्र, या वास्तविक दुनिया में किया जाता है।.
नमूना प्रयोग को समझना।.
एक परीक्षण योग्य प्रश्न।.
विषय पर शोध।.
एक परिकल्पना।.
आपका प्रयोग डिजाइन।.
प्रयोग करना।.
डेटा इकट्ठा करना।.
निष्कर्ष।.

प्रयोगशाला प्रयोग से क्या समझते हैं?

प्रयोगशाला विधि शिक्षा की प्रसिद्ध उक्ति 'स्थूल से सूक्ष्म की ओर' पर आधारित विधि है। इस विधि में छात्र स्वयं प्रयोगशाला में उपस्थित यंत्रों, उपकरणों तथा अन्य सामग्री की सहायता से विषय वस्तु के तथ्यों, नियमों, सिद्धांतों, संबंध वादी की सत्यता की जांच करते हैं और उनका उपयोग समस्याओं के हल ज्ञात करने में करते हैं

प्रयोगशाला विधि किसका सिद्धांत है?

यह पद्धति अधिगम के मनोवैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित है जहां छात्रों को प्रत्यक्ष और मूर्त अनुभव प्रदान करने वाली गतिविधियों पर जोर दिया जाता है। विज्ञान में सभी प्रयोगों और गतिविधियों को प्रयोगशाला में किया जा सकता है जिसमें उपकरण और अन्य उपयोगी शिक्षण सहायक सामग्री के भाग उपलब्ध होते है।

प्रयोगशाला के जनक कौन है?

इस प्रयोगशाला विधि के जनक डेवी जॉन मोरविल (Davy John Morville) है, जो अमेरिका के महान दार्शनिक तथा शिक्षक थे। इन्होंने गतिशील शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रयोगशाला स्कूल की स्थापना भी की थी।