पर्यावरण के प्रति युवाओं की जिम्मेदारी क्या है? - paryaavaran ke prati yuvaon kee jimmedaaree kya hai?

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पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी

पर्यावरण एक ऐसा मसला है जिसमें व्यक्तिगत प्रयास के साथ साथ सामूहिक प्रयास की सख्त आवश्यकता है। अत्यधिक जरूरतों को पूरा करने के नाम पर हमलोगों ने पर्यावरण का इतना अधिक नुकसान कर दिया है कि उसके लिए अब सामूहिक प्रयास अत्यंत जरूरी है। इस वर्ष तमाम मैंने यह प्रण लिया है कि पर्यावरण से जुड़े कोई भी कार्य को करने के दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उसमें बच्चों व युवा की तादाद अधिक से अधिक हो। आने वाले समय में बच्चे व युवाओं पर ही पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी होगी ऐसे में पर्यावरण के प्रति उनके मन में लगाव की भावना जागृत करनी जरूरी है।

पर्यावरण एक ऐसा मसला है जिसमें व्यक्तिगत प्रयास के साथ-साथ सामूहिक प्रयास की सख्त आवश्यकता है। अत्यधिक जरूरतों को पूरा करने के नाम पर हम लोगों ने पर्यावरण का इतना अधिक नुकसान कर दिया है कि उसके लिए अब सामूहिक प्रयास अत्यंत जरूरी है। इस वर्ष मैंने यह प्रण लिया है कि पर्यावरण से जुड़े कोई भी कार्य को करने के दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उसमें बच्चों व युवा की तादाद अधिक से अधिक हो। आने वाले समय में बच्चे व युवाओं पर ही पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी होगी, ऐसे में पर्यावरण के प्रति उनके मन में लगाव की भावना जागृत करना जरूरी है।

एमएन झा, डाबड़ी

पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक है कि हम प्रकृति से कम लें और बदले में अधिक दें। प्रकृति पर बोझ कम से कम डालें। तमाम बातों को ध्यान में रखकर इस वर्ष मैंने यह संकल्प लिया है कि ऐसे संसाधन का इस्तेमाल करूंगी जो पर्यावरण अनुकूल हो। पानी की बर्बादी न हो इसके लिए दैनिक कार्यों में एक तो पानी का कम इस्तेमाल व इस्तेमाल योग्य पानी को बर्बाद करने के बजाय उसका फिर से किसी अन्य कार्य में इस्तेमाल हो, इस पर ध्यान दूंगा। आगामी पर्यावरण दिवस तक 51 औषधीय पेड़ लगाने का भी मैंने संकल्प लिया है।

कमलजीत, तिलक नगर

Edited By: Jagran

युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा

जयपुरPublished: Jun 07, 2020 11:29:34 pm

कोविड- 19 महामारी की विषम परिस्थितियों में पर्यावरण एवं सतत विकास में शिक्षकों की भूमिका विषय पर अंतरराष्ट्रीय बेबिनार का आयोजन

पर्यावरण के प्रति युवाओं की जिम्मेदारी क्या है? - paryaavaran ke prati yuvaon kee jimmedaaree kya hai?

युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा

जयपुर। पर्यावरण एवं सतत विकास के लिए देश प्रदेश के युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा। यही नहीं हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हमारे पास जो प्राकृतिक संसाधन है उस पर उपयुक्त नीति होनी चाहिए। यह बात रविवार को तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कोविड- 19 महामारी की विषम परिस्थितियों में पर्यावरण एवं सतत विकास में शिक्षकों की भूमिका विषय पर पॉलिटेक्निक महाविद्यालयों द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन बेबिनार में यह बात कही। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य में राज्य के इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक विद्यार्थियों के द्वारा वर्ष 2019 में पौधरोपण अभियान चला कर 5 हजार से अधिक पौधे लगाए थे तथा उनके वृक्ष बनने तक संरक्षण का संकल्प लिया गया। इस अति महत्वपूर्ण बेबिनार में 3 हजार 244 से अधिक शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं पर्यावरण प्रेमियों ने भाग लिया।
डॉं. गर्ग ने सभी तकनीकी शिक्षकों विशेषज्ञों, वैज्ञानिक, वार्ताकार एवं उपस्थित सभी को विश्व पर्यावरण दिवस पर धन्यवाद करते हुए सबका आभार प्रकट करते हुए बताया कि पर्यावरण के क्षेत्र में जो समस्या आ रही है या आयेगी, उसका मुकाबला हम सबको मिलकर करना है। कोरोना के वैश्विक संकट के दौरान जो वैश्विक महामारी आयी है, उसने हम सबको मजबूर कर दिया है कि जिन चीजों को हम नजर अंदाज करके चल रहे थे जैसे पर्यावरण संतुलन का मामला हो, चाहे वनसम्पदा के संरक्षण का मामला हो, चाहे पर्यावरण के सतत विकास की बात हो, वो आज हमारी आवश्यकता है। एक तरफ देश और प्रदेश में कोरोना का दबाव है, दूसरी तरफ जी.डी.पी. को बढ़ाने, आर्थिक विकास में वृद्धि करना, आर्थिक विकास बढ़ाने के लिये उत्पादन बढाना पड़ेगा, रोजगार सृजन करना पड़ेगा, यह चुनौतियां है। भारत एक विकासशील देश है। जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है दूसरी तरफ हमारे प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं, हमारे देश में भूमि एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों की मात्रा सीमित है। उन प्राकृतिक संसाधनों का हम अंधाधुंध उपयोग नहीं कर सकते या दोहन नहीं कर सकते। हमारी धरती की मात्रा निश्चित है।

हमारे चारों ओर फैली सभी चीजों को ही पर्यावरण के रुप में परिभाषीत किया जाता है, हमारी पृथ्वी के चारों तरफ पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों को ही हम पर्यावरण कहते है। यही हमारे ग्रह पर जीवन को बनाए रखने में सहायक होती है और हमें अधिक से अधिक प्राकृतिक संसाधन उपल्बध कराती है। मैंने विभिन्न शब्द सीमाओं में तीन निबंध दिए है।

पर्यावरण की रक्षा कैसे करें पर छोटे और बड़े निबंध (Short and Long Essays on How to Protect the Environment, Paryavaran ki Raksha kaise karen par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 शब्द) – पर्यावरण का रक्षा कैसे करें

परिचय

जीवन को स्वच्छ और स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए हमारे पर्यावरण का स्वच्छ होना बहुत आवश्यक होता है। दुर्भाग्य से यह बात सही नही है। हम सभी जिस वातावरण में रहते है, हम स्वयं ही उसे अपने कार्यों से क्षतिग्रस्त करते है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हमें संक्रिय कदम उठाने चहिये और युवा पीढ़ी को भी इसमें शामिल करने की तत्काल आवश्यकता है।

पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए कदम

नीचें कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की मैनें सूची दी है, जो यह सुनिश्चित करते है कि हम पर्यावरण को नुकसान से कैसे बचाएं –

  • प्लास्टिक बैग और उसके उत्पादों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाएं।
  • यह सुनिश्चित करें कि आपके घर के कचरे को सही चैनल के साथ अलग-अलग किया गया है या नहीं।
  • कचरे को फैलने से रोकें और दूसरों को भी इसे रोकने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • रासायनिक उर्वरकों और किटनाशकों के उपयोग से बचे और जैविक पदार्थों का उपयोग करें।
  • वाहनों से निकलने वाले घुएं को कम करे, ये हमारे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुचाते है।
  • जंगलों को बचाएं और पेड़ लगाएं क्योंकि ये पर्यावरण के लिए फेफड़ों जैसा काम करते है।
  • भूतल या सतह जल का उपयोग कम से कम करने का प्रयास करे।

पर्यावरण संरक्षण में छात्रों की भूमिका

पर्यावरण के संरक्षण में छात्र बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। वो बहुत संवेदनशील और ग्रहणशील होते है, और वे बहुत उदारता से कोई भी सलाह या सुझाव लेते है। यहां ऐसे कई स्कूल है जो कि स्वच्छता अभियानों में बहुत ही सक्रीय रुप से भाग लेते है। छात्र बहुत ही उर्जा और उत्साह से भरे होते है और ऐसे अभियानों में उनका कार्य बहुत ही अतुलनीय होता है। इसके अलावा एक छात्र इस पर्यावरण के मुल्य को बहुत भली-भांति समझता है और वो अपने परिवार के छोटे और बड़ों को इसके महत्व को अच्छी तरह बता और सिखा सकता है।

निष्कर्ष

यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित और प्रदूषण मुक्त रखें। साथ ही इसके लिए युवा छात्रों में रोपिंग के कारण अद्भुत रुप से काम करेगा।

निबंध 2 (400 शब्द) – पर्यावरण स्वास्थ्य में कैसे सुधार करें

परिचय

हमे चारों तरफ से घेरने वाली हर चीज को हम पर्यावरण के रुप में परिभाषित करते है। इस परिभाषा का अनुसरण करते हुए हमारे पर्यावरण में शामिल हैं – वायु, मिट्टी, जल, जंगल, पौधें, पहाड़, महासागर, समुद्री जीव, आदि। इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी होती है कि हम अपने हित के लिए पर्यावरण की रक्षा करे। इस निबंधमें हम पर्यावरण में सुधार और पर्यावरण संरक्षण में छात्रों की भूमिका के बारे में चर्चा करेंगें।

पर्यावरण के स्वास्थ में सुधार कैसे करें

कई तरीकों से हम अपने पर्यावरण की स्थिती में सुधार कर सकते है, लेकिन उनमें से कुछ महत्वपूर्ण बातें नीचे दी गयी है –

  • पुनःनिर्माण और उसका उपयोग

पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले बहुत सारे कचरों में डंप की गई बहुत सी घरेलू सामग्रियां होती है जो कि घरेलू उपयोग में नही होती है, जैसे कि – प्लास्टिक और कांच की बोतेलें, टिन के डिब्बे, टूटे हुए कम्प्यूटर, या अन्य प्लास्टिक की चीजें, कपड़े, इत्यादि। ये सारे अपशिष्ट पदार्थ मिट्टी और पानी में पहुच जाते है। वे वहां वर्षों तक रहते है, और उन्हें प्रदूषित करते है और उनकी गुणवत्ता को हानी पहुंचाते है। यदि हम इन्हें पर्यावरण में फेकने के बजाय इन्हें फिर से रीसायकल करने के आसान से तरीके को अपनाते है तो हम पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक बड़ा काम कर सकते है।

  • पेड़ों की रक्षा करें

पेड़ इस ग्रह के फेफड़े की तरह है, यह पर्यावरण के बहुत ही आवश्यक सदस्य है। यह फिल्टर की तरह कार्य करते है और किसी भी जगह के हवा की गुणवत्ता को उच्च बनाए रखने का कार्य करती है। ये कार्बन डाइऑक्साइड का सेवन करती है और जीवन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन का उत्सर्जन करती है। पेड़ों को बनाए रखने के लिए लाखों जीवन रुपों का उल्लेख करने की आवश्यकता नही है, ये केवल पक्षियों, कीड़े, सरीसृप, इत्यादि पर ही जीवित रह सकते है। हम जितने ही अधिक पेड़ों की रक्षा करेंगे, हम पर्यावरण के स्वास्थ्य सुधार में उतना ही योगदान कर सकेंगे।

  • कूड़ा न फैलाएं

आप में से कितने ही लोगों ने समुद्र के तटों पर, स्मारकों और बाजारों वाली जगहों पर प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों, खाने के पैकेटों आदि को देखा होगा। इस प्रकार के कूड़े साधारणतः सड़ते है और हमारे पर्यावरण को बहुत ही ज्यादा नुकसान पहुंचाते है। पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि हम कूड़ा न करें। कचरे को कूड़ेदान में डालने की आदत को अपनाए। जब आपके आसपास एक भी कूड़े का कचरा दिखाई दे तब तक यह कार्य सफल नही होगा।

  • शिक्षित और प्रेरित करे

हम सभी शिक्षित है और हम अन्य लोगों को पर्यावरण को कैसे सुरक्षित रखने के लिए जागरुक कर सकते है। युवाओं और बच्चों को सिखाने या पढ़ाने पर विशेष रुप से जोर देना चाहिए। जब युवा बच्चों को पर्यावरण के मूल्यों के बारे में बताया और सिखाया जाता है, तो बड़े होने पर वो इनके महत्व को अच्छी तरह से समझते है। हमें दूसरों को पेड़ लगाने और स्वच्छता अभियान के आयोजनों के लिए अधिक प्रेरित करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

पर्यावरण का संरक्षण हम सभी मनुष्यों के ही हाथों में है। केवल मनुष्य ही इसके लिए पहल कर सकता है और पर्यावरण को बचा सकता है, जिससे कि इस ग्रह पर जीवन की रक्षा होगी।

पर्यावरण के प्रति युवाओं की जिम्मेदारी क्या है? - paryaavaran ke prati yuvaon kee jimmedaaree kya hai?

निबंध 3 (600 शब्द) – पर्यावरण को संरक्षित करने के कारण और तरीके

परिचय

आमतौर पर हमारे चारों ओर फैली सभी चीज़ें ही पर्यावरण कहलाती है। पेड, पौधे, जंगल नदियाँ और हमारे चारो ओर फैली चीजे ही प्राकृतिक वातावरण है। दुर्भाग्य से हमारा प्राकृतिक वातावरण मानव की गतिविधियों के कारण ही खतरे में है। मनुष्य पर्यावरण को रोजाना ही नुकसान पहुचा रहा है, हमें इसके संरक्षण के लिए आवश्यक और कठोर कदम उठाने की जरूरत है। इस निबंधमें हम इस बात पर चर्चा करेगें कि हमें पर्यावरण की रक्षा करने की आवश्यकता क्यों है और हम ऐसा कैसे कर सकते है।

हमें पर्यावरण की रक्षा करने की आवश्यकता क्यों है?

पर्यावरण ही हमारा घर है। यह वही जगह है जहां हम रहते है। वास्तव में यह जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। नीचे कुछ मुख्य कारणों को दर्षाया गया है कि हमें पर्यावरण की रक्षा क्यों करनी चाहिए।

  • ये हमें भोजन देते है

हमारा पर्यावरण हमारे भोजन का प्रमुख श्रोत है जो हम खाते है। सभी तरह के अनाज से लेकर फल, सब्जीयां, इत्यादि हमें सबकुछ पर्यावरण से ही मिलता है। क्या इतनी बड़ी आबादी के लिए प्रचुर मात्रा में खाद्य आपूर्ति के बिना जीवित रहना संभव होगा? पर्यावरण को नुकसान कर हम अपने ही खाद्य आपूर्ति में बाधा डाल रहे है।

  • आवश्यक जीवन तत्वों की आपूर्ति (प्राकृतिक संसाधन)

पर्यावरण हमें दो अति आवश्यक तत्व प्रदान करता है, जो हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है – हवा और जल। हम सभी को जीवित रहने के लिए हवा की जरुरत होती है, चाहे वह जानवर हो, पौधें हो, या फिर जलीय जीव-जन्तु हो, सभी को ऑक्सीजन और ताजी हवा की जरूरत होती है। जल भी एक अन्य जरूरी जीवन निर्वाह तत्व है। यदि हम अपने पर्यावरण को नुकसान पहुचाते है, तो हम खुद ही अपनी हवा और पानी की आपूर्ति में कटौती कर रहें हैं।

  • आजीविका बनाए रखती है

दुनियाभर के अरबों लोग अपनी आजीविका के लिए केवल पर्यावरण पर ही निर्भर रहते है। उन्होंने कई व्यापार संसाधनों को इस पर्यावरण से ही प्राप्त किया है। किसान, फल विक्रेता, मछुआरे, इत्यादि सभी जीने के लिए पर्यावरण पर ही निर्भर है।

  • पूर्ण रूप से इकोसिस्टम का समर्थन करता है

एक संतुलित और बिना क्षतिग्रस्त पर्यावरण पूर्णतः पारिस्थितिकी तंत्र का इस तरह से समर्थन करता है कि यह जीवन का सहायक बन जाता है। एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र के साथ जीवन फलता-फूलता है और प्रजातियों का विस्तार करता है।

हम पर्यावरण का संरक्षण कैसे कर सकते है – 5 सरल तरीके?

नीचे हम पर्यावरण संरक्षण के पांच सरल तरीकों के बारे में जानेंगे –

  • अपशिष्ट नियंत्रण

कचरे का अनुचित निपटारे की समस्या ही आज हमारे पर्यावरण के लिए खतरे का कारण है। कचरा सिर्फ पर्यावरण में ही नही फैलता बल्कि ये हमारे मिट्टी, पानी और हवा में जाकर उन्हें प्रदूषित करता है। पर्यावरण की क्षति को कम करने के लिए उचित अपशिष्ट तकनीकीयों का नियोजन करना आवश्यक है।

  • वर्षा जल संचयन

पानी या तो सतह का हो या भूमिगत यह एक आवश्यक संसाधन है, जो पर्यावरण के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यदि ये पानी सूखते चले गए तो पर्यावरण का क्या होगा। वर्षा जल का संचयन पानी और पर्यावरण को बचाने का एक अच्छा तरीका है।

  • इको-फ्रेंडली बनें

पर्यावरण के हित के लिए सबसे बेहतर होगा कि हम पर्यावरण के प्रति प्रेम भाव रखें या पर्यावरण के प्रति हम प्रेमी बने। इसके लिए हम ऐसा कर सकते है कि प्लास्टिक की चीजों की जगह हम बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग का इस्तेमाल करें, पेपर बैग्स का इस्तेमाल करें, पेड़ लगाकर और स्वच्छता अभियानों में भाग लेकर हम आपने पर्यावरण के सुधार में योगदान कर सकते है।

  • रासायनों से दूर रहें

जहां तक संभव हो, मुख्य रुप से कृषि के क्षेत्र में रासायनों के उपयोग से बचने की कोशिश करें। यदि इसे टाला नही जा सकता है तो यह सुनिश्चित करें कि उसका कम से कम इस्तेमाल हो ताकि कोई भी रासायन पर्यावरण तक न पहुच सके और वह उपयोग के बाद बेअसर हो जाए।

  • ड्राइव कम करे और अधिक चलें

वाहन, आज पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य स्रोत या कारण बन गया है। इससे निकलने वाली जहरीली और हानिकारक गैसों का उत्सर्जन पर्यावरण को प्रदूषित करता है। यदि हम वाहनों का तभी इस्तेमाल करे जब यह बहुत ही आवश्यक हो, तो हम पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने में अपना सहयोग कर सकेंगे।

निष्कर्ष

पर्यावरण वह जगह है जहां हम रहते है और इसे गंदा करना आपके लिए आखिरी चीज हो सकती है, जो आप करना चाहते है। यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ और जीवन को सुरक्षित बनाए रखने में अपना सहयोग करे, यह न केवल अपने लिए बल्कि अन्य जीवों के लिए भी यह बहुत आवश्यक है।

पर्यावरण के प्रति युवाओं की क्या जिम्मेदारी है?

युवाओं और बच्चों को सिखाने या पढ़ाने पर विशेष रुप से जोर देना चाहिए। जब युवा बच्चों को पर्यावरण के मूल्यों के बारे में बताया और सिखाया जाता है, तो बड़े होने पर वो इनके महत्व को अच्छी तरह से समझते है। हमें दूसरों को पेड़ लगाने और स्वच्छता अभियान के आयोजनों के लिए अधिक प्रेरित करने की आवश्यकता है।

पर्यावरण के प्रति हमारी क्या जिम्मेदारी हैं?

प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया है। इसे सहेजकर रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। प्रकृति के द्वारा प्रदत्त पर्यावरण के विरुद्ध कार्य करने की वजह से पर्यावरण को नुकसान हुआ है। इसलिए हमें एकजुट होकर पर्यावरण के सुधार के लिए प्रयास करने चाहिए।

पर्यावरण के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है?

पर्यावरण अनमोल धरोहर है, इसकी सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य है। प्रकृति में मौजूद प्राचीन जड़ी-बूटियां स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं, लेकिन हम इन्हें संरक्षण नहीं दे रहे हैं। युवाओं को तो इनके बारे में पता तक नहीं है। उन्हें जागरूक करने की जरूरत है।

पर्यावरण को बचाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

पर्यावरण को बचाने के लिए हम निम्नलिखित योगदान दे सकते हैं। पेड़ कटाई का विरोध करे,पेड़ लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करे। हवा को शुद्ध रखने के लिए पेड़-पौधे लगाएं,हो सके तो इन्धनयुक्त चीजो का उपयोग कम करे। प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का कम से कम उपयोग करे।