स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता (कलकत्ता) में हुआ था। उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। स्वामी विवेकानंद एक ऐसे संत थे जिनके रोम का हर कण राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत था। Show राष्ट्र के दीन-हीन लोगों की सेवा को ही विवेकानंद ईश्वर की सच्ची पूजा मानते थे। उन्होंने युवाओं के हृदय को जितना झंकृत किया, उतना शायद किसी और ने किया हो। विवेकानंद जी ने करोड़ों देशवासियों को समृद्ध करना ही अपना जीवन लक्ष्य बनाया था। उन्होंने 4 जुलाई सन् 1902 को देह त्याग किया था। वे भारत के महान संत, आध्यात्मिक गुरु एवं विचारक रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। यहां पढ़ें स्वामी विवेकानंद के 25 ओजस्वी विचार (Swami
Vivekananda 25 Quotes), जो आपको जोश और उत्साह से भर देंगे। 1. स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) के अनुसार खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है। 2. ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हमी हैं, जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है। 3. उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक कि लक्ष्य न प्राप्त हो जाए। 4. जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएं अपना जल समुद्र में मिला देती हैं, उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग चाहे वह अच्छा हो या बुरा, भगवान तक जाता है। 5. किसी की निंदा न करें। अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो जरूर बढ़ाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते हैं, तो अपने हाथ जोड़िए, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिए और उन्हें उनके मार्ग पर जाने दीजिए। 6. कभी मत सोचिए कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है। अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि 'तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं। 7. अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है अन्यथा ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाए, उतना बेहतर है। 8. जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का विश्वास उठ जाता है। 9. उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता। 10. हम वो हैं, जो हमें हमारी सोच ने बनाया है इसलिए इस बात का ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं। 11. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते। 12. सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा। 13. विश्व एक व्यायामशाला है, जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं। 14. जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आए, आप यकीन कर सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर सफर कर रहे हैं। 15. हम जितना ज्यादा बाहर जाएं और दूसरों का भला करें, हमारा हृदय उतना ही शुद्ध होगा और परमात्मा उसमें बसेंगे। 16. एक शब्द में यह आदर्श है कि 'तुम परमात्मा हो।' 17. भगवान की एक परम प्रिय के रूप में पूजा की जानी चाहिए, इस या अगले जीवन की सभी चीजों से बढ़कर। 18. यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढ़ाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दु:ख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता। 19. बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है। 20. यह जीवन अल्पकालीन है, संसार की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो दूसरों के लिए जीते हैं, वे वास्तव में जीते हैं। 21. उठो मेरे शेरों, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, न ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है, तुम तत्व के सेवक नहीं हों। 22. जब भी दिल और दिमाग के टकराव हो तो दिल की सुनो। 23. शक्ति जीवन है तो निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है और संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है तो द्वेष मृत्यु हैं। 24. जीवन का रास्ता बना बनाया नहीं मिलता, इसे स्वयं को बनाना पड़ता है। जिसने जैसा मार्ग बनाया, उसे वैसी ही मंजिल मिलती है। 25. पवित्रता, धैर्य और उद्यम, ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूं। Swami Vivekanand श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद एक ऐसे संत थे जिनका रोम-रोम राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत था। राष्ट्र के दीन-हीनजनों की सेवा को ही वे ईश्वर की सच्ची पूजा मानते थे। इस युवा संन्यासी ने निजी मुक्ति को जीवन का लक्ष्य नहीं बनाया था, बल्कि करोड़ों देशवासियों के उत्थान को ही अपना जीवन-लक्ष्य बनाया। स्वामी विवेकानंद ने जितने युवाओं के हृदय को झंकृत किया, शायद उतना किसी और ने किया हो। 1. ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हमी हैं, जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है। 2. उठो मेरे शेरों, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, न ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है, तुम तत्व के सेवक नहीं हों। 3. उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक कि लक्ष्य न प्राप्त हो जाए। 4. जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएं अपना जल समुद्र में मिला देती हैं, उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग चाहे वह अच्छा हो या बुरा, भगवान तक जाता है। 5. किसी की निंदा न करें। अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो जरूर बढ़ाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते हैं, तो अपने हाथ जोड़िए, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिए और उन्हें उनके मार्ग पर जाने दीजिए। 6. कभी मत सोचिए कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है। अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि 'तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं। 7. अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है अन्यथा ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाए, उतना बेहतर है। 8. जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का विश्वास उठ जाता है। 9. उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता। 10. हम वो हैं, जो हमें हमारी सोच ने बनाया है इसलिए इस बात का ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं। 11. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते। 12. सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा। 13. विश्व एक व्यायामशाला है, जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं। 14. जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आए, आप यकीन कर सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर सफर कर रहे हैं। 15. यह जीवन अल्पकालीन है, संसार की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो दुसरों के लिए जीते हैं, वे वास्तव में जीते हैं। 16. एक शब्द में यह आदर्श है कि 'तुम परमात्मा हो।' 17. भगवान की एक परम प्रिय के रूप में पूजा की जानी चाहिए, इस या अगले जीवन की सभी चीजों से बढ़कर। 18. यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढ़ाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दु:ख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता। 19. बाहरी स्वभाव केवल अंदरुनी स्वभाव का बड़ा रूप है। 20. हम जितना ज्यादा बाहर जाएं और दूसरों का भला करें, हमारा हृदय उतना ही शुद्ध होगा और परमात्मा उसमें बसेंगे। स्वामी विवेकानंद के विचार क्या है?स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार – 11 से 20
Quote 11: एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ। Quote 12: “जब तक जीना, तब तक सीखना” – अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं। Quote 13: जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
शिक्षा के बारे में विवेकानंद के क्या विचार हैं?स्वामी विवेकानन्द के अनुसार शिक्षा का अर्थ :
स्वामी विवेकानन्द वेदान्त दर्शन के समर्थक थे उन्होंने देश की अज्ञानता एवं गरीबी दूर करने के लिये शिक्षा की आवश्यकता को समझा। वे मनुष्य को जन्म से ही पूर्ण मानते थे इस पूर्णता की अभिव्यक्ति को शिक्षा कहते थे। उनके अनुसार शिक्षा मनुष्य की अन्तर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।
विवेकानंद जी का नारा क्या था?1. उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए। 2. बस वही जीते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं।
स्वामी विवेकानंद के जीवन का लक्ष्य क्या था?श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद एक ऐसे संत थे जिनका रोम-रोम राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत था। राष्ट्र के दीन-हीनजनों की सेवा को ही वे ईश्वर की सच्ची पूजा मानते थे। इस युवा संन्यासी ने निजी मुक्ति को जीवन का लक्ष्य नहीं बनाया था, बल्कि करोड़ों देशवासियों के उत्थान को ही अपना जीवन-लक्ष्य बनाया।
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