श्रीलंका में लगा आपातकाल, आर्थिक संकट से जूझता देश - फोटो : Twitter Show
विस्तारश्रीलंका में राजनीतिक संकट काफी गहरा चुका है। देश में आपातकाल लगाया जा चुका है और देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन भी हो रहे हैं। इस्तीफे का ऐलान कर चुके राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पहले ही देश छोड़कर जा चुके हैं और देश के संवैधानिक प्रावधानों के तहत प्रधानमंत्री बनाए गए रनिल विक्रमसिंघे से भी तुरंत इस्तीफा देने की मांग की जा रही है। प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के दफ्तर में घुस चुके हैं और राष्ट्रीय टीवी चैनल के स्टूडियो पर कब्ज़ा कर चैनल को भी ऑफ एयर कर दिया है। क्यों बने ऐसे हालात? इस तरह के हालात में सवाल यह उठता है कि आखिर यह स्थिति क्यों पैदा हुई? गौरतलब है कि श्रीलंका के पास अब विदेशी मुद्रा का भंडार नहीं बचा है, जिसका मतलब साफ है कि उसके पास अब दूसरे देशों से सामान खरीदने की क्षमता नहीं है। अगर सरकार की मानें तो इसके पीछे की वजह कोविड महामारी है क्योंकि इसका सीधा असर पर्यटन पर पड़ा। गौरतलब है कि पर्यटन सेक्टर, श्रीलंका की कमाई का जरूरी हिस्सा रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का मत अलग है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा समय में यह सिर्फ़ 50 मिलियन डॉलर के आस-पास है। इसके अलावा, श्रीलंका पर चीन समेत दूसरे देशों का भारी कर्ज भी है। 2019 में टैक्स कटौती से जुड़े सरकारी फैसले को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें, तो इस फैसले से सरकार को सालाना करीब 1.4 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। यही नहीं, 2021 की शुरुआत में श्रीलंका की विदेशी मुद्रा की कमी होने के बाद सरकार ने रासायनिक उर्वरकों के आयात पर प्रतिबंध लगाते हुए किसानों को लोकल जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल करने के लिए कहा। इससे फसल बर्बाद हुई और विदेशों से खाद्य पदार्थों की आपूर्ति की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई। Srilanka Financial Crisis: श्रीलंका में बढ़े वित्तीय संकट के बाद अब हालात काफी बिगड़ गए हैं, यहां तक कि श्रीलंका के प्रधानमंत्री को भी इस्तीफा देना पड़ा था.श्रीलंका संकट के कई कारण हैं, जिनकी वजह से आज देश में हालात बेकाबू हो गए हैं. श्रीलंका में वित्तीय संकट (Sri lanka Crisis) बढ़ने के बाद हालात लगातार बेकाबू हो रहे हैं. वित्तीय संकट बढ़ने के बाद देश में राजनीतिक संकट भी गहरा गया है. पहले कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद पीएम रहे ने इस्तीफा दे दिया था. पीएम के इस्तीफे के बाद देश के हालात (Srilanka Current Situation) बेकाबू हो गए, लोग विरोध प्रदर्शन के लिए सड़क पर उतर गए हैं. अब सेना को कमान संभालनी पड़ी है और प्रदर्शनकारियों पर देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए हैं. आप भी हर रोज श्रीलंका में हो रहे विरोध प्रदर्शन और वहां के बिगड़े हालात की तस्वीरें देख रहे होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं इस स्थिति की वजह क्या है. अगर आप भी जानना चाहते हैं कि श्रीलंका में आज जो हालात हैं, उनके क्या कारण हैं और किस वजह से यह स्थिति पैदा हुई है. इसके बाद आप समझ पाएंगे कि श्रीलंका में किस तरह ये संकट पैदा हुआ है और इसके लिए सरकार की किन नीतियों को जिम्मेदार माना जा सकता है… लगातार बढ़ रहा है विदेशी कर्जसाल 1948 में श्रीलंका को ब्रिटेन से आजादी मिली थी और आजादी के करीब 74 साल बाद इसे सबसे बड़ा वित्तीय संकट माना जा रहा है. अब यहां महंगाई भी आसमान छू रही है. अगर इसके कारणों की बात करें तो सबसे पहला कारण है श्रीलंका पर चीन जैसे देशों का बाहरी कर्ज. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आलोचकों का मानना है कि गैर जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के चलते कर्ज काफी बढ़ गया है. बताया जा रहा है कि श्रीलंका पर अभी 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है. विदेशी मुद्रा भंडार कमइसके साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार लगातार खाली होता जा रहा है. मार्च में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 16.1 प्रतिशत घटकर 1.93 अरब डॉलर रह गया. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट बताती है कि इस साल श्रीलंका के ऋण भुगतान में अनुमानित $ 8.6 बिलियन की गिरावट आई है. महामारीश्रीलंका के इस हालात के पीछे कोरोना वायरस महामारी को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है. दरअसल, कोरोना महामारी के वक्त ट्रैवल इंडस्ट्री काफी प्रभावित हुई थी और श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में कोरोना महामारी का अहम योगदान है. ऐसे में इससे काफी मुश्किल देखने को मिली है. पिछले साल में यह सेक्टर काफी प्रभावित हुआ है और इस वजह से विदेशी मुद्रा में भी काफी कमी आई है. आर्थिक कुप्रबंधनमहामारी और चीन के कर्ज के अलावा कुछ आंतरिक मामले भी इसके लिए जिम्मेदार है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति राजपक्षे ने टैक्स को लेकर काफी ऐलान किया था. उन्होंने टैक्स में भारी कमी कर दी थी और इससे सरकार के पास मुद्रा की भारी कमी हो गई. कई आलोचक सरकार के इस फैसले को काफी गलत मानते हैं और आज के हालात के लिए इस फैसले को जिम्मेदार ठहराते हैं. आयात पर पाबंदीइसके अलावा सरकार ने देश में कई चीजों के आयात पर पाबंदी लगा दी. इसमें रासायनित खाद्य भी शामिल है, जिससे फसलों पर काफी असर पड़ा. इसका नतीजा ये हुआ कि बाहर से भी खाने पीने की चीजें मंगवानी पड़ी. इससे काफी महंगाई बढ़ी और दिक्कत ज्यादा हो गई. श्रीलंका में आर्थिक संकट के क्या कारण हैं?श्रीलंका का संकट मुख्यतः विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण उत्पन्न हुआ है, जो पिछले दो वर्षों में 70% घटकर फ़रवरी 2022 के अंत तक केवल 2 बिलियन डॉलर रह गया था। जबकि वर्तमान में देश पर लगभग 7 बिलियन डॉलर के विदेशी ऋण दायित्व का भार है।
श्रीलंका की आर्थिक समस्या क्या है?जब 2021 की शुरुआत में श्रीलंका की विदेशी मुद्रा की कमी एक गंभीर समस्या बन गई, तो सरकार ने रासायनिक उर्वरकों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया. किसानों को लोकल जैविक उर्वरकों का उपयोग करने के लिए कहा गया. इससे व्यापक पैमाने पर फसल बर्बाद हो गई.
श्री लंका की आर्थिक स्थिति क्या है?आर्थिक: भारत के कुल निर्यात में श्रीलंका की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2015 में 2.16% से घटकर वित्त वर्ष 2022 में केवल 1.3 प्रतिशत रह गई है।
श्रीलंका के बर्बाद होने का कारण क्या है?Sri Lanka ने चीन, जापान, भारत और विश्व संस्थाओं से भारी कर्ज लिया और बाद में चुका नहीं पाया। यह कारण भी श्रीलंका को वित्तीय बर्बादी की राह पर धकेल दिया। कोरोना ने तोड़ी कमर: श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में लगभग 10 फीसदी योगदान पर्यटन का है। कोरोना काल में प्रतिबंधों के कारण दूसरे देशों के पर्यटक श्रीलंका नहीं आ सके।
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