Show कथाकार मुंशी प्रेमचंद देश ही नहीं, दुनियाभर में विख्यात हुए और 'कथा सम्राट' कहलाए. प्रेमचंद की जयंती 31 जुलाई को बड़े ही उत्साह से मनाई जा रही है. इस खास मौके पर उनकी कहानी 'दो बैलों की कथा' पढ़कर अपनी यादें ताजा कर लीजिए... कहानी: दो बैलों की कथा दोनों बैलों ने क्या सलाह की और क्यों?दूसरे दिन गया ने बैलों को हल में जोता, पर इन दोनों ने जैसे पाँव न उठाने की कसम खा ली थी। वह मारते- मारते थक गया; पर दोनों ने पाँव न उठाया। एक बार जब उस निर्दयी ने हीरा की नाक पर खूब डंडे जमाए, तो मोती का गुस्सा काबू के बाहर हो गया। हल लेकर भागा ।
दोनों ने मूक भाषा में क्या सलाह की होगी?जिसे उन्होंने अपना घर समझ रखा था, वह आज उनसे छूट गया. यह नया घर, नया गांव, नए आदमी उन्हें बेगाने-से लगते थे. दोनों ने अपनी मूक भाषा में सलाह की, एक-दूसरे को कनखियों से देखा और लेट गये. जब गांव में सोता पड़ गया तो दोनों ने जोर मारकर पगहा तुड़ा डाले और घर की तरफ चले.
दोनों बैल कहाँ आ गए थे और क्यों?हीरा और मोती दोनों झूरी नामक एक किसान के बैल हैं जो अपने बैलों से अत्यंत प्रेम करता है और इसी प्रेम से वशीभूत होकर हीरा और मोती अपने मालिक झूरी को छोड़कर कहीं और नहीं रहना चाहते हैं। इससे यह स्पष्ट है कि पशु भी स्नेह का भूखा होता है।
दो बैलों की कथा पाठ का उद्देश्य क्या है?दो बैलों की कथा में बैलों के माध्यम से लेखक अपने विचार समाज के समक्ष रखता है। इस कहानी में दो मित्र बैल अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं। यह कहानी दो बैलों के बीच में घनिष्ठ भावात्मक संबंध को दर्शाती है। यह कहानी मनुष्य और जानवर के बीच में उत्पन्न परस्पर संबंध का सुंदर चित्र भी प्रस्तुत करती है।
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